४२. वैशेषिक दर्शन
घी लाख और सित्थे का अप्ति के संयोग से द्रवत्व जलों के साथ सामान्य है।
व्या०-भेद यह है, कि जलों में सांसिद्धिक द्रवत्व है, और इन में नैमित्तिक है, क्योंकि अग्रि के संयोग से होता है अन्यथा नहीं । इसी प्रकार
त्रपुलीसलोहरजतसुवर्णाना ममिसंयोगंाद् द्रवत्वमद्भिः सामान्यम् ॥७॥
रांगा सीसा लोहा चांदी सोनका शाग्रे के संयोग से द्रवत्व जलों के साथ सामान्य है।
व्या०-ररांगादि घातों का उपलक्षण है, तांबा कांसा आदि भी अशि के संयोग से पिघल जाते हैं। इनका भी द्रवत्व नैमित्तिक है, स्वाभाविक द्रवत्व जलों में ही है ।
सं०-‘स्पर्शवान् वायु' सूत्र से वायु फा लक्षण कहा, उसमें प्रेमाण अनुमान दिखलाने के लिए मनुमान की प्रमाणता दृढः करते हैं
विषाणी कुझान् प्रान्तेवालधिः सास्नावानिात गोत्वे दृष्ट लिंगम् ॥८॥
सगों वाला, कुहान चाला, लैवी सिरे पर बालों वाली पूंछ वाळा, और सास्ना वाला यह गोत्व में दृष्ट चिन्ह है।
व्या०-जिस चिन्ह से किसी वस्तु का अनुमान हो, उम चिन्ह को लिंग कहते हैं। अपने सींगों से, कुहान से, सिरे
- गोत्व में चिन्हकहने से है, कि अनुमान
यह िजतलाया से झामान्ब का ज्ञान होता है, विशेष का नहीं।