वैशेषिक दर्शन
कारण तीन मंकार का है-समवायि, असमवायि; निमित्त इनका भेद जानने के लिए वस्र की उत्पत्ति की ओर दृष्टि डालो, कि तन्तु, जुलाहे, कंधी और नालियों ने वस्र के बनाने में क्या २ काम किया है।
तन्तुमा स थख पना छ, तन्तुए समवापकारण ६ ॥
तन्तुओं से बना तव है, जब ये धात मोत हो गई हैं, इसलिए यह ओोत मोत रूप में संयोगविशेष वस्त्र का असमवायिकारण है । जुलाहे, कंधी और नालियोंने यह संयोग कराया है, इसलिए वे निमित्त कारण हैं। इस प्रकार द्रव्य की उत्पत्ति में सर्वत्र अवयव समवाथिकारण, अवयवसंयोग असमवायिकारण, और सैयोग करने वाळे जुलाहे कंधी आदि निमित्त कारण होते हैं। इसादि ।
संगति-प्रसंगागत कार्यकारणभाव का निरूपण कर कम सामान्यै विशेष इति बुद्धयपेक्षम् ॥३॥
सामान्य और विशेष पे (दोनों बुद्धि की अपेक्षा से हैं।
या०-द्रव्य गुण कर्म ये तीन पदार्थे इस विश्व की सारी घटनाओं के कारण हैं, अतएवयेही तीन अर्थ कहलाते हैं। अगले तीन सामान्य विशेष और समषाय पदार्थही कहलाते हैं अर्थ नहीं। हमारी प्रतीति और व्यवहार उनका अस्तित्व तो सिद्ध करता है. पर विश्व की रचना में वह अपनी कोई सत्ता नहीं दिखलाते । उनमें से पहले सामान्य और विशेष का निरूपण करते हैं।
इस विश्व की सारी वस्तुएं आपस में भिन्न २ हैं, पर इस भद के होते हुए भी हम वस्तुओं में ऐसी समानता भी पाते हैं,