पृष्ठम्:वैशेषिकदर्शनम्.djvu/२९

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अ. १ आ. १ सू. ८

से इस्तपुस्तक काजो विभागहुआ. उस में कर्म अनपेक्ष कारण है भौर मागे हस्तपुस्तक के विभाग से जो शारीरपुस्तक का विभाग हुआ, उस में इंथ का विभाग अंगांगीभाव की अपेक्षा से शरीर के दिमाग का . कारण हुआ है। पह,भेद है, इस लिए लक्षण्णू. में अनपेक्ष कारण कहा है।

सैगतेि-फारणता में साघम्यैवैधम्र्य दिखलाते है।

द्रव्यगुणकर्मणां द्रव्यैकारणं सामान्यम् ॥१८॥

द्रव्य, गुण और कमेका द्रव्य सांद्रा कारण हैं ।

आगे वस्त्र में जो रूप और कर्म हैं, उनका कारण वस्त्र है। इसी प्रकार सर्वत्र-द्रव्यगुण कर्म-फा-समवायि कारणद्रव्य-ही होता है।

., वैसे गुण (द्रव्यगुण कर्म के कारण होते हैं) व्या9-तन्तुओं का संयोग'(गुण) वस्त्र का, तन्तुओं का संयोगविभागवेगानां कर्म समानम् ॥२०॥

संयोग विभाग वेगका कर्म सांझा (कारण है) । ।

, व्या०-तोप के गेले में जो कर्प है, वह , पहले स्थान सै

विभाग. और अगले से संयोग उत्पन्न करता है, और गोछे में ३ग उत्पन्न करता है । न द्रव्याणां कर्म ॥२१॥

नहीं ऋध्य का कर्म (कारण)