पृष्ठम्:वैशेषिकदर्शनम्.djvu/१६३

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

(

१६१
अ. १ आ. १ सू. ८

चतुर्थाध्याय, प्रथमअाह्निक का प्रतिपादन ९३ का व्यवस्थापन आदि ८५ | अभिघात जन्य कर्म का प्रति पादन परमाणुओं की, अनित्यता का ८६ | गुरुत्व मे पतन का प्रतिपादन ९४ खण्डन 'परमाणु अतीन्द्रिय है ? का | देले के ऊपर और आड़ा जाने , ८७ | आदकर्म भद म कारण उपपादन गुणों की प्रत्यक्षता, परोक्षता भेद का निरूपण ९६ ८७ | प्रयल से का उपपादन अजन्य शारीरिक कर्म सत्ताओौरगुणत्वकी प्रत्यक्षता८९ . . सयूग जन्य कम • , ९७ चतुर्थाध्यायद्वितीयआह्निक अदृष्ट कारण वाले कर्म ९७ शरीर, इन्द्रिय और विषय का | संस्कार जन्य कर्म ९८ कवचन * पञ्चमाध्यायद्धितीयआह्निक शरीर के पांच भैौतिक होने पृथिवी के विविध कर्म और उन आदि के खण्डन पूवेक | के कारण ९८ एक भौतिक होने का व्यव जल के विविध कर्म और उन ८९ | के कारण शरीरों के योनिज, अयोनिज | वायुके तेज और कर्म और उन

  • | के कारण - १०२

अयोनिज शारीरों में ममाण ९१ मनककर्म और उनकेकारंण ०६ पञ्चमाध्यायःप्रथम आह्निक| अन्धकार को अभाव स्वरूप कर्मे परीक्षा-प्रयव्रजन्य । कर्म | प्रतिपादन १०३ स्थापन