पृष्ठम्:वायुपुराणम्.djvu/९८

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नवमोऽध्यायः ७६ लोकवृत्तान्तहेतोहि प्रयतध्वमतन्द्रिता । विश्वं विश्वस्य लोकस्य स्थापनाय हिताय च ॥७९ एवमुक्तास्तु रुरुदुद्वंद्वुश्च समन्ततः । रोदनाद्भवणाच्चैव रुद्रा नाम्नेति विश्रुताः । १८० यैहि व्याप्तमिदं सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम् । तेषामनुत्तरा लोके सर्वलोकपरायणः ॥८१ नैकनागायुतबला विक्रान्ताश्च गणेश्वरः। तत्र या सा महाभागा शंकरस्यार्धकायिनी ८२ प्रागुक्ता न मया तुभ्यं स्त्री स्वयंभोर्मुखोद्गता । कायार्थं दक्षिणं तस्याः शुक्लं वासं तथाऽसितम् ।।८३ आत्मानं विभजस्वेति सोक्ता देवी स्वयंभुवा । सा तु प्रोक्ता द्विधा भूत शुक्ला कृष्ण च वै द्विजाः । तस्या नामानि वक्ष्यामि शृणुध्वं सुसमाहिताः । स्वाहा स्वधा महाविद्या मेधा लक्ष्मीः सरस्वती ॥८५ अपर्णा चैकपर्णा च तथा स्यादेव पाटला। उमा हैमवती षष्ठी कल्याणी चैव नामतः ८६ ख्यातिः प्रज्ञा महाभागा लोके गौरीति विश्रुता । विश्वरूपमथाऽऽद्यायाः पृथग्देहविभावनात् ॥८७ शृणु संक्षेपतस्तस्या यथावदनुपूर्वशः । प्रकृतिनियता रौद्री दुर्गा भद्रा प्रमाथिनी कालरात्रिर्महामाया रेवती भूतनायिका। द्वापरान्तविकारेषु देव्या नामानि मे शृणु ॥८६ गौतमी कौशिकी आर्या चण्डी कात्यायनी सतीं । कुमारी यादवी देवी वरदा कृष्णपिङ्गल ६० बहूर्वजा शूलधरा परमब्रह्मचारिणी । माहेन्द्री चेन्द्रभगिनी वृषकन्यैकवाससी ॥६१ अपराजिता बहुभुजा प्रगल्भा सहवाहिनी । एकानंसा(श) दैत्यहनी माया महिषमदनी ।६२ ॥८८ ७ यनपरायण होओ। यह सुनकर वे रोने लगे और चारों ओर से द्रवित हो गये, अतः रोदन और प्रवण के कारण उनका नाम रुद्र पड़ ॥७७-सम्पूर्ण चराचर और सृष्टि प्रपंच को व्याप्त करके विराजमान ०l ये रुद्रगण है । गणेश्वर रुद्रगण सभी सिरजे हुए भूत प्रपंचों में श्रेष्ठ सर्वलोकपरायण अघिक विक्रमशील और अयुत नागों से भी अधिक बलवान है । हमने पहले ही कहा है कि दक्षिणढं से शुक्लवर्ण और वामठं से कृष्णवर्ण शंकरार्द्ध शरीरिणी एक महाभागा देवी प्रादुर्भूत हुई । उस देवी से भगवान् ब्रह्मा ने देह विभाग करने को कहा । द्विजगण ! उन देवियों का नाम कहते हैं सुनिये । स्वाहा , स्वधा महविद्या, मेधा, लक्ष्मी, सरस्वती, अपर्णा, एकपर्णा, पाटला, उमा, हेमवती षष्ठी, कल्याणी, ख्याति, प्रज्ञा, महाभागा और गौरी । इन आर्या देवियों ने ही पृथक्-पृथक् देह धारण कर सृष्टि को व्याप्त किया है ।८१-८७। संक्षेप से उनके और नामों कहता हूं—प्रकृति, नियता, रोझी, दुर्गा, भद्रा, प्रमाथिनी, कालरात्रि, महामाया, रेवती भूत- को भी नायिका । द्वापरादि युग में देवी जिन नामों से प्रसिद्ध होती हैं उनको भी सुनिये ।८८८९। गौतमी, कोशिकी, आर्या, चण्डी, कात्यायनी, सती, कुमारी, यादवी, देवी, वरदा, कृष्णा, पिंगला, बहध्वजा, शूलधरा, परमब्रह्म चारिणी, माहेन्द्री, इन्द्रभगिनी, वृषकन्या, एकवाससी, अपराजिता, बहुभुजा, प्रगल्भा, सिंहवाहिनी, एकानंशा,