पृष्ठम्:मेदिनीकोशः.djvu/४४

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मेदिनी वृन्दारकः शुरे पुषि मनोश श्रेष्ठ लिए। भ्रमररिक चालकामरे ४९०४॥ भट्टारको नृपे जाव्ययाचा देवें तपोषने । भयानकः कृषि व्य भाटिकामाचा पुष्प मोदक विमान प भवे][][] दिम्बे अयश गागरभूतयोः | मयूरकोऽपामार्गे की माणपका शरभेद वाले कृरूपे बटो को पदान्येऽपि मिडमिन्दनिय २८ रसखा दिवसे सुख से ॥२॥ राघरमारे जीकर बोले ॥१०॥ कि प्रभभाषदर्शियाोषणा रे। कामे] लेखनिका क खेषु परोन सस्तेन लेख बाहको नदीमैदे काकमी जलापटे ॥२१२ विनायकस्तुर विमे जिने रे।। वाटा ४९१२