पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः भागः २.djvu/६०

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मध्यमाधिकारः अत्रोपपत्तिः । एकस्मिन् दिने उदयकाले केनापि नक्षत्रेण सह रविरूदितो दृष्टो द्वितीयदिने नक्षत्रस्यगत्यभावात्प्रथमं तदुदयस्तदनन्तरं रविगतिकलोत्पन्नासुभिस्तदुदयोऽत एकस्मिन् नाक्षत्रदिने रविगति-कलोत्पन्नासुयुक्ते एक सावनदिनान्तःपातिनाक्षत्र कालः। द्वितीयदिने नाक्षत्रदिनद्वये रविदिनद्वयगतियोगोत्पन्नासुयुक्ते सावनदिन द्वयान्तःपातनाक्षत्रकल एवमग्नपि अर्थावस्मिन्निष्टदिने नाक्षत्रकालोऽपेक्षितस्तद्दिन संख्यकनाक्षत्रदिने इष्टदिनरविगतियोगासुयुक्ते सतोष्टदिनान्तःपातिनाक्षत्र- कालो भवेदेतेनैव नियमेन एकवर्षान्तःपातिसावनसंख्यातुल्ये नक्षत्रदिने एकवर्ष सम्बन्धिरविगतियोगा (क्रान्तिवृत्त) सु नक्षत्रदिनमेकं) युक्तो वर्षान्तःपाति नाक्षत्रदिनमर्थाद् वर्षान्तःपातिभभ्रमो भवेदतो वर्षान्तःपातिभभ्रम=वर्षान्तः पातिरविसावन सं+१ नाक्षत्रदिनम् । ततोऽनुपातेन, यद्येकेन वर्षेण वर्षान्तःपाति भभ्रमा लभ्यन्ते तदा कल्पवर्षेः किमिति । कल्पे भभ्रमाः=(वर्षान्तःपातिरवि सावन सं+१) क वर्षे=वर्षान्तःपातिरविसावनसंकव ×कवर्ष+कवर्ष=कल्परवि सावनदिन+कवर्ष=कल्पकुदिन+करविभगण=पठिताङ्काःतथा कलभभ्रम करविभगण=कल्पकुदिन कल्परविसावनदिन+कवर्ष=कल्पकुदिनम् भास्करा चार्येणापि खखेषुवेदषड्गुणाकृतीभभूतभूमयः शताहता भपश्चिमभ्रमा भवन्ति काहनो'त्यनेनेदमेव कथ्यत इति ॥२॥ अब भभ्रम को ग़ौर कुदिनों को कहते हैं । हि. भा.-कल्प में १५८२२३६४५०००० इतने भभ्रम होते हैं, भभ्रम में रविभगण को घटाने से रवि के सावन दिन होते हैं वह कुदिनसंज्ञक हैं अर्थात् कल्प या युग में जो सूयं सावन दिन होते हैं उन्ही को कल्प या युग में कुदिन कहते हैं ।।२२। उपपत्ति एक दिन में उदय काल में किसी नक्षत्र के साथ रवि उदित हुए, दूसरे दिन में नक्षत्र की गति नहीं रहने के कारण पहले नक्षत्र का उदय होता है उसके बाद रविगति कलोत्पन्नासु करके रवि का उदय होता है इसलिए एक नाक्षत्र दिन में रविगतिकलोत्पन्नासु जोड़ने में एक सावन दिनान्तःपाती नाक्षत्र काल होगा । एवं दूसरे दिन में दो नाक्षत्र दिन में दो दिनों के रविगतियोगकालोत्पन्नासु से दो सावन दिनान्तःपाति नाक्षत्र कालहोगा । इसी तरह तीसरे, चौथे आदि दिनों में भी विचार करना। इससे यह देखने में आता है। कि जिस इष्टदिन में नाक्षत्र काल अपेक्षित हो उस दिन के संख्यातुल्य नाक्षत्र दिन में एक वर्षे सम्बन्धित रविगतियोगा ( क्रान्तिवृत्त ) सु ( एक नाक्षत्र दिन ) जोड़ने से एक वर्षान्तःपाति नाक्षत्र दिन अर्थात् एक वर्षान्तःपाति भभ्रम होता है । इसलिए वर्षान्त:-