पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः भागः २.djvu/५८३

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५६६ ब्राह्मस्फुटसिद्धान्ते अब अध्याय के उपसंहार को कहते हैं । हि. भा–विक्षेप (शर) मान साधन, समलिप्तिक ग्रहद्वय के दिनमान साधन और दिनगतघटी साधन, उन्हीं दोनों ग्रहों के उदयलग्न और प्रस्तलग्न साधन एतदादि विषयों से युत नवम प्रह मेलनाध्याय (ग्रहयुट्यधिकार) छब्बीस आर्यश्लोकों से युक्त समाप्त हुआ २६। इति श्री ब्रह्मगुप्त विरचित ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त में नवम ग्रहयुत्यधिकार समाप्त हुआ ।8।