पृष्ठम्:ब्रह्मसिद्धिः (मण्डनमिश्रः).djvu/६३६

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

ऑनुक्रमणिका Page ... 8, 22, 92 C. Chand. 8-2-1. एक एवयमद्वितीयः ... एकमेवाद्वितीयम् ... 18, 72, 108, Chand. 6-2-1. 118, 258 71 Mim. Sut. 4-8-5. एकस्य तूभयत्वे ... एतस्यैवानन्दस्य •• एवमेवेमाः सवः एष भूताधिपतिः •: 20, 56, 257 Brh. 4-8-82. 21 Chand. 8-83-2. 257 Brh. 4.4-22 20 do. 4-8-82 । एषऽस्य परमानन्दः , • 46 Mund 8-1•9. 258 Chand. 6-8-7. एषांऽणुरात्मा ऐतदारम्यमिदम् ओङ्कार एवेदम् . कथमसतः सञ्जयेत 48 do. 2-28-3. 254 do. 6-2-2. 290 Manu 6-44. 258 Mund. 1-1-8. 8 Man0.2-2. . कपलं वृक्षमूलानि • करिमळु भगवो विज्ञाते कामात्मता न प्रशस्ता .. कार्यकारणबड कुर्वन्नेवेह कर्माणि कृत्तद्धितसमासेभ्यः क्रीडार्थायां प्रवृत्तौ च .. 288 Mand. Hari 1-11. 88 te. 2. 14 Maha-Bhas 88 56. Var. Page 658. 82 Gita. 18-2. क्षत्रजं चापि मां विद्धि रवादिरो यूपो भवति । 1 C. Ap. . So. 3-18 71 रवदिरं वीर्थकामस्य ... 19 १ २ 52 616, Var. Page 204. 19 Tait. Sarh. 7-5-1. गव सत्रासनम् गानमत्रं विजानन्ति ... ... गावो वा एतसत्रम् .. ... गोदोहनेन पशुकामस्य ग्रहणस्य विशेषो हि ... ... घृतकुल्याः क्षरन्ति .. 69 Ap. Sr. So. 1-16-8. 280 88 A%V. G. Kh. 2-8-8.