पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५३३

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" ५२८ बीजगणिते - हर ३ का भाग देने से यावत्तावन्मान नीव ३ नी २ आया इससे या १ राशि में उत्थापन देने से नीव ३ नी २ राशि हुआ। फिर यह ५ से गुणित और सैक वर्ग है इसलिये पीतकवर्ग के साथ साम्य नीव १५ नी १० पीव ० रू. १ नीव O नी ● पीव १ रू ० समशोधन से हुए नीव १५ नी १० पीव ० रू ० नीव ८ ० पीव १ रू १ १५ से गुणकर २५ जोड़ देने से हुए नीव २२५ नी १५० पीव ० रू २५ नीव ● नी ० पीव १५ रू १० आद्य पक्षका मूल नी १५ रु ५ हुआ अन्य पक्षका वर्ग प्रकृति से, वहां कनिष्ठ ६ कल्पना किया उससे ज्येष्ठ ३५ आया । वा कनिष्ठ ७१, ज्येष्ठ २७५ कनिष्ठ पीतक का मानहै और ज्येष्ठ आपके मूलके तुल्य है इसलिये साम्य के अर्थ न्यास । नी १५ रू ५ नीं नी १५ रू यू. नी ० रू २७५ समक्रिया से नौलक का मान २ | वा १८ मिला इससे राशि ' नीव ३ नी २' में उत्थापन देते हैं- मान २ का वर्ग ४ त्रिगुण १२ हुआ इसमें दूना मान ४ जोड़ने से राशि १६ हुआ । वा मान १८ का वर्ग ३२४ त्रिगुण १७२ हुआ इसमें दूना मान २४१८=३६ जोड़ने से राशि १००८ हुआ | अथवा राशि या १ त्रिगुण या ३ सैक या ३ रु १ वर्ग है इसलिये काव. १ के साथ साम्य