पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४०९

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४०४ बीजगणिते- की क्रम से व्यक्त उन्मिति हुई ६ | ११ | १४ | १६ | यहां राशि ५६ में ६ का भाग देने से कालक मान भांति उस राशि में पांच आदि के भाग मानों के तुल्य लब्धि आती हैं Į तुल्य लब्धि ६ आती है इसी देनेसे नीलक आदि वर्णों के अथवा श्वेतक का व्यक्त मान रूप १ कल्पना किया बाद, १ श्वेतक का १ मान है तो ६० श्वेतक का क्या, य ६० हुआ इसमें रूप ५६ जोड़ देने से ११६ यह राशि आया और उक्त रीति से लब्धियां हुई १६ | २३ | २६ | ३३ | इस भांति इष्ट के कल्पनावश से नाना- विध राशि मिलेंगे । उक्त प्रश्न का प्रकारान्तर से उत्तर लाते हैं -- या १ इसमें छ का भाग देने से पांच शेष रहता है तो उक्त रीति से यह याव- का ६ रू ५ या १ ताउन्मिति आती है अब उसमें हर का भाग देने से का ६ रू ५७ राशि आया । इसमें पांच का भाग देने से लब्धि नलिक और शेष ४ रहा, हर लब्धिका घात शेषसे जुड़ा भाज्य राशि के समान होता है इस प्रकार दो पक्ष तुल्य हुए । का ६ नी० रू ५ का० नी५ रू ४ समीकरण से कालक की उन्मितिः नी ५ रू १ आई । इसमें हरका का ६ भाग देनेसे लब्धि भिन्न आती है इसलिये कुट्टकके अर्थ न्यास | भा. ५ । क्षे र्ं । art O १ १ इससे ०. गुण हुए क्षेप के ऋण होने से अपने अपने हरों में शुद्ध करने