पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/२२६

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चक्रवालम् 1 और 'इष्टवर्गहृतः-~-~-' इस सूत्र की प्रवृत्ति नहीं होती इसलिये सक- लाचार्यशिरोमणि अन्थकार ने 'इष्टवर्गप्रकृत्यो:--' इस सूत्र के अनुसार इष्ट ३ कल्पना किया, उसके वर्ग १ और प्रकृति १३ का अन्तर ४ हुआ इस का दूने इष्ट ६ में भाग देनेसे कनिष्ठ हुआ, इसमें २ का अपवर्तन देनेसे कनिष्ठ हुआ । कनिष्ठ ई के वर्गई प्रकृति १३ से गुण दिया ११७ हुआ इसमें १ जोड़ देनेसे १२१ हुआ इसका मूले ज्येष्ठ है १ | इनका क्रमसे २ न्यास । के ज्येक्षे १ इनका पहिले सिद्ध किये हुए मूल के साथ भावना के लिये न्यास | क १ ज्ये० क्षे १३ कज्ये ११ से १ . अव भावना देने से १३ क्षेत्र में मूल २ इन पदों का रूप शुद्धि पदों का भावना के लिये न्यास | सिद्ध हुए । क्षे १३ ज्ये३ से १ के साथ अन्तर १३ कज्ये १३१३ कई ज्येक्ष १

8 ' ह्रस्वं वज्राभ्यासयोः --' इस सूत्र के अनुसार वज्राभ्यासों २३,३८ का अन्तर हुआ इस में २ का अपवर्तन देने से कनिष्ठ हुआ | कनिष्ठों का घात 12 हुआ इसको प्रकृति १३ से गुण देने से १५३ हुआ, इसके और ज्येष्ठाभ्यास १२५ के अन्तर २६ में २ का अपवर्तन देने से 22 ज्येष्ठ पद हुआ । और क्षेपों १३ । १ । का घात धन १३ क्षेप हुआ । इन का क्रम से न्यास | ३