पृष्ठम्:धम्मपद (पाली-संस्कृतम्-हिन्दी).djvu/८

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( | ) - ( ७ ) पैत- ( :५ ) चरियापिटक ( ४ ) घेराथा २. विनयपिटक निनि भागोंमें विभक्त है --युतविभंग

(१) भिक्खु-विभंग "{ ( १ ) पाराजिक

( २ ) भिषङ-विभंश ( २) पाचितिय २-खघक- ( १ ) महावग्ग (३) च्छवम्मा ३-परिवार ३. अभिधम्मपिटकमें निम्नलिखित सात अंथ हैं- ५, कथावश्च १. धम्मसंगणी २. विभंग ६. यस • पट्टा ३. धातुकथा , मुगछपष्वति धम्मपद (=धर्मप) त्रिपिटककैखुद्दकनिकाय विभागवै पैन्नडमैयों मॅसे एक है । इसमें भगवान गौतम युद्धकै सुखसै समय समयपर बिक्री २३ उपदेशगाथाका संग्रह है। चीन तिब्वती आदि भाषाओंके पुराने अनुवादं के अतिरिक्त, वर्द्धमान कालकी दुनिथाकी सभी सभ्य भाषाओंमें इसके अनुवाद मिलते हैं, अंग्रेजीमें न आयः एक घडैन हैं । भारतको अन्य भाषाकी तरह इसारी हिन्दी भर इसमें किसीचे पीछे सही है । जहाँ तक मुझे मालूम है, हिन्दीमें धम्मपदके अभीतक पाँच छत्रु वाद हो चुके हैं, जिनके लेखक हैं १. श्री सूर्यकुमारवर्मा” हिन्दी { १९०४ ई० ) २. अचुन्याचन्द्रमणिसह्स्थविर हिन्दी और पाीवोन (१९०५ ई०)