( = ) व्यवस्थापकीय वक्तव्य रक-मळ भाषाविचार सभी दृष्टियोंसे हिन्दीभाषाभाषी भग घान सुद्धकै उच्चराधिकारी हैं। इन्हीं के पूर्वजोंने उनकै अस्पृतमय उपदेशोंको सर्व प्रथम अपनाया । इन्होने ही दुनिया में भारतकी धार्मिक और सांस्कृतिक विबभुङभी यमाई । पूर्वंजोंकी इस अद्भुत और अमर सिँका स्मरण करते, किसका छिर ऊँचा न श्रृंहगा । किच, यह कितने शोककी बात है, कि मातृ-भाषा हिन्दीमें भगवान के विषय संदेश भट्टके यराबर हैं। इसी कवी को दूर करनेके लिये हिन्दीमें महाबोधि-अथ-आला निकालने के कम हुआ है । धम्मपद साळका अभास पुष्प है। आगे निकलनेवाली पुखकोंके सस्तेपक और सुंदर छपाईका अनुमान इसी पुस्तकसै आप कर सकते हैं । मालाकी दूसरी पुस्तक होगी-बिशमनिकाय । इस आशा करते हैं, कि हिन्दी प्रेमी कनान इस ओसमें इसरा हाथ बँटायेंगे और आठ आना भेज कर आछाके स्थायी आइक थन जायेंगे। ( भट्टचारी ) देवप्रिय प्रधानसँन, शहाबोधि सभा, पिपतन, चारना ( यरस ) |-
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