पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/९९

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भाषाटीकासमेता । (९१ ) उक्त प्रकारसे सम्पूर्ण सहम जन्म तथा वर्ष में विचारने पुण्यसहमके बल- वान् होनेमें द्रव्यादिक लाभ होते हैं, परंतु रोग अरि कलि झकटक मृत्यु इन सहमोंके बलवान् होनेमें विपरीत फल, उनके नामसदृश होता है. यदि रोगादि पांच अनिष्ट सहम निर्बल अशुभफलदाता हों तो वर्षादिमें शुभ फल जानना ॥ ३६ ॥ ११ ॥ A रथोद्ध - कार्य्यसिद्धिसहमंयुतंशुमैर्दृष्टमूथ शिलगंजयप्रदम् ॥ संगरेथशुभपापदृष्टियुक्क्लेशतोजयउदीरितोबुधैः ॥३७॥१२॥ कार्य्यसिद्धि सहम शुभ ग्रहोंसे युक्त वा दृष्ट हो अथवा शुभग्रहसे मुथ- शिलकारी हो तो संग्राममें जय देता है. शुभयुत दृष्ट और शुभमुथशिली भी हो तो विशेषतर जय देता है. जो दृष्ट युक्त वा मुथशिली शुभ और पापों सेभी हो तो संग्राम में क्लेशसे जय देता है ऐसा ही विचार विवाहादिसहमों में. करना. यवा कार्य्यसिद्धि हर किसी कार्य्यकी होती है ॥ ३७ ॥ १२ ॥ मंजुभा०–कलिसद्मपापखगदृष्टिसंयुतंय दिपापमूथशिल- गंकलेर्मृतिम् ॥ अथतत्रसौम्य सहितावलोकितेजयमेतिमि श्रशिकलव्यथे ॥ ३८ ॥ १३ ॥ कलि कलह सहम पापशुभ दोनोंही से दृष्ट वा युक्त हो तथा पापग्रहसे मुथशिली हो तो कलहमें मरण होबे जो वही कलिसहम शुभग्रहसे युक्त वा दृष्ट हो तो थोडेही कलहमें जय होवे. जब पाप और शुभ ग्रहों की दृष्टि तुल्य हो वा दोनोंहीसे युक्त हो तो कलह वा व्यथा पारिश्रममात्र होती है जय वा पराजय परिणाममें कुछ भी नहीं ॥ ३८ ॥ १३ ॥ उपजा ० - विवाहसद्माधिपसौम्यदृष्टंयुतंशु भैर्मूथशिलंशुभाप्तिम् ॥ कुर्य्याद्यदामिश्रसमेत दृष्टंकष्टादरमृतीश्वरैर्न ॥ ३९ ॥ १४ ॥ विवाहसहम स्वस्वामी वा शुभ ग्रह युक्त वा दृष्ट हो और शुभग्रहके साथ मुथशिल करे तो विवाहमाप्ति करेगा जो शुभ और पाप ग्रहोंसे युग- पत् युक्त वा दृष्ट हो उपलक्षणसे मिश्रहीके साथ इत्थशाली हो तो विवाह ·