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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२५३

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• भाषाटीकासमेता । (२४५) बुध सूर्य्यसे इत्थशाली हो तो चार पुरुष जासूस अति रहैं, जो बुषसे अँगल का ईसराफ हो चन्द्रमासे युक्त भी हो तो वे और वेष रक्खें ॥२४॥ दुर्गप्रश्ने । लेविलग्नेक्रूरेवादुर्गभंगोनजायते ॥ शेषतो भूमिपुत्रेराहौवामूर्तिसति ॥ २५ ॥ प्रश्नलनमें पापग्रह हो विशेषत: मंगल राहु हो तो किला नहीं टूटेगा २५ सप्तमे सिंहिकासूनु गैशीत्रेणलभ्यते || जामि॒त्रोदयगेक्रूरे रिष्फगेलग्ननायके ॥ २६ ॥ द्वितीयेवाष्टमेषष्ठेतदादुर्गनल भ्यते ॥ सकूरोलग्नपोवकीयुद्धदः केंद्रसंस्थितः ॥ २७ ॥ सप्तममें राहु हो तो किला शीघ्र लियाजायगा, जो सप्तम तथा लग्नमें पाप- ग्रह और लग्नेश बारहवां हो यद्वा२।६।८में हो तो किला नहीं लियाजायगा, जो लग्नेश वक्री और पापयुक्त तथा केंद्र में हो तो युद्धही होवे ॥२६॥२७॥ षष्ठाधिपघूनगतेपापेवायुद्धमादिशेत् ॥ · पृच्छायांकेंद्रगैः करैः कोटेदुर्गेवधोनृणाम् ॥ २८ ॥ षष्ठेश सप्तममें वा पापग्रह सप्तम हों तो युद्ध होवे, तथा प्रश्न से केंद्रों में पापग्रह हों तो किलामें मनुष्य मारे जावें ॥ २८ ॥ भौमाष्टमेशावेकञददतोनिधनंनृणाम् || स्वायपुत्रस्थितेजीवेकोटमध्ये भयंनहि ॥ २९ ॥ मंगल तथा अष्टमेश एकही भावमें हों तो प्रष्टाकी सेनामें बहुत मनुष्य अरेंगे २।११।५ भाव में बृहस्पति हो तो किलामें भय न होगा ॥ २९ ॥ शनौ भौमेच केंद्रस्थेबहूनांवधबंधनम् ॥ ३० ॥ शनि मंगल केंद्र में हों तो बहुत मनुष्य मारेजायेंगे तथा बांधे जायँगे ३० लग्नगतोयदिपापःपापेनयुतेक्षितोजयेद्वात्र || लग्नात्पूर्वापर गौपापौयुद्धंतदाघरम् ॥ ३१ ॥ लग्नमें पापग्रह पापहीसे युक्त वा दृष्ट हों अथवा दूसरे बारहवें पा ह हों तो घोर युद्ध होगा ॥ ३१ ॥ इति श्रीमहीधरकतायां प्रश्नतंत्रभाषाटीकायामष्टम भावप्रश्ननिरूपणम् ॥ ८ ॥