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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२३२

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(२२४ ) ताजिकनीलकण्ठी । जो पंचमेश लग्नेश वा चन्द्रमासे इत्यशाल करे तथा पंचमेश शुभ ग्रह हो शुभग्रहसे युक्त वा दृष्टभी हो तो टाको संतति देता है ॥ १८ ॥ पुंस्त्रीग्रहाः पुत्रगृहविलनात्पश्यंतियावंतइहातिवीर्य्याः ॥ तत्संख्यकाः स्युस्तनयाञ्चकन्याःशुभेशयोगात्सुतभांशतुल्याः॥ १९॥ . जितने पुरुष ग्रह अतिबली होकर पंचम भावको देखें उतने पुत्र तथा जितने स्त्रीग्रह अतिबली होकर देखें उतनी कन्या होंगी वा पंचममें जितने भुक्त नवांशक हों उतने होंगे किंतु ये संख्या पूर्वोक्त इत्यशाल हुयेमें और स्वस्वामी शुभयुक्त पंचम होनेमें होती हैं ॥ १९ ॥ लेशपुत्राधिपती परस्परंनपश्यतचेदुदयंचपंचमम् || पापेत्थशालौसुतलग्नपौचप्रष्टुस्तदासंततिनास्तितांवदेत् ॥ २० ॥ लग्नेश और पंचमेश परस्पर न देखें तथा लग्न और पंचमकोभी न देखें वा लग्नेश पंचमेश पापेत्थशाली हों तो संतति नहीं है कहना ॥ २० ॥ पुत्रालयेसिंहवृषालिकन्याः प्रश्नोदयाज्जन्मभतस्तथेंदोः ॥ • अल्पप्रजःसंततिपृच्छकः स्यात्पापैःसुतक्षैसहितेक्षितेवा ॥ २१ ॥ पंचमेश ५ | २ | ८ | ६ राशि प्रश्न वा जन्मलग्न अथवा चन्द्रमासे हों तो प्रष्टाको अल्प संतान होगी, पापग्रहोंसे पंचमस्थान युक्त दृष्ट होने भी यही फल है ॥ २१ ॥ 4 स्वक्षैस्थितौरंध्रगतौयमाप्रष्टुत्रियंसंदिशतश्ववंध्याम् || छिद्रस्थितौचंद्रवुधौस दो पांवाका कवन्ध्यांतनयाप्रसूतिम् ॥ २२ ॥ अष्टम स्थानमें शनि सूर्ध्य ५ | १० | ११ राशिमें हो तो टाकी स्त्री वंध्या है जो चन्द्रमा बुध अष्टम हों तो उसपर किसी देवताभूतप्रेतादिका दोपहै, अथवा १ संतान होकर वंग्या होवे वा कन्याही होवे इसमें विशेष विचार यह है कि, उनमें से चन्द्रमा बली हो तो कन्याप्रजा होगी यदि उसपर पुरुष ग्रह की दृष्टि हो तो काकवंध्या, जो बुध वली हो तो धंध्या होवे ॥ २२ ॥ (