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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२२९

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भाषाटीकासमेता । (२२१ ) अथ पंचमस्थानप्रश्नः । यदिपृच्छत्येतस्याः योभवेन्मे जानवाकात्रि || लग्नेशेंद्रोः सुतपतिनामुथशिलभावेप्रसूतिः स्यात् ॥ १ ॥ जो प्रष्टा पूँछे कि, मेरी स्त्री प्रसूती होगी वा नहीं तो लग्नेश चंद्रमा पंच- मेश परस्पर इत्थशाली हों तो संतती होगी ॥ १ ॥ • यदि तपतिर्विलग्नेलग्नपचंद्रौसुतेथवास्याताम् ॥ सत्वरित मेववाच्यासविलंबनक्तयोगेन ॥ २ ॥ || जो पंचमेश लग्नमें वा लग्नेश और चंद्रमा पंचमहों तो शीघ्र होगी, जो इनका नक्तयोग हो तो विलंबसे होगी ॥ २ ॥ द्विशरीरेचविलग्नेशुभयुतपुत्रेद्रयपत्ययोगोस्ति यदि लग्नपपुत्रंपतीपुंराशीतत्सुतोगर्भे ॥ ३ ॥ लग्नमें द्विस्वभाव राशि शुभग्रहसे युक्त वा दृष्ट हो तो, गर्भमें दो अपत्य होंगे, जो लग्नेश पुत्रेश पुरुषराशिमें हों तो गर्भमें पुत्र होगा खीराशिमें हों तो कन्या होगी ॥ ३ ॥ १ अथचंद्रः पुराशौ ग्रहकृतमुथशिलस्तदापिसुतः ॥ अथवाविवरपराह्नेसूर्य्यात्पृष्टेतदास्त्रीस्यात् ॥ ४ ॥ जो चंद्रमा पुरुष राशि में पुरुष ग्रहसे युक्त वा मुथशिली हो तो गर्भ में पुत्र होगा अथवा चंद्रमा अपरा समयका वा कृष्णपक्षका तथा सूर्य्यसे पीछे हो तो गर्भमें स्त्री होगी ॥ ४ ॥ हारास्वामीपुरुषः पुराशौचेत्तथापिसुतंगर्भः ॥ तुंगेंदुसौम्ययुक्तंगर्भेदीर्घायुः त्रसंभृतिः ॥ ५ ॥ लग्नेश पुरुषग्रह पुरुष राशिमें हो तौभी गर्भमें पुत्र होगा जो उच्चका चंद्रमा शुभग्रहों से युक्त दृष्ट पंचम हो तो दीर्घायु पुत्र होगा ॥ ५ ॥ एषागर्भवतीकिल नवा प्रमाणं प्रयाति गर्भोयम् || लग्नपशशिनोः सुतस्थयोर्भवत्येव ॥ ६ ॥ जो प्रश्न हो कि यह स्त्री गर्भवती है या नहीं तो प्रश्नमें लग्नेश और चंद्रमा पंचम हो वा उसे देखे तो गर्भवती है ॥ ६ ॥ 4