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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/२०४

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(१९६). ताजिकनीलकण्ठी | I मंगल बुधकी पूर्ण दृष्टिसे दृष्ट हो तो प्रष्टा कुटिल जानना ॥ २ ॥ आर्या लग्नेशुभग्रहयुते सरलःक्रूरान्विते भवेत्कुटिलः || लग्नेस्ते सौम्यदृशा विधुगुरुदृष्ट्या च सरलोयम् ॥ ३॥ लग्न में शुभग्रह हों तो सरल और पापग्रह हों तो कुटिल तथा लग्न और सप्तम स्थानमें शुभ ग्रहोंकी दृष्टि हो वा चन्द्रमापर बुध बृहस्पतिकी दृष्टि हो तो सरलचित जानना ॥ ३ ॥ आर्या - यदिगुरुबुधयोरेकः पश्यत्यस्ताधिपंचरिपुदृ या ॥ तत्कुटिलः प्रष्टा खल्वनयोः सौम्यदृष्टितः साधुः ॥ ४॥ जो बुध बृहस्पति सप्तमेशको शत्रुदृष्टि से देखें तो कुटिल और इनकी उसपर मित्रदृष्टि हो तो सरलचित्त प्रष्टा जानना ॥ ४ ॥ ॥ आर्या- सम्यग्विचार्य्यलयात्प्रशंसकृद्यथाशास्त्रम् यस्त्वेकंत्रतेसौतस्यनमिथ्याभवेद्वाणी ॥ १ ॥ ज्योतिषी भले प्रकार लग्नविचार के थोडे प्रश्नको शास्त्रकी आज्ञानुसार जो एक प्रश्न कहता है उसकी वाणी मिथ्या नहीं होती अर्थात् एक लग्नमें बहुत प्रश्न सत्योत्तर नहीं होते ॥ १ ॥ बहुप्रश्लेविषये - अनु० - बहून्प्रश्चानथो प्रष्टा युगपद्यदि पृच्छति ॥ तत्रतेषां विधिवक्ष्येशास्त्रतोलोकतुष्टये ॥ २ ॥ जब प्रष्टा एकहीवार बहुत प्रश्न पूछता है तो उनके उत्तरके कहनेकी विधि लोकोंकी तुष्टिको शास्त्रसे कहताहूं ॥ २ ॥ ॥ ३ ॥ आर्या आदिमंलग्नतोज्ञानं चन्द्रस्थानाहितीयकम् ॥ सूर्य्यस्थानातृतीयंस्यात्तुर्य्यजीवगृहाद्भवेत् धभृग्वोबलीयः स्यात्तहात्पंचमंपुनः ॥ राश्यानुरूपंकथयेत्संज्ञाध्यायोक्तवद्र्धः ॥ ४ ॥ पहिला प्रश्न लग्नसे दूसरा चन्द्रस्थानसे तीसरा सूर्ग्य स्थानसे चौथा बृह स्पतिकी राशिसे पांचवां बुध शुक्रमेंसे जो बलवान हो उसकी राशि के अनुसार जो राशियोंका धातु रूप रंग आकार गुण संज्ञाध्याय में कहे हैं उनके प्रभाव से प्रश्न कहना, वह विस्तार आगे लिखा जायगा ॥ ३ ॥ ४॥