(१० ) ताजिकनीलकण्ठी । से वर्षप्रवेश होगया. अथवा जन्मके ( सूर्य्याशतुल्य ) सूर्य्याशदिन वह चार मिलनेपर वर्षप्रवेश दिन निश्चय होता है किसी किसी देशों में संक्रांतिदिन गि- नती मानतेहैं उन्हें गत प्रविष्टा और पैठ कहते हैं उस प्रविष्टाके दिन अथवा एकदिन आगे पीछे उक्त वार मिलनेसेभी दिन निश्चय होताहै ॥ १७ ॥ गतैष्यदिवसाद्येन गतिर्निघ्नी खषड्हृता | · लब्धमंशादिकं शोध्यं योज्यं स्पो भवेद्रहः ॥ १८ ।। फल स्पष्ट ग्रहाधीन है. वह गणित सिद्धांत और ग्रहलाघवादि लघुकर- णोंसे साधन करने में श्रम बाहुल्य है, यहां आचार्ग्य ने सुगमोपाय ग्रहस्पष्टका इसप्रकार कहा है कि, पंचांगस्थित अवधिकी गति इस समय से स्पष्टा- वधिपर्यंत दिनोंसे गुनकर अवधि स्पष्ट में संस्कार करना तात्कालिक स्पष्ट सिद्ध होजाता है. उदाहरण संवत् १९४३ वैशाख वदि द्वादशी शनिवार इटघटी १३ | ५४ में वर्षप्रवेश है. और वैशाख वदि अष्टमी सोमवारके दिन ग्रहलाघवीय प्रातःकालीन स्पष्टावधि पंचांग में स्थापित है अब स्पष्टावधि प्रातःकालसे ५ दिन १३ घंटी ५४ पल इष्टकालपर्यंत अधिक है. एप्यदिन हुये उस अवधिके सूर्य्य, स्पष्ट० | १३ | ३७ । ५२ रा- श्यादि और गति ५८ । १४ है. एष्यदिनादि ५ | १३ | ५४ से गति गोमूत्रिका क्रमसे वा भिन्न गुणन विधि से गुनदिया ५ | ४ । ३९ अंशादि हुये. अवधि स्पष्ट ० | १३ | ३७ | ५२ अवधिसे उत्तरदिन होनेसे एप्प हुवा. जोड़ देनेसे ० | १८ | ४२ | ३१ यह तत्काल सूर्य स्पष्ट होगया. यही रीति भौमादि सभी ग्रहों की जाननी. दूसरा प्रकार विना ही अवधि स्पष्ट केवल पंचांगीय ग्रह चालक से यह स्पष्ट करनेका यह है कि वर्षप्रवेश दिनसे पहला जो नक्षत्र चरण पर ग्रह चालक है और इष्टदिनसे जो पुनः अंत्यचरण पर चालक है इनका अन्तर करके नैराशिक करना कि अन्तरीय अमुक संख्यांक दिनोंमें ३ | २० अंशकला स्पष्ट होता है तो पूर्व इष्टसमय पर्यन्त अन्तरांकमें कितना होगा. जो उत्तर मिले उसमें राशिसंबंधि नक्षत्रोंके जितने चरण ग्रहके भुक्त करलिये उतने ३ | २० | जोड़ते जा