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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१७९

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भाषाटीकासमेता । (१७१) उपजा० - दशापतिः पूर्णबलोबुधश्चेद्यशोभिवृद्धिगणितात ' शिल्पात || तनोतिसेवांसफलांनृपादेर्दूत्यंच वैदूष्यगुणोदयंच ॥ २४ ॥ दशापति बुध पूर्णबली हो तो गणित एवं शिल्पविद्यासे यश बढे राजादि- कोंकी सेवा सफल होवे दूतत्व मिले और निर्दोष गुणोंका उदय होवे ॥ २४॥ उपजा० - दशापतिर्मध्यबलोबुधश्चेद्वरोस्सुहृद्धयोलिपिकाव्यशिल्पैः ॥ धनाप्तिदोथोसुतमित्रबंधुसमागमान्मध्यममेवसौख्यम् ॥ २५ ॥ दशापति बुध अल्पबली हो तो गुरुजन मित्रजन एवं लिखने पढने और शिल्पविद्यासे धनप्राप्ति होवे, और पुत्र मित्र बंधुजनोंका समागम होवे सुख मध्यम होवे ॥ २५ ॥ - उपजा० - दशापतावल्पबलेवुधेस्यान्मानस्यनाशः स्वजनापवादः ॥ अकार्य्यकोपस्खलनाद्यनिष्टंधनव्ययंरोगभयंचविद्यात् ॥ २६ ॥ दशापति बुध अल्पचली हो तो माननाश अपने जनोंसे झूठा कलंक विना प्रयोजनका कोप अपनी वाणी चकजानेसे बुरा धन खर्च और रोगभय भी जानना ॥ २६ ॥ उपजा० - दशापतौहीनबलेवुधेस्यात्स्व द्विनाशोवधबंधभीतिः ॥ दूरेगतिर्वातकफामयार्त्तिर्निखातवित्तस्य चनापिलाभः ॥ २७ ॥ हीनबली बुधके दशापति होने में अपनी बुद्धिका नाश और बंधन, वा वध, कार्य्यसंबंधी भय, दूरगमन वातकफसंभव रोगसे पीडा होवे और अपना ही स्थापित द्रव्य नहीं मिले ॥ २७ ॥ अनुष्टु० - षडष्टांत्येतरर्क्षस्थोनष्टोज्ञोर्द्धशुभप्रदः ॥ मध्योहीनःशुभोमध्यःशुभोत्यंतसुखावहः ॥ २८ ॥ दशापति बुध ६।८।१२ स्थानोंसे रहित और किसी स्थानमें हो तो नष्टबलीभी आधा शुभ फल देता है, जो षडष्टांत्य भिन्नस्थानों में नष्टबल बुध मध्यबलका फल और मध्यबली शुभ फल देता है, उत्तमबली अत्यंत शुभ- फल देता है ६|८|१२ स्थानों में उत्तमबली भी अशुभ हीनबली अत्यंत अ- शुभ फल देता है ॥ २८ ॥ उपजा० - गुरोर्दशापूर्णबलस्यदत्तेमानोदयंराजसुहृद्वरुभ्यः ॥