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पृष्ठम्:ताजिकनीलकण्ठी (महीधरकृतभाषाटीकासहिता).pdf/१५९

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भाषाटीकासमेता । (१५३ ) जिस राशिमें जन्मका मंगल है वही वर्षका लग्न हो और वर्षेश बुध भी नष्टवल होवें तो वह वर्ष अच्छा नहीं होगा ॥ १५ ॥ अनुष्टु०-सार्केशनौ भौमथुतेखाष्टस्थेवाहनाद्भयम् || सार्के भौमेष्टमस्थेतु पतनं वाहनाद्भवेत् ॥ १६ ॥ शाने सूर्य्य मंगल सहित दशम वा अष्टममें हो तो वाहन (सवारी ) से भव्य होने और सर्ग्य सहित मंगल अष्टम हो तो वाहनसे पतन होवे ॥ १६ ॥ अनुष्टु० - सारेन्द पेष्ट मेमृत्युश्चंद्रेत्यारिभृतौमृतिः ॥ उदितेमृतिसद्मशेनिर्वलेजीवितेमृतिः ॥ १७ ॥ वर्षेश मंगल सहित अष्टम हो तो मृत्यु फल देता है तथा चन्द्रमा भौम युक्त छठा आठवां वारहवां हो तो भी मृत्यु देता है और मृत्युसहमेश उदय हो जीवितसहमेश निर्बल हो तो मृत्यु होता है ॥ १७ ॥ अनुष्टु --- पुण्यसद्मेश्वरः पुण्यसहमाष्टमोयदा || सूत्यष्टमेशः पुण्यस्थो मृतिदः पापढग्युतः ॥ १८ ॥ पुण्यसहमेश पुण्यसहमसे अष्टम हो पापग्रहसे युक्त वा दृष्ट भी हो तथा जन्मका अष्टमभावेश पुण्यसहम राशिमें पापयुक्त वा दृष्ट हो तो मृत्यु देताहै ॥ १८ ॥ अनुष्टु० - सूत्यष्टमगतोराशिः पुण्यसद्मनिनाथयुक || अब्दलग्नाष्टमक्षैवाचे दित्थंस्यान्मृतिस्तदा ॥ १९ ॥ जन्मकी अष्टमभावराशि वर्ष में पुण्यसहम होके निजनाथसे युक्त हो तथा वर्षलग्नसे अष्टमेश अष्टमगत हो तो मृत्यु होती है ॥ १९ ॥ ० 'अनुष्टु० - पुण्यसद्माशुभाक्रांतंमृतीशोंत्यारिंध्रगः ॥ सुथहेशोन्दपोवापिमृत्युंतत्रविनिर्दिशेत् ॥ २० ॥ पुण्यसहममें पापग्रह हों और अष्टमेश त्रिकस्थान ६ |८|१२ में हो तो मृत्यु होवे और वर्णेश वा मुंथेश पापाकांत त्रिकस्थान ६ । ८६ | १२ में हो तो मृत्यु कहना ॥ २० ॥