पृष्ठम्:जातकाभरण.pdf/३५०

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भाषाढीकासहित । if ९० अथ मेषराशिगतचंद्रदशाफलम् । मेषे शशांकेस्य दशाप्रवेशे योषामजानंदभगे जनानाम् ॥ विदेशकर्माभिरतिर्ययः स्यात्क्रौयै शिरोरुक् सहज़रिबाधा । जो मेषराशिमें चंद्रमा होय तो अपनी दशाओं में और पुत्रों आनंद मनुष्यको देता है और परदेशके कामोंमें मीति ज्यादा खर्च करनेवाला कोषसहिता भ्राता और शक़ ओंकी बाधा करता है । ७ । अथ वृषराशिगतचंद्रदशाफलम् । उच्चाधिरूढस्य दशा जडांशोः कुलानुसारं हि ददाति राज्यम् | योषाविभूषात्मजगोतुरंगगजाप्तिसौख्यापचयं जयं च । ८ । भो वृषुराशिमें चंद्रमा बैठा होय तैौ अपनी शामें उस मनुष्यको कुरुते समान राज्य देता है और स्त्री और अभूषण और और, चंडा, हाथी प्राप्त कराते हैं और सँस्यसमूह तथा जयको माप्त है है ॥ ४ ॥} Venkateswaran raman (सम्भाषणम्) अथ मूलत्रिकोणराशिस्थितचंद्रदशाफलम् । मूलत्रिकोणाश्रिततरश्मेर्दशा विदेशाभिगमं करोति ॥ कृषेः त्र्याद्विक्रयतो धनाप्तिं कफानिलार्तिस्वजनैचिंरोधम् ॥९॥ और जो चंद्रमा वृष राशिके तीन अंशोंसे अधिक अंशोंमें बैठा होय तो अपनी में प्रदेशयात्रा करावे खेती करके कय विक्रयसे धनकी प्राप्ति कफ और बातकी पीड़ा करावे और मित्रसे विरोध कराता है ॥ ९ ॥ अथ वृषस्थपूर्वार्द्धपरार्द्धगतचंद्रदशाफलम् । वृषस्य पूर्वार्धगतो हिमांशः पापान्वितः संजनयेजनन्याः ॥ मृत्थं परादं जनकस्य सौख्यसङ्गं क्षणान्मृत्युसमानरोगम् १० - और न वृषराशीके पंद्रह अंशके भीतर चंद्रमा पापग्रहयुक होय ते मनःकी मृत्यु दर है और जो वृष राशि के पंदह अंशके ऊपर तीसके भीतर पापग्रह युक्त चंदमा होय ने पि ताकी मृत्यु करे और जो चंद्रमा । शुभ ग्रहयुत होवे ततै मातता वा पिताको मृत्यु समान रोग देता है ॥ १० ॥ अथ मिथुनराशिगतचंद्रदशाफलम् । द्रक्षाधिसंस्थेन्दुदशाप्रवेशे देवद्विजाचधनभोगसंस्थम् । स्थलांतरे संचलनं किल स्यात्सुखेन सम्यहृतिवैभवं च १३॥