पृष्ठम्:जातकाभरण.pdf/२७७

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( २५२ ) जातश्वभ्र अब भयोगके प्रसंगेसे सामुद्रिाध्याय कहते हैं जिस मनुष्यके जन्मकालमें बछवान प्रयोग होय उसके हैंथ और पैरोंमें निर्मळ राषिर्त होते हैं ॥ १ ॥ अनामिका अंगु की जड़ ची नो रेखा उसको पुण्यविधान रेखा कहते हैं और मध्यम अंगुळसे ब बला कर हाथ मभिप्रेक्ष्तक भाप्त हुई जो रेखा उसके ईं रेखा कहते हैं वह राज्यकी मानि

  1. राती है ॥ २ ॥ जिसके अंगूठेके बीपमें यवका चिह्न मौजूद होय बृह मनुष्य यशस्वी

अपने बंशका भूषण बहुत आभूषणोंसहित नम्रता युक्त होता है ॥ ३ ॥ और जिसके हाथ हथेटीमें और पैरोंमें हाथीके सदृश वा छपने तुल्य मछलके समान वा तलैयाके तुल्य या अंकुशके समान या वीणिकं समान रेखा होवें तो वह मनुष्य राजा होता है ॥ ४ ॥ आदर्शमालाकरवालशूलहलाश्च तत्पाणितले मिीति।स्या माण्डलीकोवनिपालको वा कुले नृपालः कुलतारतम्यात् ॥ ९ ॥ चेद्यस्य पाणौ चरणे च चक्रे धनुर्वेजाब्जब्यजनास् नानि ॥ रथाश्चदोलाकमलाविलासास्तस्यालये स्युर्गजवा- जिशालाः ॥ १ ॥ स्तंभस्तु कुंभस्तु तरुस्तुरंगो गदा मृदंगोंऽत्रिकरप्रदेशे । दण्डेऽथवा खण्डितराज्यल क्ष्म्या स्यान्मण्डितः पण्डितशौण्डको वा ॥७॥ सुवृत्तमौलि स्तु विशालभालश्चाकर्णनीलोत्पलपत्रनेत्रः । आजानुबाहुं पुरुषं तमाहुभूमण्डलाखंडलमार्यवर्याः ॥ ८ ॥ जिस मनुष्यके हाथ और पैरोमें सीसेकी तरह माळा और कमण्डलुकी तरह पर्वत और इछले सदृश रेखाको आकार होवे वह मनुष्य एकदेशका राजा अथवा बड़ा गमा अपने कृङके समान होता है । ५ । और जिसके हाथ पैरोंमें चक, धनुष, ध्वजा, कमळ, पंखा और खनने समान रेखा हो उसके घरप रथ, घोड़े, पाली, लक्ष्मीका विकास इथी पेड़ों की शळ होती है ॥ ६ का और जिसके हाथ पैरोंमें थमळेके समान ध्रुझ, बोडा, मदा, मृदंग, दंडके समान रेखा हो वह मनुष्य अखंडित रायद्वक्ष्मीको प्राप्त पंडितोंका शिरोमणि होता है ॥ ७ ॥ निख मनुष्यका शिर गोळ चीडा माथा और कमोंके पासतक बड़े पेंदे नेत्र कमळके तुल्य पीड़ियाँनक आई हेवें वह पुरुष पृथिवीमंडळपर इंद्रकी सम्न पर हेता है । ८ ॥ नरस्य नासा सरला च यस्यं वक्षःस्थलं चापि शिलातला भम ॥ नाभिर्गभीरातिमृदू भवेतामारक्तवर्णा चरणौ स Venkateswaran raman (सम्भाषणम्) ०६:०५, १२ नवम्बर २०१८ (UTC)