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भाटकसाईत । (१३९ }

जिस भनुष्यके भभकळमें कुंभैशशिभत चंद्रमा मंग दैर्घहा होय झ मनुष्य मकः और धन तथा मातार्पिताके वियोगको माप्त और बड़े कठिनपथको पैदा करनेछ । गोळनेवाछ मलिनाचित्र अत्यंत धूर्त होताहै ॥ ६२ ॥ अथ कुंभराशिगते चंद्रे बुधदृष्टिफलम् विषयसौख्यरतोशनसंविधरुचिरतीव शुचिः प्रियभाषणः ।। युवतिगीतसुनीतिकृतादरो घटगतेंदुरिह झनिरीक्षितः ॥ ६३ ॥ निस मनुष्यके जन्मकाळमें कुंभराशिगत चंद्रमाको बुध देखता होय वह मनुष्य विषय सौख्यसैंहित भोजनविधानका जाननेवाला अत्यंत पवित्र प्यारी माशी. वेनेझ लियेके गीत जाननेवाला श्रेष्ठ नीतिसे लिों का आदर करनेवाला होता है ॥_६३ / अथ कुंभराशिगते चंद्रे गुरुदृष्टिफळम् महीपुरग्रामसुखादिसौख्यं भोगान्वितं साधुजनप्रवृत्तिम् कुर्यान्नरं श्रेष्ठतरं घटस्थो निशाकरः शक्रगुरुप्रदृष्टः ॥ ६४ ॥ मिस मनुष्यके जन्मकळमें कुंभराशिगते चंद्रमाको शुक्र देखताहूय वह मनुष्य धरते गर ग्राभादिके सुखकर सहित भौग करके युक्त सत्पुरुषोंमें अवृतिकरनेव श्रेष्ठ पुत्र होताँहै ॥ ६४ ॥ अथ कुंभराशिगते चंद्रे भ्रुदृष्टिफलम् मित्रात्मजस्त्रीगृहसौख्यहीनो दीनो जनोसारितगौरवः स्यात् । निशाकरे कुंभधरे प्रसूतौ संवीक्षिते दानवपूजितेन ॥ ६६ ॥ जिस मनुष्यके जन्मकलमें कुंभराशिगत चंद्रमाको कुक देखताय वह मनुष्य मित्र औ पुत्र त्री तथा मकानके सौख्यसे रहित दीन गौरबरहित होताहै + ६५ ॥ अथ कुंभराशिगते चंद्रे शनिहंट्फिलम् खरोष्ट्रबालाश्वतरादिलाभं कुस्त्रीरतं धर्मविरुदवृत्तिम् । करोति मर्यं हि घटेधितिष्ठन्निशाकरो भास्करसूनुदृष्टः }}६६ जिस मनुष्यके जन्मकाळमें कुंभराशिगत सद्भाको अनैश्वर देवतञ्च च मनुष्य ३ ॐ नवीन घोंको लाभकरनेवाला क्षीस्त्रमें तत्पर धर्म के विरुद वृत्तिमाळा होताहै ९६६ अथ भीनराशिमते चंद्रे रविड्रिफल ? मनोद्योत्कर्षमतीव सौख्यं सेनापतित्वं बहुवित्तवृद्धिम् । सत्कर्मसिद्धिं कुरुते हिमांशौ झषे दिनेशेल निरीक्ष्यमाणे ॥६