पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३५९

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श्रत् अत्, ( श्रव्य. ) गुरु और वेदान्त पर विश्वास । अथ्, (क्रि. ) चोटिल करना । वध करना | बांधना । छुड़ाना । प्रसन्न होना । निर्बल होना । चतुर्वेदीकोष । ३६३. • अथन, (न. ) यल करना । प्रसन्न होना । श्रद्धा, (स्त्री.) आदर । गुरु और वेदान्त के वचनों पर विश्वास । स्पृहा । शुद्धि । विश्वास | श्रद्धालु, ( स्त्री. ) गर्भवती स्त्री जिसको किसी वस्तु की इच्छा हो । ( त्रि.) श्रद्धा वाला | विश्वासी । • अन्थ्, ( कि. ) गूथना । छुड़ाना | वध करना । श्रपित, (त्रि. ) पका हुआ। श्रम, (क्रि. ) तपस्या करना । A श्रवणद्वादशी, ( स्त्री. ) भाद्र शुक्ला एका- दशी । वह द्वादशी जिसके साथ श्रवण नक्षत्र हो, प्रायः भाद्रपद में अवश्य होती है । इसका नाम हरिवासर है। इसमें भोजन करने से बारह महीनों की एका- दशी के व्रत का फल नष्ट जाता है। अविष्ठा, (स्त्री. ) अति प्रसिद्ध । धनिष्ठा तारा । अवसू, (न. ) कान । कीर्ति। यश ।● आ, (क्रि. ) पकाना। श्राद्धदेव, (पुं. ) इस नामका एक मनु | यमराज | श्राद्ध के प्रधान देवता धूर्लोचन, विश्वेदेवा आदि । एक मुनि । श्राद्धदेवता, ( स्त्री. ) श्राद्ध कर्म में निमन्त्रण देकर पितर बनाये हुए ब्राह्मण + विश्वेदेवा और धूर्लोचन आदि । श्रीविष्णु । पितर । ● श्रीद श्रम, ( पुं. ) शास्त्राभ्यास | आयास । तपस्या ? खेद । परिश्रम | श्रमण, (पुं. ) भिक्षुक विशेष । श्रमिन, ( त्रि. ) मेहनती । श्रम्भू, (क्रि. ) भूलना। श्रय, (पुं. ) श्राश्रय | सहारा । श्रि, (क्रि. ) सेवा करना । श्रित्, (त्रि. ) सेवित । आश्रित । श्री, (क्रि. ) पकाना । श्री, ( स्त्री. ) शोभा | लक्ष्मी । “लौंग | वायी | सम्पत्ति | बुद्धि | सिद्धि । शव, ( 9 ) कान। ख्याति । श्रीकण्ठ, (पुं. ) शिव । मोर | कुरुजाङ्गल देश | श्रवण, (न.) कान । सुनना । बाईसवां भीकर, ( न. ) लाल कमल का फूल । विष्णु। नक्षत्र | दाय विभाग सम्बन्धी अन्थ का एक रच- यिता पण्डित । ( त्रि. ) सजाने श्राद्धिक, (त्रि. ) श्राद्ध में देने योग्य पदार्थ का खाने वाला । श्राद्धभोजी ब्राह्मण । श्रान्त, (त्रि. ) श्रम वाला | शान्त | जितेन्द्रिय थका हुआ । श्रावण, (पुं. सावन मास । कान से सुनी निश्चित बात । श्रावन्ती, ( स्त्री. ) धर्मपत्तन नाम की नगरी । - वाला । श्रीकान्त, ( पुं. ) विष्णु । श्रीखण्ड, (न. ) चन्दन | श्रीगर्भ, (पुं. ) विष्णु । खङ्ग । तिजोरी । श्रीघन, (पुं.) बहुत बुद्धि वाला । ( न. ) दही । श्रीचक्र, (न. ) त्रिपुर-सुन्दरी की पूजा का विशेष | श्रीज, (पुं. ) कामदेव । सारा संसार, क्यों कि वह जगत् की माता हैं । श्राण, (त्रि.) पका हुआ। श्राद्ध, ( न. ) पितरों की तृप्ति के लिये किया श्रीद, ( पुं. ) कुबेर । ( त्रि. ) धन देने जाने वाला पिण्डदान आदि कर्म । वाला ।