पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३२५

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विज्ञा चतुर्वेदकोष । ३२६० विज्ञान, (न.) विशेष ज्ञान । वेदान्त में कहा हुआ अविद्या की वृत्ति का भेद । विज्ञानमय कोष, (पुं. ) ज्ञान की इन्द्रिय और बुद्धि । विज्ञानिक, ( त्रि. ) विज्ञान जानने वाला । ● विटू, (क्रि.) चिल्लाना | शब्द करना । विट, (पुं.) गुण्डा । जार । पर्वत विशेष । चूहा । खदिर वृक्ष । नारङ्गी का वृक्ष । विटङ्क, (न.) कबूतरों की काबुक । कबूतरों के बैठने की छतरी । विटप, (पुं. न. ) शाखा | पल्लव विस्तार | (त्रि.) विटपालक । विटपिन्, ( पुं. ) वृक्ष | पेड़ । विटि, विटी, } ( स्त्री. ) पीत चन्दन । विद्रचर, (पुं. ) गाँव का पालतू सूअर | विट्पत्ति, ( पुं. ) जमाई । विड्, (क्रि. ) चिल्लाना । विड, (न. ) लवण भेद । एक प्रकार का नोन । विडङ्ग, (पुं. न.) कृमिनाशक एक औषधि | बाय विडङ्ग । ( त्रि. ) अभिज्ञ | जानने 'वाला । विडम्बन, (न.) तिरस्करण । अनुकरण | ( स्त्री. ) हँसी । विड़ाल (बिडाल), ( पुं. ) बिल्ला | नेत्र का गोला । नेत्र की औषधि विशेष । विडीन, (न. ) पक्षियों की एक प्रकार की गति । विडोजस, विडोजस, ( पुं.) इन्द्र | विश्वराह, (पुं. ) ग्राम शुकर | वितंस, (पुं. ) पक्षियों को बाँधने का फन्दा आदि । विद वितण्डा, ( स्त्री. ) एक प्रकार के वाद प्रति वाद का ढङ्ग । शास्त्र की अल्पज्ञता छिपा- ने के लिये मन गढ़न्त बातों से वाद विवाद करना । अपना पूर्वपक्ष समर्थन करने के बिना ही परपच को हठ से दबाना । झूठा झगड़ा । व्यर्थ का झगड़ा बकवाद । वितथ, (त्रि. ) झूठा । अयथार्थ । वितद्रु, ( स्त्री. ) पजाब की एक नदी वितरण, (न. ) दान | देना । बाँटना | मुफ़्त देना । " वितर्क, ( पुं.) सन्देह तर्क । बात की यथार्थता पर ऊहापोह करना । वितर्दि, ( स्त्री. ) वेदी । वितल, (न.) पाताल विशेष । वितस्ति, ( पुं. स्त्री. ) बालिश्त । वारह अङ्गुल का माप । वितान, (न. पुं.) चन्दौवा | शामियाना | वृत्ति विशेष अवसर | यज्ञ | फैलाव | वित्, (क्रि. ) त्यागना । वित्त, (न. ) धन | (त्रि.) विचारा गया। जाना गया । पाया गया । वित्ति, ( स्त्री. ) ज्ञान | लाभ | विचार । वित्तेश, ( पुं॰ ) कुबेर | धन का स्वामी | विथ्, ( क्रि. ) मांगना । विदू, (क्रि. ) लाभ होना । पाना | विचार करना । होना । जानना । विदग्ध, (त्रि.) नगरवासी । होशियार । पण्डित । चतुर । विदग्धा, ( स्त्री. ) नायिका विशेष । चतुर और चलती स्त्री | विद्, ( पुं. ) पण्डित । वेत्ता | बुध ग्रह । विदथ, (पुं.) योगी । कृतकृत्य | सफल मनोरथ । विदर्भ, ( पुं. स्त्री. ) वह देश जहां दर्भ न हों । रुक्मिणी के पिता भीष्मक की राज- धानी, जो हाल में अमझरा नाम से