पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/३०८

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वल्क 'चतुर्वेदकोष | ३२० वल्कल, (न. ) छिलका | छाल | दारचीनी | चलिकल, . ( पुं. ) काँटा । वल्कुट, (न. ) छाल । बल्गू, (क्रि. ) जाना | प्रसन्न होना । खाना कूदना । नाचना | वल्गा, ( स्त्री. ) घोड़े की लगाम । रास । वल्गु, (पुं.) बकरा । ( त्रि. ) सुन्दर | मधुर मूल्यवान् । ( न. ) चन्दन | वन | पैसा । वल्गुल, (पुं.) दौड़ती हुई लोमड़ी । चल्भू, (क्रि. ) भोजन करना । . चल्मिकि, (पुं.) श्रीमकों का बनाया मिट्टी का ढेर । चल्मी, ( स्त्री. ) चींटी । वल्मीक, (पुं. न. ) ( दीमकों या चींटियों का घर ) छोटी मिट्टी की टिलिया । फलिपाँ का रोग । वाल्मीकि ऋषि, जिन्होंने रामायण की रचना की । चल्यूल, (क्रि. ) काट डालना | साफ करना | चल्ल, (पुं. ) दो रत्ती भर | फटकन । एक माशा चांदी । वल्लकी, (स्त्री. ) बीन । सारङ्गी | तम्बूरा | वल्लभ, (पुं.) प्यारा । स्वामी | अच्छा घोड़ा । वल्लर, वल्लरी, ( स्त्री . ) लता । मञ्जरी । मेथी । वल्लव, (पुं.) ग्वाला । रसोइया | भीमसेन । चाल्ले, वली, लता | बेल | पृथिवी | वल्लुर, (न. ) कुञ्ज । मञ्जरी । क्षेत्र । निर्जन स्थान । गहन । वल्लूर, (त्रि. ) सूखा मांस | खेत । सवारी | बाँझर भूमि । चल्ल्या, (स्त्री. ) आँवला का पेड़ | वश, ( पुं. न. ) अधीन होना । प्रभुत्व | वशंवद, (त्रि.) प्रियवाक्यवादी | अधीन । वशक्रिया, ( स्त्री. ) वश में करना । वशग, (त्रि. ) वशीभूत वशवर्तिन, (त्रि.) अधीन | वशीभूत | वशा, ( स्त्री. ) स्त्री | पत्नी | लड़की । ननँद | गौ । बाँझ स्त्री । इथिनी 19 वशित्व, (न.) स्वाधीनता | ईश्वर का एक ऐश्वर्य । वशिन्, (त्रि. ) स्वाधीन | जितेन्द्रिय | वशिष्ठ, १ (पुं. ) इन्द्रियों को सर्वथा वश में वसिष्ठ, रखने वाला | मुनि विशेष : वशीकरण, (न. ) जिसके द्वारा ऐसे को वश में किया जाय, जो कभी . • घर हो सके । तान्त्रिक विधान विशेष | पान का बीड़ा । खुशामद । प्रार्थना । वष्ट्रकार, (पुं. ) यज्ञ विशेष | वषट्रकृत, (त्रि. ) होम किया हुआ । वष्क, (क्रि. ) जाना । वक्रय, (पुं. ) एक वर्ष का बछड़ा । वस्, ( क्रि. ) ढाँकनां । रहना । वसन, (न. कपड़ा परदा बसना वसति, १ ( स्त्री. ) वास । वसती, ] स्थान | घर वसन्त, वश्य, (न. ) वश में आया हुआ । लौंग । वषट्, (अन्य ) देवोद्देश्य से घी आदि का देना वा छोड़ना । रहना | रहना । रात | ( पुं. ) ऋतु विशेष जो चैत्र और वैशाख में होती है । एक प्रकार का राग | चेचक की बीमारी | वसन्ततिलक, (न.) ( T पुं.) छन्द जिसका पद चौदह अक्षर का होता है । वसन्तदूत, ( पुं. ) कोकिल । कोइलाम का पेड़। पाँचवाँ स्वर | वसन्तसख, (पुं.) कामदेव । वसन्त का मित्र | वसा, ( स्त्री. ) चर्बी । बेल । वसु, (न.) धन | रत्न | सुवर्ण । जल । वस्तु | नमक विशेष । (त्रि.) सूखा । धनी । चच्छा | देवता विशेष | इन देवताओं की संख्या है - “आपो धरो ध्रुवः सोमः श्रहश्चैवानिलोऽनलः । प्रत्यूषश्च प्रभासश्च वसवोऽष्टाविति स्मृताः ॥ आठ की संख्या कुबेर । शिव | अग्नि का नाम वृक्ष विशेष सरोवर । सूर्य । (स्त्री.) किरन । प्रकाश | चमक | मूल विशेष | ""