पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/२८०

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•मुष चतुर्वेदीकोष | २८२. (क्रि. ) मूँसना । लूटना | ( पुं. ) मूसल जिससे अनाज उखली में डाल कर घरा जाता है। मु, (क्रि. ) बाँधना | मूक, (पुं. ) मत्स्य | मछली | गूँगा | दीन । दैत्य विशेष । मूकिमन्, (पुं. ) गूँगापन | मूत, (नि.) बँधा हुआ घिरा हुआ । मूत्र, (न. ) पेशाब | मूत्रकृच्छ, ( सं . ) पेशाब की बीमारी जिसमें पेशाब बड़े कष्ट से उतरता है । मुष्टि, (पुं. स्त्री. ) ठट्ठी | माप विशेष | मूठ मूर्ख, ( त्रि. ) बुद्धिहीन । गँवार । मूर, ( त्रि. ) मूर्ख | नाश करना । मुष्कशून्य, (पुं. ) खोजा। नपुंसक । या मुठिया । लिङ्ग । ( स्त्री. ) चुराना | मुष्टिमुष्टि, ( [अव्य. ) घूंसों की लड़ाई | मुष्टिक, ( पुं. ) कंस का एक पहलवान | सुनार । डोम । मुष्टिकान्तक, ( पुं. ) बलदेव । मुष्टिकाडर मूर्च्छना, (स्त्री. ) बेसुध होना । मूर्च्छा, ( स्त्री.) मोह 'अचैतन्यावस्था । वृद्धि । मूर्च्छाल, (त्रि.) मूर्च्छित | बेसुध । अचेत । मूर्ति, ( स्त्री. ) प्रतिमा । विग्रह । मूर्त, (त्रि.) अचेत । बेसुध । मूर्तिमत्, ( पुं. ) आकारसम्पन्न । शरीर । मल्ल के काल । मुष्टिन्धय, (पुं. ) बालक । बच्चा | मूठी कड़ा। . चुंबने वाला । मुष्टिबन्ध, ( पुं. ) मुट्ठी बाँधना | मुट्ठी भर | मुष्ठक, (पुं. ) काली सरसों । राई । मुस्, (क्रि.) टुकड़े टुकड़े करना | चीरना । बाँटना । मुसल, (पुं.) मूसल । मुसलिन्, (पुं.) बलराम | मुसलधारी । मुसलीका, ( स्त्री. ) विसतुझ्या | छिपकली | मुस्त, (क्रि. ) देर करना । एकत्र करना | मुस्त, (पुं.) मोथा | तृणविशेष । मुत्र, (न.) लोढ़ा | मूसल | दरार | मुह्, (क्रि. ) बेसुध होना । अचेत होना ।

  • मूर्च्छित होना । हैरान होना । गड़बड़ी में

पड़ना । मुबू, मुषल, मुशल, मुसल, मुषित, (त्रि.) चुराया हुआ द्रव्य | वह मनुष्य जिसका द्रव्य चोर चुरा ले गये हों । मुष्क, (पुं. ) अण्डकोष । चोर । वृक्ष विशेष । मोटा आदमी | मुहिर, (पुं. ) कामदेव । मूर्ख 1 मुहुक, (न.) (वैदिक प्रयोग ) क्षण | पल | मुद्दुस्, (श्रव्य. ) प्रायः । बार बार । मुहूर्त, ( पुं. न. ) ४८ मिनिट का काल विशेष । किसी कार्य के लिये नियत •समय । मुहेर, (पुं. ) मूर्ख । ज्योतिषी । मूर्धन्, (पुं.) माथा । सर्वोच्च स्थान | नेता । अगला । आधार मूर्धज, ( पुं. ) केश । बाल । मूर्धन्य, ( त्रि. ) माथे में उत्पन्न होने वाले । ॠ, ट, ठ, ड, ढ, ण, र, ष ये मूर्धन्य कहलाते हैं। मूर्धाभिषिक्ल, (पुं. ) क्षत्रिय | राजा | वर्ण- सङ्कर । मंत्री । मूर्वा, मूर्वी, मूर्विका, (स्त्री.) एक लता, जिसके द्वारा धनुषों की प्रत्यश्वा और क्षत्रियों की करधनी बनायी जाती हैं । मूलू, ( क्रि . ) स्थित होना । पक्का होना लगाना । उगना । मूल, (न. ) जड़ । नवि | आधार यथार्थ | मुख्य । परम्परागत प्राप्त सेवक । धनमूल । निकुञ्ज | पूँजी | समीपी । पिप्पलीमूल । उन्नीसवाँ नक्षत्र । मूलक, ( न. ) एक प्रकार का कन्द | मूली । मूलकर्म्मन्, ( न. ) मुख्य काम । जादू। मंत्र और औषधि से किये जाने वाले कर्म ।