पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/२३४

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चतुर्वेदीकोष | २३५. का बना पिष्टक, ( पुं. न. ) चावल के चूरे हुआ। पीठी । पिटप, ( पुं. न. ) भुवन | जगत् । सर्ग | पिटात, (पुं. ) केसर आदि गन्धद्रव्य ।' पिस्. (क्रि. ) जाना । चमकना सुगन्धि लगाना | बल करना। मारना | देना । पिष्ट पिहित, (त्रि.), छिपा हुआ । पी, (क्रि. ) पीना | पीठ, (पुं. न. ) पीढ़ा | वेदी | चौकी | पीड् (क्रि. ) वध करना । प्रवेश कस्ना | पीडन, (न. ) दबाव । कष्टः । आक्रमण । पीड़ा, ( स्त्री. ) व्यथा । दुःख । पीड़ित, (त्रि. ) दुःखित पीत, (न. ) हल्दी के रङ्ग जैसा । पीतक, (न.) केसर। हरताल | पीतल | पीतवासस् (पुं. ), श्रीकृष्ण । पीन, (त्रि. ) स्थूल । मोटा | बूढ़ा । सम्पन्न | पीनोध्नी, ( स्त्री. ) बहुत मोटे थन वाली गौ । पीनस, (पुं.) नासिका का रोग जिसमें नाक से कीड़े करते हैं। नाक गेल कर गिर जाती है | खाँसी | जुकाम । पीयू, (क्रि. ) प्रसन्न होना । पीयूष, ( न. ) अमृत | दूध पील, (क्रि. ) रोकना । पीलु, ( पुं. ) हाथी | हड्डियों का टुकड़ा फूल | पीष्, (कि. ) मोटा होना । पीवन्, (त्रि.) स्थूल | मोटा | बल वाला | ( पुं. ) वायु | पीवर, (त्रि.) युक्ती गौ। शतपय | अश्व- गन्धा | स्थूल | पुंलिङ्ग, ( न. ) पुरुष का चिह्नः । पुंश्चली, ( स्त्री. ) सती स्त्री | दुश्च- रित्रा स्त्री | पुंस, (क्रि.) मलना | पुंसवन, (न.) का संस्कार विशेष | दूध पुसंक पुंस्त्व, (पुं. ) पुरुषत्व । श्रङ्ग विशेष | शुक्र | पुक्कस-श, ( पुं. ) चाण्डाल । अधम । पुङ्ख, ( पुं. ) तीर का सिरा पूरा । पुङ्गव, (पुं. ) बैल किसी शब्द के पीछे आने पर इसका अर्थ उत्तम होता है जैसे 1 भरपुङ्गव । पुच्छू, (1 ) नापना | मापना | पुच्छ, (न. ) पूँछ । दुम । पुञ्ज, ( पुं.) राशि | समूह | ढेर | पु, (क्रि. ) चमकना । जुड़ना । मिलना फुट, ( न. ) जायफल । मिट्टी के प्याले । ( ढँकना । दोना । पुटभेद, ( पुं. ) नगर | बाजा | दरार | हवा का बवण्डर | पुटिका, (स्त्री.) इलायची । पुटित, (त्रि. ) गुंथा हुआ । सम्पुट दिया हुआ।

पुट्ट (क्रि. ) अपमान करना | पुड्, (क्रि.) मलना | पीसना | पुण, (क्रि. ) धर्मकार्य करना | पुण्डरीक, ( पुं. ) अग्निकोण का दिमाज भेड़िया । चिरा कमल का फूल दवाई । पुण्डरीकाक्ष (पुं.) कमल नयन | श्री विष्णु । श्रीकृष्ण | पुराड, ( पुं. ) एक प्रकार का गन् । माधवी लता | चित्रक | दैत्य विशेष | पुराय, ( न. ) अच्छा काम | धर्म । पुण्यजन, (पुं. ) राक्षस पुण्यजनेश्वर, (पु.) कुबेर पुण्यभूमि (स्त्री) | विन्ध्य और हिमालय के मध्य की भूमि । पुण्यश्लोक, (त्रि. ) जिसका चरित्र पुण्य- दायक है । प्रसिद्ध । शुद्धयशस्वी । " पुण्यश्लो को नलो राजा पुण्यश्लोको युधिष्ठिरः | पुण्यश्लोका च वैदेही पुण्यश्लोको जनार्दनः ॥