पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/२२२

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पक्षं चतुर्वेदीकोष | २२३ पक्षति, ( स्त्री. ) पखवाड़े की आरम्भ तिथि । पड़वा । प्रतिपदा तिथि । पक्षियों के पंखों की जड़ । पक्षपात, ( पुं. ) तरफदारी पक्ष का गिर जाना। पंख झड़ जाना । पक्षान्त, (पुं.) अमावस और पूनों का दिन | जिसमें पखवाड़ा समाप्त हो । पक्षिल, (त्रि.) सहायता देने वाला । वात्स्या- यन मुनि । पक्षी, (पुं.) चिड़िया 1 तीर । पखवाड़े वाला । महीना । पक्ष्म, (न. ) पलक । पङ्क, ( पुं. न. ) कीचड़ । पाप । पङ्कज, ( न. ) कमल । ( त्रि. ) जो कीचड़ में पैदा हो । पङ्किल, (त्रि. ) मैला । कीचड़ वाला । परुह, ( न. ) कमल । सारस पक्षी । पलि, ( स्त्री. ) पाँति । क़तार | श्रेणी । पक्लिदूषक, ( पुं. ) धूर्त । चार आदमियों में न बैठने लायक । अनाचारी I- जिसके साथ भोजन करने से भ्रष्टता हो जाय । पलिपावन, ( पुं. ) विद्वान् | गुणी | सदा- चारी जिसके साथ भोजन को बैठने वाले पवित्र हो जायँ । पलिश:, (अ.) कतार की कतार । अनुक्रम से | पशु, ( त्रि. ) लँगड़ा । ( पुं॰ ) शनैश्चर ग्रह । पचन, ( न. ) पकाना । अनादि का पचना । पज, (पुं.) शुद्ध | पञ्चक, (न. ) पाँच का समूह । धनिष्ठा के उत्तरार्ध से रेवती तक पाँच नक्षत्र | पञ्चकषाय, (पुं.) जामुन । सेमर । बेर आदि पाँच कसैली चीजें । पञ्चकोष, (पुं. ) अन्नमय । प्राणमय । मनोमय । विज्ञानमय और आनन्दमय - ये शरीर के भीतरी पाँच भाग | पञ्चगव्य, (न. ) गौ की पाँच चीजें- दूध, दही, घी, गोमूत्र, गोबर | त्रिवर्ण इसको पी कर अपनी देहशुद्धि मानते हैं । पञ्चचूड़ा, ( स्त्री. ) एक अप्सरा | पञ्चजन, (पुं..) एक दैत्य । पाँच आदमी । पुरुष । पञ्चतंत्त्व, ( न. ) पाँच तत्त्व- पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश । पञ्चवटी, ( स्त्री. ) दण्डकारण्य का एक स्थान । जहाँ वनवास में रामचन्द्र ने निवास किया था। सीताहरण का स्थान | पञ्चबाण, (पुं. ) पाँच बाण वाला कामदेव के पाँच बाण ये हैं--- . " अरविन्दमशोकञ्च चूतं च नवमल्लिका | नीलोत्पलं च पश्चैते पञ्च बाणस्य सायकाः।।” अर्थात् - कमल, अशोक, श्रम, नयी मालती (मधुमालती ) और नीले रंग का कमल ये पाँच बाण हैं । अथवा - " उन्मादनस्तापनश्च स्तम्भनः शोषणस्तथा ! संमोहनश्च कामस्य पश्च बाणाः प्रकीर्तिताः ।।” अर्थात् - पागल कर देना | सन्तप्त कर देना । कर्तव्यशून्य करना | शरीर सुखा देना और मोहित ( आशक ) कर देना ये पाँच बाण । कामदेव | पञ्चशाख, (पुं. ) पन्शाखा | हाथ | पञ्चसूना, ( स्त्री. ) चूल्हा, चक्की, बुहारी, लीपना और चलना — इनसे होने वाली जीवों की हत्या | पञ्चाग्नि, ( पुं. ) चारों तरफ आग जला कर ऊपर से सूर्य का ताप सहना । पाँच आगें तपस्वी गरमी में दोपहर के वक्ल तापते हैं । पञ्चाङ्ग, (न. ) जिसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण ये पाँच अङ्ग हों। पत्रा | तिथिपत्र । ( पुं. ) कछुआ । ( त्रि. ) पाँच अंग वाला |