पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/२०४

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

धर्म्य चतुर्वेदीकोष । २०५ धर्म्य, (त्रि.) धर्म वाला । धर्ष, ( पुं. ) चतुराई । कोप | मेल | मारना | धर्षक, (पुं. ) आक्रमणकारी । धर्षण, ( न. ) तिरस्कार | अभिसारिका स्त्री । ( प्रियतम से मिलने के लिये पूर्व साङ्केतिक स्थान पर गयी हुई श्री ) । धर्षित, (न.) अपमानित । ( स्त्री ) कुलटा स्त्री। धव, (क्रि. ) जाना । धव, (पुं. ) पति धूर्त | वृक्ष | काँपना | 1 धवल, ( पुं. ) इतना सफेद जिस पर दृष्टि न ठहरे और आँखें चौधिया जाँय । धव वृक्ष । बैल चीनी कपूर | } धवलपक्ष, (पुं. ) हंस । शुक्लपक्ष । धवलमृत्तिका, ( स्त्री. ) खड़ी मिट्टी । सफेद मिट्टी । धवलोत्पल, (न.) कुमुद | रात को खिलने वाला कमल । धयित्र, (न. ) पा धा, (क्रि. ) धारण करना | पकड़ना । पोसना | बढ़ाना | देना । घाटी, ( स्त्री. ) अचानक | आक्रमगया | आश्चर्य । धाणक, (पुं.) मोहर । धातकी, (स्त्री. ) धाई नामक लता । धातु, ( पुं. ) शब्दार्थ को बताने वाला वर्ण- रुमूह | मुख्य पदार्थ | तत्त्व | सार | स्वर्ण लोहा आदि नौ पदार्थ । परमात्मा । धातुघ्न, (न.) काञ्ज । जिससे धातुओं का असर जाता रहे । धातुद्रावक, (न. ) सुहागा धातुओं को गलाने वाला । धातुभृत् (पुं. ) पर्वत । वीर्य । धातु बढ़ाने वाली वस्तु | धातुमारिणी, ( स्त्री. ) सुहागा | धातुवैरिन्, ( पुं. ) गन्धक । धातुशेखर, (न. ) कसीस | धातु, (पुं.) पालने वाला । ब्रह्मा । विष्णु । 1 धारा धात्री, (स्त्री . ) माता । धाई । आँवला राई । धाना, (स्त्री. ) धनियाँ | सत्तू | भुने हुए जौ | धानी, ( स्त्री. ) बर्तन । स्थान | पोषण | मुख्य स्थान | पीलू का पेड़ । विना साफ किये चाँवल । धानुक, (त्रि.) धनुषधारी । धानुष्य, (त्रि. ) धनुर्द्धर | धानेय, ( न. ) धनिया धान्य, (न.) तुष सहित चाँवल चार तिला का परिमाण । धनिया धान्यत्वचू, ( स्त्री. ) भूसी । धान्यवीर, (पुं. ) माघ । धान्याचल, (पुं. ) ( दान के लिये ) धानों का पहाड़ । धान्योत्तम, (पुं. ) चाँवल । धाम्यकोष्ठ, (क. ) धानों का गोला । धामन्, (न. ) किरन । आसरा स्थान | जन्म । घर | देह | तेज । ज्योति । प्रभाव | स्वयं प्रकाशित । धामनिधि, (पुं.) सूर्य । आक का पेड़ | धाम्या, ( स्त्री. ) लकड़ी आग जलाने वाला ऋग्वेदीय मंत्र । ( 1 ) ( पुं. ) कुल- पुरोहित । धार, (न.) पानी का प्रवाह । मेह का जल | धारणा, (स्त्री.) आत्मा में चित्त की स्थिति। मर्यादा | उचित मार्ग में ठहरना। निश्चय | नाडी | श्रेणी | धारा, (स्त्री.) घड़े आदि का छेद । अस्त्र की तेज कोर । उत्कर्ष । यश । बहुत वर्षा | समान । एक पुरी । घोड़ों की पाँच प्रकार की गति । सेना के आगे का स्कन्ध । धाराङ्कुर, (पुं. ) श्रोला । धाराञ्चल, (पुं.) अस्त्र की पैनी कोर । धाराट, (पुं.) चातक । घोड़ा । बादल | मस्त हाथी ।