पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१९

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प्रति चतुर्वेदीकोष १८ ● ? को पुत्र पिता और श्वशुर के संसर्ग से उत्पन्न होता है। ^ तिकी, (पुं. सी.) पापी विशेष | माता | भगिनी और कन्या के साथ दुराचार करने चाले । गुरुद्रोही । कुलधर्म को छोड़ दो वाले और विश्वासघाती ये प्रतिपातकी कहे जाते हैं । अतिमलकिः, ( स्त्री. ) अत्यन्त प्रासति | अत्यन्त सेवन | अतिप्रसङ्गः, ( पं. ) अत्यन्त आसक्ति | दूसरा उद्देश्य रहने पर भी उसके साथ ही दूसर पदार्थ का सेवन | उद्देश्य के अतिरिक्त पदार्थ का सेवन | [प्रतिबल, (त्रि.) एक पौधा विशेष | बल बढ़ाने वाला औषध | अस्त्र विद्या विशेष | इस विद्या को महर्षि विश्वामित्र ने महर्षि कृशाश्व से सीखी थी। श्रीरामचन्द्रजी ने इस विद्या को महर्षि विश्वामित्र से सीखी थी । तरः (पं.) अधिक भार । अत्यन्त विस्तार | अतिभूमिः, ( स्त्री. ) अतिशय | अधिकता ! अमर्यादा । सीमा को अतिक्रम किया हुआ | अतिमङ्गल्य, (पुं.) बिल्वफल | (त्रि. ) मङ्ग- लालय । अतिशय मङ्गल उत्पन्न करनेवाला बहुत शुभ उत्पन्न करनेवाला । अतिमर्याद, (न. ) अतिशय | निर्भय । अतिमात्रम्, (न.) मात्रा की अधिकता । परि- माण से अधिक। थोड़े को लांघनेवाला । अतिमानिता, ( स्त्री. ) अहङ्कार। अपने को पूज्य समझना । " अतिमु (पुं.) निःसङ्ग | निष्कल | योगियों की एक अवस्था विशेष । मधवलिता । अतिमुक्तक ( पुं. ) तिनिश | तिन्दुकवृक्ष | पुष्पवृक्ष विशेष | तिमैत्रः, (पुं. ) नवम तारा । ( त्रि. ) परम मित्र | अत्यन्त मित्र | श्रतिमोदा, ( स्त्री. ) नवमल्लिका लता ( त्रि. ) अतिशय हर्पित | बड़ी सुगन्धिवाला । Ag अति अतिरथ (पुं. ) योगा विशेष जो अंगक शोधाश्री के साथ एकही साथ गुठकरे | अतिरसा (सी.) असम.ली लता | राना लता ! अत्रिः (पु ) ग्रामविशेष | अतिरिक, (नि) अधिक अच्छा मित्र श प्रतिशः, (नि.) अत्यन्त रुखा | स्नेहव्य | ( पुं. ) धान्य विशेष | कंगनी । कोदो आदि । अनिरे ( पुं. ) अतिशय | भेद | बड़ा चाधिक्य | प्रतिरोग, (पुं. ) रोगविशेष | बहा रोग क्षय व्याधि | मिश, ( पुं. ) बनैला बकरा | जिसके बहुत रोम होते हैं । अति (त्रि.) वाक या अधिक बोलनेवाला । अतिवर्णाश्रमी, (पुं. ) वर्णाश्रम होन वर्ष और आश्रम के धर्मों का पालन न करने वाला । जीवन्मुक्त महात्मा पचमाश्रमी । विर्तिन, (त्रि.) अतिक्रम करनेवाला । नियम को तोड़ कर चलनेवाला । १″ अतिवर्तुल ( पुं. ) धान्यविशेष जो बहुत गोल होता है । अतिवाद, ( पुं० ) किसी बात को बढ़ाकर कहना कठोर वचन | अप्रिय वचन | अतिवादी, (त्रि. ) सबको चुप कराकर बोलने वाला । सबका मत खण्डन करके जो अपने मत को स्थापित करे। प्रतिवाहित, (त्रि.) चला गया | बीत गया। व्यतीत हुआ | अतिविकट, ( पुं. ) दृष्ट हाथी | मतनाला हाथीं (त्रि. ) अति कराल | अत्यन्त विकट | (सी.) श्रपत्र विशेष | तीस | || भृश प्रतिवेल, (न. ) मर्यादातिक्रान्त | अभिलाषा | अतिव्यथा, ( बी. ) अत्यन्त पीड़ा | प्रति- शय कष्ट । r