पृष्ठम्:चतुर्वेदी संस्कृत-हिन्दी शब्दकोष.djvu/१६२

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चन्द्रि चन्द्रिका, ( स्त्री. ) चाँदनी | बड़ी इलायची । छन्द जिसके प्रत्येक पाद में तेरह अक्षर होते हैं । चन्द्रोपल, (पुं. ) चन्द्रकान्तमणि | चपू, (क्रि. ) पीसना | शान्ति देना | उत्तेजित करना । चपल, (पुं.) पारा मछली । क्षणिक । चञ्चल । घबड़ाया हुआ । दुर्विनीत । अशिक्षित | लक्ष्मी । बिजली । कुलटा स्त्री । पीपल । भोग । मन्दिरा । जीभ । छन्दविशेष | " ( चतुर्वेदीकोष । १६२ चपेट, ( पुं. ) थप्पड़ विस्मयकारी । चम्, (क्रि. ) खाना चमत्कार, (पुं.) विलक्षण । अपामार्ग वृक्ष । चमर, (पुं. ) भैंसे के रूप रङ्ग जैसा हिरन । जिसकी पूँछ के बाल के चँवर बनाये जाते हैं । चमस, (पुं. न. ) लकड़ी का बना हुआ यज्ञीय एक पात्र | लड्डु | चमचा | चमीकर, ( पुं. ) सोने के उपजने का स्थान । चमू, (स्त्री.) सेना । चमूरु, ( पुं. ) मृगविशेष | कचनार का वृक्ष । चम्पक, (पुं. ) केला । ढेउ का वृक्ष । चम्पे का फूल | चम्पकमाला, (स्त्री.) स्त्रियों के गले का श्राभूषण विशेष | चम्पाकली । छन्दोविशेष | चम्पाधिप, (पुं.) चम्पा देश का स्वामी | कर्ण राजा । चम्पू, ( स्त्री. ) काव्यविशेष। जिसमें गद्यपद्य मिश्रित हों। चम्बू, (क्रि. ) जाना । चय, ( पुं. ) कोट । समूह | चौकी । चयन, (न. ) एक प्रकार की रचना | चुनना । चर्म चरक, (पुं.) वैद्यकाचार्यविशेष । चार । छिपा हुआ दूत । पापड़ । भिक्षुक संन्यासी | एकत्र करना । चर्, (क्रि. ) जाना । घर, ( पुं. ) राजदूत | भेदिया । ज्योतिष में लग्नविशेष | ( त्रि. ) चलने वाला | जाने वाला । चरण, (पुं. न. ) पैर | वेद का एक भाग । शाखारूपी ग्रन्थविशेष, उसको पढ़ने वाला | गोत्र | (क्रि. ) जाना । खाना | ( न. ) आचार | स्वभाव । चरणग्रन्थि, (पुं. ) पाँव की गाँठ | गुल्फ | चरणायुध, (पुं. ) पाँव है आयुध जिसका, अर्थात् मुर्गा । कुक्कुट । चरणव्यूह, ( पुं ) वह ग्रन्थ जिसमें वेद की शाखाओं का विशदरूप से वर्णन है । वेदव्यास का रचा ग्रन्थविशेष । चरम, (त्रि. ) अन्त । अवसान | पश्चिम | अन्तिम | चराचर, (न. ) चलने और न चलने वाला | दुनिया | जगत् । ( पुं. ) स्थावर जगम । आकाश । शिव जी की जटा । चरित, (त्रि.) चला गया। पा लिया । कर लिया। जाना गया। अनुष्ठान । काम सञ्चार | विचारना | लीला | कहानी | चाल- चलन । स्वभाव । व्रतादि कर्म में यलवान् होना । चरिष्णु, ( त्रि. ) चलने वाला । चालाक इतस्ततः डोलने हारा । चरु, ( पुं. ) होम में डालने का पदार्थ विशेष, यह यत्र घी में राँधा जाता है और ऊपर से उसमें दूध छिड़का जाना है। चर्च, (क्रि. ) पढ़ना | कहना । झिड़कना । चर्चरी, ( स्त्री. ) टेढ़े बाल । हर्ष से खेलना । अभिमान युक्त वचन । छन्दविशेष | चर्चा, (स्त्री.) दुर्गा । चन्दनादि शरीर पर लगाना | चिन्ता | विचार | जिक्र | चव, (क्रि. ) जानी | खाना | चर्म्मकार, ( पं . ) चमार । मोची । चर्मरावती, ( स्त्री. ) नदीविशेष | चर्म्मदण्ड, (पं ) चाबुक । हएटर | कोड़ा ।