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पृष्ठम्:गायत्रीमन्त्रार्थविवृतिः.djvu/४

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भूमिका । परोपकारादिगुणरत्न भूषित शरीरवाले काश्मीरिक महामात्र श्रीमान् बलभद्रजी को हृदय में प्रेरणा कियी, कि चतुर्वर्ग रक्षा धनपुत्रादि पदार्थ राज्य राजाधिराजपदवी से मुक्ति तक देने का गायत्री मंत्र को शक्ति है । इस लिए इस मंत्र का अर्थ प्रकाशन कराकर लोकों को समीचीनता से सुनाया जावे । जिस से मंत्रशक्ति की महिमा जानकर सभी जनता गायत्री के उपासक होगी । जिस से दारिद्य रोग आदिक दुःखवर्ग दूर करके जनता प्रोतफलों के भागी होगी । यही प्रेरणा होरही है । तो उन्हों ने इस काम करने के लिए मेरेको । आज्ञा दियी है । उचित भी यह बात है, कि काश्मीरिक जनता के उद्धारक रक्षक इनके पूर्वज पिता पितामहादि होरहे हैं । इस लिए इनको ऐसी इच्छा का होना आश्चर्य नहीं है । परमेश्वर इन को ऐश्वर्यवाला बनाकर चिरजीवी करे ॥