सामग्री पर जाएँ

पृष्ठम्:आर्यभटीयम्.djvu/106

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

ሄ¥ गणितपादै गणित० परिलेख: 12 2. 1 Դ 1 є So न्यासः-शङ्कुभुजाविवरम् 80. शङ्कुनानेन 12, गुणितं 960. शङ्कुः 12. भुजा 72. अनयोविशेषेणानेन 60, हृत्वा लब्ध छाया' 16. 3D परिलेख: 13 1. s /3 2 o द्वितीयोदाहरणस्य न्यासः—शङ्भुजाविवरम् 20, शङ्कुना गुणितम् 240. शङ्कु 12. भुजा 30. अनयोविशेषेण 18, हृत्वा लब्ध छाया 134 एतद् गणित भूछायानयने उपयुज्यते। इति पञ्चदश सूत्रम्। १५ ॥ [ कोटि-भुजौ | स्थानद्वयस्थितशङ्कुच्छायाभ्यां छायाग्रयोरन्तरेण च अज्ञातभूजतन्मूलच्छायाग्रान्तरालानयनमार्ययाऽऽह— ‘ छायागुणित छाया ग्रविवरमूनेन भाजिता कोटी । शङ्कुगुणा कोटी सा छायाभक्ा भुजा भवति ॥ १६ ॥ TearSat-1. B. Hapl. om. Esra T to EsraT] 13, two lines below.