पृष्ठम्:अथर्ववेदभाष्यम् भागः १.pdf/२१

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१-सूक्त विवरण कराड ९ ॥ ૧૭ ঋদ্ধ | सूक के प्रथम पद ठेवता उपछेश. छन्द १ |ये मिषप्ता परियन्ति | वाचस्पति | घुदि चुद्धि | छादृछुप्र २ | विषा शरस्य पितरं: 1इन्द्र । नथा अनुछुप.मिष्टप. . ३ 1विया शरस्य पितर |पर्जन्य आदि |शान्ति करण | पङक्ति-अझुथुप, ४ ||अम्ययो यन्त्यध्वभिर् | श्रप्रापः परापकार ! गायत्री, पद्धति । ५ |आपोहिष्ठा मयोभुधस्र] तथा वल याति | गायत्री। ६ iशं नो दॆचीं र्भीष्टय श्रारं।ाईयता | गायत्री, पद्धकि। s |स्तुवानमग्न आ घह | इन्द्रारनी सेनापति | श्रद्धपुर, त्रिएए। म् |इवं हवियईनुधानान | अग्निसीम | तथा ነ} & |अस्मिन् वसु वंसंबो विश्वे देवा | सर्वसम्मन्ति | त्रिष्टुप् १० || श्रप्रयं देवानाभसुरो মৃত্যু वरुण घणन । त्रि छुप, अनुधुप्र। E SD DD DSDS SDD SuDD DDD SSDDDSS DBuDu १२ ||जरायुञ्जः प्रथम उत्रियघृषा ईश्वर आदि Iत्रिष्ट्रप.अनुप्प। १३|नमस्ते श्रस्तु धिद्युते प्रजापति आत्मरक्षा · | श्रग्झुइप जगती १४|भगमस्या घर्च ग्रादिप्य|घधूवर विवाह अनुध्रुप । १u jसं संस्वन्नु सिन्धवः | प्रज्ञापति ऐश्वर्यप्राति | अठvए, आदि EDSDDDDDD DDD S S S DDDBDD SDDD S DDDYS १७ 1*अमूर्धा यन्ति योधितो द्विप्र ' नाड़ी छेदन | अछुपुप, गायत्रीं १८ Itनर्लचम्य लालाम्यं सविता ਤਜ਼ अनुष्टुए, जगती। १६ |मा नो विदन् विव्याधि|इन्द्र " जय और न्याय|अलघुए, पङ्क। iD DD DD D SDDDS DDSDBDBDiDDDD DuDS DBDD S DESuDD uD DuB SDD S S SuDuu S DOBDDDS २२ |अल अर्थमुदयतां सूर्य रोग का नाश् l ” १३|नत जातास्पष्पधे 1श्रीपधि रोभा नाश sy २४|छपर्शी जातः प्रथमस् | तथा तथा अनुग्रुप, पडिकि। २l |यदमिरापो अदहत् |अनि रोगशान्ति | त्रिप्टुप । २६ ||अरे ऽसावस्मंस्तु | इन्द्र युद्ध प्रकरण | पाचश्री १ २० असू पारे पृदाक्रधल, प्रक्षापतेि. s মজুলি, মন্ত্রদুয়৷ २८ उप यागाह यो अग्नी | अग्नि y 3rga २8 |अभी चलेन मणिना | ग्राह्मणास्पति | राजतिलक 39 |विश्त्रे देधी घसची धिश्वे दैवt | ” विष्णुए। SiAS S DDDDSELuD DDDD SSiuiDDu S S uDDDYS uBDBDL ३२ । इदं ज़मासो विदथ ! ब्रह्म ਜਬ ਭg """صص۔--سسٹم سستیبـــــــــــــــــــــــسسسسعــــــــــــــــــــــــــــــــــشسبسسسســــــــــــــــــــــــــــــــــــــــ--Shivaram ac (सम्भाषणम्) ०५:४८, ५ सितम्बर २०१६ (UTC)۔