गणानां त्वा गणपतिं घनपाठ

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संहिता[सम्पाद्यताम्]

  • गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम् ।
    ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ नः शृण्वन्नूतिभिः सीद सादनम् ॥

घन पाठ[सम्पाद्यताम्]

१) गणानान्त्वा त्वा गणानाङ्गणानन्त्वा गणपतिङ्गणपतिन्त्वा गणानाङ्गणानान्त्वा गणपतिम्
२) त्वा गणपतिङ्गणपतिन्त्वा त्वा गणपतिँ हवामहे हवामहे गणपतिन्त्वा त्वा गणपतिँ हवामहे
३) गणपतिँ हवामहे हवामहे गणपतिङ्गणपतिँ हवामहे कविङ्कविँ हवामहे गणपतिङ्गणपतिँ हवामहे कविम्

गणपतिमिति गण - पतिम्

४) हवामहे कविङ्कविँ हवामहे हवामहे कविङ्कवीनाङ्कवीनाङ्कविँ हवामहे हवामहे कविङ्कवीनाम्
५) कविङ्कवीनाङ्कवीनाङ्कविङ्कविङ्कवीनामुपमश्रवस्तममुपमश्रवस्तमङ्कवीनाङ्कविङ्कविङ्कवीनामुपमश्रवस्तमम्
६) कवीनामुपमश्रवस्तममुपमश्रवस्तमङ्कवीनाङ्कवीनामुपमश्रवस्तमम्

उपमश्रवस्तममित्युपमश्रवः - तमम् ।

७) ज्येष्ठराजम्ब्रह्मणाम्ब्रह्मणाञ्ज्येष्ठराजञ्ज्येष्ठराजम्ब्रह्मणाम्ब्रह्मणो ब्रह्मणो ब्रह्मणाञ्ज्येष्ठराजञ्ज्येष्ठराजम्ब्रह्मणाम्ब्रह्मणः

ज्येष्ठराजमिति ज्येष्ठ - राजम्

८) ब्रह्मणाम्ब्रह्मणो ब्रह्मणो ब्रह्मणाम्ब्रह्मणाम्ब्रह्मणस्पते पते ब्रह्मणो ब्रह्मणाम्ब्रह्मणाम्ब्रह्मणस्पते
९) ब्रह्मणस्पते पते ब्रह्मणो ब्रह्मणस्पत आ पते ब्रह्मणो ब्रह्मणस्पत आ
१०) पत आ पते पत आ नो न आ पते पत आ नः
११) आ नो न आ नश्शृण्वञ्छृण्वन्न आ नश्शृण्वन्
१२) नश्शृण्वञ्छृण्वन्नो नश्शृण्वन्नूतिभिरूतिभिश्शृण्वन्नो नश्शृण्वन्नूतिभिः
१३) शृण्वन्नूतिभिरूतिभिश्शृण्वञ्छृण्वन्नूतिभिस्सीद सीदोतिभिश्शृण्वञ्छृण्वन्नूतिभिस्सीद
१४) ऊतिभिस्सीद सीदोतिभिरूतिभिस्सीद सादनँ सादनँ सीदोतिभिरूतिभिस्सीद सादनम्

ऊतिभिरित्यूति - भिः

१५) सीद सादनँ सादनँ सीद सीद सादनम्

सादनमिति सादनम् ॥