अभङ्गपद्यम् १४
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मराठी(मूलम्) | संस्कृतम् |
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१४ नित्य सत्य मित हरिपाठ ज्यासी। |
१४ मनसा हरिपाठं यो नित्यं नियतसङ्ख्यया। ज्ञानेश्वरो वदत्येवं यत् श्रीनारायणप्रभो:। |
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१४ नित्य सत्य मित हरिपाठ ज्यासी। |
१४ मनसा हरिपाठं यो नित्यं नियतसङ्ख्यया। ज्ञानेश्वरो वदत्येवं यत् श्रीनारायणप्रभो:। |