पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः (भागः ४).djvu/१३२

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श्रनेककरर्रासमीकरएवीजम्

= य (१२ य्रभ + ककु )- १२ ककु क-न /ककु = यो चेदगमेन य (१२ प्रभ +ककु ) - १२ ककु क-न +ककु यो समयोजनेन य (१२ प्रभ +ककु ) +१२ककु क +न+यो ककु पक्षौ १२ प्रभ +ककु भक्तौ तदा १२ ककु क +न +यो ककु /१२ प्रभ + ककु =य श्रेन्येपि भग्ये यदि सन्ति वर्नास्तन्मानमिसष्टमित्यादि भस्करोक्त्या य मानं कुट्टकेन सुसेन विदितं भवेदिति ॥ एवमालापानुसारेए पक्षद्वयं समानं वैधाय कुट्ट्कादिनान्येषु प्रश्नेष्वपि व्यक्तमानमानेतव्यमिति ॥

        भ्रबं भन्य प्रश्नों को कहते हैं ।
हि बा राश्यादि से शौर उसके शेष से , यतहीन श्रहर्गरए से , भुक्तादिमास भ्रोर बवम से युत भौर हीन ब्रहगंए से , उसके शेष से, युत भ्रौर हीनरहर्गए से भी वा गताधिमास भ्रौर श्रशेष के योग-श्रन्तर से वा गतवम श्रवम शेष के योग-श्रतर से युगगत को जो कहता है वह कुट्टक पन्डित इति ॥
                     उपपत्ति ।

यहो यदि गतराशि और श्रहर्गये का योग उद्दिष्ट है तो कल्पन करते है भ्रहर्गए = य गतभगए = क तब ( प्रभ * य /ककु न) = गतभ + भशे / ककु छेदगम से गभ य=कुक । गभ+भशे समघोषन से प्रभ*य-कुक *गतभ*भसे। ग्रभ य कुक क इसको वारह से गुए कर राशि शेषमान को घटकर कल्पकुदिनम् से भग देने से गत राशि प्रमाए होता है । १२ प्रभ*य-१२ ककु * क-न / ककु =गत राशि । यहौ राशी से = न दोनों पक्षो में य जोद्ने से १२ प्रभ*य -१२ ककु*क-न/ककु+ य = गत राशि +य = यो =१२ प्रभ*य+ककु*य-१२ककु*क-न/ककु =य (१२ प्रभ + ककु ) - १२ ककु*क-न/ककु =यो * छेदगम से य (१२ प्रभ + ककु ) *क-न = ककु* यो समयोजन से य ( १२ प्रभ + ककु ) =१२ ककु*क+न+यो *कुक । १२ ककु*क+न+यो*ककु /१२प्रभ+ककु = य ' धन्वेएपि भाज्ये यदि सन्ति वर्णा इत्यादि भास्करोक्ति से कुट्टक योक्ति से य मान सुगमता हि से विदित होगा । एवं श्रालापानुसार दोनों पक्षों को समान कर कुट्टकादि से श्रन्य प्रश्नों में भि व्यक्तमान लाना चाहिये