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पृष्ठम्:स्फुटचन्द्राप्तिः.djvu/५५

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56 220. 221. 222 . 223 . 224, 225 . 226. 227 . 228 . 229 . 230. 231. 232 . 233 . 234 . 235 . 236. 237 . 238 . 239 . 240 . 241. 242 . बीभत्सुर्योधोऽयम् ग्रामाधिपः* कनकी धम्मिल्ले फुल्लपुष्पम् कालो बली शारण्य तुङ्गयशसो नराः धर्मज्ञा: प्राड:नरेन्द्राः दीघङ्गो नीलनाग : फलाढयो ऋतकाल केशवो योद्धा रङ्ग सौबलो वरयवा पद्मेषु रन्ता रविः भ्रमरश्रीनिकामम तपोधराः स्वैरिण श्राद्यो गोविन्द एषः षट्'काव्यज्ञोऽम्बरीष उद्यानं स्त्रीसनाथम दीपतैलं पात्रस्थम सूर्योऽस्तु वो मानदः भानुः सर्वाधिको हि पीनोत्तुङ्गाङ्गो नळ: हीनपापः सुयोद्धा सूनुः कुलीनोऽनुनेथः तरुणो बलीयानाढय : 1. D. वि(व)ासाः काळ्यि : 3. D. श्रीमान् धृष्टद्युम्नो 5. D. सत्कृ(तो) वा मनो हि 1 1 2 3 4 4 5 6 7 10 10 2. 6. 4. 13 25 20 16 29 2 12 26 24 10 23 7 1 19 17 13 B. ग्रामाधिक 19 D. धरणो 23 33 51 20 1 4 43 26 22 29 43 20 4 6 47 36 31 35 B. सत for षट 52 59 31 36 59 48 32 51 37 51 52 16 10 10 18 26