ऋग्वेद-पदपाठः/मण्डलम्-१
ऋग्वेद-पदपाठः मण्डलम्-१ [[लेखकः :|]] |
-ऋ. वे. १:१/१-
(ऋ. वे. १,१)
अग्निम् | ईऌए | पुरः-हितम् | यज्ञस्य | देवम् | ऋत्विजम् | होतारम् | रत्न-धातमम् // ऋ. वे. १,१.१ //
अग्निः | पूर्वेभिः | ऋषि-भिः | ईड्यः | नूतनैः | उत | सः | देवान् | आ | इह | वक्षति // ऋ. वे. १,१.२ //
अग्निना | रयिम् | अश्नवत् | पोषम् | एव | दिवे--दिवे | यशसम् | वीरवत्-तमम् // ऋ. वे. १,१.३ //
अग्ने | यम् | यज्ञम् | अध्वरम् | विश्वतः | परि-भूः | असि | सः | इत् | देवेषु | गच्छति // ऋ. वे. १,१.४ //
अग्निः | होता | कवि-क्रतुः | सत्यः | चित्रश्रवः-तमः | देवः | देवेभिः | आ | गमत् // ऋ. वे. १,१.५ //
//१//.
-ऋ. वे. १:१/२-
यत् | अङ्ग | दाशुषे | त्वम् | अग्ने | भद्रम् | करिष्यसि | तव | इत् | तत् | सत्यम् | अङ्गिरः // ऋ. वे. १,१.६ //
उप | त्वा | अग्ने | दिवे--दिवे | दोषावस्तः | धिया | वयम् | नमः | भरन्तः | आ | इमसि // ऋ. वे. १,१.७ //
राजन्तम् | अध्वराणाम् | गोपाम् | ऋतस्य | दीदिविम् | वर्धमानम् | स्वे | दमे // ऋ. वे. १,१.८ //
सः | नः | पिताइव | सूनवे | अग्ने | सु-उपायनः | भव | सचस्व | नः | स्वस्तये // ऋ. वे. १,१.९ //
//२//.
-ऋ. वे. १:१/३-
(ऋ. वे. १,२)
वायो इति | आ | याहि | दर्शत | इमे | सोमाः | अरं-कृताः | तेषाम् | पाहि | श्रुधि | हवम् // ऋ. वे. १,२.१ //
वायो इति | उक्थेभिः | जरन्ते | त्वाम् | अच्छ | जरितारः | सुत-सोमाः | अहः-विदः // ऋ. वे. १,२.२ //
वायो इति | तव | प्र-पृञ्चती | धेना | जिगाति | दाशुषे | उरूची | सोम-पीतये // ऋ. वे. १,२.३ //
इन्द्रवायूइति | इमे | सुताः | उप | प्रयः-भिः | आ | गतम् | इन्दवः | वाम् | उशन्ति | हि // ऋ. वे. १,२.४ //
वायो इति | इन्द्रः | च | चेतथः | सुतानाम् | वाजिनीवसूइतिवाजिनी-वसू | तौ | आ | यातम् | उप | द्रवत् // ऋ. वे. १,२.५ //
//३//.
-ऋ. वे. १:१/४-
वायो इति | इन्द्रः | च | सुन्वतः | आ | यातम् | उप | निः-कृतम् | मक्षु | इत्था | धिया | नरा // ऋ. वे. १,२.६ //
मित्रम् | हुवे | पूत-दक्षम् | वरुणम् | च | रिशादसम् | धियम् | घृताचीम् | साधन्ता // ऋ. वे. १,२.७ //
ऋतेन | मित्रावरुणौ | ऋतावृधौ | ऋत-स्पृशा | क्रतुम् | बृहन्तम् | आशाथेइति // ऋ. वे. १,२.८ //
कवी इति | नः | मित्रावरुणा | तुवि-जातौ | उरु-क्षया | दक्षम् | दधातेइति | अपसम् // ऋ. वे. १,२.९ //
//४//.
-ऋ. वे. १:१/५-
(ऋ. वे. १,३)
अश्विना | यज्वरीः | इषः | द्रवत्पाणी इतिद्रवत्-पाणी | शुभः | पती इति | पुरु-भुजा | चनस्यतम् // ऋ. वे. १,३.१ //
अश्विना | पुरु-दंससा | नरा | शवीरया | धिया | धिष्ण्या | वनतम् | गिरः // ऋ. वे. १,३.२ //
दस्रा | युवाकवः | सुताः | नासत्या | वृक्त-बर्हिषः | आ | यातम् | रुद्रवर्तनी इतिरुद्र-वर्तनी // ऋ. वे. १,३.३ //
इन्द्र | आ | याहि | चित्रभानो इतिचित्र-भानो | सुताः | इमे | त्वायवः | अण्वीभिः | तना | पूतासः // ऋ. वे. १,३.४ //
इन्द्र | आ | याहि | धिया | इषितः | विप्र-जूतः | सुत-वतः | उप | ब्रह्माणि | वाघतः // ऋ. वे. १,३.५ //
इन्द्र | आ | याहि | तूतुजानः | उप | ब्रह्माणि | हरि-वः | सुते | दधिष्व | नः | चनः // ऋ. वे. १,३.६ //
//५//.
-ऋ. वे. १:१/६-
ओमासः | चर्षणि-धृतः | विश्वे | देवासः | आ | गत | दाश्वांसः | दाशुषः | सुतम् // ऋ. वे. १,३.७ //
विश्वे | देवासः | अप्-तुरः | सुतम् | आ | गन्त | तूर्णयः | उस्राः-इव | स्वसराणि // ऋ. वे. १,३.८ //
विश्वे | देवासः | अस्रिधः | एहि-मायासः | अद्रुहः | मेधम् | जुषन्त | वह्नयः // ऋ. वे. १,३.९ //
पावका | नः | सरस्वती | वाजेभिः | वाजिनी-वती | यज्ञम् | वष्टु | धियावसुः // ऋ. वे. १,३.१० //
चोदयित्री | सूनृतानाम् | चेतन्ती | सु-मतीनाम् | यज्ञम् | दधे | सरस्वती // ऋ. वे. १,३.११ //
महः | अर्णः | सरस्वती | प्र | चेतयति | केतुना | धियः | विश्वाः | वि | राजति // ऋ. वे. १,३.१२ //
//६//.
-ऋ. वे. १:१/७-
(ऋ. वे. १,४)
सुरूप-कृत्नुम् | ऊतये | सुदुघाम्-इव | गो--दुहे | जुहूमसि | द्यवि-द्यवि // ऋ. वे. १,४.१ //
उप | नः | सवना | आ | गहि | सोमस्य | सोम-पाः | पिब | गो--दाः | इत् | रेवतः | मदः // ऋ. वे. १,४.२ //
अथ | ते | अन्तमानाम् | विद्याम | सु-मतीनाम् | मा | नः | अति | ख्यः | आ | गहि // ऋ. वे. १,४.३ //
परा | इहि | विग्रम् | अस्तृतम् | इन्द्रम् | पृच्छ | विपः-चितम् | यः | ते | सखि-भ्यः | आ | वरम् // ऋ. वे. १,४.४ //
उत | ब्रुवन्तु | नः | निदः | निः | अन्यतः | चित् | आरत | दधानाः | इन्द्रे | इत् | दुवः // ऋ. वे. १,४.५ //
//७//.
-ऋ. वे. १:१/८-
उत | नः | सुभगान् | अरिः | वोचेयुः | दस्म | कृष्टयः | स्याम | इत् | इन्द्रस्य | शर्मणि // ऋ. वे. १,४.६ //
आ | ईम् | आशुम् | आशवे | भर | यज्ञ-श्रियम् | नृ-मादनम् | पतयत् | मन्दयत्-सखम् // ऋ. वे. १,४.७ //
अस्य | पीत्वा | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | घनः | वृत्राणाम् | अभवः | प्र | आवः | वाजेषु | वाजिनम् // ऋ. वे. १,४.८ //
तम् | त्वा | वाजेषु | वाजिनम् | वाजयामः | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | धनानाम् | इन्द्र | सातये // ऋ. वे. १,४.९ //
यः | रायः | अवनिः | महान् | सु-पारः | सुन्वतः | सखा | तस्मै | इन्द्राय | गायत // ऋ. वे. १,४.१० //
//८//.
-ऋ. वे. १:१/९-
(ऋ. वे. १,५)
आ | तु | आ | इत | नि | सीदत | इन्द्रम् | अभि | प्र | गायत | सखायः | स्तोम-वाहसः // ऋ. वे. १,५.१ //
पुरु-तमम् | पुरूणाम् | ईशानम् | वार्याणम् | इन्द्रम् | सोमे | सचा | सुते // ऋ. वे. १,५.२ //
सः | घ | नः | योगे | आ | भुवत् | सः | राये | सः | पुरम्-ध्याम् | गमत् | वाजेभिः | आ | सः | नः // ऋ. वे. १,५.३ //
यस्य | सम्-स्थे | न | वृण्वते | हरी इति | समत्-सु | शत्रवः | तस्मै | इन्द्राय | गायत // ऋ. वे. १,५.४ //
सुत-पाव्ने | सुताः | इमे | शुचयः | यन्ति | वीतये | सोमासः | दधि-आशिरः // ऋ. वे. १,५.५ //
//९//.
-ऋ. वे. १:१/१०-
त्वम् | सुतस्य | पीतये | सद्यः | वृद्धः | अजायथाः | इन्द्र | ज्यैष्ठ्याय | सुक्रतो इतिसु-क्रतो // ऋ. वे. १,५.६ //
आ | त्वा | विशन्तु | आशवः | सोमासः | इन्द्र | गिर्वणः | शम् | ते | सन्तु | प्र-चेतसे // ऋ. वे. १,५.७ //
त्वाम् | स्तोमाः | अवीवृधन् | त्वाम् | उक्था | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | त्वाम् | वर्धन्तु | नः | गिरः // ऋ. वे. १,५.८ //
अक्षित-ऊतिः | सनेत् | इमम् | वाजम् | इन्द्रः | सहस्रिणम् | यस्मिन् | विश्वानि | पैंस्या // ऋ. वे. १,५.९ //
मा | नः | मर्ताः | अभि | द्रुहन् | तनूनाम् | इन्द्र | गिर्वणः | ईशानः | यवय | वधम् // ऋ. वे. १,५.१० //
//१०//.
-ऋ. वे. १:१/११-
(ऋ. वे. १,६)
युञ्जन्ति | ब्रध्नम् | अरुषम् | चरन्तम् | परि | तस्थुषः | रोचन्ते | रोचना | दिवि // ऋ. वे. १,६.१ //
युञ्जन्ति | अस्य | काम्या | हरी इति | विपक्षसा | रथे | शोणा | धृष्णू इति | नृ-वाहसा // ऋ. वे. १,६.२ //
केतुम् | कृण्वन् | अकेतवे | पेशः | मर्याः | अपेशसे | सम् | उषत्-भिः | अजायथाः // ऋ. वे. १,६.३ //
आत् | अह | स्वधाम् | अनु | पुनः | गर्भ-त्वम् आईरिरे | दधानाः | नाम | यज्ञियम् // ऋ. वे. १,६.४ //
वीऌउ | चित् | आरुजत्नु-भिः | गुहा | चित् | इन्द्र | वह्नि-भिः | अविन्दः | उस्रियाः | अनु // ऋ. वे. १,६.५ //
//११//.
-ऋ. वे. १:१/१२-
देव-यन्तः | यथा | मतिम् | अच्छ | विदत्-वसुम् | गिरः | महाम् | अनूषत | श्रुतम् // ऋ. वे. १,६.६ //
इन्द्रेण | सम् | हि | दृक्षसे | सम्-जग्मानः | अबिभ्युषा | मन्दू इति | समान-वर्चसा // ऋ. वे. १,६.७ //
अनवद्यैः | अभिद्यु-भिः | मखः | सहस्वत् | अर्चति | गणैः | इन्द्रस्य | काम्यैः // ऋ. वे. १,६.८ //
अतः | परिज्मन् | आ | गहि | दिवः | वा | रोचनात् | अधि | सम् | अस्मिन् | ऋञ्जते | गिरः // ऋ. वे. १,६.९ //
इतः | वा | सातिम् | ईमहे | दिव | वा | पार्थिवात् | अधि | इन्द्रम् | महः | वा | रजसः // ऋ. वे. १,६.१० //
//१२//.
-ऋ. वे. १:१/१३-
(ऋ. वे. १,७)
इन्द्रम् | इत् | गाथिनः | बृहत् | इन्द्रम् | अर्केभिः | अर्किणः | इन्द्रम् | वाणीः | अनूषत // ऋ. वे. १,७.१ //
इन्द्रः | इत् | हर्योः | सचा | सम्-मिश्लः | आ | वचः-युजा | इन्द्रः | वज्री | हिरण्ययः // ऋ. वे. १,७.२ //
इन्द्रः | दीर्घाय | चक्षसे | आ | सूर्यम् | रोहयत् | दिवि | वि | गोभिः | अद्रिम् | ऐरयत् // ऋ. वे. १,७.३ //
इन्द्रः | वाजेषु | नः | अव | सहस्र-प्रधनेषु | च | उग्रः | उग्राभिः | ऊति-भिः // ऋ. वे. १,७.४ //
इन्द्रम् | वयम् | महाधने | इन्द्रम् | अर्भे | हवामहे | युजम् | वृत्रेषु | वज्रिणम् // ऋ. वे. १,७.५ //
//१३//.
-ऋ. वे. १:१/१४-
सः | नः | वृषन् अमुम् | चरुम् | सत्रादावन् | अप | वृधि | अस्मभ्यम् | अप्रति-स्कुतः // ऋ. वे. १,७.६ //
तुञ्जे--तुञ्जे | ये | उत्-तरे | स्तोमाः | इन्द्रस्य | वज्रिणः | न | विन्धे | अस्य | सु-स्तुतिम् // ऋ. वे. १,७.७ //
वृषा | यूथाइव | वंसगः | कृष्टीः इयर्ति | ओजसा | ईशानः | अप्रति-स्कुतः // ऋ. वे. १,७.८ //
यः | एकः | चर्षणीनाम् | वसूनाम् | इरज्यति | इन्द्रः | पञ्च | क्षितीनाम् // ऋ. वे. १,७.९ //
इन्द्रम् | वः | विश्वतः | परि | हवामहे | जनेभ्यः | अस्माकम् | अस्तु | केवलः // ऋ. वे. १,७.१० //
//१४//.
-ऋ. वे. १:१/१५-
(ऋ. वे. १,८)
आ | इन्द्र | सानसिम् | रयिम् | स-जित्वानम् | सदासहम् | वर्षिष्ठम् | ऊतये | भर // ऋ. वे. १,८.१ //
नि | येन | मुष्टि-हत्यया | नि | वृत्रा | रुणधामहै | त्वाऊतासः | नि | अर्वता // ऋ. वे. १,८.२ //
इन्द्र | त्वाऊतासः | आ | वयम् | वज्रम् | घना | ददीमहि | जयेम | सम् | युधि | स्पृधः // ऋ. वे. १,८.३ //
वयम् | शूरेभिः | अस्तृ-भिः | इन्द्र | त्वया | युजा | वयम् | सासह्यामपृतन्यतः // ऋ. वे. १,८.४ //
महान् | इन्द्रः | परः | च | नु | महि-त्वम् | अस्तु | वज्रिणे | द्यौः | न | प्रथिना | शवः // ऋ. वे. १,८.५ //
//१५//.
-ऋ. वे. १:१/१६-
सम्-ओहे | वा | ये | आशत | नरः | तोकस्य | सनितौ | विप्रासः | वा | धियायवः // ऋ. वे. १,८.६ //
यः | कुक्षिः | सोम-पातमः | समुद्रः-इव | पिन्वते | उर्वीः | आपः | न | काकुदः // ऋ. वे. १,८.७ //
एव | हि | अस्य | सूनृता | वि-रप्शी | गो--मती | मही | पक्वा | शाखा | न | दाशुषे // ऋ. वे. १,८.८ //
एव | हि | ते | वि-भूतयः | ऊतयः | इन्द्र | मावते | सद्यः | चित् | सन्ति | दाशुषे // ऋ. वे. १,८.९ //
एव | हि | अस्य | काम्या | स्तोमः | उक्थम् | च | शंस्या | इन्द्राय | सोम-पीतये // ऋ. वे. १,८.१० //
//१६//.
-ऋ. वे. १:१/१७-
(ऋ. वे. १,९)
इन्द्र | आ | इहि | मत्सि | अन्धसः | विश्वेभिः | सोमपर्व-भिः | महान् | अभिष्टिः | ओजसा // ऋ. वे. १,९.१ //
आ | ईम् | एनम् | सृजत | सुते | मन्दिम् | इन्द्राय | मन्दिने | चक्रिम् | विश्वानि | चक्रये // ऋ. वे. १,९.२ //
मत्स्व | सु-शिप्र | मन्दि-भिः | स्तोमेभिः | विश्व-चर्षणे | सचा | एषु | सवनेषु | आ // ऋ. वे. १,९.३ //
असृग्रम् | इन्द्र | ते | गिरः | प्रति | त्वाम् | उद् | अहासत | अजोषाः | वृषभम् | पतिम् // ऋ. वे. १,९.४ //
सम् | चोदय | चित्रम् | अर्वाक् | राधः | इन्द्र | वरेण्यम् | असत् | इत् | ते | वि-भु | प्र-भु // ऋ. वे. १,९.५ //
//१७//.
-ऋ. वे. १:१/१८-
अस्मान् | सु | तत्र | चोदय | इन्द्र | राये | रभस्वतः | तुवि-द्युम्न | यशस्वतः // ऋ. वे. १,९.६ //
सम् | गो--मत् | इन्द्र | वाज-वत् | अस्मे इति | पृथु | श्रवः | बृहत् | विश्व-आयुः | धेहि | अक्षितम् // ऋ. वे. १,९.७ //
अस्मे
इति | धेहि | श्रवः | बृहत् | द्युम्नम् | सहस्र-सातमम् | इन्द्र | ताः | रथिनिः | इषः // ऋ. वे. १,९.८ //
वसोः | इन्द्रम् | वसु-पतिम् | गीः-भिः | गृणन्तः | ऋग्मियम् | होम | गन्तारम् | ऊतये // ऋ. वे. १,९.९ //
सुते--सुते | नि-ओकसे | बृहत् | बृहते | आ | इत् | अरिः | इन्द्राय | शूषम् | अर्चति // ऋ. वे. १,९.१० //
//१८//.
-ऋ. वे. १:१/१९-
(ऋ. वे. १,१०)
गायन्ति | त्वा | गायत्रिणः | अर्चन्ति | अर्कम् | अर्किणः | ब्रह्माणः | त्वा | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | उत् | वंशम्-इव | येमिरे // ऋ. वे. १,१०.१ //
यत् | सानोः | सानुम् | आ | अरुहत् | भूरि | अस्पष्ट | कर्त्वम् | तत् | इन्द्रः | अर्थम् | चेतति | यूथेन | वृष्णिः | एजति // ऋ. वे. १,१०.२ //
युक्ष्व | हि | केशिना | हरी इति | वृषणा | कक्ष्य-प्रा | अथ | नः | इन्द्र | सोम-पाः | गिराम् | उप-श्रुतिम् | चर // ऋ. वे. १,१०.३ //
आ | इहि | स्तोमान् | अभि | स्वर | अभि | गृणीहि | आ | रुव | ब्रह्म | च | नः | वसो इति | सचा | इन्द्र | यज्ञम् | च | वर्धय // ऋ. वे. १,१०.४ //
उक्थम् | इन्द्राय | शंस्यम् | वर्धनम् | पुरुनिः-सिधे | शक्रः | यथा | सुतेषु | नः | ररणत् | सख्येषु | च // ऋ. वे. १,१०.५ //
तम् | इत् | सखि-त्वे | ईमहे | तम् | राये | तम् | सु-वीर्ये | सः | शक्रः | उत | नः | शकत् | इन्द्रः | वसु | दयमानः // ऋ. वे. १,१०.६ //
//१९//.
-ऋ. वे. १:१/२०-
सु-विवृतम् | सुनिः-अजम् | इन्द्र | त्वादातम् | इत् | यशः | गवाम् | अप | व्रजम् | वृधि | कृणुष्व | राधः | अद्रि-वः // ऋ. वे. १,१०.७ //
नहि | त्वा | रोदसी इति | उभे इति | ऋघायमाणम् | इन्वतः | जेषः | स्वः-वतीः | अपः | सम् | गाः | अस्मभ्यम् | धूनुहि // ऋ. वे. १,१०.८ //
आश्रुत्-कर्ण | श्रुधि | हवम् | नू | चित् | दधिष्व | मे | गिरः | इन्द्र | स्तोमम् | इमम् | मम | कृष्व | युजः | चित् | अन्तरम् // ऋ. वे. १,१०.९ //
विद्म | हि | त्वा | वृषन्-तमम् | वाजेषु | हवन-श्रुतम् | वृषन्-तमस्य | हूमहे | ऊतिम् | सहस्र-सातमाम् // ऋ. वे. १,१०.१० //
आ | तु | नः | इन्द्र | कौशिक | मन्दसानः | सुतम् | पिब | नव्यम् | आयुः | प्र | सु | तिर | कृधि | सहस्र-साम् | ऋषिम् // ऋ. वे. १,१०.११ //
परि | त्वा | गिर्वणः | गिरः | इमाः | भवन्तु | विश्वतः | वृद्ध-आयुम् | अनु | वृद्धयः | जुष्टाः | भवन्तु | जुष्टयः // ऋ. वे. १,१०.१२ //
//२०//.
-ऋ. वे. १:१/२१-
(ऋ. वे. १,११)
इन्द्रम् | विश्वाः | अवीवृधन् | समुद्र-व्यचसम् | गिरः | रथि-तमम् | रथीनाम् | वाजानाम् | सत्-पतिम् | पतिम् // ऋ. वे. १,११.१ //
सख्ये | ते | इन्द्र | वाजिनः | मा | भेम | शवसः | पते | त्वाम् | अभि | प्र | नोनुमः | जेतारम् | अपराजितम् // ऋ. वे. १,११.२ //
पूर्वीः | इन्द्रस्य | रातयः | न | वि | दस्यन्ति | ऊतयः | यदि | वाजस्य | गो--मतः | स्तोतृ-भ्यः | मंहते | मघम् // ऋ. वे. १,११.३ //
पुराम् | भिन्दुः | युवा | कविः | अमित-ओजाः | अजायत | इन्द्रः | विश्वस्य | कमर्णः | धर्ता | वज्री | पुरु-स्तुतः // ऋ. वे. १,११.४ //
त्वम् | वलस्य | गो--मतः | अप | अवः | अद्रि-वः | बिलम् | त्वाम् | देवाः | अबिभ्युषः | तुज्यमानासः | आविषुः // ऋ. वे. १,११.५ //
तव | अहम् | शूर | राति-भिः | प्रति | आयम् | सिन्धुम् | आवदन् | उप | अतिष्ठन्त | गिर्वणः | विदुः | ते | तस्य | कारवः // ऋ. वे. १,११.६ //
मायाभिः | इन्द्र | मायिनम् | त्वम् | शुष्णम् | अव | अतिरः | विदुः | ते | तस्य | मेधिराः | तेषाम् | श्रवांसि | उत् | तिर // ऋ. वे. १,११.७ //
इन्द्रम् | ईशानम् | ओजसा | अभि | स्तोमाः | अनूषत | सहस्रम् | यस्य | रातयः | उत | वा | सन्ति | भूयसीः // ऋ. वे. १,११.८ //
//२१//.
-ऋ. वे. १:१/२२-
(ऋ. वे. १,१२)
अग्निम् | दूतम् | वृणीमहे | होतारम् | विश्व-वेदसम् | अस्य | यज्ञस्य | सु-क्रतुम् // ऋ. वे. १,१२.१ //
अग्निम्-अग्निम् | हवीम-भिः | सदा | हवन्त | विश्पतिम् | हव्य-वाहम् | पुरु-प्रियम् // ऋ. वे. १,१२.२ //
अग्ने | देवान् | इह | आ | वह | जज्ञानः | वृक्त-बर्हिषे | असि | होता | नः | ईड्यः // ऋ. वे. १,१२.३ //
तान् | उशतः | वि | बोधय | यत् | अग्ने | यासि | दूत्यम् | देवैः | आ | सत्सि | बर्हिषि // ऋ. वे. १,१२.४ //
घृत-आहवन | दीदि-वः | प्रति | स्म | रिषतः | दह | अग्ने | त्वम् | रक्षस्विनः // ऋ. वे. १,१२.५ //
अग्निना | अग्निः | सम् | इध्यते | कविः | गृह-पतिः | युवा | हव्य-वाट् | जुहु-आस्यः // ऋ. वे. १,१२.६ //
//२२//.
-ऋ. वे. १:१/२३-
कविम् | अग्निम् | उप | स्तुहि | सत्य-धर्माणम् | अध्वरे | देवम् | अमीव-चातनम् // ऋ. वे. १,१२.७ //
यः | त्वाम् | अग्ने | हविः-पतिः | दूतम् | देव | सपर्यति | तस्य | स्म | प्र-अविता | भव // ऋ. वे. १,१२.८ //
यः | अग्निम् | देव-वीतये | हविष्मान् | आविवासति | तस्मै | पावक | मृऌअय // ऋ. वे. १,१२.९ //
सः | नः | पावक | दीदि-वः | अग्ने | देवान् | इह | आ | वह | उप | यज्ञम् | हविः | च | नः // ऋ. वे. १,१२.१० //
सः | नः | स्तवानः | आ | भर | गायत्रेण | नवीयसा | रयिम् | वीर-वतीम् | इषम् // ऋ. वे. १,१२.११ //
अग्ने | शुक्रेण | शोचिषा | विश्वाभिः | देवहूति-भिः | इमम् | स्तोमम् | जुषस्व | नः // ऋ. वे. १,१२.१२ //
//२३//.
-ऋ. वे. १:१/२४-
(ऋ. वे. १,१३)
सु-समिद्धः | नः | आ | वह | देवान् | अग्ने | हविष्मते | होतरिति | पावक | यक्षि | च // ऋ. वे. १,१३.१ //
मधु-मन्तम् | तनू-नपात् | यज्ञम् | देवेषु | नः | कवे | अद्य | कृणुहि | वीतये // ऋ. वे. १,१३.२ //
नराशंसम् | इह | प्रियम् | अस्मिन् | यज्ञे | उप | ह्वये | मधु-जिह्वम् | हविः-कृतम् // ऋ. वे. १,१३.३ //
अग्ने | सुख-तमे | रथे | देवान् | इऌइतः | आ | वह | असि | होता | मनुः-हितः // ऋ. वे. १,१३.४ //
स्तृणीत | बर्हिः | आनुषक् | घृत-पृष्ठम् | मनीषिणः | यत्र | अमृतस्य | चक्षणम् // ऋ. वे. १,१३.५ //
वि | श्रयन्ताम् | ऋत-वृधः | द्वारः | देवीः | असश्चतः | अद्य | नूनम् | च | यष्टवे // ऋ. वे. १,१३.६ //
//२४//.
-ऋ. वे. १:१/२५-
नक्तोषासा | सु-पेशसा | अस्मिन् | यज्ञे | उप | ह्वये | इदम् | नः | बर्हिः | आसदे // ऋ. वे. १,१३.७ //
ता | सु-जिह्वौ | उप | ह्वये | होतारा | दैव्या | कवी इति | यज्ञम् नः | यक्षताम् | इमम् // ऋ. वे. १,१३.८ //
इऌआ | सरस्वती | मही | तिस्रः | देवीः | मयः-भुवः | बर्हिः | सीदन्तु | अस्रिधः // ऋ. वे. १,१३.९ //
इह | त्वष्टारम् | अग्रियम् | विश्व-रूपम् | उप | ह्वये | अस्माकम् | अस्तु | केवलः // ऋ. वे. १,१३.१० //
अव | सृज | वनस्पते | देव | देवेभ्यः | हविः | प्र | दातुः | अस्तु | चेतनम् // ऋ. वे. १,१३.११ //
स्वाहा | यज्ञम् | कृणोतन | इन्द्राय | यज्वनः | गृहे | तत्र | देवान् | उप | ह्वये // ऋ. वे. १,१३.१२ //
//२५//.
-ऋ. वे. १:१/२६-
(ऋ. वे. १,१४)
आ | एभिः | अग्ने | दुवः | गिरः | विश्वेभिः | सोम-पीतये | देवेभिः | याहि | यक्षि | च // ऋ. वे. १,१४.१ //
आ | त्वा | कण्वाः | अहूषत | गृणन्ति | विप्र | ते | धियः | देवेभिः अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१४.२ //
इन्द्रवायू इति | बृहस्पतिम् | मित्रा | अग्निम् | पूषणम् | भगम् | आदित्यान् | मारुतम् | गणम् // ऋ. वे. १,१४.३ //
प्र | वः | भ्रियन्ते | इन्दवः | मत्सराः | मादयिष्णवः | द्रप्साः | मध्वः | चमू-सदः // ऋ. वे. १,१४.४ //
ईऌअते | त्वाम् | अवस्यवः | कण्वासः | वृक्त-बर्हिषः | हविष्मन्तः | अरम्-कृतः // ऋ. वे. १,१४.५ //
घृत-पृष्ठाः | मनः-युजः | ये | त्वा | वहन्ति | वह्नयः | आ | देवान् | सोम-पीतये // ऋ. वे. १,१४.६ //
//२६//.
-ऋ. वे. १:१/२७-
तान् | यजत्रान् | ऋत-वृधः | अग्ने | पत्नी-वतः | कृधि | मध्वः | सु-जिह्व | पायय // ऋ. वे. १,१४.७ //
ये | यजत्राः | ये | ईड्याः | ते | ते | पिबन्तु | जिह्वया | मधोः | अग्ने | वषट्-कृति // ऋ. वे. १,१४.८ //
आकीम् | सूर्यस्य | रोचनात् | विश्वान् | देवान् | उषः-बुधः | विप्रः | होता | इह | वक्षति // ऋ. वे. १,१४.९ //
विश्वेभिः | सोम्यम् | मधु | अग्ने | इन्द्रेण | वायुना | पिब | मित्रस्य | धाम-भिः // ऋ. वे. १,१४.१० //
त्वम् | होता | मनुः-हितः | अग्ने | यज्ञेषु | सीदसि | सः | इमम् | नः | अध्वरम् | यज // ऋ. वे. १,१४.११ //
युक्ष्व | हि | अरुषीः | रथे | हरितः | देव | रोहितः | ताभिः | देवान् | इह | आ | वह // ऋ. वे. १,१४.१२ //
//२७//.
-ऋ. वे. १:१/२८-
(ऋ. वे. १,१५)
इन्द्र | सोमम् | पिब | ऋतुना | आ | त्वा | विशन्तु | इन्दवः | मत्सरासः | तत्-ओकसः // ऋ. वे. १,१५.१ //
मरुतः | पिबत | ऋतुना | पोत्रात् | यज्ञम् | पूनीतन | यूयम् | हि | स्थ | सु-दानवः // ऋ. वे. १,१५.२ //
अभि | यज्ञम् | गृणीहि | नः | ग्रावः | नेष्टरिति | पिब | ऋतुना | त्वम् | हि | रत्न-धा | असि // ऋ. वे. १,१५.३ //
अग्ने | देवान् | इह | आ | वह | सादय | योनिषु | त्रिषु | परि | भूष | पिब | ऋतुना // ऋ. वे. १,१५.४ //
ब्राह्मणात् | इन्द्र | राधसः | पिब | सोमम् | ऋतून् | अनु | तव | इत् | हि | सख्यम् | अस्तृतम् // ऋ. वे. १,१५.५ //
युवम् | दक्षम् | धृत-व्रता | मित्रावरुणा | दुः-दभम् | ऋतुना | यज्ञम् | आशाथेइति // ऋ. वे. १,१५.६ //
//२८//.
-ऋ. वे. १:१/२९-
द्रविणः-दाः | द्रविणसः | ग्राव-हस्तासः | अध्वरे | यज्ञेषु | देवम् | ईऌअते // ऋ. वे. १,१५.७ //
द्रविणः-दाः | ददातु | नः | वसूनि | यानि | शृण्विरे | देवेषु | ता | वनामहे // ऋ. वे. १,१५.८ //
द्रविणः-दाः | पिपीषति | जुहोत | प्र | च | तिष्ठत | नेष्ट्रात् | ऋतु-भिः | इष्यत // ऋ. वे. १,१५.९ //
यत् | त्वा | तुरीयम् | ऋतु-भिः | द्रविणः-दः | यजामहे | अध | स्म | नः | ददिः | भव // ऋ. वे. १,१५.१० //
अश्विना | पिबतम् | मधु | दीद्यग्नी इतिदीदि-अग्नी | शुचि-व्रता | ऋतुना | यज्ञ-वाहसा // ऋ. वे. १,१५.११ //
गार्हपत्येन | सन्त्य | ऋतुना | यज्ञ-नीः | असि | देवान् | देवयते | यज // ऋ. वे. १,१५.१२ //
//२९//.
-ऋ. वे. १:१/३०-
(ऋ. वे. १,१६)
आ | त्वा | वहन्तु | हरयः | वृषणम् | सोम-पीतये | इन्द्र | त्वा | सूर-चक्षसः // ऋ. वे. १,१६.१ //
इमाः | धानाः | घृत-स्नुवः | हरी इति | इह | उप | वक्षतः | इन्द्रम् | सुख-तमे | रथे // ऋ. वे. १,१६.२ //
इन्द्रम् | प्रातः | हवामहे | इन्द्रम् | प्र-यति | अध्वरे | इन्द्रम् | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. १,१६.३ //
उप | नः | सुतम् | आ | गहि | हरि-भिः | इन्द्र | केशि-भिः | सुते | हि | त्वा | हवामहे // ऋ. वे. १,१६.४ //
सः | इमम् | नः | स्तोमम् | आ | गहि | उप | इदम् | सवनम् | सुतम् | गौरः | न | तृषितः | पिब // ऋ. वे. १,१६.५ //
//३०//.
-ऋ. वे. १:१/३१-
इमे | सोमासः | इन्दवः | सुतासः | अधि | बर्हिषि | तान् | इन्द्र | सहसे | पिब // ऋ. वे. १,१६.६ //
अयम् | ते | स्तोमः | अग्रियाः | हृदिइ-स्पृक् | अस्तु | शम्-तमः | अथ | सोमम् | सुतम् | पिब // ऋ. वे. १,१६.७ //
विश्वम् | इत् | सवनम् | सुतम् | इन्द्रः | मदाय | गच्छति | वृत्र-हा | सोम-पीतये // ऋ. वे. १,१६.८ //
सः | इमम् | नः | कामम् | आ | पृण | गोभिः | अश्वैः | शतक्रतो इतिशतक्रतो | स्तवाम | त्वा | सु-आध्यः // ऋ. वे. १,१६.९ //
//३१//.
-ऋ. वे. १:१/३२-
(ऋ. वे. १,१७)
इन्द्रावरुणयोः | अहम् | सम्-राजोः | अवः | आ | वृणे | ता | नः | मृऌआतः | ईदृशे // ऋ. वे. १,१७.१ //
गन्ताराः | हि | स्थः | अवसे | हवम् | विप्रस्य | मावतः | धर्ताराचर्षणीनाम् // ऋ. वे. १,१७.२ //
अनुकामम् | तर्पयेथाम् | इन्द्रावरुणा | रायः | आ | ता | वाम् | नेदिष्ठम् | ईमहे // ऋ. वे. १,१७.३ //
युवाकु | हि | शचीनाम् | युवाकु | सु-मतीनाम् | भूयाम | वाजदाव्नाम् // ऋ. वे. १,१७.४ //
इन्द्रः | सहस्र-दाव्नाम् | वरुणः | शंस्यानाम् | क्रतुः | भवति | उक्थ्यः // ऋ. वे. १,१७.५ //
//३२//.
-ऋ. वे. १:१/३३-
तयोः | इत् | अवसा | वयम् | सनेम | नि | च | धीमहि | स्यात् | उत | प्र-रेचनम् // ऋ. वे. १,१७.६ //
इन्द्रावरुणा | वाम् | अहम् | हुवे | चित्राय | राधसे | अस्मान् | सु | जिग्युषः | कृतम् // ऋ. वे. १,१७.७ //
इन्द्रावरुणा | नु | नु | वाम् | सिषासन्तीषु | धीषु | आ | अस्मभ्यम् | शर्म | यच्छतम् // ऋ. वे. १,१७.८ //
प्र | वाम् | अश्नोतु | सु-स्तुतिः | इन्द्रावरुणा | याम् | हुवे | याम् | ऋधाथेइति | सध-स्तुतिम् // ऋ. वे. १,१७.९ //
//३३//.
-ऋ. वे. १:१/३४-
(ऋ. वे. १,१८)
सोमानम् | स्वरणम् | कृणुहि | ब्रह्मणः | पते | कक्षीवन्तम् | यः | औशिजः // ऋ. वे. १,१८.१ //
यः | रेवान् | यः | अमीव-हा | वसु-वित् | पुष्टि-वर्धनः | सः | नः | सिसक्तु | यः | तुरः // ऋ. वे. १,१८.२ //
मा | नः | शंसः | अररुषः | धूर्तिः | प्रणक् | मर्त्यस्य | रक्ष | नः | ब्रह्मणः | पते // ऋ. वे. १,१८.३ //
सः | घ | वीरः | न | रिष्यति | यम् | इन्द्रः | ब्रह्मणः | पतिः | सोमः | हिनोति | मर्त्यम् // ऋ. वे. १,१८.४ //
त्वम् | तम् | ब्रह्मणः | पते | सोमः | इन्द्रः | च | मर्त्यम् | दक्षिणा | पातु | अंहसः // ऋ. वे. १,१८.५ //
//३४//.
-ऋ. वे. १:१/३५-
सदसः | पतिम् | अद्भुतम् | प्रियम् | इन्द्रस्य | काम्यम् | सनिम् | मेधाम् | अयासिषम् // ऋ. वे. १,१८.६ //
यस्मात् | ऋते | न | सिध्यति | यज्ञः | विपः-चितः | चन | सः | धीनाम् | योगम् | इन्वति // ऋ. वे. १,१८.७ //
आत् | ऋध्नोति | हविः-कृतिम् | प्राञ्चम् | कृणोति | अध्वरम् | होत्रा | देवेषु | गच्छति // ऋ. वे. १,१८.८ //
नराशंसम् | सुधृष्टमम् | अपश्यम् | सप्रथः-तमम् | दिवः | न | सद्म-मखसम् // ऋ. वे. १,१८.९ //
//३५//.
-ऋ. वे. १:१/३६-
(ऋ. वे. १,१९)
प्रति | त्यम् | चारुम् | अध्वरम् | गो--पीथाय | प्र | हूयसे | मरुत्-भिः | अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१९.१ //
नहि | देवः | न | मर्त्यः | महः | तव | क्रतुम् | परः | मरुत्-भिः | अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१९.२ //
ये | महः | रजसः | विदुः | विश्वे | देवासः | अद्रुहः | मरुत्-भिः | अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१९.३ //
ये | उग्राः | अर्कम् | आनृचुः | अनाधृष्टासः | ओजसा | मरुत्-भिः | अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१९.४ //
ये | शुभ्राः | घोर-वर्पसः | सु-क्षत्रासः | रिशादसः | मरुत्-भिः | अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१९.५ //
//३६//.
-ऋ. वे. १:१/३७-
ये | नाकस्य | अधि | रोचने | दिवि | देवासः | आसते | मरुत्-भिः | अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१९.६ //
ये | ईङ्खयन्ति | पर्वतान् | तिरः | समुद्रम् | अर्णवम् | मरुत्-भिः | अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१९.७ //
आ | ये | तन्वन्ति | रश्मि-भिः | तिरः | समुद्रम् | ओजसा | मरुत्-भिः | अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१९.८ //
अभि | त्वा | पूर्व-पीतये | सृजामि | सोम्यम् | मधु | मरुत्-भिः | अग्ने | आ | गहि // ऋ. वे. १,१९.९ //
//३७//.
-ऋ. वे. १:२/१-
(ऋ. वे. १,२०)
अयम् | देवाय | जन्मने | स्तोमः | विप्रेभिः | आसया | अकारि | रत्न-धातमः // ऋ. वे. १,२०.१ //
ये | इन्द्राय | वचः-युजा | ततक्षुः | मनसा | हरी इति | शमाईभिः | यज्ञम् | आशत // ऋ. वे. १,२०.२ //
तक्षन् | नासत्याभ्याम् | परि-ज्मानम् | सु-खम् | रथम् | तक्षन् | धेनुम् | सबः-दुघाम् // ऋ. वे. १,२०.३ //
युवाना | पितरा | पुनरिति | सत्य-मन्त्राः | ऋजू-यवः | ऋभवः | विष्टी | अक्रत // ऋ. वे. १,२०.४ //
सम् | वः | मदासः | अग्मत | इन्द्रेण | च | मरुत्वता | आदित्येभिः | च | राज-भिः // ऋ. वे. १,२०.५ //
//१//.
-ऋ. वे. १:२/२-
उत | त्यम् | चमसम् | नवम् | त्वष्टुः | देवस्य | निः-कृतम् | अकर्त | चतुरः | पुनरिति // ऋ. वे. १,२०.६ //
ते | नः | रत्नानि | धत्तन | त्रिः | आ | साप्तानि | सुन्वते | एकम्-एकम् | सुशस्ति-भिः // ऋ. वे. १,२०.७ //
अधारयन्त | वह्नयः | अभजन्त | सु-कृत्यया | भागम् | देवेषु | यज्ञियम् // ऋ. वे. १,२०.८ //
//२//.
-ऋ. वे. १:२/३-
(ऋ. वे. १,२१)
इह | इन्द्राग्नी इति | उप | ह्वये | तयोः | इत् | स्तोमम् | उश्मसि | ता | सोमम् | सोम-पातमा // ऋ. वे. १,२१.१ //
ता | यज्ञेषु | प्र | शंसत | इन्द्राग्नी इति | शुम्भत | नरः | ता | गायत्रेषु | गायत // ऋ. वे. १,२१.२ //
ता | मित्रस्य | प्र-शस्तये | इन्द्राग्नी इति | ता | हवामहे | सोम-पा | सोम-पीतये // ऋ. वे. १,२१.३ //
उग्रा | सन्ता | हवामहे | उप | इदम् | सवनम् | सुतम् | इन्द्राग्नी इति | आ | इह | गच्छताम् // ऋ. वे. १,२१.४ //
ता | महान्ता | सदस्पती इति | इन्द्राग्नी इति | रक्षः | उब्जतम् | अप्रजाः | सन्तु | अत्रिणः // ऋ. वे. १,२१.५ //
तेन | सत्येन | जागृतम् | अधि | प्र-चेतुने | पदे | इन्द्राग्नी इति | शर्म | यच्छतम् // ऋ. वे. १,२१.६ //
//३//.
-ऋ. वे. १:२/४-
(ऋ. वे. १,२२)
प्रातः-युजा | वि | बोधय | अश्विनौ | आ | इह | गच्छताम् | अस्य | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. १,२२.१ //
या | सु-रथा | रथि-तमा | उभा | देवा | दिवि-स्पृशा | अश्विना | ता | हवामहे // ऋ. वे. १,२२.२ //
या | वाम् | कशा | मधु-मती | अश्विना | सूनृतावती | तया | यज्ञम् | मिमिक्षतम् // ऋ. वे. १,२२.३ //
नहि | वाम् | अस्ति | दूरके | यत्र | रथेन | गच्छथः | अश्विना | सोमिनः | गृहम् // ऋ. वे. १,२२.४ //
हिरण्य-पाणिम् | ऊतये | सवितारम् | उप | ह्वये | सः | चेत्ता | देवता | पदम् // ऋ. वे. १,२२.५ //
//४//.
-ऋ. वे. १:२/५-
अपाम् | नपातम् | अवसे | सवितारम् | उप | स्तुहि | तस्य | व्रतानि | उश्मसि // ऋ. वे. १,२२.६ //
वि-भक्तारम् | हवामहे | वसोः | चित्रस्य | राधसः | सवितारम् | नृ-चक्षसम् // ऋ. वे. १,२२.७ //
सखायः | आ | नि | सीदत | सविता | स्तोम्यः | नु | नः | दाता | राधांसि | शुम्भति // ऋ. वे. १,२२.८ //
अग्ने | पत्नीः | इह | आ | वह | देवानाम् | उशतीः | उप | त्वष्टारम् | सोम-पीतये // ऋ. वे. १,२२.९ //
आ | ग्नाः | अग्ने | इह | अवसे | होत्राम् | यविष्ठ | भारतीम् | वरूत्रीम् | धिषणाम् | वह // ऋ. वे. १,२२.१० //
//५//.
-ऋ. वे. १:२/६-
अभि | नः | देवीः | अवसा | महः | शर्मणा | नृ-पत्नीः | अच्छिन्न-पत्राः | सचन्ताम् // ऋ. वे. १,२२.११ //
इह | इन्द्राणीम् | उप | ह्वये | वरुणानीम् | स्वस्तये | अग्नायीम् | सोम-पीतये // ऋ. वे. १,२२.१२ //
मही | द्यौः | पृथिवी | च | नः | इमम् | यज्ञम् | मिमिक्षताम् | पिपृताम् | नः | भरीम-भिः // ऋ. वे. १,२२.१३ //
तयोः | इत् | घृत-वत् | पयः | विप्राः | रिहन्ति | धीति-भिः | गन्धर्वस्य | ध्रुवे | पदे // ऋ. वे. १,२२.१४ //
स्योना | पृथिवि | भव | अनृक्षरा | नि-वेशनी | यच्छ | नः | शर्म | स-प्रथः // ऋ. वे. १,२२.१५ //
//६//.
-ऋ. वे. १:२/७-
अतः | देवाः | अवन्तु | नः | यतः | विष्णुः | वि-चक्रमे | पृथिव्याः | सप्त | धाम-भिः // ऋ. वे. १,२२.१६ //
इदम् | विष्णुः | वि | चक्रमे | त्रेधा | नि | दधे | पदम् | सम्-ऊऌहम् | अस्य | पांसुरे // ऋ. वे. १,२२.१७ //
त्रीणि | पदा | वि | चक्रमे | विष्णुः | गोपाः | अदाभ्यः | अतः | धर्माणि | धारयन् // ऋ. वे. १,२२.१८ //
विष्णोः | कर्माणि | पश्यत | यतः | व्रतानि | पस्पशे | इन्द्रस्य | युज्यः | सखा // ऋ. वे. १,२२.१९ //
तत् | विष्णोः | परमम् | पदम् | सदा | पश्यन्ति | सूरयः | दिवि-इव | चक्षुः | आततम् // ऋ. वे. १,२२.२० //
तत् | विप्रासः | विपन्यवः | जागृ-वांसः | सम् | इन्धते | विष्णोः | यत् | परमम् | पदम् // ऋ. वे. १,२२.२१ //
//७//.
-ऋ. वे. १:२/८-
(ऋ. वे. १,२३)
तीव्राः | सोमासः | आ | गहि | आशीः-वन्तः | सुताः | इमे | वायो इति | तान् | प्र-स्थितान् | पिब // ऋ. वे. १,२३.१ //
उभा | देवा | दिवि-स्पृशा | इन्द्रवायू इति | हवामहे | अस्य | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. १,२३.२ //
इन्द्रवायू इति | मनः-जुवा | विप्राः | हवन्ते | ऊतये | सहस्र-अक्षा | धियः | पती इति // ऋ. वे. १,२३.३ //
मित्रम् | वयम् | हवामहे | वरुणम् | सोम-पीतये | जज्ञाना | पूत-दक्षसा // ऋ. वे. १,२३.४ //
ऋतेन | यौ | ऋत-वृधौ | ऋतस्य | ज्योतिषः | पती इति | ता | मित्रावरुणा | हुवे // ऋ. वे. १,२३.५ //
//८//.
-ऋ. वे. १:२/९-
वरुणः | प्र-अविता | भुवत् | मित्रः | विश्वाभिः | ऊति-भिः | करताम् | नः | सु-राधसः // ऋ. वे. १,२३.६ //
मरुत्वन्तम् | हवामहे | इन्द्रम् | आ | सोम-पीतये | स-जूः | गणेन | तृम्पतु // ऋ. वे. १,२३.७ //
इन्द्र-ज्येष्ठाः | मरुत्-गणाः | देवासः | पूष-रातयः | विश्वे | मम | श्रुत | हवम् // ऋ. वे. १,२३.८ //
हत | वृत्रम् | सु-दानव | इन्द्रेण | सहसा | युजा | मा | नः | दुः-शंसः | ईशत // ऋ. वे. १,२३.९ //
व्विश्वान् | देवान् | हवामहे | मरुतः | सोम-पीतये | उग्राः | हि | पृश्नि-मातरः // ऋ. वे. १,२३.१० //
//९//.
-ऋ. वे. १:२/१०-
जयताम्-इव | तन्यतुः | मरुताम् | एति | धृष्णु-या | यत् | शुभम् | याथन | नरः // ऋ. वे. १,२३.११ //
हस्कारात् | वि-द्युतः | परि | अतः | जाताः | अवन्तु | नः | मरुतः | मृऌअयन्तु | नः // ऋ. वे. १,२३.१२ //
आ | पूषन् | चित्र-बर्हिषम् | आघृणे | धरुणम् | दिवः | आ | अज | नष्टम् | यथा | पशुम् // ऋ. वे. १,२३.१३ //
पूषा | राजानम् | आघृणिः | अप-गूऌहम् | गुहा | हितम् | अविन्दत् | चित्र-बर्हिषम् // ऋ. वे. १,२३.१४ //
उतो इति | सः | मह्यम् | इन्दु-भिः | षट् | युक्तान् | अनु-सेसिधत् | गोभिः | यवम् | न | चर्कृषत् // ऋ. वे. १,२३.१५ //
//१०//.
-ऋ. वे. १:२/११-
अम्बयः | यन्ति | अध्व-भिः | जामयः | अध्वरि-यताम् | पृञ्चतीः | मधुना | पयः // ऋ. वे. १,२३.१६ //
अमूः | याः | उप | सूर्ये | याभिः | वा | सूर्यः | सह | ताः | नः | हिन्वन्तु | अध्वरम् // ऋ. वे. १,२३.१७ //
अपः | देवीः | उप | ह्वये | यत्र | गावः | पिबन्ति | नः | सिन्धु-भ्यः | कर्त्वम् | हविः // ऋ. वे. १,२३.१८ //
अप्-सु | अन्तः | अमृतम् | अप्-सु | भेषजम् | अपाम् | उत | प्र-शस्तये | देवाः | भवत | वाजिनः // ऋ. वे. १,२३.१९ //
अप्-सु | मे | सोमः | अब्रवीत् | अन्तः | विश्वानि | भेषजा | अग्निम् | च | विश्व-शम्भुवम् | आपः | च | विश्व-भेषजीः // ऋ. वे. १,२३.२० //
//११//.
-ऋ. वे. १:२/१२-
आपः | पृणीत | भेषजम् | वरूथम् | तन्वे | मम | ज्योक् | च | सूर्यम् | दृशे // ऋ. वे. १,२३.२१ //
इदम् | आपः | प्र | वहत | यत् | किम् | च | दुरितम् | मयि | यत् | वा | अहम् | अभि-दुद्रोह | यत् | वा | शेपे | उत | अनृतम् // ऋ. वे. १,२३.२२ //
आपः | अद्य | अनु | अचारिषम् | रसेन | सम् | अगस्महि | पयस्वान् | अग्ने | आ | गहि | तम् | मा | सम् | सृज | वर्चसा // ऋ. वे. १,२३.२३ //
सम् | मा | अग्ने | वर्चसा | सृज | सम् | प्र-जया | सम् | आयुषा | विद्युः | मे | अस्य | देवाः | इन्द्रः | विद्यात् | सह | ऋषि-भिः // ऋ. वे. १,२३.२४ //
//१२//.
-ऋ. वे. १:२/१३-
(ऋ. वे. १,२४)
कस्य | नूनम् | कतमस्य | अमृतानाम् | मनामहे | चारु | देवस्य | नाम | कः | नः | मह्यै | अदितये | पुनः | दात् | पितरम् | च | दृशेयम् | मातरम् | च // ऋ. वे. १,२४.१ //
अग्नेः | वयम् | प्रथमस्य | अमृतानाम् | मनामहे | चारु | देवस्य | नाम | सः | नः | मह्यै | अदितये | पुनः | दात् | पितरम् | च | दृशेयम् | मातरम् | च // ऋ. वे. १,२४.२ //
अभि | त्वा | देव | सवितः | ईशानम् | वार्याणाम् | सदा | अवन् | भागम् | ईमहे // ऋ. वे. १,२४.३ //
यः | चित् | हि | ते | इत्था | भगः | शशमानः | पुरा | निदः | अद्वेषः | हस्तयोः | दधे // ऋ. वे. १,२४.४ //
भग-भक्तस्य | ते | वयम् | उत् | अशेम | तव | अवसा | मूर्धानम् | रायः | आरभे // ऋ. वे. १,२४.५ //
//१३//.
-ऋ. वे. १:२/१४-
नहि | ते | क्षत्रम् | न | सहः | न | मन्युम् | वयः | चन | अमी इति | पतयन्तः | आपुः | न | इमाः | आपः | अनि-मिषम् | चरन्तीः | न | ये | वातस्य | प्र-मिनन्ति | अभ्वम् // ऋ. वे. १,२४.६ //
अबुध्ने | राजा | वरुणः | वनस्य | ऊर्ध्वम् | स्तूपम् | दृते | पूत-दक्षः | नीचीनाः | स्थुः | उपरि | बुध्नः | एषाम् | अस्मे इति | अन्तः | नि-हिताः | केतवः | स्युरितिस्युः // ऋ. वे. १,२४.७ //
उरुम् | हि | राजा | वरुणः | चकार | सूर्याय | पन्थाम् | अनु-एतवै | ॐ इति | अपदे | पादा | प्रति-धातवे | अकः | उत | अप-वक्ता | हृदय-विधः | चित् // ऋ. वे. १,२४.८ //
शतम् | ते | राजन् | भिषजः | सहस्रम् | उर्वी | गभीरा | सु-मतिः | ते | अस्तु | बाधस्व | दूरे | निः-ऋतिम् | पराचैः | कृतम् | चित् | एनः | प्र | मुमुग्धि | अस्मत् // ऋ. वे. १,२४.९ //
अमी इति | ये | ऋक्षाः | नि-हितासः | उच्चा | नक्तम् | दृदश्रे | कुह | चित् | दिवा | ईयुः | अदब्धानि | वरुणस्य | व्रतानि | वि-चाकशत् | चन्द्रमाः | नक्तम् | एति // ऋ. वे. १,२४.१० //
//१४//.
-ऋ. वे. १:२/१५-
तत् | त्वा | यामि | ब्रह्मणा | वन्दमानः | तत् | आ | शास्ते | यजमानः | हविः-भिः | अहेऌअमानः | वरुण | इह | बोधि | उरु-शंस | मा | नः | आयुः | प्र | मोषीः // ऋ. वे. १,२४.११ //
तत् | इत् | नक्तम् | तत् | दिवा | मह्यम् | आहुः | तत् | अयम् | केतः | हृदः | आ | वि | चष्टे | शुनःशेपः | यम् | अह्वत् | गृभीतः | सः | अस्मान् | राजा | वरुणः | मुमोक्तु // ऋ. वे. १,२४.१२ //
शुनःशेपः | हि | अह्वत् | गृभीतः | त्रिषु | आदित्यम् | द्रु-पदेषु | बद्धः | अव | एनम् | राजा | वरुणः | ससृज्यात् | विद्वान् | अदब्धः | वि | मुमोक्तु | पासान् // ऋ. वे. १,२४.१३ //
अव | ते | हेऌअः | वरुण | नमः-भिः | अव | यज्ञेभिः | ईमहे | हविः-भिः | क्षयन् | अस्मभ्यम् | असुर | प्रचेतैतिप्र-चेतः | राजन् | एनांसि | शिश्रथः | कृतानि // ऋ. वे. १,२४.१४ //
उत् | उत्-तमम् | वरुण | पाशम् | अस्मत् | अव | अधमम् | वि | मध्ययमम् | श्रथय | अथ | वयम् | आदित्य | व्रते | तव | अनागसः | अदितये | स्याम // ऋ. वे. १,२४.१५ //
//१५//.
-ऋ. वे. १:२/१६-
(ऋ. वे. १,२५)
यत् | चित् | हि | ते | विशः | यथा | प्र | देव | वरुण | व्रतम् | मिनीमसि | द्यवि-द्यवि // ऋ. वे. १,२५.१ //
मा | नः | वधाय | हत्नवे | जिहीऌआनस्य | रीरधः | मा | हृणानस्यमन्यवे // ऋ. वे. १,२५.२ //
वि | मृऌईकाय | ते | मनः | रथीः | अश्वम् | न | सम्-दितम् | गीर्भिः | वरुण | सीमहि // ऋ. वे. १,२५.३ //
परा | हि | मे | वि-मन्यवः | पतन्ति | वस्यः-इष्टये | वयः | न | वसतीः | उप // ऋ. वे. १,२५.४ //
कदा | क्षत्र-श्रियम् | नरम् | आ | वरुणम् | करामहे | मृऌईकाय | उरु-चक्षसम् // ऋ. वे. १,२५.५ //
//१६//.
-ऋ. वे. १:२/१७-
तत् | इत् | समानम् | आशातेइति | वेनन्ता | न | प्र | युच्छतः | धृत-व्रताय | दाशुषे // ऋ. वे. १,२५.६ //
वेद | यः | वीनाम् | पदम् | अन्तरिक्षेण | पतताम् | वेद | नावः | समुद्रियः // ऋ. वे. १,२५.७ //
वेद | मासः | धृत-व्रतः | द्वादश | प्रजावतः | वेद | यः | उप-जायते // ऋ. वे. १,२५.८ //
वेद | वातस्य | वर्तनिम् | उरोः | ऋष्वस्य | बृहतः | वेद | ये | अधि-आसते // ऋ. वे. १,२५.९ //
नि | ससाद | धृत-व्रतः | वरुणः | पस्त्यासु | आ | साम्-राज्याय | सु-क्रतुः // ऋ. वे. १,२५.१० //
//१७//.
-ऋ. वे. १:२/१८-
अतः | विश्वानि | अद्भुता | चिकित्वान् | अभि | पश्यति | कृतानि | या | च | कर्त्वा // ऋ. वे. १,२५.११ //
सः | नः | विश्वाहा | सु-क्रतुः | आदित्यः | सु-पथा | करत् | प्र | नः | आयूंषि | तारिषत् // ऋ. वे. १,२५.१२ //
बिभ्रत् | द्रापिम् | हिरण्ययम् | वरुणः | वस्त | निः-निजम् | परि | स्पशः | नि | सेदिरे // ऋ. वे. १,२५.१३ //
न | यम् | दिप्सन्ति | दिप्सवः | न | द्रुह्वाणः | जनानाम् | न | देवम् | अभि-मातयः // ऋ. वे. १,२५.१४ //
उत | यः | मानुषेषु | आ | यशः | चक्रे | असामि | आ | अस्माकम् | उदरेषु | आ // ऋ. वे. १,२५.१५ //
//१८//.
-ऋ. वे. १:२/१९-
पराः | मे | यन्ति | धीतयः | गावः | न | गव्यूतीः | अनु | इच्छन्तीः | उरु-चक्षसम् // ऋ. वे. १,२५.१६ //
सम् | नु | वोचावहै | पुनः | यतः | मे | मधु | आभृतम् | होताइव | क्षदसे | प्रियम् // ऋ. वे. १,२५.१७ //
दर्शम् | नु | विश्व-दर्शतम् | दर्शम् | रथम् | अधि | क्षमि | एताः | जुषत | मे | गिरः // ऋ. वे. १,२५.१८ //
इमम् | मे | वरुण | श्रुधि | हवम् | अद्य | च | मृऌअय | त्वाम् | अवस्युः | आ | चक्रे // ऋ. वे. १,२५.१९ //
त्वम् | विश्वस्य | मेधिर | दिवः | च | ग्मः | च | राजसि | सः यामनि | प्रति | श्रुधि // ऋ. वे. १,२५.२० //
उत् | उत्-तमम् | मुमुग्धि | नः | वि | पाशम् | मध्यमञ् चृत | अव | अधमानि | जीवसे // ऋ. वे. १,२५.२१ //
//१९//.
-ऋ. वे. १:२/२०-
(ऋ. वे. १,२६)
वसिष्व | हि | मियेध्य | वस्त्राणि | ऊर्जाम् | पते | सः | इमम् | नः | अध्वरम् | यज // ऋ. वे. १,२६.१ //
नि | नः | होता | वरेण्यः | सदा | यविष्ठ | मन्म-भिः | अग्ने | दिवित्मता | वचः // ऋ. वे. १,२६.२ //
आ | हि | स्म | सूनवे | पिता | आपिः | यजति | आपये | सखा | सख्ये | वरेण्यः // ऋ. वे. १,२६.३ //
आ | नः | बर्हिः | रिशादसः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | सीदन्तु | मनुषः | यथा // ऋ. वे. १,२६.४ //
पूर्व्य | होतः | अस्य | नः | मन्दस्व | सख्यस्य | च | इमाः | ॐ इति | सु | श्रुधी | गिरः // ऋ. वे. १,२६.५ //
//२०//.
-ऋ. वे. १:२/२१-
यत् | चित् | हि | शश्वता | तना | देवम्-देवम् | यजामहे | त्वे इति | इत् | हूयते | हविः // ऋ. वे. १,२६.६ //
प्रियः | नः | अस्तु | विश्पतिः | होताम् | मन्द्रः | वरेण्यः | प्रियाः | सु-अग्नयः | वयम् // ऋ. वे. १,२६.७ //
सु-अग्नयः | हि | वार्यम् | देवासः | दधिरे | च | नः | सु-अग्नयः | मनामहे // ऋ. वे. १,२६.८ //
अथ | नः | उभयेषाम् | अमृत | मर्त्यानाम् | मिथः | सन्तु | प्र-शस्तयः // ऋ. वे. १,२६.९ //
विश्वेभिः | अग्ने | अग्नि-भिः | इमम् | यज्ञम् | इदम् | वचः | चनः | धाः | सहस | यहो इति // ऋ. वे. १,२६.१० //
//२१//.
-ऋ. वे. १:२/२२-
(ऋ. वे. १,२७)
अश्वम् | न | त्वा | वार-वन्तम् | वन्दध्यै | अग्निम् | नमोभिः | सम्-राजन्तम् | अध्वराणाम् // ऋ. वे. १,२७.१ //
सः | घ | नः | सूनुः | शवसा | पृथु-प्रगामा | सु-शेवः | मीढवान् | अस्माकम् | बभूयात् // ऋ. वे. १,२७.२ //
सः | नः | दूरात् | च | आसात् | च | नि | मर्त्यात् | अघ-योः | पाहि | सदम् | इत् | विश्व-आयुः // ऋ. वे. १,२७.३ //
इमम् | ॐ इति | सु | त्वम् | अस्माकम् | सनिम् | गायत्रम् | नव्यांसम् | अग्ने | देवेषु | प्र | वोचः // ऋ. वे. १,२७.४ //
आ | नः | भज | परमेषु | आ | वाजेषु | मध्यमेषु | शिक्षा | वस्वः | अन्तमस्य // ऋ. वे. १,२७.५ //
//२२//.
-ऋ. वे. १:२/२३-
वि-भक्ता | असि | चित्रभानो इतिचित्र-भानो | सिन्धोः | ऊर्मौ | उपाके | आ | सद्यः | दाशुषे | क्षरसि // ऋ. वे. १,२७.६ //
यम् | अग्ने | पृत्-सु | मर्त्यम् | अवाः | वाजेषु | यम् | जुनाः | सः | यन्ता | शश्वतीः | इषः // ऋ. वे. १,२७.७ //
नकिः | अस्य | सहन्त्य | परि-एता | कयस्य | चित् | वाजः | अस्ति | श्रवाय्यः // ऋ. वे. १,२७.८ //
सः | वाजम् | विश्व-चर्षणिः | अर्वत्-भिः | अस्तु | तरुता | विप्रेभिः | अस्तु | सनिता // ऋ. वे. १,२७.९ //
जराबोध | तत् | विविड्ढि | विशे--विशे | यज्ञियाय | स्तोमम् | रुद्राय | दृशीकम् // ऋ. वे. १,२७.१० //
//२३//.
-ऋ. वे. १:२/२४-
सः | नः | महान् | अनि-मानः | धूम-केतुः | पुरु-चन्द्रः | धिये | वाजाय | हिन्वतु // ऋ. वे. १,२७.११ //
सः | रेवान्-इव | विश्पतिः | दैव्यः | केतुः | शृणोतु | नः | उक्थैः | अग्निः | बृहत्-भानुः // ऋ. वे. १,२७.१२ //
नमः | महत्-भ्यः | नमः | अर्भकेभ्यः | नमः | युवभ्यः | नमः | आशिनेभ्यः | यजाम | देवान् | यदि | शक्नवाम | मा | ज्यायसः | शंसम् | आ | वृक्षि | देवाः // ऋ. वे. १,२७.१३ //
//२४//.
-ऋ. वे. १:२/२५-
(ऋ. वे. १,२८)
यत्र | ग्रावा | पृथु-बुध्नः | ऊर्ध्वः | भवति | सोतवे | उलूखल-सुतानाम् | अव | इत् | ॐ इति | इन्द्र | जल्गुलः // ऋ. वे. १,२८.१ //
यत्र | द्वौ-इव | जघना | अधि-सवन्या | कृता | उलूखल-सुतानाम् | अव | इत् | ॐ इति | इन्द्र | जल्गुलः // ऋ. वे. १,२८.२ //
यत्र | नारी | अप-च्यवम् | उप-च्यवम् | च | शिक्षते | उलूखल-सुतानाम् | अव | इत् | ॐ इति | इन्द्र | जल्गुलः // ऋ. वे. १,२८.३ //
यत्र | मन्थाम् | वि-बध्नते | रश्मीन् | यमितवै-इव | उलूखल-सुतानाम् | अव | इत् | ॐ इति | इन्द्र | जल्गुलः // ऋ. वे. १,२८.४ //
यत् | चित् | हि | त्वम् | गृहे--गृहे | उलूखलक | युज्यसे | इह | द्युमत्-तमम् | वद | जयताम्-इव | दुन्दुभिः // ऋ. वे. १,२८.५ //
//२५//.
-ऋ. वे. १:२/२६-
उत | स्म | ते | वनस्पते | वातः | वि | वाति | अग्रम् | इत् | अथो इति | इन्द्राय | पातवे | सुनु | सोमम् | उलूखल // ऋ. वे. १,२८.६ //
आयजी इत्य् आयजी | वाज-सातमा | ता | हि | उच्चा | वि-जर्भृतः | हरीइवेतिहरी-इव | अन्धांसि | बप्सता // ऋ. वे. १,२८.७ //
ता | नः | अद्य | वनस्पती इति | ऋष्वौ | ऋष्वेभिः | सोतृ-भिः | इन्द्राय | मधु-मत् | सुतम् // ऋ. वे. १,२८.८ //
उत् | शिष्टम् | चम्वोः | भर | सोमम् | पवित्रे | आ | सृज | नि | धेहि | गोः | अधि | त्वचि // ऋ. वे. १,२८.९ //
//२६//.
-ऋ. वे. १:२/२७-
(ऋ. वे. १,२९)
यत् | चित् | हि | सत्य | सोम-पा | अनाशस्ताः-इव | स्मसि | आ | तु | नः | इन्द्र | शंसय | गोषु | अश्वेषु | शुभ्रिषु | सहस्रेषु | तुवी-मघ // ऋ. वे. १,२९.१ //
शिप्रिन् | वाजानाम् | पते | शची-वः | तव | दंसना | आ | तु | नः | इन्द्र | शंसय | गोषु | अश्वेषु | शुभ्रिषु | सहस्रेषु | तुवी-मघ // ऋ. वे. १,२९.२ //
नि | स्वापय | मिथु-दृशा | सस्ताम् | अबुध्यमानेइति | आ | तु | नः | इन्द्र | शंसय | गोषु | अश्वेषु | शुभ्रिषु | सहस्रेषु | तुवी-मघ // ऋ. वे. १,२९.३ //
ससन्तु | त्याः | अरातयः | बोधन्तु | शूर | रातयः | आ | तु | नः | इन्द्र | शंसय | गोषु | अश्वेषु | शुभ्रिषु | सहस्रेषु | तुवी-मघ // ऋ. वे. १,२९.४ //
सम् | इन्द्र | गर्दभम् | मृण | नुवन्तम् | पापया | अमुया | आ | तु | नः | इन्द्र | शंसय | गोषु | अश्वेषु | शुभ्रिषु | सहस्रेषु | तुवी-मघ // ऋ. वे. १,२९.५ //
पताति | कुण्डृणाच्या | दूरम् | वातः | वनात् | अधि | आ | तु | नः | इन्द्र | शंसय | गोषु | अश्वेषु | शुभ्रिषु | सहस्रेषु | तुवी-मघ // ऋ. वे. १,२९.६ //
सर्वम् | परि-क्रोशम् | जहि | जम्भय | कृकदाश्वम् | आ | तु | नः | इन्द्र | शंसय | गोषु | अश्वेषु | शुभ्रिषु | सहस्रेषु | तुवी-मघ // ऋ. वे. १,२९.७ //
//२७//.
-ऋ. वे. १:२/२८-
(ऋ. वे. १,३०)
आ | वः | इन्द्रम् | क्रिविम् | यथा | वाज-यन्तः | शत-क्रतुम् | मंहिष्ठंसिञ्चे | इन्दु-भिः // ऋ. वे. १,३०.१ //
शतम् | वा | यः | शुचीनाम् | सहस्रम् | वा | सम्-आशिराम् | आ | इत् | ॐ इति | निम्नम् | न | रीयते // ऋ. वे. १,३०.२ //
सम् | यत् | मदाय | शुष्मिणे | एना | हि | अस्य | उदरे | समुद्रः | न | व्यचः | दधे // ऋ. वे. १,३०.३ //
अयम् | ॐ इति | ते | सम् | अतसि | कपोतः-इव | गर्भ-धिम् | वचः | तत् | चित् | नः | ओहसे // ऋ. वे. १,३०.४ //
स्तोत्रम् | राधानाम् | पते | गिर्वाहः | वीर | यस्य | ते | वि-भूतिः | अस्तु | सुनृता // ऋ. वे. १,३०.५ //
//२८//.
-ऋ. वे. १:२/२९-
ऊर्ध्वः | तिष्ठ | नः | ऊतये | अस्मिन् | वाजे | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | सम् | अन्येषु | ब्रवावहै // ऋ. वे. १,३०.६ //
योगे--योगे | तवः-तरम् | वाजे--वाजे | हवामहे | सखायः | इन्द्रम् | ऊतये // ऋ. वे. १,३०.७ //
आ | घ | गमत् | यदि | श्रवत् | सहस्रिणीभिः | ऊति-भिः | वाजेभिः | उप | नः | हवम् // ऋ. वे. १,३०.८ //
अनु | प्रत्नस्य | ओकसः | हुवे | तुवि-प्रतिम् | नरम् | यम् | ते | पूर्वम् | पिता | हुवे // ऋ. वे. १,३०.९ //
तम् | त्वा | वयम् | विश्व-वार | आ | शास्महे | पुरु-हूत | सखे | वसो इति | जरितृ-भ्यः // ऋ. वे. १,३०.१० //
//२९//.
-ऋ. वे. १:२/३०-
अस्माकम् | शिप्रिणीनाम् | सोम-पाः | सोम-पाव्नाम् | सखे | वज्रिन् | सखीनाम् // ऋ. वे. १,३०.११ //
तथा | तत् | अस्तु | सोम-पाः | सखे | वज्रिन् | तथा | कृणु | यथा | ते | उश्मसि | इष्टये // ऋ. वे. १,३०.१२ //
रेवतीः | नः | सध-मादे | इन्द्रे | सन्तु | तुवि-वाजाः | क्षु-मन्तः | याभिः | मदेम // ऋ. वे. १,३०.१३ //
आ | घ | त्वावान् | त्मना | आप्तः | स्तोतृ-भ्यः | धृष्णो इति | इयानः | ऋणोः | अक्षम् | न | चक्र्योः // ऋ. वे. १,३०.१४ //
आ | यत् | दुवः | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | आ | कामम् | जरितॄणाम् | ऋणोः | अक्षम् | न | शचीभिः // ऋ. वे. १,३०.१५ //
//३०//.
-ऋ. वे. १:२/३१-
शश्वत् | इन्द्रः | पोप्रुथत्-भिः | जगाय | नानदत्-भिः | शाश्वसत्-भिः | धनानि | सः | नः | हिरण्य-रथम् | दंसनावान् | सः | नः | सनिता | सनये | सः | नः | अदात् // ऋ. वे. १,३०.१६ //
आ | अश्विनौ | अश्व-वत्या | इषा | यातम् | शवीरया | गो--मत् | दस्रा | हिरण्य-वत् // ऋ. वे. १,३०.१७ //
समान-योजनः | हि | वाम् | रथः | दस्रौ | अमर्त्यः | समुद्रे | अश्विना | ईयते // ऋ. वे. १,३०.१८ //
नि | अघ्न्यस्य | मूर्धनि | चक्रम् | रथस्य | येमथुः | परि | द्याम् | अन्यत् | ईयते // ऋ. वे. १,३०.१९ //
कः | ते | उषः | कध-प्रिये | भुजे | मर्तः | अमर्त्ये | कम् | नक्षसे | विभा-वरि // ऋ. वे. १,३०.२० //
वयम् | हि | ते | अमन्महि | आ | अन्तात् | आ | पराकात् | अश्वे | न | चित्रे | अरुषि // ऋ. वे. १,३०.२१ //
त्वम् | त्येभिः | आ | गहि | वाजेभिः | दुहितः | दिवः | अस्मे इति | रयिम् | नि | धारय // ऋ. वे. १,३०.२२ //
//३१//.
-ऋ. वे. १:२/३२-
(ऋ. वे. १,३१)
त्वम् | अग्ने | प्रथमाः | अङ्गिरा | ऋषिः | देवः | देवानाम् | अभवः | शिवः | सखा | तव | व्रते | कवयः | विद्मनाअपसः | अजायन्त | मरुतः | भ्राजत्-ऋष्टयः // ऋ. वे. १,३१.१ //
त्वम् | अग्ने | प्रथमः | अङ्गिरः-तमः | कविः | देवानाम् | परि | भूषसि | व्रतम् | वि-भुः | विश्वस्मै | भुवनाय | मेधिरः | द्वि-माता | शयुः | कतिधा | चित् | आयवे // ऋ. वे. १,३१.२ //
त्वम् | अग्ने | प्रथमः | मातरिश्वने | आविः | भव | सुक्रतू-या | विवस्वते | अरेजेताम् | रोदसी इति | होतृ-वूर्ये | असघ्नोः | भारम् | अयजः | महः | वसो इति // ऋ. वे. १,३१.३ //
त्वम् | अग्ने | मनवे | द्याम् | अवाशयः | पुरूरवसे | सु-कृते | सुकृत्-तरः | श्वात्रेण | यत् | पित्रोः | मुच्यसे | परि | आ | त्वा | पूर्वम् | अनयन् | आ | अपरम् | पुनरिति // ऋ. वे. १,३१.४ //
त्वम् | अग्ने | वृषभः | पुष्टि-वर्धनः | उद्यत-स्रुचे | भवसि | श्रवाय्यः | यः | आहुतिम् | परि | वेद | वषट्-कृतिम् | एक-आयुः | अग्ने | विशः | आविवाससि // ऋ. वे. १,३१.५ //
//३२//.
-ऋ. वे. १:२/३३-
त्वम् | अग्ने | वृजिन-वर्तनिम् | नरम् | सक्मन् | पिपर्षि | विदथे | वि-चर्षणे | यः | शूर-साता | परि-तक्म्ये | धने | दभ्रेभिः | चित् | सम्-ऋता | हंसि | भूयसः // ऋ. वे. १,३१.६ //
त्वम् | तम् | अग्ने | अमृत-त्वे | उत्-तमे | मर्तम् | दधासि | श्रवसे | दिवे--दिवे | यः | ततृषाणः | उभयाय | जन्मने | मयः | कृणोषि | प्रयः | आ | च | सूरये // ऋ. वे. १,३१.७ //
त्वम् | नः | अग्ने | सनये | धनानाम् | यशसम् | कारुम् | कृणुहि | स्तवानः | ऋध्याम | कर्म | अपसा | नवेन | देवैः | द्यावापृथिवी इति | प्र | अवतम् | नः // ऋ. वे. १,३१.८ //
त्वम् | नः | अग्ने | पित्रोः | उप-स्थे | आ | देवः | देवेषु | अनवद्य | जागृविः | तनू-कृत् | बोधि | प्र-मतिः | च | कारवे | त्वम् | कल्याण | वसु | विश्वम् | आ | ऊपिषे // ऋ. वे. १,३१.९ //
त्वम् | अग्ने | प्र-मतिः | त्वम् | पिता | असि | नः | त्वम् | वयः-कृत् | तवजामयः | वयम् | सम् | त्वा | रायः | शतिनः | सम् | सहस्रिणः | सुवीरम् | यन्ति | व्रत-पाम् | अदाभ्य // ऋ. वे. १,३१.१० //
//३३//.
-ऋ. वे. १:२/३४-
त्वाम् | अग्ने | प्रथमम् | आयुम् | आयवे | देवाः | अकृण्वन् | नहुषस्य | विश्पतिम् | इऌआम् | अकृण्वन् | मनुषस्य | शासनीम् | पितुः | यत् | पुत्रः | ममकस्य | जायते // ऋ. वे. १,३१.११ //
त्वम् | नः | अग्ने | तव | देव | पायु-भिः | मघोनः | रक्ष | तन्वः | च | वन्द्य | त्राता | तोकस्य | तनये | गवाम् | असि | अनि-मेषम् | रक्षमाणः | तव | व्रते // ऋ. वे. १,३१.१२ //
त्वम् | अग्ने | यज्यवे | पायुः | अन्तरः | अनिषङ्गाय | चतुः-अक्षः | इध्यसे | यः | रात-हव्यः | अवृकाय | धायसे | कीरेः | चित् | मन्त्रम् | मनसा | वनोषि | तम् // ऋ. वे. १,३१.१३ //
त्वम् | अग्ने | उरु-शंसाय | वाघते | स्पार्हम् | यत् | रेक्णः | परमम् | वनोषि | तत् | आध्रस्य | चित् | प्र-मतिः | उच्यसे | पिता | प्र | पाकम् | शास्सि | प्र | दिशः | विदुः-टरः // ऋ. वे. १,३१.१४ //
त्वम् | अग्ने | प्रयत-दक्षिणम् | नरम् | वर्म-इव | स्यूतम् | परि | पासि | विश्वतः | स्वादु-क्षद्मा | यः | वसतौ | स्योन-कृत् | जीव-याजम् | यजते | सः | उप-मा | दिवः // ऋ. वे. १,३१.१५ //
//३४//.
-ऋ. वे. १:२/३५-
इमाम् | अग्ने | शरणिम् | मीमृषः | नः | इमम् | अध्वानम् | यम् | अगाम | दूरात् | आपिः | पिता | प्र-मतिः | सोम्यानाम् | भृमिः | असि | ऋषि-कृत् | मर्त्यानाम् // ऋ. वे. १,३१.१६ //
मनुष्वत् | अग्ने | अङ्गिरस्वत् | अङ्गिरः | ययाति-वत् | सदने | पूर्व-वत् | शुचे | अच्छ | याहि | आ | वह | दैव्यम् | जनम् | आ | सादय | बर्हिषि | यक्षि | च | प्रियम् // ऋ. वे. १,३१.१७ //
एतेन | अग्ने | ब्रह्मणा | ववृधस्व | शक्ती | वा | यत् | ते | चकृम | विदा | वा | उत | प्र | नेषि | अभि | वस्यः | अस्मान् | सम् | नः | सृज | सु-मत्या | वाज-वत्या // ऋ. वे. १,३१.१८ //
//३५//.
-ऋ. वे. १:२/३६-
(ऋ. वे. १,३२)
इन्द्रस्य | नु | वीर्याणि | प्र | वोचम् | यानि | चकार | प्रथमानि | वज्री | अहन् | अहिम् | अनु | अपः | ततर्द | प्र | वक्षणाआः | अभिनत् | पर्वतानाम् // ऋ. वे. १,३२.१ //
अहन् | अहिम् | पर्वते | शिश्रियाणम् | त्वष्टा | अस्मै | वज्रम् | स्वर्यम् | ततक्ष | वाश्राः-इव | धेनवः | स्यन्दमानाः | अञ्जः | समुद्रम् | अव | जग्मुः | आपः // ऋ. वे. १,३२.२ //
वृष-यमाणः | अवृणीत | सोमम् | त्रि-कद्रुकेषु | अपिबत् | सुतस्य | आ | सायकम् | मघवा | अदत्त | वज्रम् | अहन् | एनम् | प्रथम-जाम् | अहीनाम् // ऋ. वे. १,३२.३ //
यत् | इन्द्र | अहन् | प्रथम-जाम् | अहीनाम् | आत् | मायिनाम् | अमिनाः | प्र | उत | मायाः | आत् | सूर्यम् | जनयन् | द्याम् | उषासम् | तादीत्ना | शत्रुम् | न | किला | विवित्से // ऋ. वे. १,३२.४ //
अहन् | वृत्रम् | वृत्र-तरम् | वि-अंसम् | इन्द्रः | वज्रेण | महता | वधेन | स्कन्धांसि-इव | कुलिशेन | वि-वृक्णा | अहिः | शयते | उप-पृक् | पृथिव्याः // ऋ. वे. १,३२.५ //
//३६//.
-ऋ. वे. १:२/३७-
अयोद्धाइव | दुः-मदः | आ | हि | जुह्वे | महावीरम् | तुवि-बाधम् | ऋजीषम् | न | तारीत् | अस्य | सम्-ऋतिम् | वधानाम् | सम् | रुजानाः | पिपिषे | इन्द्र-शत्रुः // ऋ. वे. १,३२.६ //
अपात् | अहस्तः | अपृतन्यत् | इन्द्रम् | आ | अस्य | वज्रम् | अधि | सानौ | जघान | वृष्णः | वध्रिः | प्रति-मानम् | बुभूषन् | पुरु-त्रा | वृत्रः | अशयत् | वि-अस्तः // ऋ. वे. १,३२.७ //
नदम् | न | भिन्नम् | अमुया | शयानम् | मनः | रुहाणाः | अति | यन्ति | आपः | याः | चित् | वृत्रः | महिना | परि-अतिष्ठत् | तासाम् | अहिः | पत्सुतःशीः | बभूव // ऋ. वे. १,३२.८ //
नीचावयाः | अभवत् | वृत्र-पुत्रा | इन्द्रः | अस्याः | अव | वधः | जभार | उत्-तरा | सूः | अधरः | पुत्रः | आसीत् | दानुः | शये | सह-वत्सा | न | धेनुः // ऋ. वे. १,३२.९ //
अतिष्ठन्तीनाम् | अनि-वेशनानान् | काष्ठानाम् | मध्ये | नि-हितम् | शरीरम् | वृत्रस्य | निण्यम् | वि | चरन्ति | आपः | दीर्घम् | तमः | आ | अशयत् | इन्द्र-शत्रुः // ऋ. वे. १,३२.१० //
//३७//.
-ऋ. वे. १:२/३८-
दास-पत्नीः | अहि-गोपाः | अतिष्ठन् | नि-रुद्धाः | आपः | पणिनाइव | गावः | अपाम् | बिलम् | अपि-हितम् | यत् | आसीत् | वृत्रम् | जघन्वान् | अप | तत् | ववार // ऋ. वे. १,३२.११ //
अश्व्यः | वारः | अभवः | तत् | इन्द्र | सृके | यत् | त्वा | प्रति-अहन् | देवः | एकः | अजयः | गाः | अजयः | शूर | सोमम् | अव | असृजः | सर्तवे | सप्त | सिन्धून् // ऋ. वे. १,३२.१२ //
न | अस्मै | विद्युत् | न | तन्यतुः | सिसेध | न | याम् | मिहम् | अकिरत् | ह्रादुनिम् | च | इन्द्रः | च | यत् | युयुधातेइति | अहिः | च | उत | अपरीभ्यः | मघ-वा | वि | जिग्ये // ऋ. वे. १,३२.१३ //
अहेः | यातारम् | कम् | अपश्यः | इन्द्र | हृदि | यत् | ते | जघ्नुषः | भीः | अगच्छत् | नव | च | यम् | नवतिम् | च | स्रवन्तीः | श्येनः | न | भीतः | अतरः | रजांसि // ऋ. वे. १,३२.१४ //
इन्द्रः | यातः | अव-सितस्य | राजा | शमस्य | च | शृङ्गिणः | वज्र-बाहुः | सः | इत् | ॐ इति | राजा | क्षयति | चर्षणीनाम् | अरान् | न | नेमिः | परि | ता | बभूव // ऋ. वे. १,३२.१५ //
//३८//.
-ऋ. वे. १:३/१-
(ऋ. वे. १,३३)
आ | इत | अयाम | उप | गव्यन्तः | इन्द्रम् | अस्माकम् | सु | प्र-मतिम् | ववृधाति | अनामृणः | कुवित् | आत् | अस्य | रायः | गवाम् | केतम् | परम् | आवर्जते | नः // ऋ. वे. १,३३.१ //
उप | इत् | अहम् | धन-दाम् | अप्रति-इतम् | जुष्टाम् | न | श्येनः | वसतिम् | पतामि | इन्द्रम् | नमस्यन् | उप-मेभिः | अर्कैः | यः | स्तोतृ-भ्यः | हव्यः | अस्ति | यामन् // ऋ. वे. १,३३.२ //
नि | सर्व-सेनः | इषु-धीन् | असक्त | सम् | अर्यः | गाः | अजति | यस्य | वष्टि | चोष्कूयमाणः | इन्द्र | भूरि | वामम् | मा | पणिः | भूः | अस्मत् | अधि | प्र-वृद्ध // ऋ. वे. १,३३.३ //
वधीः | हि | दस्युम् | धनिनम् | घनेन | एकः | चरन् | उप-शाकेभिः | इन्द्र | धनोः | अधि | विषुणक् | ते | वि | आयन् | अयज्वानः | सनकाः | प्र-इतिम् | ईयुः // ऋ. वे. १,३३.४ //
परा | चित् | शीर्षा | ववृजुः | ते | इन्द्र | अयज्वानः | यज्व-भिः | स्पर्धमानाः | प्र | यत् | दिवः | हरि-वः | स्थातः | उग्र | निः | अव्रतान् | अधमः | रोदस्योः // ऋ. वे. १,३३.५ //
//१//.
-ऋ. वे. १:३/२-
अयुयुत्सन् | अनवद्यस्य | सेनाम् | अयातयन्त | क्षितयः | नव-ग्वाः | वृष-युधः | न | वध्रयः | निः-अष्टाः | प्र-वत्-भिः | इन्द्रात् | चितयन्तः | आयन् // ऋ. वे. १,३३.६ //
त्वम् | एतान् | रुदतः | जक्षतः | च | अयोधयः | रजसः | इन्द्र | पारे | अव | अदहः | दिवः | आ | दस्युम् | उच्चा | प्र | सुन्वतः | स्तुवतः | शंसम् | आवः // ऋ. वे. १,३३.७ //
चकाणासः | परि-नहम् | पृथिव्याः | हिरण्येन | मणिना | शुम्भमानाः | न | हिन्वानासः | तितिरुः | ते | इन्द्रम् | परि | स्पशः | अदधात् | सूर्येण // ऋ. वे. १,३३.८ //
परि | यत् | इन्द्र | रोदसी इति | उभे इति | अबुभोजीः | महिना | विश्वतः | सीम् | अमन्यमानान् | अभि | मन्यमानैः | निः | ब्रह्म-भिः | अधमः | दस्युम् | इन्द्र // ऋ. वे. १,३३.९ //
न | ये | दिवः | पृथिव्याः | अन्तम् | आपुः | न | मायाभिः | धन-दाम् | परि-अभूवन् | युजम् | वज्रम् | वृषभः | चक्रे | इन्द्रः | निः | ज्योतिषा | तमसः | गाः | अधुक्षत् // ऋ. वे. १,३३.१० //
//२//.
-ऋ. वे. १:३/३-
अनु | स्वधाम् | अक्षरन् | आपः | अस्य | अवर्धत | मध्ये | आ | नाव्यानाम् | सध्रीचीनेन | मनसा | तम् | इन्द्रः | ओजिष्ठेन | हन्मना | अहन् | अभि | द्यून् // ऋ. वे. १,३३.११ //
नि | अविध्यत् | इलीबिशस्य | दृऌहा | वि | शृङ्गिणम् | अभिनत् | शुष्णम् | इन्द्रः | यावत् | तरः | मघ-वन् | यावत् | ओजः | वज्रेण | शत्रुम् | अवधीः | पृतन्युम् // ऋ. वे. १,३३.१२ //
अभि | सिध्मः | अजिगात् | अस्य | शत्रून् | वि | तिग्मेन | वृषभेण | पुरः | अभेत् | सम् | वज्रेण | असृजत् | वृत्रम् | इन्द्रः | प्र | स्वाम् | मतिम् | अतिरत् | शाशदानः // ऋ. वे. १,३३.१३ //
आवः | कुत्सम् | इन्द्र | यस्मिन् | चाकन् | प्र | आवः | युध्यन्तम् | वृषभम् | दश-द्युम् | शफ-च्युतः | रेणुः | नक्षत | द्याम् | उत् | श्वैत्रेयः | नृ-सह्याय | तस्थौ // ऋ. वे. १,३३.१४ //
आवः | शमम् | वृषभम् | तुग्र्यासु | क्षेत्र-जेषे | मघ-वन् | श्वित्र्यम् | गाम् | ज्योक् | चित् | अत्र | तस्थि-वांसः | अक्रन् | शत्रु-यताम् | अधरा | वेदना | अकर् इत्य् अकः // ऋ. वे. १,३३.१५ //
//३//
-ऋ. वे. १:३/४-
(ऋ. वे. १,३४)
त्रिः | चित् | नः | अद्य | भवतम् | नवेदसा | वि-भुः | वाम् | यामः | उत | रातिः | अश्विना | युवोः | हि | यन्त्रम् | हिम्याइव | वाससः | अभि-आयंसेन्या | भवतम् | मनीषि-भिः // ऋ. वे. १,३४.१ //
त्रयः | पवयः | मधु-वाहेन | रथे | सोमस्य | वेनाम् | अनु | विश्वे | इत् | विदुः | त्रयः | स्कम्भासः | स्कमितासः | आरभे | त्रिः | नक्तम् | याथः | त्रिः | ॐ इति | अश्विना | दिवा // ऋ. वे. १,३४.२ //
समाने | अहन् | त्रिः | अवद्य-गोहना | त्रिः | अद्य | यज्ञम् | मधुना | मिमिक्षतम् | त्रिः | वाजवतीः | इषः | अश्विना | युवम् | दोषा | अस्मभ्यम् | उषसः | च | पिन्वतम् // ऋ. वे. १,३४.३ //
त्रिः | वर्तिः | यातम् | त्रिः | अनु-व्रते | जने | त्रिः | सुप्र-अव्ये | त्रेधाइव | शिक्षतम् | त्रिः | नान्द्यम् | वहतम् | अश्विना | युवम् | त्रिः | पृक्षः | अस्मे इति | अक्षराइव | पिन्वतम् // ऋ. वे. १,३४.४ //
त्रिः | नः | रयिम् | वहतम् | अश्विना | युवम् | त्रिः | देवताता | त्रिः | उत | अवतम् | धियः | त्रिः | सौभग-त्वम् | त्रिः | उत | श्रवांसि | नः | त्रिः-स्थम् | वाम् | सूरे | दुहिता | रुहत् | रथम् // ऋ. वे. १,३४.५ //
त्रिः | नः | अश्विना | दिव्यानि | भेषजा | त्रिः | पार्थिवान् | त्रिः | ॐ इति | दत्तम् | अत्-भ्यः | ओमानम् | शम्-योः | ममकाय | सूनवे | त्रि-धातु | शमर् | वहतम् | शुभः | पती
इति // ऋ. वे. १,३४.६ //
//४//.
-ऋ. वे. १:३/५-
त्रिः | नः | अस्विना | यजता | दिवे--दिवे | परि | त्रि-धातु | पृथिवीम् | अशायतम् | तिस्रः | नासत्या | रथ्या | परावतः | आत्माइव | वातः | स्वसराणि | गच्छतम् // ऋ. वे. १,३४.७ //
त्रिः | आश्विना | सिन्धु-भिः | सप्तमातृ-भिः | त्रयः | आहावाः | त्रेधा | हविः | कृतम् | तिस्रः | पृथिवीः | उपरि | प्रवा | दिवः | नाकम् | रक्षेथेइति | द्यु-भिः | अक्तु-भिः | हितम् // ऋ. वे. १,३४.८ //
क्व | त्री | चक्रा | त्रि-वृतः | रथस्य | क्व | त्रयः | वन्धुरः | ये | स-नीऌआः | कदा | योगः | वाजिनः | रासभस्य | येन | यज्ञम् | नासत्या | उप-याथः // ऋ. वे. १,३४.९ //
आ | नासत्या | गच्छतम् | हूयते | हविः | मध्वः | पिबतम् | मधु-पेभिः | आस-भिः | युवोः | हि | पूर्वम् | सविता | उषसः | रथम् | ऋताय | चित्रम् | घृत-वन्तम् | इष्यति // ऋ. वे. १,३४.१० //
आ | नासत्या | त्रिभिः | एकादशैः | इह | देवेभिः | यातम् | मधु-पेयम् | अश्विना | प्र | आयुः | तारिष्टम् | निः | रपांसि | मृक्षतम् | सेधतम् | द्वेषः | भवतम् | सचाभुवा // ऋ. वे. १,३४.११ //
आ | नः | अश्विना | त्रि-वृता | रथेन | अर्वाञ्चम् | रयिम् | वहतम् | सु-वीरम् | शृण्वन्ता | वाम् | अवसे | जोहवीमि | वृधे | च | नः | भवतम् | वाज-सातौ // ऋ. वे. १,३४.१२ //
//५//.
-ऋ. वे. १:३/६-
(ऋ. वे. १,३५)
ह्वयामि | अग्निम् | प्रथमम् | स्वस्तये | ह्वयामि | मित्रावरुणौ | इह | अवसे | ह्वयामि | रात्रीम् | जगतः | निवेशनीम् | ह्वयामि | देवम् | सवितारम् | ऊतये // ऋ. वे. १,३५.१ //
आ | कृष्णेन | रजसा | वर्तमानः | नि-वेशयन् | अमृतम् | मर्त्यम् | च | हिरण्ययेन | सविता रथेन | आ | देवः | याति | भुवनानि | पश्यन् // ऋ. वे. १,३५.२ //
याति | देवः | प्र-वता | याति | उत्-वता | याति | शुभ्राभ्याम् | यजतः | हरि-भ्याम् | आ | देवः | याति | सविता | परावतः | अप | विश्वा | दुः-इता | बाधमानः // ऋ. वे. १,३५.३ //
अभि-वृतम् | कृशनैः | विश्व-रूपम् | हिरण्य-शम्यम् | यजतः | बृहन्तम् | आ | अस्थात् | रथम् | सविता | चित्र-भानुः | कृष्णा | रजांसि | तविषीम् | दधानः // ऋ. वे. १,३५.४ //
वि | जनान् | श्यावाः | शिति-पादः | अख्यन् | रथम् | हिरण्य-प्र-उगम् | वहन्तः | शश्वत् | विशः | सवितुः | दैव्यस्य | उप-स्थे | विश्वा | भुवनानि | तस्थुः // ऋ. वे. १,३५.५ //
तिस्रः | द्यावः | सवितुः | द्वौ | उप-स्था | एका | यमस्य | भुवने | विराषाट् | आणिम् | न | रथ्यम् | अमृता | अधि | तस्थुः | इह | ब्रवीतु | यः | ॐ इति | तत् | चिकेतत् // ऋ. वे. १,३५.६ //
//६//.
-ऋ. वे. १:३/७-
वि | सु-पर्णः | अन्तरिक्षाणि | अख्यत् | गभीर-वेपाः | असुरः | सु-नीथः | क्व | इदानीम् | सूर्यः | कः | चिकेत | कतमाम् | द्याम् | रश्मिः | अस्य | आ | ततान // ऋ. वे. १,३५.७ //
अष्टौ | वि | अख्यत् | ककुभः | पृथिव्याः | त्री | धन्व | योजना | सप्त | सिन्धून् | हिरण्य-अक्षः | सविता | देवः | आ | अगात् | दधत् | रत्ना | दाशुषे | वार्याणि // ऋ. वे. १,३५.८ //
हिरण्य-पाणिः | सविता | वि-चर्षणिः | उभे इति | द्यावापृथिवी इति | अन्तः | ईयते | अप | अमीवाम् | बाधते | वेति | सूर्यम् | अभि | कृष्णेन | रजसा | द्याम् | ऋणोति // ऋ. वे. १,३५.९ //
हिरण्य-हस्तः | असुरः | सु-नीथः | सु-मृऌईकः | स्व-वान् | यातु | अर्वाङ् | अप-सेधम् | रक्षसः | यातु-धानान् | अस्थात् | देवः | प्रति-दोषम् | गृणानः // ऋ. वे. १,३५.१० //
ये | ते | पन्थाः | सवितरिति | पूर्व्यासः | अरेणवः | सु-कृताः | अन्तरिक्षे | तेभिः | नः | अद्य | पथि-भिः | सु-गेभिः | रक्ष | च | नः | अधि | च | ब्रूहि | देव // ऋ. वे. १,३५.११ //
//७//.
-ऋ. वे. १:३/८-
(ऋ. वे. १,३६)
प्र | वः | यह्वम् | पुरूणाम् | विशाम् | देव-यतीनाम् | अग्निम् | सु-उक्तेभिः | वचः-भिः | ईमहे | यम् | सीम् | इत् | अन्ये | ईऌअते // ऋ. वे. १,३६.१ //
जनासः | अग्निम् | दधिरे | सहः-वृधम् | हविष्मन्तः | विधेम | ते | सः | त्वम् | नः | अद्य | सु-मनाः | इह | अविता | भव | वाजेषु | सन्त्य // ऋ. वे. १,३६.२ //
प्र | त्वा | दूतम् | वृणीमहे | होतारम् | विश्व-वेदसम् | महः | ते | सतः | वि | चरन्ति | अर्चयः | दिवि | स्पृशन्ति | भानवः // ऋ. वे. १,३६.३ //
देवासः | त्वा | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | सम् | दूतम् | प्रत्नम् | इन्धते | विश्वम् | सः | अग्ने | जयति | त्वया | धनम् | यः | ते | ददाश | मर्त्यः // ऋ. वे. १,३६.४ //
मन्द्रः | होता | गृह-पतिः | अग्ने | दूतः | विशाम् | असि | त्वे इति | विश्वा | सम्-गतानि | व्रता | ध्रुवा | यानि | देवाः | अकृण्वत // ऋ. वे. १,३६.५ //
//८//.
-ऋ. वे. १:३/९-
त्वे | इत् | अग्ने | सुभगे | यविष्ठ्य | विश्वम् | आ | हूयते | हविः | सः | त्वम् | नः | अद्य | सु-मनाः | उत | अपरम् | यक्षि | देवान् | सु-वीर्या // ऋ. वे. १,३६.६ //
तम् | घ | ईम् | इत्था | नमस्विनः | उप | स्व-राजम् | आसते | होत्राभिः | अग्निम् | मनुषः | सम् | इन्धते | तितिर्वांसः | अति | स्रिधः // ऋ. वे. १,३६.७ //
घ्नन्तः | वृत्रम् | अतरन् | रोदसी इति | अपः | उरु | क्षयाय | चक्रिरे | भुवत् | कण्वे | वृषा | द्युम्नी | आहुतः | क्रन्दत् | अश्वः | गो--इष्टिषु // ऋ. वे. १,३६.८ //
सम् | सीदस्व | महान् | असि | शोचस्व | देव-वीतमः | वि | धूमम् | अग्ने | अरुषम् | मियेध्य | सृज | प्र-शस्त | दर्सतम् // ऋ. वे. १,३६.९ //
यम् | त्वा | देवासः | मनवे | दधुः | इह | यजिष्ठम् | हव्य-वाहन | यम् | कण्वः | मेध्य-अतिथिः | धन-स्पृतम् | यम् | वृषा | यम् | उप-स्तुतः // ऋ. वे. १,३६.१० //
//९//.
-ऋ. वे. १:३/१०-
यम् | अग्निम् | मेध्य-अतिथिः | कण्वः | ईघे | ऋतात् | अधि | तस्य | प्र | इषः | दीदियुः | तम् | इमाः | ऋचः | तम् | अग्निम् | वर्धयामसि // ऋ. वे. १,३६.११ //
रायः | पूर्धि | स्वधा-वः | अस्ति | हि | ते | अग्ने | देवेषु | आप्यम् | त्वम् | वाजस्य | श्रुत्यस्य | राजसि | सः | नः | मृऌह | महान् | असि // ऋ. वे. १,३६.१२ //
ऊर्ध्वः | ॐ इति | सु | नः | ऊतये | तिष्ठ | देवः | न | सविता | ऊर्ध्वः | वाजस्य | सनिता | यत् | अञ्जि-भिः | वाघत्-भिः | वि-ह्वयामहे // ऋ. वे. १,३६.१३ //
ऊर्ध्वः | नः | पाहि | अंहसः | नि | केतुना | विश्वम् | सम् | इत्रिणम् | दह | कृधि | नः | ऊर्ध्वान् | चरथाय | जीवसे | विदाः | देवेषु | नः | दुवः // ऋ. वे. १,३६.१४ //
पाहि | नः | अग्ने | रक्षसः | पाहि | धूर्तेः | अराव्णः | पाहि | रिषतः | उत | वा | जिघांसतः | बृहद्भानो इतिबृहत्-भानो | यविष्ठ्य // ऋ. वे. १,३६.१५ //
//१०//.
-ऋ. वे. १:३/११-
घनाइव | विष्वक् | वि | जहि | अराव्णः | तपुः-जम्भ | यः | अस्म-ध्रुक् | यः | मर्त्यः | शिशीते | अति | अक्तु-भिः | मा | नः | सः | रिपुः | ईशत // ऋ. वे. १,३६.१६ //
अग्निः | वव्ने | सु-वीर्यम् | अग्निः | कण्वाय | सौभगम् | अग्निः | प्र | आवत् | मित्रा | उत | मेध्य-अतिथिम् | अग्निः | सातौ | उप-स्तुतम् // ऋ. वे. १,३६.१७ //
अग्निना | तुर्वशम् | यदुम् | परावतः | उग्र-देवम् | हवामहे | अग्निः | नयत् | नव-वास्त्वम् | बृहत्-रथम् | तुर्वीतिम् | दस्यवे | सहः // ऋ. वे. १,३६.१८ //
नि | त्वाम् | अग्ने | मनुः | दधे | ज्योतिः | जनाय | शश्वते | दीदेथ | कण्वे | ऋत-जातः | उक्षितः | यम् | नमस्यन्ति | कृष्टयः // ऋ. वे. १,३६.१९ //
त्वेषासः | अग्नेः | अम-वन्तः | अर्चयः | भीमासः | न | प्रति-इतये | रक्षस्विनः | सदम् | इत् | यातु-मावतः | विश्वम् | सम् | अत्रिणम् | दह // ऋ. वे. १,३६.२० //
//११//.
-ऋ. वे. १:३/१२-
(ऋ. वे. १,३७)
क्रीऌअम् | वः | शर्धः | मारुतम् | अनर्वाणम् | रथे--शुभम् | कण्वाः | अभि | प्र | गायत // ऋ. वे. १,३७.१ //
ये | पृषतीभिः | ऋष्टि-भिः | साकम् | वाशीभिः | अञ्जि-भिः | अजायन्त | स्व-भानवः // ऋ. वे. १,३७.२ //
इह-इव | शृण्व | एषाम् | कशाः | हस्तेषु | यत् | वदान् | नि | यामन् | चित्रम् | ऋञ्जते // ऋ. वे. १,३७.३ //
प्र | वः | शर्धाय | घृष्वये | त्वेष-द्युम्नाय | शुष्मिणे | देवत्तम् | ब्रह्म | गायत // ऋ. वे. १,३७.४ //
प्र | शंस | गोषु | अघ्न्यम् | क्रीऌअम् | यत् | शर्धः | मारुतम् | जम्भे | रसस्य | ववृधे // ऋ. वे. १,३७.५ //
//१२//.
-ऋ. वे. १:३/१३-
कः | वः | वर्षिष्ठः | आ | नरः | दिवः | च | ग्मः | च | धूतयः | यत् | सीम् | अन्तम् | न | धूनुथ // ऋ. वे. १,३७.६ //
नि | वः | यामाय | मानुषः | दध्रे | उग्राय | मन्यवे | जिहीत | पर्वतः | गिरिः // ऋ. वे. १,३७.७ //
येषाम् | अज्मेषु | पृथिवी | जुजुर्वान्-इव | विश्पतिः | भिया | यामेषु | रेजते // ऋ. वे. १,३७.८ //
स्थिरम् | हि | जानम् | एषाम् | वयः | मातुः | निः-एतवे | यत् | सीम् | अनु | द्विता | शवः // ऋ. वे. १,३७.९ //
उत् | ॐ इति | त्ये | सूनवः | गिरः | काष्ठाः | अज्मेषु | अत्नत | वाश्राः | अभि-ज्ञु | यातवे // ऋ. वे. १,३७.१० //
//१३//.
-ऋ. वे. १:३/१४-
त्यम् | चित् | घ | दीर्घम् | पृथुम् | मिहः | नपातम् | अमृध्रम् | प्र | च्यवयन्ति | याम-भिः // ऋ. वे. १,३७.११ //
मरुतः | यत् | ह | वः | बलम् | जनान् | अचुच्यवीतन | गिरीन् | अचुच्यवीतन // ऋ. वे. १,३७.१२ //
यत् | ह | यान्ति | मरुतः | सम् | ह | ब्रुवते | अध्वन् | आ | शृणोति | कः | चित् | एषाम् // ऋ. वे. १,३७.१३ //
प्र | यात | शीभम् | आशुभिः | सन्ति | कण्वेषु | वः | दुवः | तत्रो इति | सु | मादयाध्वै // ऋ. वे. १,३७.१४ //
अस्ति | हि | स्म | मदाय | वः | स्मसि | स्म | वयम् | एषाम् | विश्वम् | चित् | आयुः | जीवसे // ऋ. वे. १,३७.१५ //
//१४//.
-ऋ. वे. १:३/१५-
(ऋ. वे. १,३८)
कत् | ह | नूनम् | कध-प्रियः | पिता | पुत्रम् | न | हस्तयोः | दधिध्वे | वृक्त-बर्हिषः // ऋ. वे. १,३८.१ //
क्व | नूनम् | कत् | वः | अर्थम् | गन्ता | दिवः | न | पृथिव्याः | क्व | वः | गावः | न | रण्यन्ति // ऋ. वे. १,३८.२ //
क्व | वः | सुम्ना | नव्यांसि | मरुतः | क्व | सुविता | क्व | विश्वानि | सौभगा // ऋ. वे. १,३८.३ //
यत् | यूयम् | पृश्नि-मातरः | मर्तासः | स्यातन | स्तोता | वः | अमृतः | स्यात् // ऋ. वे. १,३८.४ //
मा | वः | मृगः | न | यवसे | जरिता | भूत् | अजोष्यः | पथा | यमस्य | गात् | उप // ऋ. वे. १,३८.५ //
//१५//.
-ऋ. वे. १:३/१६-
मो इति | सु | णः | परापरा | निः-ऋतिः | दुः-हना | वधीत् | पदीष्ट | तृष्णया | सह // ऋ. वे. १,३८.६ //
सत्यम् | त्वेषाः | अम-वन्तः | धन्वम् | चित् | आ | रुद्रियासः | मिहम् | कृण्वन्ति | अवाताम् // ऋ. वे. १,३८.७ //
वाश्राइव | वि-द्युत् | मिमाति | वत्सम् | न | माता | सिषक्ति | यत् | एषाम् | वृष्टिः | असर्जि // ऋ. वे. १,३८.८ //
दिवा | चित् | तमः | कृण्वन्ति | पर्जन्येन | उद-वाहेन | यत् | पृथिवीम् | वि-उन्दन्ति // ऋ. वे. १,३८.९ //
अध | स्वनात् | मरुताम् | विश्वम् | आ | सद्म | पार्थिवम् | अरेजन्त | प्र | मानुषाः // ऋ. वे. १,३८.१० //
//१६//.
-ऋ. वे. १:३/१७-
मरुतः | वीऌउपाणि-भिः | चित्राः | रोधस्वतीः | अनु | यात | ईम् | अखिद्रयाम-भिः // ऋ. वे. १,३८.११ //
स्थिराः | वः | सन्तु | नेमयः | रथाः | अश्वासः | एषाम् | सु-संस्कृताः | अभीशवः // ऋ. वे. १,३८.१२ //
अच्छ | वद | तना | गिरा | जरायै | ब्रह्मणः | पतिम् | अग्निम् | मित्रम् | न | दर्शतम् // ऋ. वे. १,३८.१३ //
मिमीहि | श्लोकम् | आस्ये | पर्जन्यः-इव | ततनः | गाय | गायत्रम् | उक्थ्यम् // ऋ. वे. १,३८.१४ //
वन्दस्व | मारुतम् | गणम् | त्वेषम् | पनस्युम् | अर्किणम् | अस्मे इति | वृद्धाः | असन् | इह // ऋ. वे. १,३८.१५ //
//१७//.
-ऋ. वे. १:३/१८-
(ऋ. वे. १,३९)
प्र | यत् | इत्था | परावतः | शोचिः | न | मानम् | अस्यथ | कस्य | क्रत्वा | मरुतः | कस्य | वर्पसा | कम् | याथ | कम् | ह | धूतयः // ऋ. वे. १,३९.१ //
स्थिरा | वः | सन्तु | आयुधा | परानुदे | वीऌउ | उत | प्रति-स्कभे | युष्माकम् | अस्तु | तविषी | पनीयसी | मा | मर्त्यस्य | मायिनः // ऋ. वे. १,३९.२ //
परा | ह | यत् | स्थिरम् | हथ | नरः | वर्तयथ | गुरु | वि | याथन | वनिनः | पृथिव्याः | वि | आशाः | पर्वतानाम् // ऋ. वे. १,३९.३ //
नहि | वः | शत्रुः | विविदे | अधि | द्यवि | न | भूम्याम् | रिशादसः | युष्माकम् | अस्तु | तविषी | तना | युजा | रुद्रासः | नु | चित् | आधृषे // ऋ. वे. १,३९.४ //
प्र | वेपयन्ति | पर्वतान् | वि | विञ्चन्ति | वनस्पतीन् | प्रो इति | आरत | मरुतः | दुर्मदाः-इव | देवासः | सर्वया | विशा // ऋ. वे. १,३९.५ //
//१८//.
-ऋ. वे. १:३/१९-
उपो इति | रथेषु | पृषतीः | अयुग्ध्वम् | प्रष्टिः | वहति | रोहितः | आ | वः | यामाय | पृथिवी | चित् | अश्रोत् | अबीभयन्त | मानुषाः // ऋ. वे. १,३९.६ //
आ | वः | मक्षु | तनाय | कम् | रुद्राः | अवः | वृणीमहे | गन्त | नूनम् | नः | अवस् यथा | पुरा | इत्था | कण्वाय | बिभ्युषे // ऋ. वे. १,३९.७ //
युष्माइषितः | मरुतः | मर्त्य-इषितः | आ | यः | नः | अभ्वः | ईषते | वि | तम् | युयोत | शवसा | वि | ओजसा | वि | युष्माकाभिः | ऊति-भिः // ऋ. वे. १,३९.८ //
असामि | हि | प्र-यज्यवः | कण्वम् | दृ | प्र-चेतसः | असामि-भिः | मरुतः | आ | नः | ऊति-भिः | गन्त | वृष्टिम् | न | वि-द्युतः // ऋ. वे. १,३९.९ //
असामि | ओजः | बिभृथ | सु-दानवः | असामि | धूतयः | शवः | ऋषि-द्विषे | मरुतः | परि-मन्यवे | इषुम् | न | सृजत | द्विषम् // ऋ. वे. १,३९.१० //
//१९//.
-ऋ. वे. १:३/२०-
(ऋ. वे. १,४०)
उत् | तिष्ठ | ब्रह्मणः | पते | देव-यन्तः | त्वा | ईमहे | उप | प्र | यन्तु | मरुतः | सु-दानवः | इन्द्र | प्रासूः | भव | सचा // ऋ. वे. १,४०.१ //
त्वाम् | इत् | हि | सहसः | पुत्र | मर्त्यः | उप-ब्रूते | धने | हिते | सु-वीर्यम् | मरुतः | आ | सु-अश्व्यम् | दधीत | यः | वः | आचक्रे // ऋ. वे. १,४०.२ //
प्र | एतु | ब्रह्मणः | पतिः | प्र | देवी | एतु | सूनृता | अच्छ | वीरम् | नर्यम् | पङ्क्ति-राधसम् | देवाः | यज्ञम् | नयन्तु | नः // ऋ. वे. १,४०.३ //
यः | वाघते | ददाति | सूनरम् | वसु | सः | धत्ते | अक्षिति | श्रवः | तस्मै | इऌआम् | सु-वीराम् | आ | यजामहे | सु-प्रतूर्तिम् | अनेहसम् // ऋ. वे. १,४०.४ //
प्र | नूनम् | ब्रह्मणः | पतिः | मन्त्रम् | वदति | उक्थ्यम् | यस्मिन् | इन्द्रः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | देवाः | ओकांसि | चक्रिरे // ऋ. वे. १,४०.५ //
//२०//.
-ऋ. वे. १:३/२१-
तम् | इत् | वोचेम | विदथेषु | शम्भुवम् | मन्त्रम् | देवाः | अनेहसम् | इमाम् | च | वाचम् | प्रति-हर्यथ | नरः | विश्वा | इत् | वामा | वः | अश्नवत् // ऋ. वे. १,४०.६ //
कः | देव-यन्तम् | अश्नवत् | जनम् | कः | वृक्त-बर्हिषम् | प्र-प्र | दाश्वान् | पस्त्याभिः | अस्थित | अन्तः-वावत् | क्षयम् | दधे // ऋ. वे. १,४०.७ //
उप | क्षत्रम् | पृञ्चीत | हन्ति | राज-भिः | भये | चित् | सु-क्षितिम् | दधे | न | अस्य | वर्ता | न | तरुता | महाधने | न | अर्भे | अस्ति | वज्रिणः // ऋ. वे. १,४०.८ //
//२१//.
-ऋ. वे. १:३/२२-
(ऋ. वे. १,४१)
यम् | रक्षन्ति | प्र-चेतसः | वरुणः | मित्रः | अर्यमा | नु | चित् | सः | दभ्यते | जनः // ऋ. वे. १,४१.१ //
यम् | बाहुताइव | पिप्रति | पान्ति | मर्त्यम् | रिषः | अरिष्टः | सर्वः | एधते // ऋ. वे. १,४१.२ //
वि | दुः-गा | वि | द्विषः | पुरः | घ्नन्ति | राजानः | एषाम् | नयन्ति | दुः-इता | तिरः // ऋ. वे. १,४१.३ //
सु-गः | पन्था | अनृक्षरः | आदित्यासः | ऋतम् | यते | न | अत्र | अव-खादः | अस्ति | वः // ऋ. वे. १,४१.४ //
यम् | यज्ञम् | नयथ | नरः | आदित्याः | ऋजुना | पथा | प्र | वः | सः | धीतये | नशत् // ऋ. वे. १,४१.५ //
//२२//.
-ऋ. वे. १:३/२३-
सः | रत्नम् | मर्त्यः | वसु | विश्वम् | तोकम् | उत | त्मना | अच्छ | गच्छति | अस्तृतः // ऋ. वे. १,४१.६ //
कथा | राधाम | सखायः | स्तोमम् | मित्रस्य | अर्यम्णः | महि | प्सरः | वरुणस्य // ऋ. वे. १,४१.७ //
मा | वः | घ्नन्तम् | मा | शपन्तम् | प्रति | वोचे | देव-यन्तम् | सुम्नैः | इत् | वः | आ | विवासे // ऋ. वे. १,४१.८ //
चतुरः | चित् | ददमानात् | बिभीयात् | आ | नि-धातोः | न | दुः-उक्ताय | स्पृहयेत् // ऋ. वे. १,४१.९ //
//२३//.
-ऋ. वे. १:३/२४-
(ऋ. वे. १,४२)
सम् | पूषन् | अध्वनः | तिर | वि | अंहः | वि-मुचः | नपात् | सक्ष्व | देव | प्र | नः | पुरः // ऋ. वे. १,४२.१ //
यः | नः | पूषन् | अघः | वृकः | दुःशेव | आदिदेशति | अप | स्म | तम् | पथः | जहि // ऋ. वे. १,४२.२ //
अप | त्यम् | परि-पन्थिनम् | मुषीवाणम् | हुरः-चितम् | दूरम् | अधि | स्रुतेः | अज // ऋ. वे. १,४२.३ //
त्वम् | तस्य | द्वयाविनः | अघ-संसस्य | कस्य | चित् | पदा | अभि | तिष्ठ | तपुषिम् // ऋ. वे. १,४२.४ //
आ | तत् | ते | दस्र | मन्तु-मः | पूषन् | अवः | वृणीमहे | येन | पितॄन् | अचोदयः // ऋ. वे. १,४२.५ //
//२४//.
-ऋ. वे. १:३/२५-
अधः | नः | विश्व-सौभग | हिरण्यवाशीमत्-तम | धनानि | सु-सना | कृधि // ऋ. वे. १,४२.६ //
अति | नः | सश्चतः | नय | सु-गा | नः | सु-पथा | कृणु | पूषन् | इह | क्रतुम् | विदः // ऋ. वे. १,४२.७ //
अभि | सु-यवसम् | नय | न | नव-ज्वारः | अध्वने | पूषन् | इह | क्रतुम् | विदः // ऋ. वे. १,४२.८ //
शग्धि | पूर्धि | प्र | यंसि | च | शिशीहि | प्रासि | उदरम् | पूषन् | इह | क्रतुम् | विदः // ऋ. वे. १,४२.९ //
न | पूषणम् | मेथामसि | सूक्तैः | अभि | गृणीमसि | वसूनि | दस्मम् | ईमहे // ऋ. वे. १,४२.१० //
//२५//.
-ऋ. वे. १:३/२६-
(ऋ. वे. १,४३)
कत् | रुद्राय | प्र-चेतसे | मीऌहुः-तमाय | तव्यसे | वोचेम | शम्-तमम् | हृदे // ऋ. वे. १,४३.१ //
यथा | नः | अदितिः | करत् | पश्वे | नृ-भ्यः | यथा | गवे | यथा | तोकाय | रुद्रियम् // ऋ. वे. १,४३.२ //
यथा | नः | मित्रः | वरुणः | यथा | रुद्रः | चिकेतति | यथा | विश्वे | स-जोषसः // ऋ. वे. १,४३.३ //
गाथ-पतिम् | मेध-पतिम् | रुद्रम् | जलाष-भेषजम् | तत् | शम्-योः | सुम्नम् | ईमहे // ऋ. वे. १,४३.४ //
यः | शुक्रः-इव | सूर्यः | हिरण्यम्-इव | रोचते | श्रेष्ठः | देवानाम् | वसुः // ऋ. वे. १,४३.५ //
//२६//.
-ऋ. वे. १:३/२७-
शन् | नः | करति | अर्वते | सु-गम् | मेषाय | मेष्ये | नृ-भ्यः | नारि-भ्यः | गवे // ऋ. वे. १,४३.६ //
अस्मे इति | सोम | श्रियम् | अधि | नि | धेहि | शतस्य | नृणाम् | महि | श्रवः | तुवि-नृम्णम् // ऋ. वे. १,४३.७ //
मा | नः | सोम-परिबाधः | मा | अरातयः | जुहुरन्त | आ | नः | इन्दो इति | वाजे | भज // ऋ. वे. १,४३.८ //
याः | ते | प्र-जाः | अमृतस्य | परस्मिन् | धामन् | ऋतस्य | मूर्धा | नाभा | सोम | वेनः | आभूषन्तीः | सोम | वेदः // ऋ. वे. १,४३.९ //
//२७//.
-ऋ. वे. १:३/२८-
(ऋ. वे. १,४४)
अग्ने | विवस्वत् | उषसः | चित्रम् | राधः | अमर्त्य | आ | दाशुषे | जात-वेदः | वह | त्वम् | अद्य | देवाम् | उषः-बुधः // ऋ. वे. १,४४.१ //
जुष्टः | हि | दूतः | असि | हव्य-वाहनः | अग्ने | रथीः | अध्वराणाम् | स-जूः | अश्वि-भ्याम् | उषसा | सु-वीर्यम् | अस्मे इति | धेहि | श्रवः | बृहत् // ऋ. वे. १,४४.२ //
अद्य | दूतम् | वृणीमहे | वसुम् | अग्निम् | पुरु-प्रियम् | धूम-केतुम् | भाः-ऋजीकम् | वि-उष्टिषु | यज्ञानाम् | अध्वर-श्रियम् // ऋ. वे. १,४४.३ //
श्रेष्ठम् | यविष्ठम् | अतिथिम् | सु-आहुतम् | जुष्टम् | जनाय | दाशुषे | देवान् | अच्छ | यातवे | जात-वेदसम् | अग्निम् | ईऌए | वि-उष्टिषु // ऋ. वे. १,४४.४ //
स्तविष्यामि | त्वाम् | अहम् | विश्वस्य | अमृत | भोजन | अग्ने | त्रातारम् | अमृतम् | मियेध्य | यजिष्ठम् | हव्य-वाहन // ऋ. वे. १,४४.५ //
//२८//.
-ऋ. वे. १:३/२९-
सुशंसः | बोधि | गृणते | यविष्ठ्य | मधु-जिह्वः | सु-आहुतः | प्रस्कण्वस्य | प्र-तिरन् | आयुः | जीवसे | नमस्य | दैव्यम् | जनम् // ऋ. वे. १,४४.६ //
होतारम् | विश्व-वेदसम् | सम् | हि | त्वा | विशः | इन्धते | सः | आ | वह | पुरु-हूत | प्र-चेतसः | अग्ने | देवान् | इह | द्रवत् // ऋ. वे. १,४४.७ //
सवितारम् | उषसम् | अश्विना | भगम् | अग्निम् | वि-उष्टिषु | क्षपः | कण्वासः | त्वा | सुत-सोमासः | इन्धते | हव्य-वाहम् | सु-अध्वर // ऋ. वे. १,४४.८ //
पतिः | हि | अध्वराणाम् | अग्ने | दूतः | विशाम् | असि | उषः-बुधः | आ | वह | सोम-पीतये | देवान् | अद्य | स्वः-दृशः // ऋ. वे. १,४४.९ //
अग्ने | पूर्वाः | अनु | उषसः | विभावसो इतिविभावसो | दीदेथ | विश्व-दर्शतः | असि | ग्रामेषु | अविता | पुरः-हितः | असि | यज्ञेषु | मानुषः // ऋ. वे. १,४४.१० //
//२९//.
-ऋ. वे. १:३/३०-
नि | त्वा | यज्ञस्य | साधनम् | अग्ने | होतारम् | ऋत्विजम् | मनुष्वत् | देव | धीमहि | प्र-चेतसम् | जीरम् | दूतम् | अमर्त्यम् // ऋ. वे. १,४४.११ //
यत् | देवानाम् | मित्र-महः | पुरः-हितः | अन्तरः | यासि | दूत्यम् | सिन्धोः-इव | प्र-स्वनितासः | ऊर्मयः | अग्नेः | भ्राजन्ते | अर्चयः // ऋ. वे. १,४४.१२ //
श्रुधि | श्रुत्-कर्ण | वह्नि-भिः | देवैः | अग्ने | सयाव-भिः | आ | सीदन्तु | बर्हिषि | मित्रः | अर्यमा | प्रातः-यावानः | अध्वरम् // ऋ. वे. १,४४.१३ //
शृण्वन्तु | सोमम् | मरुतः | सु-दानवः | अग्नि-जिह्वाः | ऋत-वृधः | पिबतु | सोमम् | वरुणः | धृत-व्रतः | अश्वि-भ्याम् | उषसा | स-जूः // ऋ. वे. १,४४.१४ //
//३०//.
-ऋ. वे. १:३/३१-
(ऋ. वे. १,४५)
त्वम् | अग्ने | वसून् | इह | रुद्रान् | आदित्यान् | उत | यज | सु-अध्वरम् | जनम् | मनु-जातम् | घृत-प्रुषम् // ऋ. वे. १,४५.१ //
श्रुष्टी-वानः | हि | दाशुषे | देवाः | अग्ने | विचेतसः | तान् | रोहित्-अश्व | गिर्वणः | त्रयः-त्रिंशतम् | आ | वह // ऋ. वे. १,४५.२ //
प्रियमेध-वत् | अत्रि-वत् | जात-वेदः | विरूप-वत् | अङ्गिरस्वत् | महि-व्रत | प्रस्कण्वस्य | श्रुधि | हवम् // ऋ. वे. १,४५.३ //
महि-केरवः | ऊतये | प्रिय-मेधाः | अहूषत | राजन्तम् | अध्वराणाम् | अग्निम् | शुक्रेण | शोचिषा // ऋ. वे. १,४५.४ //
घृत-आहवन | सन्त्य | इमाः | ॐ इति | सु | श्रुधि | गिरः | याभिः | कण्वस्य | सूनवः | हवन्ते | अवसे | त्वा // ऋ. वे. १,४५.५ //
//३१//.
-ऋ. वे. १:३/३२-
त्वाम् | चित्रश्रवः-तम | हवन्ते | विक्षु | जन्तवः | शोचिः-केशम् | पुरु-प्रिय | अग्ने | हव्याय | वोऌहवे // ऋ. वे. १,४५.६ //
नि | त्वा | होतारम् | ऋत्विजम् | दधिरे | वसुवित्-तमम् | श्रुत्-कर्णम् | सप्रथः-तमम् | विप्राः | अग्ने | दिविष्टिषु // ऋ. वे. १,४५.७ //
आ | त्वा | विप्राः | अचुच्यवुः | सुत-सोमाः | अभि | प्रयः | बृहत् | भाः | बिभ्रतः | हविः | अग्ने | मर्ताय | दाशुषे // ऋ. वे. १,४५.८ //
प्रातः-याव्नः | सहः-कृत | सोम-पेयाय | सन्त्य | इह | अद्य | दैव्यम् | जनम् | बर्हिः | आ | सादय | वसो इति // ऋ. वे. १,४५.९ //
अर्वाञ्चम् | दैव्यम् | जनम् | अग्ने | यक्ष्व | सहूति-भिः | अयम् | सोमः | सु-दानवः | तम् | पात | तिरः-अह्न्यम् // ऋ. वे. १,४५.१० //
//३२//.
-ऋ. वे. १:३/३३-
(ऋ. वे. १,४६)
एषो इति | उषाः | अपूर्व्या | वि | उच्छति | प्रिया | दिवः | स्तुषे | वाम् | अश्विना | बृहत् // ऋ. वे. १,४६.१ //
या | दस्रा | सिन्धु-मातरा | मनोतरा | रयीणाम् | धिया | देवा | वसु-विदा // ऋ. वे. १,४६.२ //
वच्यन्ते | वाम् | ककुहासः | जूर्णायाम् | अधि | विष्टपि | यत् | वाम् | रथः | वि-भिः | पतात् // ऋ. वे. १,४६.३ //
हविषा | जारः | अपाम् | पिपर्ति | पपुरिः | नरा | पिता | कुटस्य | चर्षणिः // ऋ. वे. १,४६.४ //
आदारः | वाम् | मतीनाम् | नासत्या | मत-वचसा | पातम् | सोमस्य | धृष्णु-या // ऋ. वे. १,४६.५ //
//३३//.
-ऋ. वे. १:३/३४-
या | नः | पीपरत् | अश्विना | ज्योतिष्मती | तमः | तिरः | ताम् | अस्मे इति | रासाथाम् | इषम् // ऋ. वे. १,४६.६ //
आ | नः | नावा | मतीनाम् | यातम् | पाराय | गन्तवे | युञ्जाथाम् | अश्विना | रथम् // ऋ. वे. १,४६.७ //
अरित्रम् | वाम् | दिवः | पृथु | तीर्थे | सिन्धूनाम् | रथः | धिया | युयुज्रे | इन्दवः // ऋ. वे. १,४६.८ //
दिवः | कण्वासः | इन्दवः | वसु | सिन्धूनाम् | पदे | स्वम् | वव्रिम् | कुह | धित्सथः // ऋ. वे. १,४६.९ //
अभूत् | ॐ इति | भाः | ॐ इति | अंशवे | हिरण्यम् | प्रति | सूर्यः | वि | अख्यत् | जिह्वया | असितः // ऋ. वे. १,४६.१० //
//३४//.
-ऋ. वे. १:३/३५-
अभूत् | ॐ इति | पारम् | एतवे | पन्था | ऋतस्य | साधु-या | अदर्शि | वि | स्रुतिः | दिवः // ऋ. वे. १,४६.११ //
तत्-तत् | इत् | अश्विनोः | अवः | जरिता | प्रति | भूषति | मदे | सोमस्य | पिप्रतोः // ऋ. वे. १,४६.१२ //
वावसाना | विवस्वति | सोमस्य | पीत्या | गिरा | मनुष्वत् | शम्भूइतिशम्-भू | आ | गतम् // ऋ. वे. १,४६.१३ //
युवोः | उषाः | अनु | श्रियम् | परि-ज्मनोः | उप-आचरत् | ऋता | वनथः | अक्तु-भिः // ऋ. वे. १,४६.१४ //
उभा | पिबतम् | अश्विना | उभा | नः | शर्म | यच्छतम् | अविद्रियाभिः | ऊतिभिः // ऋ. वे. १,४६.१५ //
//३५//.
-ऋ. वे. १:४/१-
(ऋ. वे. १,४७)
अयम् | वाम् | मधुमत्-तमः | सुतः | सोमः | ऋत-वृधा | तम् | अश्विना | पिबतम् | तिरः-अह्न्यम् | धत्तम् | रत्नानि | दाशुषे // ऋ. वे. १,४७.१ //
त्रि-वन्धुरेण | त्रि-वृता | सु-पेशसा | रथेन | आ | यातम् | अश्विना | कण्वासः | वाम् | ब्रह्म | कृण्वन्ति | अध्वरे | तेषाम् | सु | शृणुतम् | हवम् // ऋ. वे. १,४७.२ //
अश्विना | मधुमत्-तमम् | पातम् | सोमम् | ऋत-वृधा | अथ | अद्य | दस्रा | वसु | बिभ्रता | रथे | दास्वांसम् | उप | गच्छतम् // ऋ. वे. १,४७.३ //
त्रिष्-सधस्थे | बर्हिषि | विश्व-वेदसा | मध्वा | यज्ञम् | मिमिक्षतम् | कण्वासः | वाम् | सुत-सोमाः | अभि-द्यवः | युवाम् | हवन्ते | अश्विना // ऋ. वे. १,४७.४ //
याभिः | कण्वम् | अभिष्टि-भिः | प्र | आवतम् | युवम् | अश्विना | ताभिः | सु | अस्मान् | अवतम् | शुभः | पती इति | पातम् | सोमम् | ऋत-वृधा // ऋ. वे. १,४७.५ //
//१//.
-ऋ. वे. १:४/२-
सु-दासे | दस्रा | वसु | बिभ्रता | रथे | पृक्षः | वहतम् | अश्विना | रयिम् | समुद्रात् | उत | वा | दिवः | परि | अस्मे इति | धत्तम् | पुरु-स्पृहम् // ऋ. वे. १,४७.६ //
यत् | नासत्या | परावति | यत् | वा | स्थः | अधि | तुर्वशे | अतः | रथेन | सु-वृता | नः | आ | गतम् | साकम् | सूर्यस्य | रश्मि-भिः // ऋ. वे. १,४७.७ //
अर्वाञ्चा | वाम् | सप्तयः | अध्वर-श्रियः | वहन्तु | सवना | इत् | उप | इषम् | पृञ्चन्ता | सु-कृते | सु-दानवे | आ | बर्हिः | सिदतम् | नरा // ऋ. वे. १,४७.८ //
तेन | नासत्या | आ | गतम् | रथेन | सूर्य-त्वचा | येन | शश्वत् | ऊहथुः | दाशुषे | वसु | मध्वः | सोमस्य | पीतये // ऋ. वे. १,४७.९ //
उक्थेभिः | अर्वाक् | अवसे | पुरुवसूइतिपुरु-वसू | अर्कैः | च | नि | ह्वयामहे | शश्वत् | कण्वानाम् | सदसि | प्रिये | हि | कम् | सोमम् | पपथुः | अश्विना // ऋ. वे. १,४७.१० //
//२//.
-ऋ. वे. १:४/३-
(ऋ. वे. १,४८)
सह | वामेन | नः | उषः | वि | उच्छ | दुहितः | दिवः | सह | द्युम्नेन | बृहता | विभावरि | राया | देवि | दास्वती // ऋ. वे. १,४८.१ //
अश्व-वतीः | गो--मतीः | विश्व-सुविदः | भूरि | च्यवन्त | वस्तवे | उत् | ईरय | प्रति | मा | सूनृताः | उषः | चोद | राधः | मघोनाम् // ऋ. वे. १,४८.२ //
उवास | उषाः | उच्छात् | च | नु | देवी | जीरा | रथानाम् | ये | अस्याः | आचरणेषु | दध्रिरे | समुद्रे | न | श्रवस्यवः // ऋ. वे. १,४८.३ //
उषः | ये | ते | प्र | यामेषु | युञ्जते | मनः | दानाय | सूरयः | अत्र | अह | तत् | कण्वः | एषाम् | कण्व-तमः | नाम | गृणाति | नृणाम् // ऋ. वे. १,४८.४ //
आ | घ | योषाइव | सूनरी | उषाः | याति | प्र-भुञ्जती | जरयन्ती | वृजनम् | पत्-वत् | ईयते | उत् | पातयति | पक्षिणः // ऋ. वे. १,४८.५ //
//३//.
-ऋ. वे. १:४/४-
वि | या | सृजति | समनम् | वि | अर्थिनः | पदम् | न | वेति | ओदती | वयः | नकि ः | ते | पप्तिवांसः | आसतेवि-उष्टौ वाजिनी-वति // ऋ. वे. १,४८.६ //
एषा | अयुक्त | परावतः | सूर्यस्य | उत्-अयनात् | अधि | शतम् | रथेभिः | सु-भगा | उषाः | इयम् | वि | याति | अभि | मानुषान् // ऋ. वे. १,४८.७ //
विश्वम् | अस्याः | ननाम | चक्षसे | जगत् | ज्योतिः | कृणोति | सूनरी | अप | द्वेषः | मघोनी | दिवः | उषाः | उच्छत् | अप | स्रिधः // ऋ. वे. १,४८.८ //
उषः | आ | भाहि | भानुना | चन्द्रेण | दुहितः | दिवः | आवहन्ती | भूरि | अस्मभ्यम् | सौभगम् | वि-उच्छन्ती | दिविष्टिषु // ऋ. वे. १,४८.९ //
विश्वस्य | हि | प्राणनम् | जीवनम् | त्वे इति | वि | यत् | उच्छसि | सूनरि | सा | नः | रथेन | बृहता | विभावरि | श्रुधि | चित्र-मघे | हवम् // ऋ. वे. १,४८.१० //
//४//.
-ऋ. वे. १:४/५-
उषः | वाजम् | हि | वंस्व | यः | चित्रः | मानुषे | जने | तेन | आ | वह | सु-कृतः | अध्वरान् | उप | ये | त्वा | गृणन्ति | वह्नयः // ऋ. वे. १,४८.११ //
विश्वान् | देवान् | आ | वह | सोम-पीतये | अन्तरिक्षात् | उषः | त्वम् | सा | अस्मासु | घाः | गो--मत् | अश्व-वत् | उक्थ्यम् | उषः | वाजम् | सु-वीर्यम् // ऋ. वे. १,४८.१२ //
यस्याः | रुशन्तः | अर्चयः | प्रति | भद्राः | अदृक्षत | सा | नः | रयिम् | व् इश्व-वारम् | सु-पेशसम् | उषाः | ददातु | सुग्म्यम् // ऋ. वे. १,४८.१३ //
ये | चित् | हि | त्वाम् | ऋषयः | पूर्वे | ऊतये | जुहूरे | अवसे | महि | सा | नः | स्तोमान् | अभि | गृणीहि | राधसा | उषः | शुक्रेण | शोचिषा // ऋ. वे. १,४८.१४ //
उषः | यत् | अद्य | भानुना | वि | द्वारौ | ऋणवः | दिवः | प्र | नः | यच्छतात् | अवृकम् | पृथु | छर्दिः | प्र | देवि | गो--मतीः | इषः // ऋ. वे. १,४८.१५ //
सम् | नः | राया | बृहता | विश्व-पेशसा | मिमिक्ष्व | सम् | इऌआभिः | आ | सम् | द्युम्नेन | विश्व-तुरा | उषः | महि | सम् | वाजैः | वाजिनी-वति // ऋ. वे. १,४८.१६ //
//५//.
-ऋ. वे. १:४/६-
(ऋ. वे. १,४९)
उषः | भद्रेभिः | आ | गहि | दिवः | चित् | रोचनात् | अधि | वहन्तु | अरुण-प्सवः | उप | त्वा | सोमिनः | गृहम् // ऋ. वे. १,४९.१ //
सु-पेशसम् | सुखम् | रथम् | यम् | अधि-अस्थाः | उषः | त्वम् | तेन | सु-श्रवसम् | जनम् | प्र | अव | अद्य | दुहितः | दिवः // ऋ. वे. १,४९.२ //
वयः | चित् | ते | पतत्रिणः | द्विपत् | चतुः-पत् | अर्जुनि | उषः | प्र | आरन् ऋतून् | अनु | दिवः | अन्तेभ्यः | परि // ऋ. वे. १,४९.३ //
व्यि-उच्छन्ती | हि | रश्मि-भिः | विश्वम् | आभासि | रोचनम् | ताम् | त्वाम् | उषः | वसु-यवः | गीः-भिः | कण्वाः | अहूषत // ऋ. वे. १,४९.४ //
//६//.
-ऋ. वे. १:४/७-
(ऋ. वे. १,५०)
उत् | ॐ इति | त्यम् | जात-वेदसम् | देवम् | वहन्ति | केतवः | दृशे | विश्वाय | सूर्यम् // ऋ. वे. १,५०.१ //
अप | त्ये | तायवः | यथा | नक्षत्रा | यन्ति | अक्तु-भिः | सूराय | विश्व-चक्षसे // ऋ. वे. १,५०.२ //
अदृश्रम् | अस्य | केतवः | वि | रश्मयः | जनान् | अनु | भ्राजन्तः | अग्नयः | यथा // ऋ. वे. १,५०.३ //
तरणिः | विश्व-दर्शतः | ज्योतिः-कृत् | असि | सूर्य | विश्वम् | आ | भासि | रोचनम् // ऋ. वे. १,५०.४ //
प्रत्यङ् | देवानाम् | विशः | प्रत्यङ् | उत् | एषि | मानुषान् | प्रत्यङ् | विश्वम् | स्वः | दृशे // ऋ. वे. १,५०.५ //
//७//.
-ऋ. वे. १:४/८-
येन | पावक | चक्षसा | भुरण्यन्तम् | जनान् | अनु | त्वम् | वरुण | पश्यसि // ऋ. वे. १,५०.६ //
वि | द्याम् | एषि | रजः | पृथु | अहा | मिमानः | अक्तु-भिः | पश्यन् | जन्मानि | सूयर् // ऋ. वे. १,५०.७ //
सप्त | त्वा | हरितः | रथे | वहन्ति | देव | सूर्य | शोचिः-केशम् | वि-चक्षण // ऋ. वे. १,५०.८ //
अयुक्त | सप्त | शुन्ध्युवः | सूरः | रथस्य | नप्त्यः | ताभिः | याति | स्वयुक्ति-भिः // ऋ. वे. १,५०.९ //
उत् | वयम् | तमसः | परि | ज्योतिः | पश्यन्तः | उत्-तरम् | देवम् | देव-त्रा | सूर्यम् | अगन्म | ज्योतिः | उत्-तमम् // ऋ. वे. १,५०.१० //
उत्-यन् | अद्य | मित्र-महः | आरोहन् | उत्-तराम् | दिवम् | हृत्-रोगम् | मम | सूर्य | हरिमाणम् | च | नाशय // ऋ. वे. १,५०.११ //
शुकेषु | मे | हरिमाणम् | रोपणाकासु | दध्मसि | अथो इति | हारिद्रवेषु | मे | हरिमाणम् | नि | दध्मसि // ऋ. वे. १,५०.१२ //
उत् | अगात् | अयम् | आदित्यः | विश्वेन | सहसा | सह | द्विषन्तम् | मह्यम् | रन्धयन् | मो इति | अहम् | द्विषते | रधम् // ऋ. वे. १,५०.१३ //
//८//.
-ऋ. वे. १:४/९-
(ऋ. वे. १,५१)
अभि | त्यम् | मेषम् | पुरु-हूतम् | ऋग्मियम् | इन्द्रम् | गीः-भिः | मदत | वस्वः | अर्णवम् | यस्य | द्यावः | न | वि-चरन्ति | मानुषा | भुजे | मंहिष्ठम् | अभि | विप्रम् | अर्चत // ऋ. वे. १,५१.१ //
अभि | ईम् | अवन्वन् | सु-अभिष्टिम् | ऊतयः | अन्तरिक्ष-प्राम् | तविषीभिः | आवृतम् | इन्द्रम् | दक्षासः | ऋभवः | मद-च्युतम् | शत-क्रतुम् | जवनी | सूनृता | आ | अरुहत् // ऋ. वे. १,५१.२ //
त्वम् | गोत्रम् | अङ्गिरः-भ्यः | अवृणोः | अप | उत | अत्रये | शत-दुरेषु | गातु-वित् | ससेन | चित् | वि-मदाय | अवहः | वसु | आजौ | अद्रिम् | ववसानस्य | नतर्यन् // ऋ. वे. १,५१.३ //
त्वम् | अपाम् | अपि-धाना | अवृणोः | अप | अधारय | पर्वते | दानु-मत् | वसु | वृत्रम् | यत् | इन्द्र | शवसा | अवधीः | अहिम् | आत् | इत् | सूर्यम् | दिवि | आ | अरोहयः | दृशे // ऋ. वे. १,५१.४ //
त्वम् | मायाभिः | अप | मायिनः | अधमः | स्वधाभिः | ये | अधि | शुप्तौ | अजुह्वत | त्वम् | पिप्रोः | नृ-मनः | प्र | अरुजः | पुरः | प्र | ऋजिश्चानम् | दस्यु-हत्येषु | आविथ // ऋ. वे. १,५१.५ //
//९//.
-ऋ. वे. १:४/१०-
त्वम् | कुत्सम् | शुष्ण-हत्येषु | आविथ | अरन्धयः | अतिथि-ग्वाय | शम्बरम् | महान्तम् | चित् | अर्बुदम् | नि | क्रमीः | पदा | सनात् | एव | दस्यु-हत्याय | जज्ञिषे // ऋ. वे. १,५१.६ //
त्वे इति | विश्वा | तविषी | सध्र्यक् | हिता | तव | राधः | सोम-पीथाय | हर्षते | तव | वज्रः | चिकिते | बाह्वोः | हितः | वृश्च | शत्रोः | अव | विश्वानि | वृष्ण्या // ऋ. वे. १,५१.७ //
वि | जानीहि | आर्यान् | ये | च | दस्यवः | बर्हिष्मते | रन्धय | शासत् | अव्रतान् | शाकी | भव | यजमानस्य | चोदिता | विश्वा | इत् | ता | ते | सध-मादेषु | चाकन // ऋ. वे. १,५१.८ //
अनु-व्रताय | रन्धयन् | अप-व्रतान् | आभूभिः | इन्द्रः | श्नथयन् | अनाभुवः | वृद्धस्य | चित् | वर्धतः | द्याम् | इनक्षतः | स्तवानः | वम्रः | वि | जघान | सम्-दिहः // ऋ. वे. १,५१.९ //
तक्षत् | यत् | ते | उशना | सहसा | सहः | वि | रोदसी इति | मज्मना | बाधते | शवः | आ | त्वा | वातस्य | नृ-मनः | मनः-युजः | आ | पूर्यमाणम् | अवहन् | अभि | श्रवः // ऋ. वे. १,५१.१० //
//१०//.
-ऋ. वे. १:४/११-
मन्दिष्ट | यत् | उशने | काव्ये | सचा | इन्द्रः | वङ्कूइति | वङ्कु-तरा | अधि | तिष्ठत् इ | उग्रः | ययिम् | निः | अपः | स्रोतसा | असृजत् | वि | शुष्णस्य | दृंहिताः | ऐरयत् | पुरः // ऋ. वे. १,५१.११ //
आ | स्म | रथम् | वृष-पानेषु | तिष्ठसि | शार्यातस्य | प्र-भृताः | येषु | मन्दसे | इन्द्र | यथा | सुत-सोमेषु | चाकनः | अनर्वाणम् | श्लोकम् | आ | रोहसे | दिवि // ऋ. वे. १,५१.१२ //
अददाः | अर्भाम् | महते | वचस्यवे | कक्षीवते | वृचयाम् | इन्द्र | सुन्वते | मेना | अभवः | वृषणश्वस्य | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | विश्वा | इत् | ता | ते | सवनेषु | प्र-वाच्या // ऋ. वे. १,५१.१३ //
इन्द्रः | अश्रायि | सु-ध्यः | निरेके | पज्रेषु | स्तोमः | दुर्यः | न | यूपः | अश्व-युः | गव्युः | रथ-युः | वसु-युः | इन्द्रः | इत् | रायः | क्षयति | प्र-यन्ता // ऋ. वे. १,५१.१४ //
इदम् | नमः | वृषभाय | स्व-राजे | सत्य-शुष्माय | तवसे | अवाचि | अस्मिन् | इन्द्र | वृजने | सर्व-वीराः | स्मत् | सूरि-भिः | तव | शर्मन् | स्याम // ऋ. वे. १,५१.१५ //
//११//.
-ऋ. वे. १:४/१२-
(ऋ. वे. १,५२)
त्यम् | सु | मेषम् | महय | स्वः-विदम् | शतम् | यस्य | सु-भ्वः | साकम् | ईरते | अत्यम् | न | वाजम् | हवन-स्यदम् | रथम् | आ | इन्द्रम् | ववृत्याम् | अवसे | सुवृक्ति-भिः // ऋ. वे. १,५२.१ //
सः | पर्वतः | न | धरुणेषु | अच्युतः | सहस्रम्-ऊतिः | तविषीषु | ववृधे | इन्द्रः | यत् | वृत्रम् | अवधीत् | नदी-वृतम् | उब्जन् | अर्णांसि | जर्हृषाणः | अन्धसा // ऋ. वे. १,५२.२ //
सः | हि | द्वरः | द्वरिषु | वव्रः | ऊधनि | चन्द्र-बुध्नः | मद-वृद्धः | मनीषि-भिः | इन्द्रम् | तम् | अह्वे | सु-अपस्यया | धिया | मंहिष्ठ-रातिम् | सः | हि | पप्रिः | अन्धसः // ऋ. वे. १,५२.३ //
आ | यम् | पृणन्ति | दिवि | सद्म-बर्हिषः | समुद्रम् | न | सु-भ्वः | स्वाः | अभिष्टयः | तम् | वृत्र-हत्ये | अनु | तस्थुः | ऊतयः | शुष्माः | इन्द्रम् | अवाताः | अह्रुत-प्सवः // ऋ. वे. १,५२.४ //
अभि | स्व-वृष्तिम् | मदे | अस्य | युध्यतः | रघ्वीः-इव | प्रवणे | सस्रुः | ऊतयः | इन्द्रः | यत् | वज्री | धृषमाणः | अन्धसा | भिनत् | वलस्य | परिधीन्-इव | त्रितः // ऋ. वे. १,५२.५ //
//१२//.
-ऋ. वे. १:४/१३-
परि | ईम् | घृणा | चरति | तित्विषे | शवः | अपः | वृत्वी | रजसः | बुध्नम् | आ | अशयत् | वृत्रस्य | यत् | प्रवणे | दुः-गृभिश्वनः | नि-जघन्थ | हन्वोः | इन्द्र | तन्यतुम् // ऋ. वे. १,५२.६ //
ह्रदम् | न | हि | त्वा | नि-ऋषन्ति | ऊर्मयः | ब्रह्माणि | इन्द्र | तव | यानि | वर्धना | त्वष्टा | चित् | ते | युज्यम् | ववृधे | शवः | ततक्ष | वज्रम् | अभिभूति--ओजसम् // ऋ. वे. १,५२.७ //
जघन्वान् | ॐ इति | हरि-भिः | सम्भृतक्रतो इतिसम्भृत-क्रतो | इन्द्र | वृत्रम् | मनुषे | गातु-यन् | अपः | अयच्छथाः | बाह्वोः | वज्रम् | आयसम् | अधारयः | दिवि | आ | सूर्यम् | दृशे // ऋ. वे. १,५२.८ //
बृहत् | स्व-चन्द्रम् | अम-वत् | यत् | उक्थ्यम् | अकृण्वत | भियसा | रोहणम् | दि वः | यत् | मानुष-प्रधनाः | इन्द्रम् | ऊतयः | स्वः | नृ-षाचः | मरुतः | अमदन् | अनु // ऋ. वे. १,५२.९ //
द्यौः | चित् | अस्य | अम-वान् | अहेः | स्वनात् | अयोयवीत् | भियसा | वज्रः | इन्द्र | ते | वृत्रस्य | यत् | बद्बधानस्य | रोदसी इति | मदे | सुतस्य | शवसा | अभिनत् | शिरः // ऋ. वे. १,५२.१० //
//१३//.
-ऋ. वे. १:४/१४-
यत् | इत् | नु | इन्द्र | पृथिवी | दश-भुजिः | अहानि | विश्वा | ततनन्त | कृष्टयः | अत्र | अह | ते | मघ-वन् | वि-श्रुतम् | सहः | द्याम् | अनु | शवसा बर्हणा | भुवत् // ऋ. वे. १,५२.११ //
त्वम् | अस्य | पारे | रजसः | वि-ओमनः | स्वभूति-ओजाः | अवसे | धृषत्-मनः | चकृषे | भूमिम् | प्रति-मानम् | ओजसः | अपः | [स्वर् इति] स्वः | परि-भूः | एषि | आ | दिवम् // ऋ. वे. १,५२.१२ //
त्वम् | भुवः | प्रति-मानम् | पृथिव्याः | ऋष्व-वीरस्य | बृहतः | पतिः | भूः | विश्वम् | आ | अप्राः | अन्तरिक्षम् | महि-त्वा | सत्यम् | अद्धा | नकिः | अन्यः | त्वावान् // ऋ. वे. १,५२.१३ //
न | यस्य | द्यावापृथिवी इति | अनु | व्यचः | न | सिन्धवः | रजसः | अन्तम् | आनशुः | न | उत | स्व-वृष्टिम् | मदे | अस्य | युध्यतः | एकः | अन्यत् | चकृषे | विश्वम् | आनुषक् // ऋ. वे. १,५२.१४ //
आर्चन् | अत्र | मरुतः | सस्मिन् | आजौ | विश्वे | देवासः | अमदन् | अनु | त्वा | वृत्रस्य | यत् | भृष्टि-मता | वधेन | नि | त्वम् | इन्द्र | प्रति | आनम् | जघन्थ // ऋ. वे. १,५२.१५ //
//१४//.
-ऋ. वे. १:४/१५-
(ऋ. वे. १,५३)
नि | ॐ इति | सु | वाचम् | प्र | महे | भरामहे | गिरः | इन्द्राय | सदने | विवस्वतः | नु | चित् | हि | रत्नम् | ससताम्-इव | अविदत् | न | दुः-स्तुतिः | द्रविणः-देषु | शस्यते // ऋ. वे. १,५३.१ //
दुरः | अश्वस्य | दुरः | इन्द्र | गोः | असि | दुरः | यवस्य | वसुनः | इनः | पतिः | शिक्षानरः | प्र-दिवः | अकाम-कर्शनः | सखा | सखि-भ्यः | तम् | इदम् | गृणीमसि // ऋ. वे. १,५३.२ //
शची-वः | इन्द्र | पुरु-कृत् | द्युमत्-तम | तव | इत् | इदम् | अभितः | चेकिते | वसु | अतः | सम्-गृभ्य | अभि-भूते | आ | भर | मा | त्वायतः | जरितुः | कामम् | ऊनयीः // ऋ. वे. १,५३.३ //
एभिः | द्युभिः | सु-मनाः | एभिः | इन्दु-भिः | निः-उन्धानः | अमतिम् | गोभिः | अश्विना | इन्द्रेण | दस्युम् | दरयन्तः | इन्दु-भिः | युत-द्वेषसः | सम् इषा | रभेमहि // ऋ. वे. १,५३.४ //
सम् | इन्द्र | राया | सम् | इषा | रभेमहि | सम् | वाजेभिः | पुरु-चन्द्रैः | अभिद्यु-भिः | सम् | देव्या | प्र-मत्या | वीर-शुष्मया | गो--अग्रया | अश्व-वत्या | रभेमहि // ऋ. वे. १,५३.५ //
//१५//.
-ऋ. वे. १:४/१६-
ते | त्वा | मदाः | अमदन् | तानि | वृष्ण्या | ते | सोमासः | वृत्र-हत्येषु | सत्-पते | यत् | कारवे | दश | वृत्राणि | अप्रति | बर्हिष्मते | नि | सहस्राणि | बर्हयः // ऋ. वे. १,५३.६ //
युधा | युधम् | उप | घ | इत् | एषि | धृश्णु-या | पुरा | पुरम् | सम् | इदम् | हंसि | ओजसा | नम्या | यत् | इन्द्र | सख्या | परावति | नि-बर्हयः | नमुच्म् | नाम | मायिनम् // ऋ. वे. १,५३.७ //
त्वम् | करञ्जम् | उत | पर्णयम् | वधीः | तेजिष्ठया | अतिथि-ग्वस्य | वर्तनी | त्वम् | शता | वर्ङ्गेदस्य | अभिनत् | पुरः | अननु-दः | परि-सूताः | ऋजिश्वना // ऋ. वे. १,५३.८ //
त्वम् | एतान् | जन-राज्ञः | द्विः | दश | अबन्धुना | सु-श्रवसा | उप-जग्मुषः | षष्टिम् | सहस्रा | नवतिम् | नव | श्रुतः | नि | चक्रेण | रथ्या | दुः-पदा | अवृणक् // ऋ. वे. १,५३.९ //
त्वम् | आविथ | सु-श्रवसम् | तव | ऊति-भिः | तव | त्राम-भिः | इन्द्र | तूर्वयाणम् | त्वम् | अस्मै | कुत्सम् | अतिथि-ग्वम् | आयुम् | महे | राज्ञे | यूने | अरन्धनायः // ऋ. वे. १,५३.१० //
ये | उत्-ऋचि | इन्द्र | देव-गोपाः | सखायः | ते | शिव-तमाः | असाम | त्वाम् | स्तोषाम | त्वया | सु-वीराः | द्राघीयः | आयुः | प्र-तरम् | दधानाः // ऋ. वे. १,५३.११ //
//१६//.
-ऋ. वे. १:४/१७-
(ऋ. वे. १,५४)
मा | नः | अस्मिन् | मघवन् | पृत्-सु | अंहसि | नहि | ते | अन्तः | शवसः | परि-नशे | अक्रन्दयः | नद्यः | रोरुवत् | वना | कथा | न | क्षोणीः | भियसा | सम् | आरत // ऋ. वे. १,५४.१ //
अर्च | अक्राय | शाकिने | शची-वते | शृण्वन्तम् | इन्द्रम् | महयन् | अभि | स्तुहि | यः | धृष्णुना | शवसा | रोदसी इति | उभे इति | वृषा | वृष-त्वा | वृषभः | नि-ऋञ्जते // ऋ. वे. १,५४.२ //
अर्च | दिवे | बृहते | शूष्यम् | वचः | स्व-क्षत्रम् | यस्य | धृषतः | धृषत् | मनः | बृहत्-श्रवाः | असुरः | बर्हणा | कृतः | पुरः | हरि-भ्याम् | वृषभः | रथः | हि | सः // ऋ. वे. १,५४.३ //
त्वम् | दिवः | बृहतः | सानु | कोपयः | अव | त्मना | धृषता | शम्बरम् | भिनत् | यत् | मायिनः | व्रन्दिनः | मन्दिना | धृषत् | शिताम् | गभस्तिम् | अशनिम् | पृतन्यसि // ऋ. वे. १,५४.४ //
नि | यत् | वृणक्षि | श्वसनस्य | मूर्धनि | शुष्णस्य | चित् | व्रन्दिनः | रोरुवत् | वना | प्राचीनेन | मनसा | बर्हणावता | यत् | अद्य | चित् | कृणवः | कः | त्वा | परि // ऋ. वे. १,५४.५ //
//१७//.
-ऋ. वे. १:४/१८-
त्वम् | आविथ | नर्यम् | तुर्वशम् | यदुम् | त्वम् | तुर्वीतिम् | वय्यम् | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | त्वम् | रथम् | एतशम् | कृत्व्ये | धने | त्वम् | पुरः | नवतिम् | दम्भयः | नव // ऋ. वे. १,५४.६ //
सः | घ | राजा | सत्-पतिः | शूशुवत् | जनः | रात-हव्यः | प्रति | यः | शासम् | इन्वति | उक्था | वा | यः | अभि-गृणाति | राधसा | दानुः | अस्मै | उपरा | पिन्वते | द् इवः // ऋ. वे. १,५४.७ //
असमम् | क्षत्रम् | असमा | मनीषा | प्र | सोम-पाः | अपसा | सन्तु | नेमे | ये | ते | इन्द्र | ददुषः | वर्धयन्ति | महि | क्षत्रम् | स्थविरम् | वृष्ण्यम् | च // ऋ. वे. १,५४.८ //
तुभ्य | इत् | एते | बहुलाः | अद्रि-दुग्धाः | चमू-सदः | चमसाः | इन्द्र-पानाः | वि | अश्नुहि | तर्पय | कामम् | एषाम् | अथ | मनः | वसु-देयाय | कृष्व // ऋ. वे. १,५४.९ //
अपाम् | अतिष्ठत् | धरुण-ह्वरम् | तमः | अन्तः | वृत्रस्य | जठरेषु | पर्वतः | अभि | ईम् | इन्द्रः | नद्यः | वव्रिणा | हिताः | विश्वाः | अनु-स्थाः | प्रवणेषु | जिघ्नते // ऋ. वे. १,५४.१० //
सः | शे--वृधम् | अधि | धाः | द्युम्नम् | अस्मे इति | महि | क्षत्रम् | जनाषाट् | इन्द्र | तव्यम् | रक्ष | च | नः | मघोनः | पाह् इ | सूरीन् | राये | च | नः | सु-अपत्यै | इषे | धाः // ऋ. वे. १,५४.११ //
//१८//.
-ऋ. वे. १:४/१९-
(ऋ. वे. १,५५)
दिवः | चित् | अस्य | वरिमा | वि | पप्रथ | इन्द्रम् | न | मह्ना | पृथिवी | चन | प्रति | भीमः | तुविष्मान् | चर्षणि-भ्यः | आतपः | शिशीते | वज्रम् | तेजसे | न | वंसगः // ऋ. वे. १,५५.१ //
सः | अर्णवः | न | नद्यः | समुद्रियः | प्रति | गृभ्णाति | वि-श्रिताः | वरीम-भिः | इन्द्रः | सोमस्य | पीतये | वृष-यते | सनात् | सः | युध्मः | ओजसा | पनस्यते // ऋ. वे. १,५५.२ //
त्वम् | तम् | इन्द्र | पर्वतम् | न | भोजसे | महः | नृम्णस्य | धर्मणाम् | इरज्यसि | प्र | वीर्येण | देवताति | चेकिते | विश्वस्मै | उग्रः | कर्मणे | पुरः-ह् इतः // ऋ. वे. १,५५.३ //
सः | इत् | वने | नमस्यु-भिः | वचस्यते | चारु | जनेषु | प्र-ब्रुवाणः | इन्द्रि यम् | वृषा | छन्दुः | भवति | हर्यतः | वृषा | क्षेमेण | धेनाम् | मघवा | यत् | इन्वति // ऋ. वे. १,५५.४ //
सः | इत् | महानि | सम्-इथानि | मज्मना | कृणोति | युध्मः | ओजसा | जनेभ्यः | अध | चन | श्रत् | दधति | त्विषि-मते | इन्द्राय | वज्रम् | नि-घनिघ्नते | वधम् // ऋ. वे. १,५५.५ //
//१९//.
-ऋ. वे. १:४/२०-
सः | हि | श्रवस्युः | सदनानि | कृत्रिमा | क्ष्मया | वृधानः | ओजसा | वि-नाशयन् | ज्योतींषि | कृण्वन् | अवृकाणि | यज्यवे | अव | सु-क्रतुः | सर्तवै | अपः | सृजत् // ऋ. वे. १,५५.६ //
दानाय | मनः | सोम-पावन् | अस्तु | ते | अर्वाञ्चा | हरी इति | वन्दन-श्रुत् | आ | कृधि | यमिष्ठासः | सारथयः | ये | इन्द्र्च | ते | न | त्वा | केताः | आ | दभ्नुवन्ति | भूर्णयः // ऋ. वे. १,५५.७ //
अप्र-क्षितम् | वसु | बिभर्षि | हस्तयोः | अषाऌहम् | सहः | तन्वि | सृउतः | दधे | आवृतासः | अवतासः | न | कर्तृ-भिः | तनूषु | ते | क्रतवः | इन्द्र | भूरयः // ऋ. वे. १,५५.८ //
//२०//.
-ऋ. वे. १:४/२१-
(ऋ. वे. १,५६)
एषः | प्र | पूर्वीः | अव | तस्य | चम्रिषः | अत्यः | न | योषाम् | उत् | अयंस्त | भुर्वणिः | दक्षम् | महे | पाययते | हिरण्ययम् | रथम् | आवृत्य | हरि-योगम् | ऋभ्वसम् // ऋ. वे. १,५६.१ //
तम् | गूर्तयः | नेमन्-इषः | परीणसः | समुद्रम् | न | सम्-चरणे | सन् इष्यवः | पतिम् | दक्षस्य | विदथस्य | नु | सहाः | गिरिम् | न | वेनाः | अधि | रोह | तेजसा // ऋ. वे. १,५६.२ //
सः | तुर्वणिः | महान् | अरेणु | पैंस्ये | गिरेः | भृष्टिः | न | भ्राजते | तुजा | शवः | येन | शुष्णम् | मायिनम् | आयसः | मदे | दुध्रः | आभूषु | रामयत् | नि | दामन् इ // ऋ. वे. १,५६.३ //
देवी | यदि | तविषी | त्वावृधा | ऊतये | इन्द्रम् | सिषक्ति | उषसम् | न | सूर्यः | यः | धृष्णुना | शवसा | बाधते | तमः | इयर्ति | रेणुम् | बृहत् | अर्हरि-स्वनि ः // ऋ. वे. १,५६.४ //
वि | यत् | तिरः | धरुणम् | अच्युतम् | रजः | अतिस्थिपः | दिवः | आतासु | बर्हणा | स्वः-मीऌहे | यत् | मदे | इन्द्र | हर्ष्या | अहन् | वृत्रम् | निः | अपाम् | औब्जः | अर्णवम् // ऋ. वे. १,५६.५ //
त्वम् | दिवः | धरुणम् | धिषे | ओजसा | पृथिव्याः | इन्द्र | सदनेषु | माहिनः | त्वम् | सुतस्य | मदे | अरिणाः | अपः | वि | वृत्रस्य | समया | पाष्या | अरुजः // ऋ. वे. १,५६.६ //
//२१//.
-ऋ. वे. १:४/२२-
(ऋ. वे. १,५७)
प्र | मंहिष्ठाय | बृहते | बृहत्-रये | सत्य-शुष्माय | तवसे | मतिम् | भरे | अपाम्-इव | प्रवणे | यस्य | दुः-धरम् | राधः | विश्व-आयु | शवसे | अप-वृतम् // ऋ. वे. १,५७.१ //
अघ | ते | विश्वम् | अनु | ह | असत् | इष्टये | आपः | निम्नाइव | सवना | हविष्मतः | यत् | पर्वते | न | सम्-अशीत | हर्यतः | इन्द्रस्य | वज्रः | श्नथिता | हिरण्ययः // ऋ. वे. १,५७.२ //
अस्मै | भीमाय | नमसा | सम् | अध्वरे | उषः | न | शुभ्रे | आ | भर | पनीयसे | यस्य | धाम | श्रवसे | नाम | इन्द्रियम् | ज्योतिः | अकारि | हरितः | न | अयसे // ऋ. वे. १,५७.३ //
इमे | ते | इन्द्र | ते | वयम् | पुरु-स्तुत | ये | त्वा | आरभ्य | चरामसि | प्रभुवसो इतिप्रभु-वसो | नहि | त्वत् | अन्यः | गिर्वणः | गिरः | सघत् | क्षोणीः-इव | प्रति | नः | हर्य | तत् | वचः // ऋ. वे. १,५७.४ //
भूरि | ते | इन्द्र | वीर्यम् | तव | स्मसि | अस्य | स्तोतुः | मघ-वन् | कामम् | आ | पृण | अनु | ते | द्यौः | बृहती | वीर्यम् | ममे | इयम् | च | ते | पृथिवी | नेमे | ओजसे // ऋ. वे. १,५७.५ //
त्वम् | तम् | इन्द्र | पर्वतम् | महाम् | उरुम् | वज्रेण | वज्रिन् | पर्व-शः | चकर्तिथ | अव | असृजः | नि-वृताः | सर्तवै | अपः | सत्रा | विश्वम् | दधिषे | केवलम् | सहः // ऋ. वे. १,५७.६ //
//२२//.
-ऋ. वे. १:४/२३-
(ऋ. वे. १,५८)
नु | चित् | सहः-जाः | अमृतः | नि | तुन्दते | होता | यत् | दूतः | अभवत् | विवस्वतः | वि | साधिष्ठेभिः | पथि-भिः | रजः | ममे | आ | देव-ताता | हविषा | विवासति // ऋ. वे. १,५८.१ //
आ | स्वम् | अद्म | युवमानः | अजरः | तृषु | अविष्यन् | अतसेषु | तिष्ठति | अत्यः | न | पृष्ठम् | प्रुषितस्य | रोचते | दिवः | न | सानु | स्तनयन् | अचिक्रदत् // ऋ. वे. १,५८.२ //
क्रोणा | रुद्रेभिः | वसु-भिः | पुरः-हितः | होता | नि-सत्तः | रयिषाट् | अमत्यर्ः | रथः | न | विक्षु | ऋञ्जसानः | आयुषु | वि | आनुषक् | वार्या | देवः | ऋण्वति // ऋ. वे. १,५८.३ //
वि | वात-जूतः | अतसेषु | तिष्ठते | वृथा | जुहूभिः | सृण्या | तुवि-स्वणिः | तृषु | यत् | अग्ने | वनिनः | वृष-यसे | कृष्णम् | ते | एम | रुशत्-ऊर्मे | अजर // ऋ. वे. १,५८.४ //
तपुः-जम्भः | वने | आ | वात-चोदितः | यूथे | न | साह्वान् | अव | वाति | वंसगः | अभि-व्रजन् | अक्षितम् | पाजसा | रजः | स्थातुः | चरथम् | भयते | पतत्रि णः // ऋ. वे. १,५८.५ //
//२३//.
-ऋ. वे. १:४/२४-
दधुः | त्वा | भृगवः | मानुषेषु | आ | रयिम् | न | चारुम् | सु-हवम् | जनेभ्यः | होतारम् | अग्ने | अतिथिम् | वरेण्यम् | मित्रम् | न | शेवम् | दिव्याय | जन्मने // ऋ. वे. १,५८.६ //
होतारम् | सप्त | जुह्वः | यजिष्ठम् | यम् | वाघतः | वृणते | अध्वरेषु | अग्निम् | विश्वेषाम् | अरतिम् | वसूनाम् | सपर्यामि | प्रयसा | यामि | रत्नम् // ऋ. वे. १,५८.७ //
अच्छिद्रा | सूनो इति | सहसः | नः | अद्य | स्तोतृ-भ्यः | मित्र-महः | शर्म | यच्छ | अग्ने | गृणन्तम् | अंहसः | उरुष्य | ऊर्जः | नपात् | पूः-भिः | आयसीभिः // ऋ. वे. १,५८.८ //
भव | वरूथम् | गृणते | विभावः | भव | मघवन् | मघवत्-भ्यः | शर्म | उरुष्य | अग्ने | अंहसः | गृणन्तम् | प्रातः | मक्षु | धियावसुः | जगम्यात् // ऋ. वे. १,५८.९ //
//२४//.
-ऋ. वे. १:४/२५-
(ऋ. वे. १,५९)
वयाः | इत् | अग्ने | अग्नयः | ते | अन्ये | त्वे इति | विश्वे | अमृताः | मादयन्ते | वैश्वानर | नाभिः | असि | क्षितीनाम् | स्थूणाइव | जनान् | उप-मित् | ययन्थ // ऋ. वे. १,५९.१ //
मूर्धा | दिवः | नाभिः | अग्निः | पृथिव्याः | अथ | अभवत् | अरतिः | रोदस्योः | तम् | त्वा | देवासः | अजनयन्त | देवम् | वैश्वानर | ज्योतिः | इत् | आर्याय // ऋ. वे. १,५९.२ //
आ | सूर्ये | न | रश्मयः | ध्रुवासः | वैश्वानरे | दधिरे | अग्ना | वसूनि | या | पर्वतेषु | ओषधीषु | अप्-सु | या | मानुषेषु | असि | तस्य | राजा // ऋ. वे. १,५९.३ //
बृहतीइवेतिबृहती-इव | सूनवे | रोदसी इति | गिरः | होता | मनुष्यः | न | दक्षः | स्वः-वते | सत्य-शुष्माय | पूवीर्ः | वैश्वानराय | नृ-तमाय | यह्वीः // ऋ. वे. १,५९.४ //
दिवः | चित् | ते | बृहतः | जात-वेदः | वैश्वानर | प्र | रिरिचे | महि-त्वम् | राजा | कृष्टीनाम् | असि | मानुषीणाम् | युधा | देवेभ्यः | वरिवः | चकर्थ // ऋ. वे. १,५९.५ //
प्र | नु | महि-त्वम् | वृषभस्य | वोचम् | यम् | पूरवः | वृत्र-हनम् | सचन्ते | वैश्वानरः | दस्युम् | अग्निः | जघन्वान् | अधूनोत् | काष्ठाः | अव | शम्बरम् | भेत् // ऋ. वे. १,५९.६ //
वैश्वानरः | महिम्ना | विश्व-कृष्टिः | भरत्-वाजेषु | यजतः | विभावा | शात-वनेये | शतिनीभिः | अग्निः | पुरु-नीथे | जरते | सूनृतावान् // ऋ. वे. १,५९.७ //
//२५//.
-ऋ. वे. १:४/२६-
(ऋ. वे. १,६०)
वह्निम् | यशसम् | विदथस्य | केतुम् | सुप्र-अव्यम् | दूतम् | सद्यः-अर्थम् | द्वि-जन्मानम् | रयिम्-इव | प्र-शस्तम् | रातिम् | भरत् | भृगवे | मातरिश्वा // ऋ. वे. १,६०.१ //
अस्य | शासुः | उभयासः | सचन्ते | हविष्मन्तः | उशिजः | ये | च | मर्ताः | द् इवः | चित् | पूर्वः | नि | असादि | होता | आपृच्छ्यः | विश्पतिः | विक्षु | वेधाः // ऋ. वे. १,६०.२ //
तम् | नव्यसी | हृदः | आ | जायमानम् | अस्मत् | सु-कीर्तिः | मधु-जिह्वम् | अश्याः | यम् | ऋत्विजः | वृजने | मानुषासः | प्रयस्वन्तः | आयवः | जीजनन्त // ऋ. वे. १,६०.३ //
उशिक् | पावकः | वसुः | मानुषेषु | वरेण्यः | होता | अधायि | विक्षु | दमूना | गृह-पतिः | दमे | आ | अग्निः | भुवत् | रयि-पतिः | रयीणाम् // ऋ. वे. १,६०.४ //
तम् | त्वा | वयम् | पतिम् | अग्ने | रयीणाम् | प्र | शंसामः | मति-भिः | गोतमासः | आशुम् | न | वाजम्-भरम् | मर्जयन्तः | प्रातः | मक्षु | धियावसुः | जगम्यात् // ऋ. वे. १,६०.५ //
//२६//.
-ऋ. वे. १:४/२७-
(ऋ. वे. १,६१)
अस्मै | इत् | ॐ इति | प्र | तवसे | तुराय | प्रयः | न | हर्मि | स्तोमम् | माहिनाय | ऋचीषमाय | अध्रि-गवे | ओहम् | इन्द्राय | ब्रह्माणि | रात-तमा // ऋ. वे. १,६१.१ //
अस्मै | इत् | ॐ इति | प्रयः-इव | प्र | यंसि | भरामि | आङ्गूषम् | बाधे | सु-वृक्ति | इन्द्राय | हृदा | मनसा | मनीषा | प्रत्नाय | पत्ये | धियः | मर्जयन्त // ऋ. वे. १,६१.२ //
अस्मै | इत् | ॐ इति | त्यम् | उप-मम् | स्वः-साम् | भरामि | आङ्गूषम् | आस्येन | मंहिष्ठम् | अच्छोक्ति-भिः | मतीनाम् | सुवृक्ति-भिः | सूरिम् | ववृधध्यै // ऋ. वे. १,६१.३ //
अस्मै | इत् | ॐ इति | स्तोमम् | सम् | हिनोमि | रथम् | न | तष्टाइव | तत्-सिनाय | गिरः | च | गिर्वाहसे | सु-वृक्ति | इन्द्राय | विश्वम्-इन्वम् | मेधिराय // ऋ. वे. १,६१.४ //
अस्मै | इत् | ॐ इति | सप्तिम्-इव | श्रवस्या | इन्द्राय | अर्कम् | जुह्वा | सम् | अञ्जे | वीरम् | दान-ओकसम् | वन्दध्यै | पुराम् | गूर्त-श्रवसम् | दर्माणम् // ऋ. वे. १,६१.५ //
//२७//.
-ऋ. वे. १:४/२८-
अस्मै | इत् | ॐ
इति | त्वष्टा | तक्षत् | वज्रम् | स्वपः-तमम् | स्वर्यम् | रणाय | वृत्रस्य | चित् | विदत् | येन | मर्म | तुजन् | ईशानः | तुजता | कियेधाः // ऋ. वे. १,६१.६ //
अस्य | इत् | ॐ इति | मातुः | सवनेषु | सद्यः | महः | पितुम् | पपिवान् | चारु | अन्ना | मुषायत् | विष्णुः | पचतम् | सहीयान् | विध्यत् | वराहम् | तिरः | अद्रिम् | अस्ता // ऋ. वे. १,६१.७ //
अस्मै | इत् | ॐ इति | ग्नाः | चित् | देव-पत्नीः | इन्द्राय | अर्कम् | अहि-हत्ये | ऊवुर् इत्य् ऊवुः | परि | द्यावापृथिवी इति | जभ्रे | उर्वी इति | न | अस्य | ते इति | महिमानम् | परि | स्तैतिस्तः // ऋ. वे. १,६१.८ //
अस्य | इत् | एव | प्र | रिरिचे | महित्वम् | दिवः | पृथिव्याः | परि | अन्तरिक्षात् | स्व-राट् | इन्द्रः | दमे | आ | विश्व-गूर्तः | सु-अरिः | अमत्रः | ववक्षे | रणाय // ऋ. वे. १,६१.९ //
अस्य | इत् | एव | शवसा | शुषन्तम् | वि | वृश्चत् | वज्रेण | वृत्रम् | इन्द्रः | गाः | न | व्राणाः | अवनीः | अमुञ्चत् | अभि | श्रवः | दावने | स-चेताः // ऋ. वे. १,६१.१० //
//२८//.
-ऋ. वे. १:४/२९-
अस्य | इत् | ॐ इति | त्वेषसा | रन्त | सिन्धवः | परि | यत् | वज्रेण | सीम् | अयच्छत् | ईशान-कृत् | दाशुषे | दशस्यन् | तुर्वीतये | गाधम् | तुर्वणिः | करितिकः // ऋ. वे. १,६१.११ //
अस्मै | इत् | ॐ इति | प्र | भर | तूतुजानः | वृत्राय | वज्रम् | ईशानः | कियेधाः | गोः | न | पर्व | वि | रद | तिरश्चा | इष्यन् | अर्णांसि | अपाम् | चरध्यै // ऋ. वे. १,६१.१२ //
अस्य | इत् | ॐ इति | प्र | ब्रूहि | पूर्व्याणि | तुरस्य | कर्माणि | नव्यः | उक्थैः | युधे | यत् | इष्णानः | आयुधानि | ऋघायमाणः | नि-रिणाति | शत्रून् // ऋ. वे. १,६१.१३ //
अस्य | इत् | ॐ इति | भिया | गिरयः | च | दृऌहाः | द्यावा | च | भूमा | जनुषः | तुजेतेइति | उपो इति | वेनस्य | जोगुवानः | ओणिम् | सद्यः | भुवत् | वीर्याय | नोधाः // ऋ. वे. १,६१.१४ //
अस्मै | इत् | ॐ इति | त्यत् | अनु | दायि | एषाम् | एकः | यत् | वव्ने | भूरेः | ईशानः | प्र | एतशम् | सूर्ये | पस्पृधानम् | सौवश्व्ये | सुष्विम् | आवत् | इन्द्रः // ऋ. वे. १,६१.१५ //
एव | ते | हारि-योजन | सु-वृक्ति | इन्द्र | ब्रह्माणि | गोतमासः | अक्रन् | आ | एषु | विश्व-पेशसम् | धियम् | धाः | प्रातः | मक्षु | धियावसुः | जगम्यात् // ऋ. वे. १,६१.१६ //
//२९//.
-ऋ. वे. १:५/१-
(ऋ. वे. १,६२)
प्र | मन्महे | शवसानाय | शूषम् | आङ्गूषम् | गिर्वणसे | अङ्गिरस्वत् | सुवृक्त् इ-भिः | स्तुवते | ऋग्मियाय | अर्चाम अर्कम् | नरे | वि-श्रुताय // ऋ. वे. १,६२.१ //
प्र | वः | महे | महि | नमः | भरध्वम् | आङ्गूष्यम् | शवसानाय | साम | येन | नः | पूर्वे | पितरः | पद-ज्ञाः | अर्चन्तः | अङ्गिरसः | गाः | अविन्दन् // ऋ. वे. १,६२.२ //
इन्द्रस्य | अङ्गिरसाम् | च | इष्टौ | विदत् | सरमा | तनयाय | धासिम् | बृहस्पतिः | भिनत् | अद्रिम् | विदत् | गाः | सम् | उस्रियाभिः | वावशन्त | नरः // ऋ. वे. १,६२.३ //
सः | सु-स्तुभा | सः | स्तुभा | सप्त | विप्रैः | स्वरेण | अद्रिम् | स्वर्यः | नव-ग्वैः | सरण्यु-भिः | फलि-गम् | इन्द्र | शक्र | वलम् | रवेण | दश-ग्वैः // ऋ. वे. १,६२.४ //
गृणानः | अङ्गिरः-भिः | दस्म | वि | वः | उषसा | सूर्येण | गोभिः | अन्धः | वि | भूम्याः | अप्रथयः | इन्द्र | सानु | दिवः | रजः | उपरम् | अस्तभायः // ऋ. वे. १,६२.५ //
//१//.
-ऋ. वे. १:५/२-
तत् | ॐ इति | प्रयक्ष-तमम् | अस्य | कर्म | दस्मस्य | चारु-तमम् | अस्ति | दंसः | उप-ह्वरे | यत् | उपराः | अपिन्वत् | मधु-अर्णसः | नद्यः | चतस्रः // ऋ. वे. १,६२.६ //
द्विता | वि | वव्रे | स-नजा | सनीऌए इतिस-नीऌए | अयास्यः | स्तवमानेभिः | अर्कैः | भगः | न | मेनेइति | परमे | वि-ओमन् | अधारयत् | रोदसी इति | सु-दंसाः // ऋ. वे. १,६२.७ //
सनात् | दिवम् | परि | भूम | विरूपेइतिवि-रूपे | पुनः-भुवा | युवती इति | स्वेभिः | एवैः | कृष्णेभिः | अक्ता | उषाः | रुशत्-भिः | वपुः-भिः | आ | चरतः | अन्याअन्या // ऋ. वे. १,६२.८ //
सनेमि | सख्यम् | सु-अपस्यमानः | सूनुः | दाधार | शवसा | सु-दंसाः | आमासु | चित् | दधिषे | पक्वम् | अन्तरिति | पयः | कृष्णासु | रुशत् | रोहिणीषु // ऋ. वे. १,६२.९ //
सनात् | स-नीऌआः | अवनीः | अवाताः | व्रता | रक्षन्ते | अमृताः | सहः-भिः | पुरु | सहस्रा | जनयः | न | पत्नीः | दुवस्यन्ति | स्वसारः | अह्रयाणम् // ऋ. वे. १,६२.१० //
//२//.
-ऋ. वे. १:५/३-
सनायुवः | नमसा | नव्यः | अर्कैः | वसु-यवः | मतयः | दस्म | दद्रुः | पतिम् | न | पत्नीः | उशतीः | उशन्तम् | स्पृशन्ति | त्वा | शवसावन् | मनीषाः // ऋ. वे. १,६२.११ //
सनात् | एव | तव | रायः | गभस्तौ | न | क्षीयन्ते | न | उप | दस्यन्ति | दस्म | द्युमान् | असि | क्रतु-मान् | इन्द्र | धीरः शिक्ष | शची-वः | तव | नः | शचीभिः // ऋ. वे. १,६२.१२ //
सनायते | गोतमः | इन्द्र | नव्यम् | अतक्षत् | ब्रह्म | हरि-योजनाय | सु-नीथाय | नः | शवसान | नोधाः | प्रातः | मक्षु | धियावसुः | जगम्यात् // ऋ. वे. १,६२.१३ //
//३//.
-ऋ. वे. १:५/४-
(ऋ. वे. १,६३)
त्वम् | महान् | इन्द्र | यः | ह | शुष्मैः | द्यावा | जज्ञानः | पृथिवी इति | अमे | घाः | यत् | ह | ते | विश्वा | गिरयः | चित् | अभ्वा | भिया | दृऌहासः | किरणाः | न | ऐजन् // ऋ. वे. १,६३.१ //
आ | यत् | हरी इति | इन्द्र | वि-व्रता | वेः | आ | ते | वज्रम् | जरिता | बाह्वोः | धात् | येन | अविहर्यतक्रतो इत्य् अविहर्यत-क्रतो | अमित्रान् | पुरः | इष्णासि | पुरु-हूत | पूर्वीः // ऋ. वे. १,६३.२ //
त्वम् | सत्यः | इन्द्र | धृष्णुः | एतान् | त्वम् | ऋभुक्षाः | नर्यः | त्वम् | षाट् | त्वम् | शुष्णम्
वृजने | पृक्षे | आणौ | यूने | कुत्साय | द्युमते | सचा | अहन् // ऋ. वे. १,६३.३ //
त्वम् | ह | त्यत् | इन्द्र | चोदीः | सखा | वृत्रम् | यत् | वज्रिन् | वृष-कर्मन् | उभ्नाः | यत् | ह | शूर | वृष-मणः | पराचैः | वि | दस्यून् | योनौ | अकृतः | वृथाषाट् // ऋ. वे. १,६३.४ //
त्वम् | ह | त्यत् | इन्द्र | अरिषण्यन् | दृऌहस्य | चित् | मर्तानाम् | अजुष्टौ | वि | अस्मत् | आ | काष्ठाः | अर्वते | वः | घनाइव | वज्रिन् | श्नथिहि | अमित्रान् // ऋ. वे. १,६३.५ //
//४//.
-ऋ. वे. १:५/५-
त्वाम् | ह | त्यत् | इन्द्र | अर्ण-सातौ | स्वः-मीऌहे | नरः | आजा | हवन्ते | तव | स्वधावः | इयम् | आ | स-मर्ये | ऊतिः | वाजेषु | अतसाय्या | भूत् // ऋ. वे. १,६३.६ //
त्वम् | ह | त्यत् | इन्द्र | सप्त | युध्यन् | पुरः | वज्रिन् | पुरु-कुत्साय | दर्दः | बर्हिः | न | यत् | सु-दासे | वृथा | वर्क | अंहोः | राजन् | वरिवः | पूरवे | कः // ऋ. वे. १,६३.७ //
त्वम् | त्याम् | नः | इन्द्र | देव | चित्राम् | इषम् | आपः | न | पीपयः | परि-ज्मन् | यया | शूर | प्रति | अस्मभ्यम् | यंसि | त्मनम् | ऊर्जम् | न | विश्वध | क्षरध्यै // ऋ. वे. १,६३.८ //
अकारि | ते | इन्द्र | गोतमेभिः | ब्रह्माणि | आउक्ता | नमसा | हरि-भ्याम् | सु-पेशसम् | वाजम् | आ | भर | नः | प्रातः | मक्षु | धियावसुः | जगम्यात् // ऋ. वे. १,६३.९ //
//५//.
-ऋ. वे. १:५/६-
(ऋ. वे. १,६४)
वृष्णे | शर्धाय | सु-मखाय | वेधसे | नोधः | सु-वृक्तिम् | प्र | भर | मरुत्-भ्यः | अपः | न | धीरः | मनसा | सु-हस्त्यः | गिरः | सम् | अञ्जे | विदथेषु | आभुवः // ऋ. वे. १,६४.१ //
ते | जज्ञिरे | दिवः | ऋष्वासः | उक्षणः | रुद्रस्य | मर्या | असुराः | अरेपसः | पावकासः | शुचयः | सूर्याः-इव | सत्वानः | न | द्रप्सिनः | घोर-वर्पसः // ऋ. वे. १,६४.२ //
युवानः | रुद्राः | अजराः | अभोक्-हनः | ववक्षुः | अध्रि-गावः | पर्वताः-इव | दृऌहा | चित् | विश्वा | भुवनानि | पार्थिवा | प्र | च्यावयन्ति | दिव्यानि | मज्मना // ऋ. वे. १,६४.३ //
चित्रैः | अञ्जि-भिः | वपुषे | वि | अञ्जते | वक्षः-सु | रुक्मान् | अधि | येतिरे | शुभे | अंसेषु | एषाम् | नि | मिमृक्षुः | ऋष्टयः | साकम् | जज्ञिरे | स्वधया | दिवः | नरः // ऋ. वे. १,६४.४ //
ईशान-कृतः | धुनयः | रिशादसः | वातान् | वि-द्युतः | तविषीभिः | अक्रत | दुहन्ति | ऊधः | दिव्यानि | धूतयः | भूमिम् | पिन्वन्ति | पयसा | परि-ज्रयः // ऋ. वे. १,६४.५ //
//६//.
-ऋ. वे. १:५/७-
पिन्वन्ति | अपः | मरुतः | सु-दानवः | पयः | घृत-वत् | विदथेषु | आभुवः | अत्यम् | न | मिहे | वि | नयन्ति | वाजिनम् | उत्सम् | दुहन्ति | स्तनयन्तम् | अक्षितम् // ऋ. वे. १,६४.६ //
महिषासः | मायिनः | चित्र-भानवः | गिरयः | न | स्व-तवसः | रघु-स्यदः | मृगाः-इव | हस्तिनः | स्वादथ | वना | यत् | आरुणीषु | तविषीः | अयुग्ध्वम् // ऋ. वे. १,६४.७ //
सिंहाः-इव | नानदति | प्र-चेतसः | पिशाः-इव | सु-पिशः | विश्व-वेदसः | क्षपः | जिन्वन्तः | पृषतीभिः | ऋष्टि-भिः | सम् | इत् | स-बाधः | शवसा | अहि-मन्यवः // ऋ. वे. १,६४.८ //
रोदसी इति | आ | वदत | गण-श्रियः | नृ-साचः | शूराः | शवसा | अहि-मन्यवः | आ | वन्धुरेषु | अमतिः | न | दर्शता | विद्युत् | न | तस्थौ | मरुतः | रथेषु | वः // ऋ. वे. १,६४.९ //
विश्व-वेदसः | रयि-भिः | सम्-ओकसः | सम्-मिश्लासः | तविषीभिः | वि-रप्शिनः | अस्तारः | इषुम् | दधिरे | गभस्त्योः | अनन्त-शुष्माः | वृष-खादयः | नरः // ऋ. वे. १,६४.१० //
//७//.
-ऋ. वे. १:५/८-
हिरण्ययेभिः | पवि-भिः | पयः-वृधः | उत् | जिघ्नन्ते | आपथ्यः | न | पर्वतान् | मखाः | अयासः | स्व-सृतः | ध्रुव-च्युतः | दुध्र-कृतः | मरुतः | भ्राजत्-ऋष्टयः // ऋ. वे. १,६४.११ //
घृषुम् | पावकम् | वनिनम् | वि-चर्षणिम् | रुद्रस्य | सूनुम् | हवसा | गृणीमस् इ | रजः-तुरम् | तवसम् | मारुतम् | गणम् | ऋजीषिणम् | वृषणम् | सश्चत | श्रिये // ऋ. वे. १,६४.१२ //
प्र | नु | सः | मर्तः | शवसा | जनान् | अति | तस्थौ | वः | ऊती | मरुतः | यम् | आवत | अर्वत्-भिः | वाजम् | भरते | धना | नृ-भिः | आपृच्छ्यम् | क्रतुम् | आ | क्षेति | पुष्यति // ऋ. वे. १,६४.१३ //
चर्कृत्यम् | मरुतः | पृत्-सु | दुस्तरम् | द्यु-मन्तम् | शुष्मम् | मघवत्-सु | धत्तन | धन-स्पृतम् | उक्थ्यम् | विश्व-चर्षणिम् | तोकम् | पुष्येम | तनयम् | शतम् | हिमाः // ऋ. वे. १,६४.१४ //
नु | स्थिरम् | मरुतः | वीर-वन्तम् | ऋति-सहम् | रयिम् | अस्मासु | धत्त | सहस्रिणम् | शतिनम् | शूशु-वांसम् | प्रातः | मक्षु | धियावसुः | जगम्यात् // ऋ. वे. १,६४.१५ //
//८//.
-ऋ. वे. १:५/९-
(ऋ. वे. १,६५)
पश्वा | न | तायुम् | गुहा | चतन्तम् | नमः | युजानम् | नमः | वहन्तम् // ऋ. वे. १,६५.१ //
सजोषाः | धीराः | पदैः | अनु | ग्मन् | उप | त्वा | सीदन् | विश्वे | यजत्राः // ऋ. वे. १,६५.२ //
ऋतस्य | देवाः | अनु | व्रता | गुः | भुवत् | परिष्टिः | द्यौः | न | भूम // ऋ. वे. १,६५.३ //
वर्धन्ति | ईम् | आपः | पन्वा | सु-शिश्विम् | ऋतस्य | योना | गर्भे | सु-जातम् // ऋ. वे. १,६५.४ //
पुष्टिः | न | रण्वा | क्षितिः | न | पृथ्वी | गिरिः | न | भुज्म | क्षोदः | न | शम्-भु // ऋ. वे. १,६५.५ //
अत्यः | न | अज्मन् | सर्ग-प्रतक्तः | सिन्धुः | न | क्षोदः | कः | इम् | वराते // ऋ. वे. १,६५.६ //
जामिः | सिन्धूनाम् | भ्राताइव | स्वस्राम् | इभ्यान् | न | राजा | वनानि | अत्ति // ऋ. वे. १,६५.७ //
यत् | वात-जूतः | वना | वि | अस्थात् | अग्निः | ह | दाति | रोम | पृथिव्याः // ऋ. वे. १,६५.८ //
श्वसिति | अप्-सु | हंसः | न | सीदन् | क्रत्वा | चेतिष्ठः | विशाम् | उषः-भुत् // ऋ. वे. १,६५.९ //
सोमः | न | वेधाः | ऋत-प्रजातः | पशुः | न | शिश्वा | वि-भुः | दूरे--भाः // ऋ. वे. १,६५.१० //
//९//.
-ऋ. वे. १:५/१०-
(ऋ. वे. १,६६)
रयिः | न | चित्रा | सूरः | न | सम्-दृक् | आयुः | न | प्राणः | नित्यः | न | सूनुः // ऋ. वे. १,६६.१ //
तक्वा | न | भूर्णिः | वना | सैसक्ति | पयः | न | धेनुः | शुचिः | विभावा // ऋ. वे. १,६६.२ //
दाधार | क्षेमम् | ओकः | न | रण्वः | यवः | न | पक्वः | जेता | जनानाम् // ऋ. वे. १,६६.३ //
ऋषिः | न | स्तुभ्वा | विक्षु | प्र-शस्तः | वाजी | न | प्रीतः | वयः | दधाति // ऋ. वे. १,६६.४ //
दुरोक-शोचिः | क्रतुः | न | नित्यः | जायाइव | योनौ | अरम् | विश्वस्मै // ऋ. वे. १,६६.५ //
चित्रः | यत् | अभ्राट् | श्वेतः | न | विक्षु | रथः | न | रुक्मी | त्वेषः | समत्-सु // ऋ. वे. १,६६.६ //
सेनाइव | सृष्टा | अमम् | दधाति | अस्तुः | न | दिद्युत् | त्वेष-प्रतीका // ऋ. वे. १,६६.७ //
यमः | ह | जातः | यमः | जनि-त्वम् | जारः | कनीनाम् | पतिः | जनीनाम् // ऋ. वे. १,६६.८ //
तम् | वः | चराथा | वयम् | वसत्या अस्तम् | न | गावः | नक्षन्ते | इद्धम् // ऋ. वे. १,६६.९ //
सिन्धुः | न | क्षोदः | प्र | नीचीः | ऐनोत् | नवन्ते | गावः | स्वः | दृशीके // ऋ. वे. १,६६.१० //
//१०//.
-ऋ. वे. १:५/११-
(ऋ. वे. १,६७)
वनेषु | जायुः | मर्तेषु | मित्रः | वृणीते | श्रुष्तिम् | राजाइव | अजुर्यम् // ऋ. वे. १,६७.१ //
क्षेमः | न | साधुः | क्रतुः | न | भद्रः | भुवत् | सु-आधीः | होता | हव्य-वाट् // ऋ. वे. १,६७.२ //
हस्ते | दधानः | नृम्णा | विश्वानि | अमे | देवान् | धात् | गुहा | नि-सीदन् // ऋ. वे. १,६७.३ //
विदन्ति | ईम् | अत्र | नरः | धियम्-धाः | हृदा | यत् | तष्टान् | मन्त्रान् | अशंसन् // ऋ. वे. १,६७.४ //
अजः | न | क्षाम् | दाधार | पृथिवीम् | तस्तम्भ | द्याम् | मन्त्रेभिः | सत्यैः // ऋ. वे. १,६७.५ //
प्रिया | पदानि | पश्वः | नि | पाहि | विश्व-आयुः | अग्ने | गुहा | गुहम् | गाः // ऋ. वे. १,६७.६ //
यः | ईम् | चिकेत | गुहा | भवन्तम् | आ | यः | ससाद | धाराम् | ऋतस्य // ऋ. वे. १,६७.७ //
वि | ये | चृतन्ति | ऋता | सपन्तः | आत् | इत् | वसूनि | प्र | ववाच | अस्मै // ऋ. वे. १,६७.८ //
वि | यः | वीरुत्-सु | रोधत् | महि-त्वा | उत | प्र-जाः | उत | प्र-सूषु | अन्तरित् इ // ऋ. वे. १,६७.९ //
चित्तिः | अपाम् | दमे | विश्व-आयुः | सद्म-इव | धीराः | सम्-माय | चक्रुः // ऋ. वे. १,६७.१० //
//११//.
-ऋ. वे. १:५/१२-
(ऋ. वे. १,६८)
श्रीणन् | उप | स्थात् | दिवम् | भुरण्युः | स्थातुः | चरथम् | अक्तून् | वि | ऊर्णोत् // ऋ. वे. १,६८.१ //
परि | यत् | एषाम् | एकः | विश्वेषाम् | भुवत् | देवः | देवानाम् | महि-त्वा // ऋ. वे. १,६८.२ //
आत् | इत् | ते | विश्वे | क्रतुम् | जुषन्त | शुष्कात् | यत् | देव | जीवः | जनिष्ठाः // ऋ. वे. १,६८.३ //
भजन्त | विश्वे | देव-त्वम् | नाम | ऋतम् | सपन्तः | अमृतम् | एवैः // ऋ. वे. १,६८.४ //
ऋतस्य | प्रेषाः | ऋतस्य | धीतिः | विश्व-आयुः | विश्वे | अपांसि | चक्रुः // ऋ. वे. १,६८.५ //
यः | तुभ्यम् | दाशात् | यः | वा | ते | शिक्षात् | तस्मै | चिकित्वान् | रयिम् | दयस्व // ऋ. वे. १,६८.६ //
होता | नि-सत्तः | मनोः | अपत्ये | सः | चित् | नु | आसाम् | पतिः | रयीणाम् // ऋ. वे. १,६८.७ //
इच्छन्त | रेतः | मिथः | तनूषु | सम् | जानत | स्वैः | दक्षैः | अमूराः // ऋ. वे. १,६८.८ //
पितुः | न | पुत्राः | क्रतुम् | जुषन्त | श्रोषन् | ये | अस्य | शासम् | तुरासः // ऋ. वे. १,६८.९ //
वि | रायः | और्णोत् | दुरः | पुरु-क्षुः | पिपेश | नाकम् | स्तृ-भिः | दमूनाः // ऋ. वे. १,६८.१० //
//१२//.
-ऋ. वे. १:५/१३-
(ऋ. वे. १,६९)
शुक्रः | शुशुक्वान् | उषः | न | जारः | पप्रा | समीची इतिसम्-ईची | दिवः | न | ज्योतिः // ऋ. वे. १,६९.१ //
परि | प्र-जातः | क्रत्वा | बभूथ | भुवः | देवानाम् | पिता | पुत्रः | सन् // ऋ. वे. १,६९.२ //
वेधाः | अदृप्तः | अग्निः | वि-जनन् | ऊधः | न | गोनाम् | स्वाद्म | पितूनाम् // ऋ. वे. १,६९.३ //
जने | न | शेव | आहूर्यः | सन् | मध्ये | नि-सत्तः | रण्वः | दुरोणे // ऋ. वे. १,६९.४ //
पुत्रः | न | जातः | रण्वः | दुरोणे | वाजी | न | प्रीतः | विशः | वि | तारीत् // ऋ. वे. १,६९.५ //
विशः | यत् | अह्वे | नृ-भिः | स-नीऌआः | अग्निः | देव-त्वा | विश्वानि | अश्याः // ऋ. वे. १,६९.६ //
नकिः | ते | एता | व्रता | मिनन्ति | नृ-भ्यः | यत् | एभ्यः | श्रुष्टिम् | चकर्थ // ऋ. वे. १,६९.७ //
तत् | तु | ते | दंसः | यत् | अहन् | समानैः | नृ-भिः | यत् | युक्तः | विवेः | रपांसि // ऋ. वे. १,६९.८ //
उषः | न | जारः | विभावा | उस्रः | सञ्ज्ञात-रूपः | चिकेतत् | अस्मै // ऋ. वे. १,६९.९ //
त्मना | वहन्तः | दुरः | वि | ऋण्वन् | नवन्त | विश्वे | स्वः | दृशीके // ऋ. वे. १,६९.१० //
//१३//.
-ऋ. वे. १:५/१४-
(ऋ. वे. १,७०)
वनेम | पूर्वीः | अर्यः | मनीषा | अग्निः | सुशोकः | विश्वानि | अश्याः // ऋ. वे. १,७०.१ //
आ | दैव्यानि | व्रता | चिकित्वान् | आ | मानुषस्य | जनस्य | जन्म // ऋ. वे. १,७०.२ //
गर्भः | यः | अपाम् | गर्भः | वनानाम् | गर्भः | च | स्थाताम् | गर्भः | चरथाम् // ऋ. वे. १,७०.३ //
अद्रौ | चित् | अस्मै | अन्तः | दुरोणे | विशाम् | न | विश्वः | अमृतः | सु-आधीः // ऋ. वे. १,७०.४ //
सः | हि | क्षपावान् | अग्निः | रयीणाम् | दाशत् | यः | अस्मै | अरम् | सु-उक्तैः // ऋ. वे. १,७०.५ //
एता | चिकित्वः | भूम | नि | पाहि | देवानाम् | जन्म | मर्तान् | च | विद्वान् // ऋ. वे. १,७०.६ //
वर्धान् | यम् | पूर्वीः | क्षपः | वि-रूपाः | स्थातुः | च | रथम् | ऋत-प्रवीतम् // ऋ. वे. १,७०.७ //
अराधि | होता | स्वः | नि-सत्तः | कृण्वन् | विश्वानि | अपांसि | सत्या // ऋ. वे. १,७०.८ //
गोषु | प्र-शस्तिम् | वनेषु | धिषे | भरन्त | विश्वे | बलिम् | स्वः | नः // ऋ. वे. १,७०.९ //
वि | त्वा | नरः | पुरु-त्रा | सपर्यन् | पितुः | न | जिव्रेः | वि | वेदी | भरन्त // ऋ. वे. १,७०.१० //
साधुः | न | गृध्नुः | अस्ताइव | शूरः | याताइव | भीमः | त्वेषः | समत्-सु // ऋ. वे. १,७०.११ //
//१४//.
-ऋ. वे. १:५/१५-
(ऋ. वे. १,७१)
उप | प्र | जिन्वन् | उशतीः | उशन्तम् | पतिम् | न | नित्यम् | जनयः | स-नीऌआः | स्वसारः | श्यावीम् | अरुषीम् | अजुष्रन् | चित्रम् | उच्छन्तीम् | उषसम् | न | गावः // ऋ. वे. १,७१.१ //
वीऌउ | चित् | दृऌहा | पितरः | नः | उक्थैः | अद्रिम् | रुजन् | अङ्गिरसः | रवेण | चक्रुः | दिवः | बृहतः | गातुम् | अस्मे इति | अहरिति | स्वः | विविदुः | केतुम् | उस्राः // ऋ. वे. १,७१.२ //
दधन् | ऋतम् | धनयन् | अस्य | धीतिम् | आत् | इत् | अर्यः | दधिष्वः | वि-भृत्राः | अतृष्यन्तीः | अपसः | यन्ति | अच्छ | देवान् | जन्म | प्रयसा | वर्धयन्तीः // ऋ. वे. १,७१.३ //
मथीत् | यत् | ईम् | वि-भृतः | मातरिश्वा | गृहे--गृहे | श्येतः | जेन्यः | भूत् | आदीम् | राज्ञे | न | सहीयसे | सचा | सन् | आ | दूत्यम् | भृगवाणः | विवाय // ऋ. वे. १,७१.४ //
महे | यत् | पित्रे | ईम् | रसम् | दिवे | कः | अव | त्सरत् | पृशन्यः | चिकित्वान् | सृजत् | अस्ता | धृषता | दिद्युम् | अस्मै | स्वायाम् | देवः | दुहितरि | त्विषिम् | धात् // ऋ. वे. १,७१.५ //
//१५//.
-ऋ. वे. १:५/१६-
स्वे | आ | यः | तुभ्यम् | दमे | आ | वि-भाति | नमः | वा | दाशात् | उशतः | अनु | द्यून् | वर्धः | अग्ने | वयः | अस्य | द्वि-बर्हाः | यासत् | राया | स-रथम् | यम् | जुनासि // ऋ. वे. १,७१.६ //
अग्निम् | विश्वाः | अभि | पृक्षः | सचन्ते | समुद्रम् | न | स्रवतः | सप्त | यह्वीः | न | जामिभिः | वि | चिकिते | वयः | नः | विदाः | देवेषु | प्र-मतिम् | चिकित्वान् // ऋ. वे. १,७१.७ //
आ | यत् | इषे | नृ-पतिम् | तेजः | आनट् | शुचि | रेतः | नि-सिक्तम् | द्यौः | अभीके | अग्निः | शर्धम् | अनवद्यम् | युवानम् | सु-आध्यम् | जनयत् | सूदयत् | च // ऋ. वे. १,७१.८ //
मनः | न | यः | अध्वनः | सद्यः | एति | एकः | सत्रा | सूरः | वस्वः | ईशे | राजाना | मित्रावरुणा | सुपाणी इतिसु-पाणी | गोषु | प्रियम् | अमृतम् | रक्षमाणा // ऋ. वे. १,७१.९ //
मा | नः | अग्ने | सख्या | पित्र्याणि | प्र | मर्षिष्ठाः | अभि | विदुः | कविः | सन् | नभः | न | रूपम् | जरिमा | मिनाति | पुरा | तस्याः | अभि-शस्तेः | अधि | इहि // ऋ. वे. १,७१.१० //
//१६//.
-ऋ. वे. १:५/१७-
(ऋ. वे. १,७२)
नि | काव्या | वेधसः | शश्वतः | कः | हस्ते | दधानः | नर्या | पुरूणि | अग्निः | भुवत् | रयि-पतिः | रयीणाम् | सत्रा | चक्राणः | अमृतानि | विश्वा // ऋ. वे. १,७२.१ //
अस्मे इति | वत्सम् | परि | सन्तम् | न | विन्दन् | इच्छन्तः | विश्वे | अमृताः | अमूराः | श्रम-युवः | पदव्यः | धियम्-धाः | तस्थुः | पदे | परमे | चारु | अग्नेः // ऋ. वे. १,७२.२ //
तिस्रः | यत् | अग्ने | शरदः | त्वाम् | इत् | शुचिम् | घृतेन | शुचयः | सपर्यान् | नामानि | चित् | दधिरे | यज्ञियानि | असूदयन्त | तन्वः | सु-जाताः // ऋ. वे. १,७२.३ //
आ | रोदसी इति | बृहती इति | वेविदानाः | प्र | रुद्रिया | जभ्रिरे | यज्ञियासः | विदत् | मर्तः | नेम-धिता | चिकित्वान् | अग्निम् | पदे | परमे | तस्थि-वांसम् // ऋ. वे. १,७२.४ //
सम्-जानानाः | उप | सीदन् | अभि-ज्ञु | पत्नी-वन्तः | नमस्यम् | नमस्यन्नितिनमस्यन् | रिरिक्वांसः | तन्वः | कृण्वत | स्वाः | सखा | सख्युः | न् इ-मिषि | रक्षमाणाः // ऋ. वे. १,७२.५ //
//१७//.
-ऋ. वे. १:५/१८-
त्रिः | सप्त | यत् | गुह्यानि | त्वेइति | इत् | पदा | अविदन् | नि-हिताः | यज्ञियासः | तेभिः | रक्षन्ते | अमृतम् | स-जोषाः | पशून् | च | स्थातॄन् | चरथम् | च | पाहि // ऋ. वे. १,७२.६ //
विद्वान् | अग्ने | वयुनानि | क्षितीनाम् | वि | आनुषक् | शुरुधः | जीवसे | धाः | अन्तः-विद्वान् | अध्वनः | देव-यानान् | अतन्द्रः | दूतः | अभवः | हविः-वाट् // ऋ. वे. १,७२.७ //
स्वु-आध्यः | दिवः | आ | सप्त | यह्वीः | रायः | दुरः | वि | ऋत-ज्ञाः | अजानन् | विदत् | गव्यम् | सरमा | दृऌहम् | ऊर्वम् | येन | नु | कम् | मानुषी | भोजते | विट् // ऋ. वे. १,७२.८ //
आ | ये | विश्वा | सु-अपत्यानि | तस्थुः | कृण्वानासः | अमृत-त्वाय | गातुम् | मह्ना | महत्-भिः | पृथिवी | वि | तस्थे | माता | पुत्रैः | अदितिः | धायसे | वेः // ऋ. वे. १,७२.९ //
अधि | श्रियम् | नि | दधुः | चारुम् | अस्मिन् | दिवः | यत् | अक्षी इति | अमृताः | अकृण्वन् | अध | क्षरन्ति | सिन्धवः | न | सृष्टाः | प्र | नीचीः | अग्ने | अरुषीः | अजानन् // ऋ. वे. १,७२.१० //
//१८//.
-ऋ. वे. १:५/१९-
(ऋ. वे. १,७३)
रयिः | न | यः | पितृ-वित्तः | वयः-धाः | सु-प्रनीतिः | चिकितुषः | न | शासुः | स्योन-शीः | अतिथिः | न | प्रीणानः | होताइव | सद्म | विधतः | वि | तारीत् // ऋ. वे. १,७३.१ //
देवः | न | यः | सविता | सत्य-मन्मा | क्रत्वा | नि-पाति | वृजनानि | विश्वा | पुरु-प्रशस्तः | अमतिः | न | सत्यः | आत्माइव | शेवः | दिधिषाय्यः | भूत् // ऋ. वे. १,७३.२ //
देवः | न | यः | पृथिवीम् | विश्व-धायाः | उप-क्षेति | हित-मित्रः | न | राजा | पुरः-सदः | शर्म-सदः | न | वीराः | अनवद्या | पतिजुष्टाइव | नारी // ऋ. वे. १,७३.३ //
तम् | त्वा | नरः | दमे | आ | नित्यम् | इद्धम् | अग्ने | सचन्त | क्षितिषु | ध्रुवासु | अधि | द्युम्नम् | नि | दधुः | भूरि | अस्मिन् | भव | विश्व-आयुः | धरुणः | रयीणाम् // ऋ. वे. १,७३.४ //
वि | पृक्षः | अग्ने | मघ-वानः | अश्युः | वि | सूरयः | ददतः | विश्वम् | आयुः | सनेम | वाजम् | सम्-इथेषु | अर्यः | भागम् | देवेषु | श्रवसे | दधानाः // ऋ. वे. १,७३.५ //
//१९//.
-ऋ. वे. १:५/२०-
ऋतस्य | हि | धेनवः | वावशानाः | स्मत्-ऊध्नीः | पीपयन्त | द्यु-भक्ताः | परावतः | सु-मतिम् | भिक्षमाणाः | वि | सिन्धवः | समया | सस्रुः | अद्रिम् // ऋ. वे. १,७३.६ //
त्वे | अग्ने | सु-मतिम् | भिक्षमाणाः | दिवि | श्रवः | दधिरे | यज्ञियाः | नक्ता | च | चक्रुः | उषसा | विरूपेइतिवि-रूपे | कृष्णम् | च | वर्णम् | अरुणम् | च | सम् | धुरित् इधुः // ऋ. वे. १,७३.७ //
यान् | राये | मर्तान् | सुसूदः | अग्ने | ते | स्याम | मघ-वानः | वयम् | च | छायाइव | विश्वम् | भुवनम् | सिसक्षि | आपप्रि-वान् | रोदसी इति | अन्तरिक्षम् // ऋ. वे. १,७३.८ //
अर्वत्-भिः | अग्ने | अर्वतः | नृभिः | नॄन् वीरैर् वीरान् वनुयामा त्वोताः | ईशानासः | पितृ-वित्तस्यर् | यः | वि | सूरयः | शत-हिमाः | नः | अश्युः // ऋ. वे. १,७३.९ //
एता | ते | अग्ने | उचथानि | वेधः | जुष्टानि | सन्तु | मनसे | हृदे | च | शकेम | रायः | सु-धुरः | यमम् | ते | अधि | श्रवः | देव-भक्तम् | दधानाः // ऋ. वे. १,७३.१० //
//२०//.
-ऋ. वे. १:५/२१-
(ऋ. वे. १,७४)
उप-प्रयन्तः | अध्वरम् | मन्त्रम् | वोचेम | अग्नये | आरे | अस्मे इति | च | शृण्वते // ऋ. वे. १,७४.१ //
यः | स्नीहितीषु | पूर्व्यः | सम्-जग्मानासु | कृष्टिषु | अरक्षत् | दाशुषे | गयम् // ऋ. वे. १,७४.२ //
उत | ब्रुवन्तु | जन्तवः | उत् | अग्निः | वृत्र-हा | अजनि | धनम्-जयः | रणे--रणे // ऋ. वे. १,७४.३ //
यस्य | दूतः | असि | क्षये | वेषि | हव्यानि | वीतये | दस्मत् | कृणोषि | अध्वरम् // ऋ. वे. १,७४.४ //
तम् | इत् | सु-हव्यम् | अङ्गिरः | सु-देवम् | सहसः | यहो इति | जनाः | आहुः | सु-बर्हिषम् // ऋ. वे. १,७४.५ //
//२१//.
-ऋ. वे. १:५/२२-
आ | च | वहासि | तान् | इह | देवान् | उप | प्र-शस्तये | हव्या | सु-चन्द्र | वीतये // ऋ. वे. १,७४.६ //
न | योः | उपब्दिः | अश्व्यः | शृण्वे | रथस्य | कत् | चन | यत् | अग्ने | यासि | दूत्यम् // ऋ. वे. १,७४.७ //
त्वाऊतः | वाजी | अह्रयः | अभि | पूर्वस्मात् | अपरः | प्र | दाश्वान् | अग्ने | अस्थात् // ऋ. वे. १,७४.८ //
उत | द्यु-मत् | सु-वीर्यम् | बृहत् | अग्ने | विवाससि | देवेभ्यः | देव | दाशुषे // ऋ. वे. १,७४.९ //
//२२//.
-ऋ. वे. १:५/२३-
(ऋ. वे. १,७५)
जुषस्व | सप्रथः-तमम् | वचः | देवप्सरः-तमम् | हव्या | जुह्वानः | आसनि // ऋ. वे. १,७५.१ //
अथ | ते | अङ्गिरः-तम | अग्ने | वेधः-तम | प्रियम् | वोचेम | ब्रह्म | सानसि // ऋ. वे. १,७५.२ //
कः | ते | जामिः | जनानाम् | अग्ने | कः | दाशु-अध्वरः | कः | ह | कस्मिन् | असि | श्रितः // ऋ. वे. १,७५.३ //
त्वम् | जामिः | जनानाम् | अग्ने | मित्रः | असि | प्रियः | सखा | सखि-भ्यः | ईड्यः // ऋ. वे. १,७५.४ //
यज | नः | मित्रावरुणा | यज | देवान् | ऋतम् | बृहत् | अग्ने | यक्षि | स्वम् | दमम् // ऋ. वे. १,७५.५ //
//२३//.
-ऋ. वे. १:५/२४-
(ऋ. वे. १,७६)
का | ते | उप-इतिः | मनसः | वराय | भुवत् | अग्ने | शम्-तमा | का | मनीषा | कः | वा | यज्ञैः | परि | दक्षम् | ते | आप | केन | वा | ते | मनसा | दाशेम // ऋ. वे. १,७६.१ //
आ | इहि | अग्ने | इह | होता | नि | सीद | अदब्धः | सु | पुरः-एता | भव | नः | अवताम् | त्वा | रोदसी इति | विश्वमिन्वे इतिविश्वम्-इन्वे | यज | महे | सौमनसाय | देवान् // ऋ. वे. १,७६.२ //
प्र | सु | विश्वान् | रक्षसः | धक्षि | अग्ने | भव | यज्ञानाम् | अभिशस्ति-पावा | अथ | आ | वह | सोम-पतिम् | हरि-भ्याम् | आतिथ्यम् | अस्मै | चकृम | सु-दाव्ने // ऋ. वे. १,७६.३ //
प्रजावता | वचसा | वह्निः | आसा | आ | च | हुवे | नि | च | सत्सि | इह | देवैः | वेषि | होत्रम् | उत | पोत्रम् | यजत्र | बोधि | प्र-यन्तः | जनितः | वसूनाम् // ऋ. वे. १,७६.४ //
यथा | विप्रस्य | मनुषः | हविः-भिः | देवान् | अयजः | कवि-भिः | कविः | सन् | एव | होतरिति | सत्य-तर | त्वम् | अद्य | अग्ने | मन्द्रया | जुह्वा | यजस्व // ऋ. वे. १,७६.५ //
//२४//.
-ऋ. वे. १:५/२५-
(ऋ. वे. १,७७)
कथा | दाशेम | अग्नये | का | अस्मै | देव-जुष्टा | उच्यते | भामिने | गीः | यः | मर्त्येषु | अमृतः | ऋत-वा | होता | यजिष्ठः | इत् | कृणोति | देवान् // ऋ. वे. १,७७.१ //
यः | अध्वरेषु | शम्-तमः | ऋत-वा | होता | तम् | ॐ इति | नमः-भिः | आ | कृणुध्वम् | अग्निः | यत् | वेः | मर्ताय | देवान् | सः | च | बोधाति | मनसा | यजाति // ऋ. वे. १,७७.२ //
सः | हि | क्रतुः | सः | मर्यः | सः | साधुः | मित्रः | न | भूत् | अद्भुतस्य | रथीः | तम् | मेधेषु | प्रथमम् | देव-यन्तीः | विशः | उप | ब्रुवते | दस्मम् | आरीः // ऋ. वे. १,७७.३ //
सः | नः | नृणाम् | नृ-तमः | रिशादाः | अग्निः | गिरः | अवसा | वेतु | धीतिम् | तना | च | ये | मघ-वानः | शविष्ठाः | वाज-प्रसूताः | इषयन्त | मन्म // ऋ. वे. १,७७.४ //
एव | अग्निः | गोतमेभिः | ऋत-वा | विप्रेभिः | अस्तोष्ट | जात-वेदाः | सः | एषु | द्युम्नम् | पीपयत् | सः | वाजम् | सः | पुष्टिम् | याति | जोषम् | आ | चिकित्वान् // ऋ. वे. १,७७.५ //
//२५//.
-ऋ. वे. १:५/२६-
(ऋ. वे. १,७८)
अभि | त्वा | गोतमाः | गिरा | जात-वेदः | वि-चर्षणे | द्युम्नैः | अभि | प्र | नोनुमः // ऋ. वे. १,७८.१ //
तम् | ॐ इति | त्वा | गोतमः | गिरा | रायः-कामः | दुवस्यति | द्युम्नैः | अभि | प्र | नोनुमः // ऋ. वे. १,७८.२ //
तम् | ॐ इति | त्वा | वाज-सातमम् | अङ्गिरस्वत् | हवामहे | द्युम्नैः | अभि | प्र | नोनुमः // ऋ. वे. १,७८.३ //
तम् | ॐ इति | त्वा | वृत्रहन्-तमम् | यः | दस्यून् | अव-धूनुषे | द्युम्नैः | अभि | प्र | नोनुमः // ऋ. वे. १,७८.४ //
अवोचाम | रहूगणाः | अग्नये | मधु-मत् | वचः | द्युम्नैः | अभि | प्र | नोनुमः // ऋ. वे. १,७८.५ //
//२६//.
-ऋ. वे. १:५/२७-
(ऋ. वे. १,७९)
हिरण्य-केशः | रजसः | वि-सारे | अहिः | धुनिः | वातः-इव | ध्रजीमान् | शुचि-भ्राजाः | उषसः | नवेदाः | यशस्वतीः | अपस्युवः | न | सत्याः // ऋ. वे. १,७९.१ //
आ | ते | सु-पर्णाः | अमिनन्त | एवैः | कृष्णः | नोनाव | वृषभः | यदि | इदम् | शिवाभिः | न | स्मयमानाभिः | आ | अगात् | पतन्ति | मिहः | स्तनयन्ति | अभृआ // ऋ. वे. १,७९.२ //
यत् ईम् | ऋतस्य | पयसा | पियानः | नयन् | ऋतस्य | पथि-भिः | रजिष्ठैः | अयर्मा | मित्रः | वरुणः | परि-ज्मा | त्वचम् | पृञ्चन्ति | उपरस्य | योनौ // ऋ. वे. १,७९.३ //
अग्ने | वाजस्य | गोमतः | ईशानः | सहसः | यहो इति | अस्मे इति | धेहि | जात-वेदः | महि | श्रवः // ऋ. वे. १,७९.४ //
सः | इधानः | वसुः | कविः | अग्निः | ईऌएन्यः | गिरा | रेवत् | अस्मभ्यम् | पुरु-अणीक | दीदिहि // ऋ. वे. १,७९.५ //
क्षपः | राजन् | उत | त्मना | अग्ने | वस्तोः | उत | उषसः | सः | तिग्म-जम्भ | रक्षसः | दह | प्रति // ऋ. वे. १,७९.६ //
//२७//.
-ऋ. वे. १:५/२८-
अव | नः | अग्ने | ऊति-भिः | गायत्रस्य | प्र-भर्मणि | विश्वासु | धीषु | वन्द्य // ऋ. वे. १,७९.७ //
आ | नः | अग्ने | रयिम् | भर | सत्रासहम् | वरेण्यम् | विश्वासु | पृत्-सु | दुस्तरम् // ऋ. वे. १,७९.८ //
आ | नः | अग्ने | सु-चेतुना | रयिम् | विश्वायु-पोषसम् | मार्डीकम् | धेहि | जीवसे // ऋ. वे. १,७९.९ //
प्र | पूताः | तिग्म-शोचिषे | वाचः | गोतम | अग्नये | भरस्व | सुम्न-युः | गिरः // ऋ. वे. १,७९.१० //
यः | नः | अग्ने | अभि-दासति | अन्ति | दूरे | पदीष्ट | सः | अस्माकम् | इत् | वृधे | भव // ऋ. वे. १,७९.११ //
सहस्र-अक्षः | वि-चर्षणिः | अग्निः | रक्षांसि | सेधति | होता | गृणीते | उक्थ्यः // ऋ. वे. १,७९.१२ //
//२८//.
-ऋ. वे. १:५/२९-
(ऋ. वे. १,८०)
इत्था | हि | सोमे | इत् | मदे | ब्रह्मा | चकार | वर्धनम् | शविष्ठ | वज्रिन् ओजसा | पृथिव्याः | निः | शशाः | अहिम् | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.१ //
सः | त्वा | अमदत् | वृषा | मदः | सोमः | श्येन-आभृतः | सुतः | येन | वृत्रम् | निः | अत्-भ्यः | जघन्थ | वज्रिन् | ओजसा | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.२ //
प्र | इहि | अभि | इहि | धृष्णुहि | न | ते | वज्रः | नि | यंसते | इन्द्र | नृम्णम् | ह् इ | ते | शवः | हनः | वृत्रम् | जयाः | अपः | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.३ //
निः | इन्द्र | भूम्याः | अधि | वृत्रम् | जघन्थ | निः | दिवः | सृज | मरुत्वतीः | अव | जीव-धन्याः | इमाः | अपः | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.४ //
इन्द्रः | वृत्रस्य | दोधतः | सानुम् | वज्रेण | हीऌइतः | अभि-क्रम्य | अव | जि घ्नते | अपः | सर्माय | चोदयन् | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.५ //
//२९//.
-ऋ. वे. १:५/३०-
अधि | सानौ | नि | जिघ्नीअते | वज्रेण | शत-पर्वणा | मन्दानः | इन्द्रः | अन्धसः | सखि-भ्यः | गातुम् | इच्छति | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.६ //
इन्द्र | तुभ्यम् | इत् | अद्रि-वः | अनुत्तम् | वज्रिन् | वीर्यम् | यत् | ह | त्यम् | माय् इनम् | मृगम् | तम् | ॐ इति | त्वम् | मायया | अवधीः | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.७ //
वि | ते | वज्रासः | अस्थिरन् | नवतिम् | नाव्याः | अनु | महत् | ते | इन्द्र | वीर्यम् | बाह्वोः | ते | बलम् | हितम् | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.८ //
सहस्रम् | साकम् | अर्चत | परि | स्तोभत | विंशतिः | शता | एनम् | अनु | अनोनवुः | इन्द्राय | ब्रह्म | उत्-यतम् | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.९ //
इन्द्रः | वृत्रस्य | तविषीम् | निः | अहन् | सहसा | सहः | महत् | तत् | अस्य | पैंस्यम् | वृत्रम् | जघन्वान् | असृजत् | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.१० //
//३०//.
-ऋ. वे. १:५/३१-
इमे | चित् | तव | मन्यवे | वेपेतेइति | भियसा | मही | यत् | इन्द्र | वज्रिन् | ओजसा | वृत्रम् | मरुत्वान् | अवधीः | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.११ //
न | वेपसा | न | तन्यता | इन्द्रम् | वृत्रः | वि | बीभयत् | अभि | एनम् | वज्रः | आयसः | सहस्र-भृष्टिः | आयात | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.१२ //
यत् | वृत्रम् | तव | च | अशनिम् | वज्रेण | सम्-अयोधयः | अहिम् | इन्द्र | जिघांसतः | दिवि | ते | बद्बधे | शवः | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.१३ //
अभि-स्तने | ते | अद्रि-वः | यत् | स्थाः | जगत् | च | रेजते | त्वष्टा | चित् | तव | मन्यवे | इन्द्र | वेविज्यते | भिया | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.१४ //
नहि | नु | यात् | अधि-इमसि | इन्द्रम् | कः | वीर्या | परः | तस्मिन् | नृम्णम् | उत | क्रतुम् | देवाः | ओजांसि | सम् | दधुः | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.१५ //
याम् | अथर्वा | मनुः | पिता | दध्यङ् | धियम् | अत्नत | तस्मिन् | ब्रह्माणि | पूर्व-था | इन्द्रे | उक्था | सम् | अग्मत | अर्चन् | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८०.१६ //
//३१//.
-ऋ. वे. १:६/१-
(ऋ. वे. १,८१)
इन्द्रः | मदाय | ववृधे | शवसे | वृत्र-हा | नृ-भिः | तम् | इत् | महत्-सु | आजिषु | उत | ईम् | अर्भे | हवामहे | सः | वाजेषु | प्र | नः | अविषत् // ऋ. वे. १,८१.१ //
असि | हि | वीर | सेन्यः | असि | भूरि | पराददिः | असि | दभ्रस्य | चित् | वृधः | यजमानाय | शिक्षसि | सुन्वते | भूरि | ते | वसु // ऋ. वे. १,८१.२ //
यत् | उत्-ईरते | आजयः | धृष्णवे | धीयते | धना | युक्ष्व | मद-च्युता | हरी इति | कम् | हनः | कम् | वसौ | दधः | अस्मान् | इन्द्र | वसौ | दधः // ऋ. वे. १,८१.३ //
क्रत्वा | महान् | अनु-स्वधम् | भीमः | आ | ववृधे | शवः | श्रिये | ऋष्वः | उपाकयोः | नि | शिप्री | हरि-वान् | दधे | हस्तयोः | वज्रम् | आयसम् // ऋ. वे. १,८१.४ //
आ | पप्रौ | पार्थिवम् | रजः | बद्बधे | रोचना | दिवि | न | त्वावान् | इन्द्र | कः | चन | न | जातः | न | जनिष्यते | अति | विश्वम् | ववक्षिथ // ऋ. वे. १,८१.५ //
//१//.
-ऋ. वे. १:६/२-
यः | अर्यः | मर्त-भोजनम् | पराददाति | दाशुषे | इन्द्रः | अस्मभ्यम् | शिक्षतु | वि | भज | भूरि | ते | वसु | भक्षीय | तव | राधसः // ऋ. वे. १,८१.६ //
मदे--मदे | हि | नः | ददिः | यूथा | गवाम् | ऋजु-क्रतुः | सम् | गृभाय | पुरु | शता | उभयाहस्त्या | वसु | शिशीहि | रायः | आ | भर // ऋ. वे. १,८१.७ //
मादयस्व | सुते | सचा | शवसे | शूर | राधसे | विद्म | हि | त्वा | पुरु-वसुम् | उप | कामान् | ससृज्महे | अथ | नः | अविता | भव // ऋ. वे. १,८१.८ //
एते | ते | इन्द्र | जन्तवः | विश्वम् | पुष्यन्ति | वार्यम् | अन्तः | हि | ख्यः | जनानाम् | अर्यः | वेदः | अदाशुषाम् | तेषाम् | नः | वेदः | आ | भर // ऋ. वे. १,८१.९ //
//२//.
-ऋ. वे. १:६/३-
(ऋ. वे. १,८२)
उपो इति | सु | शृणुहि | गिरः | मघ-वन् | मा | अतथाः-इव | यदा | नः | सूनृतावतः | करः | आत् | अर्थयासे | इत् | योज | नु | इन्द्र | ते | हरी इति // ऋ. वे. १,८२.१ //
अक्षन् | अमीमदन्त | हि | अव | प्रियाः | अधूषत | अस्तोषत | स्व-भानवः | विप्राः | नविष्ठया | मती | योज | नु | इन्द्र | ते | हरी इति // ऋ. वे. १,८२.२ //
सु-सन्दृशम् | त्वा | वयम् | मघ-वन् | वन्दिषीमहि | प्र | नूनम् | पूर्ण-वन्धुरः | स्तुतः | याहि | वशान् | अनु | योज | नु | इन्द्र | ते | हरी इति // ऋ. वे. १,८२.३ //
सः | घ | तम् | वृषणम् | रथम् | अधि | तिष्ठाति | गोविदम् | यः | पात्रम् | हारि-योजनम् | पूर्णम् | इन्द्र | चिकेतति | योज | नु | इन्द्र | ते | हरी इति // ऋ. वे. १,८२.४ //
युक्तः | ते | अस्तु | दक्षिणः | उत | सव्यः | शतक्रतो इतिशत-क्रतो | तेन | जायाम् | उप | प्रियाम् | मन्दानः | याहि | अन्धसः | योज | नु | इन्द्र | ते | हरी इति // ऋ. वे. १,८२.५ //
युनज्मि | ते | ब्रह्मणा | केशिना | हरी इति | उप | प्र | याहि | दधिषे | गभस्त्योः | उत् | त्वा | सुतासः | रभसाः | अमन्दिषुः | पूषण्-वान् | वज्रिन् | सम् | ॐ इति | पत्न्या | अमदः // ऋ. वे. १,८२.६ //
//३//.
-ऋ. वे. १:६/४-
(ऋ. वे. १,८३)
अश्व-वति | प्रथमः | गोषु | गच्छति | सुप्र-आवीः | इन्द्र | मर्त्यः | तव | ऊति-भिः | तम् | इत् | पृणक्षि | वसुना | भवीयसा | सिन्धुम् | आपः | यथा | अभितः | वि-चेतसः // ऋ. वे. १,८३.१ //
आपः | न | देवीः | उप | यन्ति | होत्रियम् | अवः | पश्यन्ति | वि-ततम् | यथा | रजः | प्राचैः | देवासः | प्र | नयन्ति | देव-युम् | ब्रह्म-प्रियम् | जोषयन्ते | वराः-इव // ऋ. वे. १,८३.२ //
अधि | द्वयोः | अदधाः | उक्थ्यम् | वचः | यत-स्रुचा | मिथुना | या | सपर्यतः | असम्-यत्तः | व्रते | ते | क्षेति | पुष्यति | भद्रा | शक्तिः | यजमानाय | सुन्वते // ऋ. वे. १,८३.३ //
आत् | अङ्गिराः | प्रथमम् | दधिरे | वयः | इद्ध-अग्नयः | शम्या | ये | सु-कृत्यया | सर्वम् | पणेः | सम् | अविन्दन्त | भोजनम् | अश्व-वन्तम् | गो--मन्तम् | आ | पशुम् | नरः // ऋ. वे. १,८३.४ //
यज्ञैः | अथर्वा | प्रथमः | पथः | तते | ततः | सूर्यः | व्रत-पाः | वेनः | आ | अजनि | आ | गाः | आजत् | उशना | कव्यः | सचा | यमस्य | जातम् | अमृतम् | यजामहे // ऋ. वे. १,८३.५ //
बर्हिः | वा | यत् | सु-अपत्याय | वृज्यते | अर्कः | वा | श्लोकम् | आघोषते | दिवि | ग्रावा | यत्र | वदति | कारुः | उक्थ्यः | तस्य | इत् | इन्द्रः | अभि-पित्वेषु | रण्यति // ऋ. वे. १,८३.६ //
//४//.
-ऋ. वे. १:६/५-
(ऋ. वे. १,८४)
असावि | सोमः | इन्द्र | ते | शविष्ठ | धृष्णो इति | आ | गहि | आ | त्वा | पृणक्तु | इन्द्रियम् | रजः | सूर्यः | न | रश्मि-भिः // ऋ. वे. १,८४.१ //
इन्द्रम् | इत् | हरी | वहतः | अप्रतिधृष्ट-शवसम् | ऋषीणाम् | च | स्तुतीः | उप | यज्ञम् | च | मानुषाणाम् // ऋ. वे. १,८४.२ //
आ | तिष्ठ | वृत्र-हन् | रथम् | युक्ता | ते | ब्रह्मणा | हरी
इति | अर्वाचीनम् | सु | ते | मनः | ग्रावा | कृणोतु | वग्नुना // ऋ. वे. १,८४.३ //
इमम् | इन्द्र | सुतम् | पिब | ज्येष्ठम् | अमर्त्यम् | मदम् | शुक्रस्य | त्वा | अभि | अक्षरन् | धाराः | ऋतस्य | सादने // ऋ. वे. १,८४.४ //
इन्द्राय | नूनम् | अर्चत | उक्थानि | च | ब्रवीतन | सुताः | अमत्सुः | इन्दवः | ज्येष्ठम् | नमस्यत | सहः // ऋ. वे. १,८४.५ //
//५//.
-ऋ. वे. १:६/६-
नकिः | त्वत् | रथीतरः | हरी | यत् | इन्द्र | यच्छसे | नकिः | त्वा | अनु | मज्मना | नकिः | सु-अश्वः | आनशे // ऋ. वे. १,८४.६ //
यः | एकः | इत् | वि-दयते | वसु | मर्ताय | दाशुषे | ईशानः | अप्रति-स्कुतः | इन्द्रः | अङ्ग // ऋ. वे. १,८४.७ //
कदा | मर्तम् | अराधसम् | पदा | क्षुम्पम्-इव | स्फुरत् | कदा | नः | शुश्रवत् | गिरः | इन्द्रः | अङ्ग // ऋ. वे. १,८४.८ //
यः | चित् | हि | त्वा | बहु-भ्यः | आ | सुत-वान् | आविवासति | उग्रम् | तत् | पत्यते | शवः | इन्द्रः | अङ्ग // ऋ. वे. १,८४.९ //
स्वादोः | इत्था | विषु-वतः | मध्वः | पिबन्ति | गौर्यः | याः | इन्द्रेण | स-यावरीः | वृष्णा | मदन्ति | शोभसे | वस्वीः | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८४.१० //
//६//.
-ऋ. वे. १:६/७-
ताः | अस्य | पृशन-युवः | सोमम् | श्रीणन्ति | पृश्नयः | प्रियाः | इन्द्रस्य | धेनवः | वज्रम् | हिन्वन्ति | सायकम् | वस्वीः | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८४.११ //
ताः | अस्य | नमसा | सहः | सपर्यन्ति | प्र-चेतसः | व्रतानि | अस्य | सश्चिरे | पुरूणि | पूर्व-चित्तये | वस्वीः | अनु | स्व-राज्यम् // ऋ. वे. १,८४.१२ //
इन्द्रः | दधीचः | अस्थ-भिः | वृत्राणि | अप्रति-स्कुतः | जघान | नवतीः | नव // ऋ. वे. १,८४.१३ //
इच्छन् | अश्वस्य | यत् | शिरः | पर्वतेषु | अप-श्रितम् | तत् | विदत् | शर्यणावति // ऋ. वे. १,८४.१४ //
अत्र | अह | गोः | अमन्वत | नाम | त्वष्टुः | अपीच्यम् | इत्था | चन्द्रमसः | गृहे // ऋ. वे. १,८४.१५ //
//७//.
-ऋ. वे. १:६/८-
कः | अद्य | युङ्क्ते | धुरि | गाः | ऋतस्य | शिमी-वतः | भामिनः | दुः-हृणायून् | आसन्-इषून् | हत्सु-असः | मय-भून् | यः | एषाम् | भृत्याम् | ऋणधत् | सः | जीवात् // ऋ. वे. १,८४.१६ //
कः | ईषते | तुज्यते | कः | बिभाय | कः | मंसते | सन्तम् | इन्द्रम् | कः | अन्ति | कः | तोकाय | कः | इभाय | उत | राये | अधि | ब्रवत् | तन्वे | कः | जनाय // ऋ. वे. १,८४.१७ //
कः | अग्निम् | ईटे | हविषा | घृतेन | स्रुचा | यजातै | ऋतु-भिः | ध्रुवेभिः | कस्मै | देवाः | आ | वहान् | आशु | होम | कः | मंसते | वीति-होत्रः | सु-देवः // ऋ. वे. १,८४.१८ //
त्वम् | अङ्ग | प्र | शंसिषः | देवः | शविष्ठ | मर्त्यम् | न | त्वत् | अन्यः | मघ-वन् | अस्ति | मर्डिता | इन्द्र | ब्रवीमि | ते | वचः // ऋ. वे. १,८४.१९ //
मा | ते | राधांसि | मा | ते | ऊतयः | वसो इति | अस्मान् | कदा | चन | दभन् | विश्वा | च | नः | उप-मिमीहि | मानुष | वसून् इ | चर्षणि-भ्यः | आ // ऋ. वे. १,८४.२० //
//८//.
-ऋ. वे. १:६/९-
(ऋ. वे. १,८५)
प्र | ये | शुम्भन्ते | जनयः | न | सप्तयः | यामन् | रुद्रस्य | सूनवः | सु-दंससः | रोदसी | हि | मरुतः | चक्रिरे | वृधे | मदन्ति | वीराः | विदथेषु | घृष्वयः // ऋ. वे. १,८५.१ //
ते | उक्षितासः | महिमानम् | आशत | दिवि | रुद्रासः | अधि | चक्रिरे | सदः | अर्चन्तः | अर्कम् | जनयन्तः | इन्द्रियम् | अधि | श्रियः | दधिरे | पृश्नि-मातरः // ऋ. वे. १,८५.२ //
गो--मातरः | यत् | शुभयन्ते | अञ्जि-भिः | तनूषु | शुभ्राः | दधिरे | विरुक्मतः | बाधन्ते | विश्वम् | अभि-मातिनम् | अप | वर्त्मानि | एषाम् | अनु | रीयते | घृतम् // ऋ. वे. १,८५.३ //
वि | ये | भ्राजन्ते | सु-मखासः | ऋष्टि-भिः | प्र-च्यवयन्तः | अच्युता | चित् | ओजसा | मनः-जुवः | यत् | मरुतः | रथेषु | आ | वृष-व्रातासः | पृषतीः | अयुग्ध्वम् // ऋ. वे. १,८५.४ //
प्र | यत् | रथेषु | पृषतीः | अयुग्ध्वम् | वाजे | अद्रिम् | मरुतः | रंहयन्तः | उत | अरुषस्य | वि | स्यन्ति | धाराः | चर्म-इव | उद-भिः | वि | उन्दन्ति | भूम // ऋ. वे. १,८५.५ //
आ | वः | वहन्तु | सप्तयः | रघु-स्यदः | रघु-पत्वानः | प्र | जिगात | बाहु-भिः | सीदता | बर्हिः | उरु | वः | सदः | कृतम् | मादयध्वम् | मरुतः | मध्वः | अन्धसः // ऋ. वे. १,८५.६ //
//९//.
-ऋ. वे. १:६/१०-
ते | अवर्धन्त | स्व-तवसः | महि-त्वना | आ | नाकम् | तस्थुः | उरु | चक्रिरे | सदः | विष्णुः | यत् | ह | आवत् | वृषणम् | मद-च्युतम् | वयः | न | स्दन् | अधि | बर्हिषि | प्रिये // ऋ. वे. १,८५.७ //
शूराः-इव | इत् | युयुधयह् | न | जग्मयः | श्रवस्यवः | न | पृतनासु | येतिरे | भयन्ते | विश्वा | भुवना | मरुत्-भ्यः | राजानः-इव | त्वेष-सन्दृशः | नरः // ऋ. वे. १,८५.८ //
त्वष्टा | यत् | वज्रम् | सु-कृतम् | हिरण्ययम् | सहस्र-भृष्टिम् | सु-अपाः | अवर्तयत् | धत्ते | इन्द्रः | नरि | अपांसि | कर्तवे | अहन् | वृत्रम् | निः | अपाम् | औब्जत् | अर्णवम् // ऋ. वे. १,८५.९ //
ऊर्ध्वम् | नुनुद्रे | अवतम् | ते | ओजसा | दादृहाणम् | चित् | बिभिदुः | वि | पर्वतम् | धमन्तः | वाणम् | मरुतः | सु-दानवह् | मदे | सोमस्य | रण्यानि | चक्रिरे // ऋ. वे. १,८५.१० //
जिह्मम् | नुनुद्रे | अवतम् | तया | दिशा | असिञ्चन् | उत्सम् | गोतमाय | तृष्ण-जे | आ | गच्छन्ति | ईम् | अवसा | चित्र-भानवः | कामम् | विप्रस्य | तर्पयन्त | धाम-भिः // ऋ. वे. १,८५.११ //
या | वः | शर्म | शशमानाय | सन्ति | त्रि-धातूनि | दाशुषे | यच्छत | अधि | अस्मभ्यम् | तानि | मरुतः | वि | यन्त | रयिम् | नः | धत्त | वृषणः | सु-वीरम् // ऋ. वे. १,८५.१२ //
//१०//.
-ऋ. वे. १:६/११-
(ऋ. वे. १,८६)
मरुतः | यस्य | हि | क्षये | पाथ | दिवः | वि-महसः | सः | सु-गोपातमः | जनः // ऋ. वे. १,८६.१ //
यज्ञैः | वा | यज्ञ-वाहसः | विप्रस्य | वा | मतीनाम् | मरुतः | शृणुत | हवम् // ऋ. वे. १,८६.२ //
उत | वा | यस्य | वाजिनः | अनु | विप्रम् | अतक्षत | सः | गन्ता | गो--मति | व्रजे // ऋ. वे. १,८६.३ //
अस्य | वीरस्य | बर्हिषि | सुतः | सोमः | दिविष्टिषु | उक्थम् | मदः | च | शस्यते // ऋ. वे. १,८६.४ //
अस्य | श्रोषन्तु | आ | भुवः | विश्वाः | यः | चर्षणीः | अभि | सूरम् | चित् | सस्रुषीः | इषः // ऋ. वे. १,८६.५ //
//११//.
-ऋ. वे. १:६/१२-
पूर्वीभिः | हि | ददाशिम | शरत्-भिः | मरुतः | वयम् | अवः-भिः | चर्षणीनाम् // ऋ. वे. १,८६.६ //
सु-भगः | सः | प्र-यज्यवः | मरुतः | अस्तु | मर्त्यः | यस्य | प्रयांसि | पर्षथ // ऋ. वे. १,८६.७ //
शशमानस्य | वा | नरः | स्वेदस्य | सत्य-शवसः | विद | कामस्य | वेनतः // ऋ. वे. १,८६.८ //
यूयम् | तत् | सत्य-शवसः | आविः | कर्त | महि-त्वना | विध्यत | वि-द्युता | रक्षः // ऋ. वे. १,८६.९ //
गूहत | गुह्यम् | तमः | वि | यात | विश्वम् | अत्रिणम् | ज्योतिः | कर्त | यत् | उश्मस् इ // ऋ. वे. १,८६.१० //
//१२//.
-ऋ. वे. १:६/१३-
(ऋ. वे. १,८७)
प्र-त्वक्षसः | प्र-तवसः | वि-रप्शिनः | अनानताः | अविथुराः | ऋजीष् इणः | जुष्ट-तमासः | नृ-तमासः | अञ्जि-भिः | वि | आनज्रे | के | चित् | उस्राइवस्तृभिः // ऋ. वे. १,८७.१ //
उप-ह्वरेषु | यत् | अचिध्वम् | ययिम् | वयः-इव | मरुतः | केन | चित् | पथा | श्चोतन्ति | कोशाः | उप | वः | रथेषु | आ | घृतम् | उक्षत | मधु-वर्णम् | अर्चते // ऋ. वे. १,८७.२ //
प्र | एषाम् | अज्मेषु | विथुराइव | रेजते | भूमिः | यामेषु | यत् | ह | युञ्जते | शुभे | ते | क्रीऌअयः | धुनयः | भ्राजत्-ऋष्टयः | स्वयम् | महि-त्वम् | पनयन्त | धूतयः // ऋ. वे. १,८७.३ //
सः | हि | स्व-सृत् | पृषत्-अश्वः | युवा | गणः | अया | ईशानः | तविषी-भिः | आव् ऋतः | असि | सत्यः | ऋण-यावा | अनेद्यः | अस्याः | धियः | प्र-अविता | अथ | वृषा | गणः // ऋ. वे. १,८७.४ //
पितुः | प्रत्नस्य | जन्मना | वदामसि | सोमस्य | जिह्वा | प्र | जिगाति | चक्षसा | यत् | ईम् | इन्द्रम् | शमि | ऋक्वाणः | आशत | आत् | इत् | नामानि | यज्ञियानि | दधिरे // ऋ. वे. १,८७.५ //
श्रियसे | कम् | भानु-भिः | सम् | मिमिक्षिरे | ते | रश्मि-भिः | ते | ऋक्व-भिः | सु-खादयः | ते | वाशी-मन्तः | इष्मिणः | अभीरवः | विद्रे | प्रियस्य | मारुतस्य | धाम्नः // ऋ. वे. १,८७.६ //
//१३//.
-ऋ. वे. १:६/१४-
(ऋ. वे. १,८८)
आ | विद्युन्मत्-भिः | मरुतः | सु-अर्कैः | रथेभिः | यात | ऋष्टिमत्-भिः | अश्व-पर्णैः | आ | वर्षिष्ठया | नः | इषा | वयः | न | पप्तत | सु-मायाः // ऋ. वे. १,८८.१ //
ते | अरुणेभिः | वरम् | आ | पिशङ्गैः | शुभे | कम् | यान्ति | रथतूः-भिः | अश्वैः | रुक्मः | न | चित्रः | स्वधिति-वान् | पव्या | रथस्य | जङ्घनन्त | भूम // ऋ. वे. १,८८.२ //
श्रिये | कम् | वः | अधि | तनूषु | वाशीः | मेधा | वना | न | कृणवन्ते | ऊर्ध्वा | युष्मभ्यम् | कम् | मरुतः | सु-जाताः | तुवि-द्युम्नासः | धनयन्ते | अद्रिम् // ऋ. वे. १,८८.३ //
अहानि | गृध्राः | परि | आ | वः | आ | अगुः | इमाम् | धियम् | वार्कार्याम् | च | देवीम् | ब्रह्म | कृण्वन्तः | गोतमासः | अर्कैः | ऊर्ध्वम् | नुनुद्रे | उत्स-धिम् | पिबध्यै // ऋ. वे. १,८८.४ //
एतत् | त्यत् | न | योजनम् | अचेति | सस्वः | ह | यत् | मरुतः | गोतमः | वः | पश्यन् | हिरण्य-चक्रान् | अयः-दंष्ट्रान् | वि-धावतः | वराहून् // ऋ. वे. १,८८.५ //
एषा | स्या | वः | मरुतः | अनु-भर्त्री | प्रति | स्तोभति | वाघतः | न | वाणी | अस्तोभयत् | वृथा | आसाम् | अनु | स्वधाम् | गभस्त्योः // ऋ. वे. १,८८.६ //
//१४//.
-ऋ. वे. १:६/१५-
(ऋ. वे. १,८९)
आ | नः | भद्राः | क्रतवः | यन्तु | विश्वतः | अदब्धासः | अपरि-इतासः | उत्-भिदः | देवाः | नः | यथा | सदम् | इत् | वृधे | असन् | अप्र-आयुवः | रक्षितारः | दिवे--दिवे // ऋ. वे. १,८९.१ //
देवानाम् | भद्रा | सु-मतिः | ऋजु-यताम् | देवानाम् | रातिः | अभि | नः | नि | वर्तताम् | देवानाम् | सख्यम् | उप | सेदिम | वयम् | देवाः | नः | आयुः | प्र | तिरन्तु | जीवसे // ऋ. वे. १,८९.२ //
तान् | पूर्वया | नि-विदा | हूमहे | वयम् | भगम् | मित्रम् | अदितिम् | दक्षम् | अस्रिधम् | अर्यमणम् | वरुणम् | सोमम् | अश्विना | सरस्वती | नः | सु-भगा | मयः | करत् // ऋ. वे. १,८९.३ //
तत् | नः | वातः | मयः-भु | वातु | भेषजम् | तत् | माता | पृथिवी | तत् | पिता | द्यौः | तत् | ग्रावाणः | सोम-सुतः | मयः-भुवः | तत् | अश्विना | शृणुतम् | धिष्ण्या | युवम् // ऋ. वे. १,८९.४ //
तम् | ईशानम् | जगतः | तस्थुषः | पतिम् | धियम्-जिन्वम् | अवसे | हूमहे | वयम् | पूषा | नः | यथा | वेदसम् | असत् | वृधे | रक्षिता | पायुः | अदब्धः | स्वस्तये // ऋ. वे. १,८९.५ //
//१५//.
-ऋ. वे. १:६/१६-
स्वस्ति | नः | इन्द्रः | वृद्ध-श्रवाः | स्वस्ति | नः | पूषा | विश्व-वेदाः | स्वस्ति | नः | तार्क्ष्यः | अरिष्ट-नेमिः | स्वस्ति | नः | बृहस्पतिः | दधातु // ऋ. वे. १,८९.६ //
पृषत्-अश्वाः | मरुतः | पृश्नि-मातरः | शुभम्-यावानः | विदथेषु | जग्मयः | अग्नि-जिह्वाः | मनवः | सूर-चक्षसः | विश्वे | नः | देवाः | अवसा | आ | गमन् | इह // ऋ. वे. १,८९.७ //
भद्रम् | कर्णेभिः | शृणुयाम | देवाः | भद्रम् | पश्येम | अक्ष-भिः | यजत्राः | स्थ् इरैः | अङ्गैः | तुस्तु-वांसः | तनूभिः | वि | अशेम | देव-हितम् | यत् | आयुः // ऋ. वे. १,८९.८ //
शतम् | इत् | नु | शरदः | अन्ति | देवाः | यत्र | नः | चक्र | जरसम् | तनूनाम् | पुत्रासः | यत्र | पितरः | भवन्ति | मा | नः | मध्या | रिरिषत | आयुः | गन्तोः // ऋ. वे. १,८९.९ //
अदितिः | द्यौः | अदितिः | अन्तरिक्षम् | अदितिः | माता | सः | पिता | सः | पुत्रः | विश्वे | देवाः | अदितिः | पञ्च | जनाः | अदितिः | जातम् | अदितिः | जनि-त्वम् // ऋ. वे. १,८९.१० //
//१६//.
-ऋ. वे. १:६/१७-
(ऋ. वे. १,९०)
ऋजु-नीती | नः | वरुणः | मित्रः | नयतु | विद्वान् | अर्यमा | देवैः | स-जोषाः // ऋ. वे. १,९०.१ //
ते | हि | वस्वः | वसवानाः | ते | अप्र-मूराः | महः-भिः | व्रता | रक्षन्ते | विश्वाहा // ऋ. वे. १,९०.२ //
ते | अस्मभ्यम् | शर्म | यंसन् | अमृताः | मर्त्येभ्यः | बाधमानाः | अप | द्विषः // ऋ. वे. १,९०.३ //
वि | नः | पथः | सुविताय | चियन्तु | इन्द्रः | मरुतः | पूषा | भगः | वन्द्यासः // ऋ. वे. १,९०.४ //
उत | नः | धियः | गो--अग्राः | पूषन् | विष्णो उति | एव-यावः | कर्त | नः | स्वस्ति-मतः // ऋ. वे. १,९०.५ //
//१७//.
-ऋ. वे. १:६/१८-
मधु | वाताः | ऋतयते | मधु | क्षरन्ति | सिन्धवः | माध्वीः | नः | सन्तु | ओषधीः // ऋ. वे. १,९०.६ //
मधु | नक्तम् | उत | उषसः | मधु-मत् | पार्थिवम् | रजः | मधु | द्यौः | अस्तु | नः | पिता // ऋ. वे. १,९०.७ //
मधु-मान् | नः | वनस्पतिः | मधु-मान् | अस्तु | सूर्यः | माध्वीः | गावः | भवन्तु | नः // ऋ. वे. १,९०.८ //
शम् | नः | मित्रः | शम् | वरुणः | शम् | नः | भवतु | अर्यमा | शम् | नः | इन्द्रः | बृहस्पतिः | शम् | नः | विष्णुः | उरु-क्रमः // ऋ. वे. १,९०.९ //
//१८//.
-ऋ. वे. १:६/१९-
(ऋ. वे. १,९१)
त्वम् | सोम | प्र | चिकितः | मनीषा | त्वम् | रजिष्ठम् | अनु | नेषि | पन्थाम् | तव | प्र-नीती | पितरः | नः | इन्दो इति | देवेषु | रत्नम् | अभजन्त | धीराः // ऋ. वे. १,९१.१ //
त्वम् | सोम | क्रतु-भिः | सु-क्रतुः | भूः | त्वम् | दक्षैः | सु-दक्षः | विश्व-वेदाः | त्वम् | वृषा | वृष-त्वेभिः | महि-त्वा | द्युम्नेभिः | द्युम्नी | अभवः | नृ-चक्षाः // ऋ. वे. १,९१.२ //
राज्ञः | नु | ते | वरुणस्य | व्रतानि | बृहत् | गभीरम् | तव | सोम | धाम | शुचिः | त्वम् | असि | प्रियः | न | मित्रः | दक्षाय्यः | अर्यमाइव | असि | सोम // ऋ. वे. १,९१.३ //
या | ते | धामानि | दिवि | या | पृथिव्याम् | या | पर्वतेषु | ओषधीषु | अप्-सु | तेभिः | नः | विश्वैः | सु-मनाः | अहेऌअन् | राजन् | सोम | प्रति | हव्या | गृभाय // ऋ. वे. १,९१.४ //
त्वम् | सोम | असि | सत्-पतिः | त्वम् | राजा | उत | वृत्र-हा | त्वम् | भद्रः | असि | क्रतुः // ऋ. वे. १,९१.५ //
//१९//.
-ऋ. वे. १:६/२०-
त्वम् | च | सोम | नः | वशः | जीवातुम् | न | मरामहे | प्रिय-स्तोत्रः | वनस्पतिः // ऋ. वे. १,९१.६ //
त्वम् | सोम | महे | भगम् | त्वम् | यूने | ऋत-यते | दक्षम् | दधासि | जीवसे // ऋ. वे. १,९१.७ //
त्वम् | नः | सोम | विश्वतः | रक्ष | राजन् | अघ-यतः | न | रिष्येत् | त्वावतः | सखा // ऋ. वे. १,९१.८ //
सोम | याः | ते | मयः-भुवः | ऊतयः | सन्ति | दाशुषे | ताभिः | नः | अविता | भव // ऋ. वे. १,९१.९ //
इमम् | यज्ञम् | इदम् | वचः | जुजुषाणः | उप-आगहि | सोम | त्वम् | नः | वृधे | भव // ऋ. वे. १,९१.१० //
//२०//.
-ऋ. वे. १:६/२१-
सोम | गीः-भिः | त्वा | वयम् | वर्धयामः | वचः-विदः | सु-मृऌईकः | नः | आ | विश // ऋ. वे. १,९१.११ //
गय-स्फानः | अमीव-हा | वसु-वित् | पुष्टि-वर्धनः | सु-मित्रः | सोम | नः | भव // ऋ. वे. १,९१.१२ //
सोम | ररन्धि | नः | हृदि | गावः | न | यवसेषु | आ | मर्यः-इव स्वे | ओक्ये // ऋ. वे. १,९१.१३ //
यः | सोम | सख्ये | तव | ररणत् | देव | मर्त्यः | तम् | दक्षः | सचते | कवि ः // ऋ. वे. १,९१.१४ //
उरुष्य | णः | अभि-शस्तेः | सोम | नि | पाहि | अंहसः | सखा | सु-शेवः | एधि | नः // ऋ. वे. १,९१.१५ //
//२१//.
-ऋ. वे. १:६/२२-
आ | प्यायस्व | सम् | एतु | ते | विश्वतः | सोम | वृष्ण्यम् | भव | वाजस्य | सम्-गथे // ऋ. वे. १,९१.१६ //
आ | प्यायाअस्व | मदिन्-तम | सोम | विश्वेभिः | अंशु-भिः | भव | नः | सुश्रवः-तमः | सखा | वृधे // ऋ. वे. १,९१.१७ //
सम् | ते | पयांसि | सम् | ॐ इति | यन्तु | वाजाः | सम् | वृष्ण्यानि | अभिमाति-सहः | आप्यायमानः | अमृताय | सोम | दिवि | श्रवांसि | उत्-तमानि | धिष्व // ऋ. वे. १,९१.१८ //
या | ते | धामानि | हविषा | यजन्ति | ता | ते | विश्वा | परि-भूः | अस्तु | यज्ञम् | गय-स्फानः | प्र-तरणः | सु-वीरः | अवीर-हा | प्र | चर | सोम | दुर्यान् // ऋ. वे. १,९१.१९ //
सोमः | धेनुम् | सोमः | अर्वन्तम् | आशुम् | सोमः | वीरम् | कर्मण्यम् | ददाति | सदन्यम् | विदथ्यम् | सभेयम् | पितृ-श्रवणम् | यः | ददाशत् | अस्मै // ऋ. वे. १,९१.२० //
//२२//.
-ऋ. वे. १:६/२३-
अषाह्वम् | युत्-सु | पृतनासु | पप्रिम् | स्वः-साम् | अप्साम् | वृजनस्य | गोपाम् | भरेषु-जाम् | सु-क्षितिम् | सु-श्रवसम् | जयन्तम् | त्वाम् | अनु | मदेम | सोम // ऋ. वे. १,९१.२१ //
त्वम् | इमाः | ओषधीः | सोम | विश्वाः | त्वम् | अपः | अजनयः | त्वम् | गाः | त्वम् | आ | ततन्थ | उरु | अन्तरिक्षम् | त्वम् | ज्योतिषा | वि | तमः | ववर्थ // ऋ. वे. १,९१.२२ //
देवेन | नः | मनसा | देव | सोम | रायः | भागम् | सहसावन् | अभि | युध्य | मा | त्वा | तनत् | ईशिषे | वीर्यस्य | उभयेभ्यः | प्र | चिकित्स | गो--इष्टौ // ऋ. वे. १,९१.२३ //
//२३//.
-ऋ. वे. १:६/२४-
(ऋ. वे. १,९२)
एताः | ॐ इति | त्याः | उषसः | केतुम् | अक्रत | पूर्वे | अर्धे | रजसः | भानुम् | अञ्जते | निः-कृण्वानाः | आयुधानि-इव | धृष्णवः | प्रति | गावः | अरुषीः | यन्ति | मातरः // ऋ. वे. १,९२.१ //
उत् | अपप्तन् | अरुणाः | भानवः | वृथा | सु-आयुजः | अरुषीः | गाः | अयुक्षत | अक्रन् | उषसः | वयुनानि | पूर्वथा | रुशन्तम् | भानुम् | अरुषीः | अशिश्रयुः // ऋ. वे. १,९२.२ //
अर्चन्ति | नारीः | अपसः | न | विष्टि-भिः | समानेन | योजनेन | आ | परावतः | इषम् | वहन्तीः | सु-कृते | सु-दानवे | विश्वा | इत् | अह | यजमानाय | सुन्वते // ऋ. वे. १,९२.३ //
अधि | पेशांसि | वपते | नृतूः-इव | अप | ऊर्णुते | वक्षः | उस्राइव बर्जहम् | ज्योतिः | विश्वस्मै | भुवनाय | कृण्वती | गावः | न | व्रजम् | वि | उषाः | आवर् इत्य् आवः तमः // ऋ. वे. १,९२.४ //
प्रति | अर्चिः | रुशत् | अस्याः | अदर्शि | वि | तिष्ठते | बाधते | कृष्णम् | अभ्वम् | स्वरुम् | न | पेशः | विदथेषु | अञ्जन् | चित्रम् | दिवः | दुहिता | भानुम् | अश्रेत् // ऋ. वे. १,९२.५ //
//२४//.
-ऋ. वे. १:६/२५-
अतारिष्म | तमसः | पारम् | अस्य | उषाः | उच्छन्ती | वयुना | कृणोति | श्रिये | छन्दः | न | स्मयते | वि-भाती | सु-प्रतीका | सौमनसाय | अजीगरिति // ऋ. वे. १,९२.६ //
भास्वती | नेत्री | सूनृतानाम् | दिवः | स्तवे | दुहिता | गोतमेभिः | प्रजावतः | नृ-वतः | अश्व-बुध्यान् | उषः | गो--अग्रान् | उप | मासि | वाजान् // ऋ. वे. १,९२.७ //
उषः | तम् | अश्याम् | यशसम् | सु-वीरम् | दास-प्रवर्गम् | रयिम् | अश्व-बुध्यम् | सु-दंससा | श्रवसा | या | वि-भासि | वाज-प्रसूता | सु-भगे | बृहन्तम् // ऋ. वे. १,९२.८ //
विश्वानि | देवी | भुवना | अभि-चक्ष्य | प्रतीची | चक्षुः | उर्विया | वि | भाति | विश्वम् | जीवम् | चरसे | बोधयन्ती | विश्वस्य | वाचम् | अविदत् | मनायोः // ऋ. वे. १,९२.९ //
पुनः-पुनः | जायमाना | पुराणी | समानम् | वर्णम् | अभि | शुम्भमाना | श्वघ्नी-इव | कृत्नुः | विजः | आमिनाना | मर्तस्य | देवी | जरयन्ती | आयुः // ऋ. वे. १,९२.१० //
//२५//.
-ऋ. वे. १:६/२६-
वि-ऊर्ण्वती | दिवः | अन्तान् | अबोधि | अप | स्वसारम् | सनुतः | युयोति | प्र-म् इनती | मनुष्या | युगानि | योषा | जारस्य | चक्षसा | वि | भाति // ऋ. वे. १,९२.११ //
पशून् | न | चित्रा | सु-भगा | प्रथाना | सिन्धुः | न | क्षोदः | उर्विया | वि | अश्वैत् | अमिनती | दैव्यानि | व्रतानि | सूर्यस्य | चेति | रश्मि-भिः | दृशाना // ऋ. वे. १,९२.१२ //
उषः | तत् | चित्रम् | आ | भर | अस्मभ्यम् | वाजिनी-वति | येन | तोकम् | च | तनयम् | च | धामहे // ऋ. वे. १,९२.१३ //
उषः | अद्य | इह | गो--मति | अश्व-वति | विभावरि | रेवत् | अस्मे | वि | उच्छ | सूनृतावति // ऋ. वे. १,९२.१४ //
युक्ष्व | हि | वाजिनी-वति | अश्वान् | अद्य | अरुणान् | उषः | अथ | नः | विश्वा | सौभगानि | आ | वह // ऋ. वे. १,९२.१५ //
//२६//.
-ऋ. वे. १:६/२७-
अश्विना | वर्तिः | अस्मत् | आ | गो--मत् | दस्रा | हिरण्य-वत् | अर्वाक् | रथम् | स-मनसा | नि | यच्छतम् // ऋ. वे. १,९२.१६ //
यौ | इत्था | श्लोकम् | आ | दिवः | ज्योतिः | जनाय | चक्रथुह् | आ | नः | ऊर्जम् | वहतम् | अश्विना | युवम् // ऋ. वे. १,९२.१७ //
आ | इह | देवा | मयः-भुवा | दस्रा | हिरण्यवर्तनी इतिहिरण्य-वर्तनी | उषः-बुधः | वहन्तु | सोम-पीतये // ऋ. वे. १,९२.१८ //
//२७//.
-ऋ. वे. १:६/२८-
(ऋ. वे. १,९३)
अग्नीषोमौ | इमम् | सु | मे | शृणुतम् | वृषणा | हवम् | प्रति | सु-उक्तानि | हर्यतम् | भवतम् | दाशुषे | मयः // ऋ. वे. १,९३.१ //
अग्नीषोमा | यः | अद्य | वाम् | इदम् | वचः | सपर्यति | तस्मै | धत्तम् | सु-वीर्यम् | गवाम् | पोषम् | सु-अश्व्यम् // ऋ. वे. १,९३.२ //
अग्नीषोमा | यः | आहुतिम् | यः | वाम् | दासात् | हविः-कृतिम् | सः | प्र-जया | सु-वीर्यम् | विश्वम् | आयुः | वि | अश्नवत् // ऋ. वे. १,९३.३ //
अग्नीषोमा | चेति | तत् | वीर्यम् | वाम् | यत् | अमुष्णीतम् | अवसम् | पणिम् | गाः | अव | अतिरतम् | बृसयस्य | शेषः | अविन्दतम् | ज्योतिः | एकम् | बहु-भ्यः // ऋ. वे. १,९३.४ //
युवम् | एतानि | दिवि | रोचनानि | अग्निः | च | सोम | सक्रतूइतिस-क्रतू | अधत्तम् | युवम् | सिन्धून् | अभि-शस्तेः | अवद्यात् | अग्नीषोमौ | अमुञ्चतम् | गृभीतान् // ऋ. वे. १,९३.५ //
आ | अन्यम् | दिवः | मातरिश्वा | जभार | अमथ्नाअत् | अन्यम् | परि | श्येनः | अद्रेः | अग्नीषोमा | ब्रह्मणा | ववृधाना | उरुम् | यज्ञाय | चक्रथुः | ॐ इति | लोकम् // ऋ. वे. १,९३.६ //
//२८//.
-ऋ. वे. १:६/२९-
अग्नीषोमा | हविषः | प्र-स्थितस्य | वीतम् | हर्यतम् | वृषणा | जुषेथाम् | सु-शर्माणा | सु-अवसा | हि | भूतम् | अथ | धत्तम् | यजमानाय | शम् | योः // ऋ. वे. १,९३.७ //
यः | अग्नीषोमा | हविषा | सपर्यात् | देवद्रीचा | मनसा | यः | घृतेन | तस्य | व्रतम् | रक्षतम् | पातम् | अंहसः | विशे | जनाय | महि | शर्म | यच्छतम् // ऋ. वे. १,९३.८ //
अग्नीषोमा | स-वेदसा | सहूती इतिस-हूती | वनतम् | गिरः | सम् | देव-त्रा | बभूवथुः // ऋ. वे. १,९३.९ //
अग्नीषोमौ | अनेन | वाम् | यः | वाम् | घृतेन | दाशति | तस्मै | दीदयतम् | बृहत् // ऋ. वे. १,९३.१० //
अग्नीषोमौ | इमानि | नः | युवम् | हव्या | जुजोषतम् | आ | यातम् | उप | नः | सचा // ऋ. वे. १,९३.११ //
अग्नीषोमा | पिपृतम् | अर्वतः | नः | आ | प्यायन्ताम् | उस्रियाः | हव्य-सूदः | अस्मे इति | बलानि | मघवत्-सु | धत्तम् | कृणुतम् | नः | अध्वरम् | श्रुष्टि-मन्तम् // ऋ. वे. १,९३.१२ //
//२९//.
-ऋ. वे. १:६/३०-
(ऋ. वे. १,९४)
इमम् | स्तोमम् | अर्हते जात-वेदसे | रथम्-इव | सम् | महेम | मनीषया | भद्रा | हि | नः | प्र-मतिः | अस्य | सम्-सदि | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.१ //
यस्मै | त्वम् | आयजसे | सः | साधति | अनर्वा | क्षेति | दधते | सु-वीर्यम् | सः | तूताव | न | एनम् | अश्नोति | अंहतिः | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.२ //
शकेम | त्वा | सम्-इधम् | साधय | धियः | त्वे | देवाः | हविः | अदन्ति | आहुतम् | त्वम् | आदित्यान् | आ | वह | तान् | हि | उश्मसि | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.३ //
भराम | इध्मम् | कृणवाम | हवींषि | ते | चितयन्तः | पर्वणापर्वणा | वयम् | जीवातवे | प्र-तरम् | साधय | धियः | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.४ //
विशाम् | गोपाः | अस्य | चरन्ति | जन्तवः | द्वि-पत् | च | यत् | उत | चतुः-पत् | अक्तु-भिः | चित्रः | प्र-केतः | उषसः | महान् | असि | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.५ //
//३०//.
-ऋ. वे. १:६/३१-
त्वम् | अध्वर्युः | उत | होता | असि | पूर्व्यः | प्र-शास्ता | पोता | जनुषा | पुरः-हितः | विश्वा | विद्वान् | आर्त्विज्या | धीर | पुष्यसि | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.६ //
यः | विश्वतः | सु-प्रतीकः | स-दृङ् | असि | दूरे | चित् | सन् | तऌइत्-इव | अति | रोचसे | रात्र्याः | चित् | अन्धः | अति | देव | पश्यसि | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.७ //
पूर्वः | देवाः | भवतु | सुन्वतः | रथः | अस्माकम् | शंसः | अभि | अस्तु | दुः-ध्यः | तत् | आ | जानीत | उत | पुष्यत | वचः | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.८ //
वधैः | दुः-शंसान् | अप | दुः-ध्यः | जहि | दूरे | वा | ये | अन्ति | वा | के | चित् | अत्रि णः | अथ | यज्ञाय | गृणते | सु-गम् | कृधि | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.९ //
यत् | अयुक्थाः | अरुषा | रोहिता | रथे | वात-जूता | वृषभस्य-इव | ते | आत् | इन्वसि | वनिनः | धूम-केतुना | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.१० //
//३१//.
-ऋ. वे. १:६/३२-
अध | स्वनात् | उत | बिभ्युः | पतत्रिणः | द्रप्सा | यत् | ते | यवस-अदः | वि | अस्थिरन् | सु-गम् | तत् | ते | तावकेभ्यः | रथेभ्यः | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.११ //
अयम् | मित्रस्य | वरुणस्य | धायसे | अव-याताम् | मरुताम् | हेऌअः | अद्भुतः | मृऌअ | सु | नः | भूतु | एषाम् | मनः | पुनः | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.१२ //
देवः | देवानाम् | असि | मित्रः | अद्भुतः | वसुः | वसूनाम् | असि | चारुः | अध्वरे | शर्मन् | स्याम | तव | सप्रथः-तमे | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.१३ //
तत् | ते | भद्रम् | यत् | सम्-इद्धः | स्वे | दमे | सोम-आहुतः | जरसे | मृऌअयत्-तमः | दधासि | रत्नम् | द्रविणम् | च | दाशुषे | अग्ने | सख्ये | मा | रिषाम | वयम् | तव // ऋ. वे. १,९४.१४ //
यस्मै | त्वम् | सु-द्रविणः | ददाशः | अनागाः-त्वम् | अदिते | सर्व-ताता | यम् | भद्रेण | शवसा | चोदयासि | प्रजावता | राधसा | ते | स्याम // ऋ. वे. १,९४.१५ //
सः | त्वम् | अग्ने | सौभग-त्वस्य | विद्वान् | अस्माकम् | आयुः | प्र | तिर | इह | देव | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,९४.१६ //
//३२//.
-ऋ. वे. १:७/१-
(ऋ. वे. १,९५)
द्वे | विरूपेइतिवि-रूपे | चरतः | स्वर्थेइतिसु-अर्थे | अन्याअन्या | वत्सम् | उप | धापयेतेइति | हरिः | अन्यस्याम् | भवति | स्वधावान् | शुक्रः | अन्यस्याम् | ददृशे | सु-वर्चाः // ऋ. वे. १,९५.१ //
दश | इमम् | त्वष्टुः | जनयन्त | गर्भम् | अतन्द्रासः | युवतयः | वि-भृत्रम् | तिग्म-अनीकम् | स्व-यशसम् | जनेषु | वि-रोचमानम् | परि | सीम् | नयन्ति // ऋ. वे. १,९५.२ //
त्रीणि | जाना | परि | भूषन्ति | अस्य | समुद्रे | एकम् | दिवि | एकम् | अप्-सु | पूर्वाम् | अनु | प्र | दिशम् | पार्थिवानाम् | ऋतून् | प्र-शासत् | वि | दधौ | अनुष्ठु // ऋ. वे. १,९५.३ //
कः | इमम् | वः | निण्यम् | आ | चिकेत | वत्सः | मातॄः | जनयत | स्व-धाभिः | बह्वीनाम् | गर्भः | अपसाम् | उप-स्थात् | महान् | कविः | निः | चरति | स्वधावान् // ऋ. वे. १,९५.४ //
आविः-त्यः | वर्धते | चारुः | आसु | जिह्मानाम् | ऊर्ध्वः | स्व-यशाः | उप-स्थे | उभे
इति | त्वष्टुः | बिभ्यतुः | जायमानात् | प्रतीची इति | सिंहम् | प्रति | जोषयेतेइति // ऋ. वे. १,९५.५ //
//१//.
-ऋ. वे. १:७/२-
उभे इति | भद्रे इति | जोषयेतेइति | न | मेने | गावः | न | वाश्राः | उप | तस्थुः | एवैः | सः | दक्षाणाम् | दक्ष-पतिः | बभूव | अञ्जन्ति | यम् | दक्षिणतः | हविः-भिः // ऋ. वे. १,९५.६ //
उत् | यंयमीति | सविताइव | बाहू इति | उभे इति | सिचौ | यतते | भीमः | ऋञ्जन् | उत् | शुक्रम् | अत्कम् | अजते | सिमस्मात् | नवा | मातृ-भ्यः | वसना | जहाति // ऋ. वे. १,९५.७ //
त्वेषम् | रूपम् | कृणुते | उत्-तरम् | यत् | सम्-पृञ्चानः | सदने | गो--भिः | अत्-भिः | कविः | बुध्नम् | परि | मर्मृज्यते | धीः | सा | देवताता | सम्-इतिः | बभूव // ऋ. वे. १,९५.८ //
उरु | ते | ज्रयः | परि | एति | बुध्नम् | वि-रोचमानम् | महिषस्य | धाम | विश्वेभिः | अग्ने | स्वयशः-भिः | इद्धः | अदब्धेभिः | पायु-भिः | पाहि | अस्मान् // ऋ. वे. १,९५.९ //
धन्वन् | स्रोतः | कृणुते | गतुम् | ऊर्मिम् | शुक्रैः | ऊर्मि-भिः | अभि | नक्षति | क्षाम् | विश्वा | सनानि | जठरेषु | धत्ते | अन्तः | नवासु | चरति | प्र-सूषु // ऋ. वे. १,९५.१० //
एव | नः | अग्ने | सम्-इधा | वृधानः | रेवत् | पावक | श्रवसे | वि | भाहि | तत् | नः | मि त्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,९५.११ //
//२//.
-ऋ. वे. १:७/३-
(ऋ. वे. १,९६)
सः | प्रत्न-था | सहसा | जायमानः | सद्यः | काव्यानि | बट् | अधत्त | विश्वा | आपः | च | मित्रम् | धिषणा | च | साधन् | देवाः | अग्निम् | धारयन् | द्रविणः-दाम् // ऋ. वे. १,९६.१ //
सः | पूर्वया | नि-विदा | कव्यता | आयोः | इमाः | प्र-जाः | अजनयत् | मनूनाम् | विवस्वता | चक्षसा | द्याम् | अपः | च | देवाः | अग्निम् | धारयन् | द्रविणः-दाम् // ऋ. वे. १,९६.२ //
तम् | इऌअत | प्रथमम् | यज्ञ-साधम् | विशः | आरीः | आहुतम् | ऋञ्जसानम् | ऊर्जः | पुत्रम् | भरतम् | सृप्र-दानुम् | देवाः | अग्निम् | धारयन् | द्रविणः-दाम् // ऋ. वे. १,९६.३ //
सः | मातरिश्वा | पुरुवार-पुष्टिः | विदत् | गातुम् | तनयाय | स्वः-वित् | विशाम् | गोपाः | जनिता | रोदस्योः | देवाः | अग्निम् | धारयन् | द्रविणः-दाम् // ऋ. वे. १,९६.४ //
नक्तोषसा | वर्णम् | आमेम्यानेइत्य् आमेम्याने | धापयेतेइति | शिशुम् | एकम् | समीची इतिसम्-ईची | द्यावाक्षामा | रुक्मः | अन्तः | वि | भाति | देवाः | अग्निम् | धारयन् | द्रविणः-दाम् // ऋ. वे. १,९६.५ //
//३//.
-ऋ. वे. १:७/४-
रायः | बुध्नः | सम्-गमनः | वसूनाम् | यज्ञस्य | केतुः | मन्म-साधनः | वेः | अमृत-त्वम् | रक्षमाणासः | एनम् | देवाः | अग्निम् | धारयन् | द्रविणः-दाम् // ऋ. वे. १,९६.६ //
नु | च | पुरा | च | सदनम् | रयीणाम् | जातस्य | च | जायमानस्य | च | क्षाम् | सतः | च | गोपाम् | भवतः | च | भूरेः | देवाः | अग्निम् | धारयन् | द्रविणः-दाम् // ऋ. वे. १,९६.७ //
द्रविणः-दाः | द्रविणसः | तुरस्य | द्रविणः-दाः | सनरस्य | प्र | यंसत् | द्रविणः-दाः | वीर-वतीम् | इषम् | नः | द्रविणः-दाः | रासते | दीर्घम् | आयुः // ऋ. वे. १,९६.८ //
एव | नः | अग्ने | सम्-इधा | वृधानः | रेवत् | पावक | श्रवसे | वि | भाहि | तत् | नः | मि त्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,९६.९ //
//४//.
-ऋ. वे. १:७/५-
(ऋ. वे. १,९७)
अप | नः | शोशुचत् | अघम् | अग्ने | शुशुग्धि | आ | रयिम् | अप | नः | शोशुचत् | अघम् // ऋ. वे. १,९७.१ //
सु-क्षेत्रिया | सुगातु-या | वसु-या | च | यजामहे | अप | नः | शोशुचत् | अघम् // ऋ. वे. १,९७.२ //
प्र | यत् | भन्दिष्ठः | एषाम् | प्र | अस्माकासः | च | सूरयः | अप | नः | शोशुचत् | अघम् // ऋ. वे. १,९७.३ //
प्र | यत् | ते | अग्ने | सूरयः | जायेमहि | प्र | ते | वयम् | अप | नः | शोशुचत् | अघम् // ऋ. वे. १,९७.४ //
प्र | यत् | अग्नेः | सहस्वतः | विश्वतः | यन्ति | भानवः | अप | नः | शोशुचत् | अघम् // ऋ. वे. १,९७.५ //
त्वम् | हि | विश्वतः-मुख | विश्वतः | परि-भूः | असि | अप | नः | शोशुचत् | अघम् // ऋ. वे. १,९७.६ //
द्विषः | नः | विश्वतः-मुख | अति | नावाइव | पारय | अप | नः | शोशुचत् | अघम् // ऋ. वे. १,९७.७ //
सः | नः | सिन्धुम्-इव | नावया | अति | पर्ष | स्वस्तये | अप | नः | शोशुचत् | अघम् // ऋ. वे. १,९७.८ //
//५//.
-ऋ. वे. १:७/६-
(ऋ. वे. १,९८)
वैश्वानरस्य | सु-मतौ | स्याम | राजा | हि | कम् | भुवनानाम् | अभि-श्रीः | इतः | जातः | विश्वम् | इदम् | वि | चष्टे | वैश्वानरः | यतते | सूर्येण // ऋ. वे. १,९८.१ //
पृष्टः | दिवि | पृष्टः | अग्निः | पृथिव्याम् | पृष्टः | विश्वाः | ओषधीः | आ | विवेश | वैश्वानरः | सहसा | पृष्टः | अग्निः | सः | नः | दिवा | सः | रिषः | पातु | नक्तम् // ऋ. वे. १,९८.२ //
वैश्वानर | तव | तत् | सत्यम् | अस्तु | अस्मान् | रायः | मघवानः | सचन्ताम् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,९८.३ //
//६//.
-ऋ. वे. १:७/७-
(ऋ. वे. १,९९)
जत-वेदसे | सुनवाम | सोमम् | अराति-यतः | नि | दहाति | वेदः | सः | नः | पर्षत् | अति | दुः-गानि | विश्वा | नावाइव | सिन्धुम् | दुः-इता | अति | अग्निः // ऋ. वे. १,९९.१ //
//७//.
-ऋ. वे. १:७/८-
(ऋ. वे. १,१००)
सः | यः | वृषा | वृष्ण्येभिः | सम्-ओकाः | महः | दिवः | पृथिव्याः | च | सम्-राट् | सतीन-सत्वा | हव्यः | भरेषु | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.१ //
यस्य | अनाप्तः | सूर्यस्य-इव | यामः | भरे--भरे | वृत्र-हा | शुष्मः | अस्ति | वृषन्-तमः | सखि-भिः | स्वेभिः | एवैः | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.२ //
दिवः | न | यस्य | रेतसः | दुघानाः | पन्थासः | यन्ति | शवसा | अपरि-इताः | तरत्-द्वेषाः | ससहिः | पैंस्येभिः | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.३ //
सः | अङ्गिरः-भिः | अङ्गिरः-तमः | भूत् | वृषा | वृष-भिः | सखि-भिः | सखा | सन् | ऋग्मि-भिः | ऋग्मी | गातु-भिः | ज्येष्ठः | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.४ //
सः | सूनु-भिः | न | रुद्रेभिः | ऋभ्वा | नृ-सह्ये | ससह्वान् | अमित्रान् | स-नीऌएभिः | श्रवस्यानि | तूर्वन् | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.५ //
//८//.
-ऋ. वे. १:७/९-
सः | मन्यु-मीः | स-मदनस्य | कर्ता | अस्माकेभिः | नृ-भिः | सूर्यम् | सनत् | अस्मि न् | अहन् | सत्-पतिः | पुरु-हूतः | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.६ //
तम् | ऊतयः | रणयत् | शूर-सातौ | तम् | क्षेमस्य | क्षितयः | कृण्वत | त्राम् | सः | विश्वस्य | करुणस्य् अ | ईशे | एकः | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.७ //
तम् | अप्सन्त | शवसः | उत्-सवेषु | नरः | नरम् | अवसे | तम् | धनाय | सः | अन्धे | चित् | तमसि | ज्योतिः | विदत् | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.८ //
सः | सव्येन | यमति | व्राधतः | चित् | सः | दक्षिणे | सम्-गृभीता | कृतानि | सः | कीरिणा | चित् | सनिता | धनानि | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.९ //
सः | ग्रामेभिः | सनिता | सः | रथेभिः | विदे | विश्वाभिः | कृष्ति-भिः | नु | अद्य | सः | पैंस्येभिः | अभि-भूः | अशस्तीः | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.१० //
//९//.
-ऋ. वे. १:७/१०-
सः | जामि-भिः | यत् | सम्-अजाति | मीऌहे | अजामि-भिः | वा | पुरु-हूतः | एवैः | अपाम् | तोकस्य | तनयस्य | जेषे | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.११ //
सः | वज्र-भृत् | दस्यु-हा | भीमः | उग्रः | सहस्र-चेताः | शत-नीथः | ऋभ्वा | चम्रीषः | न | शवसा | पाञ्च-जन्यः | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.१२ //
तस्य | वज्रः | क्रन्दति | स्मत् | स्वः-साः | दिवः | न | त्वेषः | रवथः | शिमी-वान् | तम् | सचन्ते | सनयः | तम् | धनानि | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.१३ //
यस्य | अजस्रम् | शवसा | मानम् | उक्थम् | परि-भुजत् | रोदसी इति | विश्वतः | सीम् | सः | पारिषत् | क्रतु-भिः | मन्दसानः | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.१४ //
न | यस्य | देवाः | देवता | न | मर्ता | आपः | चन | शवसः | अन्तम् | आपुः | सः | प्र-रिक्वा | त्वक्षसा | क्ष्मः | दिवः | च | मरुत्वान् | नः | भवतु | इन्द्रः | ऊती // ऋ. वे. १,१००.१५ //
//१०//.
-ऋ. वे. १:७/११-
रोहित् | श्यावा | सुमत्-अंशुः | ललामीः | द्युक्षा | राये | ऋज्र-अश्वस्य | वृषण्-वन्तम् | बिभ्रती | धूः-सु | रथम् | मन्द्रा | चिकेत | नाहुषीषु | विक्षु // ऋ. वे. १,१००.१६ //
एतत् | त्यत् | ते | इन्द्र | वृष्णे | उक्थम् | वार्षागिराः | अभि | गृणन्ति | राधः | ऋज्र-अश्वः | प्रष्टि-भिः | अम्बरीषः | सह-देवः | भयमानः | सु-राधाः // ऋ. वे. १,१००.१७ //
दस्यून् | शिम्यून् | च | पुरु-हूतः | एवैः | हत्वा | पृथिव्याम् | शर्वा | नि | बर्हीत् | सनत् | क्षेत्रम् | सखि-भिः | श्वित्न्येभिः | सनत् | सूर्यम् | सनत् | अपः | सु-वज्रः // ऋ. वे. १,१००.१८ //
विश्वाहा | इन्द्रः | अधि-वक्ता | नः | अस्तु | अपरि-ह्वृताः | सनुयाम | वाजम् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१००.१९ //
//११//.
-ऋ. वे. १:७/१२-
(ऋ. वे. १,१०१)
प्र | मन्दिने | पितु-मत् | अर्चत | वचः | यः | कृष्ण-गर्भाः | निः-अहन् | ऋजिश्वना | अवस्यवः | वृषणम् | वज्र-दक्षिणम् | मरुत्वन्तम् | सख्याय | हवामहे // ऋ. वे. १,१०१.१ //
यः | वि-अंसम् | जहृषाणेन | मन्युना | यः | शम्बरम् | यः | अहन् | पिप्रुम् | अव्रतम् | इन्द्रः | यः | शुष्णम् | अशुषम् | नि | अवृणक् | मरुत्वन्तम् | सख्याय | हवामहे // ऋ. वे. १,१०१.२ //
यस्य | द्यावापृथिवी इति | पैंस्यम् | महत् | यस्य | व्रते | वरुणः | यस्य | सूर्यः | यस्य | इन्द्रस्य | सिन्धवः | सश्चति | व्रतम् | मरुत्वन्तम् | सख्याय | हवामहे // ऋ. वे. १,१०१.३ //
यः | अश्वानाम् | यः | गवाम् | गो--पतिः | वशी | यः | आरितः | कर्मणि-कर्मणि | स्थिरः | वीऌओः | चित् | इन्द्रः | यः | असुन्वतः | वधः | मरुत्वन्तम् | सख्याय | हवामहे // ऋ. वे. १,१०१.४ //
यः | विश्वस्य | जगतः | प्राणतः | पतिः | यः | ब्रह्मणे | प्रथमः | गाः | अवि न्दत् | इन्द्रः | यः | दस्यून् | अधरान् | अव-अतिरत् | मरुत्वन्तम् | सख्याय | हवामहे // ऋ. वे. १,१०१.५ //
यः | शूरेभिः | हव्यः | यः | च | भीरु-भिः | यः | धावत्-भिः | हूयते | यः | च | जिग्युभिः | इन्द्रम् | यम् | विश्वा | भुवना | अभि | सम्-दधुः | मरुत्वन्तम् | सख्याय | हवामहे // ऋ. वे. १,१०१.६ //
//१२//.
-ऋ. वे. १:७/१३-
रुद्राणाम् | एति | प्र-दिशा | वि-चक्षणः | रुद्रेभिः | योषा | तनुते | पृथु | ज्रयः | इन्द्रम् | मनीषा | अभि | अर्चति | श्रुतम् | मरुत्वन्तम् | सख्याय | हवामहे // ऋ. वे. १,१०१.७ //
यत् | वा | मरुत्वः | परमे | सध-स्थे | यत् | वा | अवमे | वृजने | मादयासे | अतः | आ | याहि | अध्वरम् | नः | अच्छ | त्वाया | हविः | चकृम | सत्य-राधः // ऋ. वे. १,१०१.८ //
त्वाया | इन्द्र | सोमम् | सुसुम | सु-दक्ष | त्वाया | हविः | चकृम | ब्रह्म-वाहः | अध | नि-युत्वः | स-गणः | मरुत्-भिः | अस्मिन् | यज्ञे | बर्हिषि | मादयस्व // ऋ. वे. १,१०१.९ //
माद्यस्व | हरि-भिः | ये | ते | इन्द्र | वि | स्यस्व | शिप्रे | वि | सृजस्व | धेनेइति | आ | त्वा | सु-शिप्र | हरयः | वहन्तु | उशन् | हव्यानि | प्रति | नः | जुषस्व // ऋ. वे. १,१०१.१० //
मरुत्-स्तोत्रस्य | वृजनस्य | गोपाः | वयम् | इन्द्रेण | सनुयाम | वाजम् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१०१.११ //
//१३//.
-ऋ. वे. १:७/१४-
(ऋ. वे. १,१०२)
इमाम् | ते | धियम् | प्र | भरे | महः | महीम् | अस्य | स्तोत्रे | धिषणा | यत् | ते | आनजे | तम् | उत्-सवे | च | प्र-सवे | च | ससहिम् | इन्द्रम् | देवासः | शवसा | अमदन् | अनु // ऋ. वे. १,१०२.१ //
अस्य | श्रवः | नद्यः | सप्त | बिभ्रति | द्यावाक्षामा | पृथिवी | दर्शतम् | वपुः | अस्मे इति | सूर्याचन्द्रमसा | अभि-चक्षे | श्रद्धे | कम् | इन्द्र | चरतः | वि-तर्तुरम् // ऋ. वे. १,१०२.२ //
तम् | स्म | रथम् | मघ-वन् | प्र | अव | सातये | जैत्रम् | यम् | ते | अनु-मदाम | सम्-गमे | आजा | नः | इन्द्र | मनसा | पुरु-स्तुत | त्वायत्-भ्यः | मघ-वन् | शमर् | यच्छ | नः // ऋ. वे. १,१०२.३ //
वयम् | जयेम | त्वया | युजा | वृतम् | अस्माकम् | अंशम् | उत् | अव | भरे--भरे | अस्मभ्यम् | इन्द्र | वरिवः | सु-गम् | कृधि | प्र | शत्रूणाम् | मघ-वन् | वृष्ण्या | रुज // ऋ. वे. १,१०२.४ //
नाना | हि | त्वा | हवमानाः | जनाः | इमे | धनानाम् | धर्तः | अवसा | विपन्यवः | अस्माकम् | स्म | रथम् | आ | तिष्ठ | सातये | जैत्रम् | हि | इन्द्र | नि-भृतम् | मनः | तव // ऋ. वे. १,१०२.५ //
//१४//.
-ऋ. वे. १:७/१५-
गो--जिता | बाहू इति | अमित-क्रतुः | सिमः | कर्मन्-कर्मन् | शत-मूर्तिः | खजम्-करः | अकल्पः | इन्द्रः | प्रति-मानम् | ओजसा | अथ | जनाः | वि | ह्वयन्ते | सिसासवः // ऋ. वे. १,१०२.६ //
उत् | ते | शतात् | मघ-वन् | उत् | चभूयसः | उत् | सहस्रात् | रिरिचे | कृष्टिषु | श्रवः | अमात्रम् | त्वा | धिषणा | तित्विषे | मही | अध | वृत्राणि | जिघ्नसे | पुरम्-दर // ऋ. वे. १,१०२.७ //
त्रिविष्टि-धातु | प्रति-मानम् | ओजसः | तिस्रः | भूमीः | नृ-पते | त्रीणि | रोचना | अत् इ | इदम् | विश्वम् | भुवनम् | ववक्षिथ | अशत्रुः | इन्द्र | जनुषा | सनात् | असि // ऋ. वे. १,१०२.८ //
त्वाम् | देवेषु | प्रथमम् | हवामहे | त्वम् | बभूथ | पृतनासु | ससहिः | सः | इमम् | नः | कारुम् | उप-मन्युम् | उत्-भिदम् | इन्द्रः | कृणोतु | प्र-सवे | रथम् | पुरः // ऋ. वे. १,१०२.९ //
त्वम् | जिगेथ | न | धना | रुरोधिथ | अर्भेषु | आजा | मघ-वन् | महत्-सु | च | त्वाम् | उग्रम् | अवसे | सम् | शिशीमसि | अथ | नः | इन्द्र | हवनेषु | चोदय // ऋ. वे. १,१०२.१० //
विश्वाहा | इन्द्रः | अधि-वक्ता | नः | अस्तु | अपरि-ह्वृताः | सनुयाम | वाजम् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१०२.११ //
//१५//.
-ऋ. वे. १:७/१६-
(ऋ. वे. १,१०३)
तत् | ते | इन्द्रियम् | परमम् | पराचैः | अधारयन्त | कवयः | पुरा | इदम् | क्षमा | इदम् | अन्यत् | दिवि | अन्यत् | अस्य | सम् | ईम् इति | पृच्यते | समनाइव | केतुः // ऋ. वे. १,१०३.१ //
सः | धारयत् | पृथिवीम् | पप्रथत् | च | वज्रेण | हत्वा | निः | अपः | ससर्ज | अहन् | अहिम् | अभिनत् | रौहिणम् | वि | अहन् | वि-अंसम् | मघ-वा | शचीभिः // ऋ. वे. १,१०३.२ //
सः | जातू-भर्मा | श्रत्-दधानः | ओजः | पुरः | वि-भिन्दन् | अचरत् | वि | दासीः | वि द्वान् | वज्रिन् | दस्यवे | हेतिम् | अस्य | आर्यम् | सहः | वर्धय | द्युम्नम् | इन्द्र // ऋ. वे. १,१०३.३ //
तत् | ऊचुषे | मानुषा | इमा | युगानि | कीर्तेन्यम् | मघ-वा | नाम | बिभ्रत् | उप-प्रयन् | दस्यु-हत्याय | वज्री | यत् | ह | सूनुः | श्रवसे | नाम | दधे // ऋ. वे. १,१०३.४ //
तत् | अस्य | इदम् | पश्यत | भूरि | पुष्टम् | श्रत् | इन्द्रस्य | धत्तन | वीर्याय | सः | गाः | अविन्दत् | सः | अविन्दत् | अश्वान् | सः | ओषधीः | सः | अपः | सः | वनानि // ऋ. वे. १,१०३.५ //
//१६//.
-ऋ. वे. १:७/१७-
भूरि-कर्मणे | वृषभाय | वृश्णे | सत्य-शुष्माय | सुनवाम | सोमम् | यः | आदृत्य | परि-पन्थी-इव | शूरः | अयज्वनः | वि-भजन् | एति | वेदः // ऋ. वे. १,१०३.६ //
तत् | इन्द्र | प्र | अव | वीर्यम् | चकर्थ | यत् | ससन्तम् | वज्रेण | अबोधयः | अह् इम् | अनु | त्वा | पत्नीः | हृषितम् | वयः | च | विश्वे | देवासः | अमदन् | अनु | त्वा // ऋ. वे. १,१०३.७ //
शुष्णम् | पिप्रुम् | कुयवम् | वृत्रम् | इन्द्र | यदा | अवधीः | वि | पुरः | शम्बरस्य | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१०३.८ //
//१७//.
-ऋ. वे. १:७/१८-
(ऋ. वे. १,१०४)
योनिः | ते | इन्द्र | नि-सदे | अकारि | तम् | आ | नि | सीद | स्वानः | न | अर्वा | वि-मुच्य | वयः | अव-साय | अश्वान् | दोषा | वस्तोः | वहीयसः | प्र-पित्वे // ऋ. वे. १,१०४.१ //
ओ इति | त्ये | नरः | इन्द्रम् | ऊतये | गुः | नु | चित् | तान् | सद्यः | अध्वनः | जगम्यात् | देवासः | मन्युम् | दासस्य | श्चम्नन् | ते | नः | आ | वक्षन् | सु-विताय | वर्णम् // ऋ. वे. १,१०४.२ //
अव | त्मना | भरते | केत-वेदाः | अव | त्मना | भरते | फेनम् | उदन् | क्षीरेण | स्नातः | कुयवस्य | योषेइति | हते इति | ते इति | स्याताम् | प्रवणे | शिफायाः // ऋ. वे. १,१०४.३ //
युयोप | नाभिः | उपरस्य | आयोः | प्र | पूर्वाभिः | तिरते | राष्टि | शूरः | अञ्जसी | कुलिशी | वीर-पत्नी | पयः | हिन्वानाः | उद-भिः | भरन्ते // ऋ. वे. १,१०४.४ //
प्रति | यत् | स्या | नीथा | अदर्शि | दस्योः | ओकः | न | अच्छ | सदनम् | जानती | गात् | अध | स्म | नः | मघ-वन् | चर्कृतात् | इत् | मा | नः | मघाइव | निष्षपी | परा | दाः // ऋ. वे. १,१०४.५ //
//१८//.
-ऋ. वे. १:७/१९-
सः | त्वम् | नः | इन्द्र | सूर्ये | सः | अप्-सु | अनागाः-त्वे | आ | भज | जीव-शंसे | मा | अन्तराम् | भुजम् | आ | रिरिषः | नः | श्रद्धितम् | ते | महते | इन्द्रियाय // ऋ. वे. १,१०४.६ //
अध | मन्ये | श्रत् | ते | अस्मै | अधायि | वृषा | चोदस्व | महते | धनाय | मा | नः | अकृते | पुरु-हूत | योनौ | इन्द्र | क्षुध्यत्-भ्यः | वयः | आसुतिम् | दाः // ऋ. वे. १,१०४.७ //
मा | नः | वधीः | इन्द्र | मा | परा | दाः | मा | नः | प्रिया | भोजनानि | प्र | मोषीः | आण्डा | मा | नः | मघ-वन् | शक्र | निः | भेत् | मा | नः | पात्रा | भेत् | सह-जानुषाणि // ऋ. वे. १,१०४.८ //
अर्वाङ् | आ | इहि | सोम-कामम् | त्वा | आहुः | अयम् | सुतः | तस्य | पिब | मदाय | उरु-व्यचाः | जठरे | आ | वृषस्व | पिताइव | नः | शृणुहि | हूयमानः // ऋ. वे. १,१०४.९ //
//१९//.
-ऋ. वे. १:७/२०-
(ऋ. वे. १,१०५)
चन्द्रमाः | अप्-सु | अन्तः | आ | सु-पर्णः | धावते | दिवि | न | वः | हिरण्य-नेमयः | पदम् | विन्दन्ति | वि-द्युतः | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.१ //
अर्थम् | इत् | वै | ॐ इति | अर्थिनः | आ | जाया | युवते | पतिम् | तुञ्जातेइति | वृष्ण्यम् | पयः | परि-दाय | रसम् | दुहे | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.२ //
मो इति | सु | देवाः | अदः | स्वः | अव | पादि | दिवः | परि | मा | सोम्यस्य | शम्-भुवः | शूने | भूम | कदा | चन | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.३ //
यज्ञम् | पृच्छामि | अवमम् | सः | तत् | दूतः | वि | वोचति | क्व | ऋतम् | पूर्व्यम् | गतम् | कः | तत् | बिभर्ति | नूतनः | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.४ //
अमी इति | ये | देवः | स्थन | त्रिषु | आ | रोचने | दिवः | कत् | वः | ऋतम् | कत् | अनृतम् | क्व | प्रत्ना | वः | आहुतिः | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.५ //
//२०//.
-ऋ. वे. १:७/२१-
कत् | वः | ऋतस्य | धर्णसि | कत् | वरुणस्य | चक्षणम् | कत् | अर्यम्णः | महः | पथा | अति | क्रामेम | दुः-ढ्यः | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.६ //
अहम् | सः | अस्मि | यः | पुरा | सुते | वदामि | कानि | चित् | तम् | मा | व्यन्ति | आध्यः | वृकः | न | तृष्ण-जम् | मृगम् | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी
इति // ऋ. वे. १,१०५.७ //
सम् | मा | तपन्ति | अभितः सपत्नीः-इव | पर्शवः | मूषः | न | शिश्ना | वि | अदन्ति | मा | आध्यः | स्तोतारम् | ते | शत-क्रतो इतिशत-क्रतो | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी
इति // ऋ. वे. १,१०५.८ //
अमी इति | ये | सप्त | रश्मयः | तत्र | मे | नाभिः | आतता | त्रितः | तत् | वेद | आप्त्यः | सः | जामि-त्वाय | रेभति | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.९ //
अमी इति | ये | पञ्च | उक्षणः | मध्ये | तस्थुः | महः | दिवः | देव-त्रा | नु | प्र-वाच्यम् | सध्रीचीनाः | नि | ववृतुः | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.१० //
//२१//.
-ऋ. वे. १:७/२२-
सु-पर्णाः | एते | आसते | मध्ये | आरोधने | दिवः | ते | सेधन्ति | पथः | वृकम् | तरन्तम् | यह्वतीः | अपः | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.११ //
नव्यम् | तत् | उक्थ्यम् | हितम् | देवासः | सु-प्रवाचनम् | ऋतम् | अर्षन्तिसिन्धवः | सत्यम् | ततान | सूर्यः | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.१२ //
अग्ने | तव | त्यत् | उक्थ्यम् | देवेषु | अस्ति | आप्यम् | सः | नः | सत्तः | मनुष्वत् | आ | देवान् | यक्षि | विदुः-तरः | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.१३ //
सत्तः | होता | मनुष्वत् | आ | देवान् | अच्छ | विदुः-तरः | अग्निः | हव्या | सुसूदति | देवः | देवेषु | मेधिरः | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.१४ //
ब्रह्मा | कृणोति | वरुणः | गातु-विदम् | तम् | ईमहे | वि | ऊर्णोति | हृदा | मतिम् | नव्यः | जायताम् | ऋतम् | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.१५ //
//२२//.
-ऋ. वे. १:७/२३-
असौ | यः | पन्थाः | आदित्यः | दिवि | प्र-वाच्यम् | कृतः | न | सः | देवाः | अति-क्रमे | तम् | मर्तासः | न | पश्यथ | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.१६ //
त्रितः | कूपे | अव-हितः | देवान् | हवते | ऊतये | तत् | शुश्राव | बृहस्पतिः | कृण्वन् | अंहूरणात् | उरु | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.१७ //
अरुणः | मा | सकृत् | वृकः | पथा | यन्तम् | ददर्श | हि | उत् | जिहीते | नि-चाय्य | तष्टाइव | पृष्टि-आमयी | वित्तम् | मे | अस्य | रोदसी इति // ऋ. वे. १,१०५.१८ //
एना | आङ्गूषेण | वयम् | इन्द्र-वन्तः | अभि | स्याम | वृजने | सर्व-वीराः | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१०५.१९ //
//२३//.
-ऋ. वे. १:७/२४-
(ऋ. वे. १,१०६)
इन्द्रम् | मित्रम् | वरुणम् | अग्निम् | ऊतये | मारुतम् | शर्धः | अदितिम् | हवामहे | रथम् | न | दुः-गात् | वसवः | सु-दानवः | विश्वस्मात् | नः | अंहसः | निः | पिपर्तन // ऋ. वे. १,१०६.१ //
ते | आदित्याः | आ | गत | सर्व-तातये | भूत | देवाः | वृत्र-तूर्येषु | शम्-भुवः | रथम् | न | दुः-गात् | वसवः | सु-दानवः | विश्वस्मात् | नः | अंहसः | निः | पिपतर्न // ऋ. वे. १,१०६.२ //
अवन्तु | नः | पितरः | सु-प्रवाचनाः | उत | देवी इति | देवपुत्रेइतिदेव-पुत्रे | ऋत-वृधा | रथम् | न | दुः-गात् | वसवः | सु-दानवः | विश्वस्मात् | नः | अंहसः | निः | पिपर्तन // ऋ. वे. १,१०६.३ //
नराशंसम् | वाजिनम् | वाजयन् | इह | क्षयत्-वीरम् | पूषणम् | सुम्नैः | ईमहे | रथम् | न | दुः-गात् | वसवः | सु-दानवः | विश्वस्मात् | नः | अंहसः | निः | पिपर्तन // ऋ. वे. १,१०६.४ //
बृहस्पते | सदम् | इत् | नः | सु-गम् | कृधि | शम् | योः | यत् | ते | मनुः-हितम् | तत् | ईमहे | रथम् | न | दुः-गात् | वसवः | सु-दानवः | विश्वस्मात् | नः | अंहसः | निः | पिपर्तन // ऋ. वे. १,१०६.५ //
इन्द्रम् | कुत्सः | वृत्र-हनम् | शची-पतिम् | काटे | नि-बाऌहः | ऋषिः | अह्वत् | ऊतये | रथम् | न | दुः-गात् | वसवः | सु-दानवः | विश्वस्मात् | नः | अंहसः | निः | प् इपर्तन // ऋ. वे. १,१०६.६ //
देवैः | नः | देवी | अदितिः | नि | पातु | देवः | त्राता | त्रायताम् | अप्र-युच्छन् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१०६.७ //
//२४//.
-ऋ. वे. १:७/२५-
(ऋ. वे. १,१०७)
यज्ञः | देवानाम् | प्रति | एति | सुम्नम् | आदित्यासः | भवत | मृऌअयन्तः | आ | वः | अवार्ची | सु-मतिः | ववृत्यात् | अंहोः | चित् | या | वरिवोवित्-तरा | असत् // ऋ. वे. १,१०७.१ //
उप | नः | देवाः | अवसा | आ | गमन्तु | अङ्गिरसाम् | साम-भिः | स्तूयमानाः | इन्द्रः | इन्द्रि यैः | मरुतः | मरुत्-भिः | आदित्यैः | नः | अदितिः | शर्म | यंसत् // ऋ. वे. १,१०७.२ //
तत् | नः | इन्द्रः | तत् | वरुणः | तत् | अग्निः | तत् | अर्यमा | तत् | सविता | चनः | धात् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१०७.३ //
//२५//.
-ऋ. वे. १:७/२६-
(ऋ. वे. १,१०८)
यः | इन्द्राग्नी इति | चित्र-तमः | रथः | वाम् | अभि | विश्वानि | भुवनानि | चष्टे | तेन | आ | यातम् | स-रथम् | तस्थिवांसा | अथ | सोमस्य | पिबतम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०८.१ //
यावत् | इदम् | भुवनम् | विश्वम् | अस्ति | उरु-व्यचा | वरिमता | गभीरम् | तावान् | अयम् | पातवे | सोमः | अस्तु | अरम् | इन्द्राग्नी इति | मनसे | युव-भ्याम् // ऋ. वे. १,१०८.२ //
चक्राथे | हि | सध्र्यक् | नाम | भद्रम् | सध्रीचीना | वृत्र-हणौ | उत | स्थः | तौ | इन्द्राग्नी इति | सध्र्यञ्चा | नि-सद्य | वृष्णः | सोमस्य | वृषणा | आ | वृषेथाम् // ऋ. वे. १,१०८.३ //
सम्-इद्धेषु | अग्निषु | आनजाना | यत-स्रुचा | बर्हिः | ॐ इति | तिस्तिराणा | तीव्रैः | सोमैः | परि-सिक्तेभिः | अर्वाक् | आ | इन्द्राग्नी इति | सौमनसाय | यातम् // ऋ. वे. १,१०८.४ //
यानि | इन्द्राग्नी इति | चक्रथुः | वीर्याणि | यानि | रूपाणि | उत | वृष्ण्यानि | या | वाम् | प्रत्नानि | सख्या | शिवानि | तेभिः | सोमस्य | पिबतम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०८.५ //
//२६//.
-ऋ. वे. १:७/२७-
यत् | अब्रवम् | प्रथमम् | वाम् | वृणानः | अयम् | सोमः | असुरैः | नः | वि-हव्यः | ताम् | सत्याम् | श्रद्धाम् | अभि | आ | हि | यातम् | अथ | सोमस्य | पिबतम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०८.६ //
यत् | इन्द्राग्नी इति | मदथः | स्वे | दुरोणे | यत् | ब्रह्मणि | राजनि | वा | यजत्रा | अतः | परि | वृषणौ | आ | हि | यातम् | अथ | सोमस्य | पिबतम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०८.७ //
यत् | इन्द्राग्नी इति | यदुषु | तुर्वशेषु | यत् | द्रुह्युषु | अनुषु | पूरुषु | स्थः | अतः | परि | वृषणौ | आ | ह् इ | यातम् | अथ | सोमस्य | पिबतम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०८.८ //
यत् | इन्द्राग्नी इति | अवमस्याम् | पृथिव्याम् | मध्यमस्याम् | परमस्याम् | उत | स्थः | अतः | परि | वृषणौ | आ | हि | यातम् | अथ | सोमस्य | पिबतम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०८.९ //
यत् | इन्द्राग्नी इति | परमस्याम् | पृथिव्याम् | मध्यमस्याम् | अवमस्याम् | उत | स्थः | अतः | परि | वृषणौ | आ | हि | यातम् | अथ | सोमस्य | पिबतम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०८.१० //
यत् | इन्द्राग्नी इति | दिवि | स्थः | यत् | पृथिव्याम् | यत् | पर्वतेषु | ओषधीषु | अप्-सु | अतः | परि | वृषणौ | आ | हि | यातम् | अथ | सोमस्य | पिबतम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०८.११ //
यत् | इन्द्राग्नी इति | उत्-इता | सूर्यस्य | मध्ये | दिवः | स्वधया | मादयेथेइति | अतः | परि | वृषणौ | आ | हि | यातम् | अथ | सोमस्य | पिबतम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०८.१२ //
एव | इन्द्राग्नी इति | पपि-वांसा | सुतस्य | विश्वा | अस्मभ्यम् | सम् | जयतम् | धनानि | तत् | नः | मि त्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१०८.१३ //
//२७//.
-ऋ. वे. १:७/२८-
(ऋ. वे. १,१०९)
वि | हि | अख्यम् | मनसा | वस्यः | इच्छन् | इन्द्राग्नी इति | ज्ञासः | उत | वा | स-जातान् | न | अन्या | युवत् | प्र-मतिः | अस्ति | मह्यम् | सः | वाम् | धियम् | वाज-यन्तीम् | अतक्षम् // ऋ. वे. १,१०९.१ //
अश्रवम् | हि | भूरिदावत्-तरा | वाम् | वि-जामातुः | उत | वा | घ | स्यालात् | अथ | सोमस्य | प्र-यती | युव-भ्याम् | इन्द्राग्नी इति | स्तोमम् | जनयामि | नव्यम् // ऋ. वे. १,१०९.२ //
मा | छेद्म | रश्मीन् | इति | नाधमानाः | पितॄणाम् | शक्तीः | अनु-यच्छमानाः | इन्द्राग्नि-भ्याम् | कम् | वृषणः | मदन्ति | ता | हि | अद्री इति | धिषणायाः | उप-स्थे // ऋ. वे. १,१०९.३ //
युवाभ्याम् | देवी | धिषणा | मदाय | इन्द्राग्नी इति | सोमम् | उशती | सुनोति | तौ | अश्विना | भद्र-हस्ता | सुपाणी इतिसु-पाणी | आ | धावतम् | मधुना | पृङ्क्तम् | अप्-सु // ऋ. वे. १,१०९.४ //
युवाम् | इन्द्राग्नी इति | वसुनः | वि-भागे | तवः-तमा | शुश्रव | वृत्र-हत्ये | तौ | आसद्य | बर्हिषि | यज्ञे | अस्मिन् | प्र | चर्षणी इति | मादयेथाम् | सुतस्य // ऋ. वे. १,१०९.५ //
//२८//.
-ऋ. वे. १:७/२९-
प्र | चर्षणि-भ्यः | पृतनाहवेषु | प्र | पृथिव्याः | रिरिचाथेइति | दिवः | च | प्र | सिन्धु-भ्यः | प्र | गिरि-भ्यः | महि-त्वा | प्र | इन्द्राग्नी इति | विश्वा | भुवना अति | अन्या // ऋ. वे. १,१०९.६ //
आ | भरतम् | शिक्षतम् | वज्रबाहू इतिवज्र-बाहू | अस्मान् | इन्द्राग्नी | अवतम् | शचीभिः | इमे | नु | ते | रश्मयः | सूर्यस्य | येभिः | स-पित्वम् | पितरः | नः | आसन् // ऋ. वे. १,१०९.७ //
पुरम्-दरा | शिक्षतम् | वज्र-हस्ता | अस्मान् | इन्द्राग्नी इति | अवतम् | भरेषु | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथ् इवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१०९.८ //
//२९//.
-ऋ. वे. १:७/३०-
(ऋ. वे. १,११०)
ततम् | मे | अपः | तत् | ॐ इति | तायते | पुनरिति | स्वादिष्ठा | धीतिः | उचथाय | शस्यते | अयम् | समुद्रः | इह | व् इश्व-देव्यः | स्वाहाकृतस्य | सम् | ॐ इति | तृप्णुत | ऋभवः // ऋ. वे. १,११०.१ //
आभोगयम् | प्र | यत् | इच्छन्तः | ऐतन | अपाकाः | प्राञ्चः | मम | के | चित् | आपयः | सौधन्वनासः | चरितस्य | भूमना | अगच्छत | सवितुः | दाशुषः | गृहम् // ऋ. वे. १,११०.२ //
तत् | सविता | वः | अमृत-त्वम् | आ | असुवत् | अगोह्यम् | यत् | श्रवयन्तः | ऐतन | त्यम् | चित् | चमसम् | असुरस्य | भक्षणम् | एकम् | सन्तम् | अकृणुत | चतुः-वयम् // ऋ. वे. १,११०.३ //
विष्टवी | शमी | तरणि-त्वेन | वाघतः | मर्तासः | सन्तः | अमृत-त्वम् | आनशुः | सौधन्वनाः | ऋभवः | सूर-चक्षसः | संवत्सरे | सम् | अपृच्यन्त | धीति-भिः // ऋ. वे. १,११०.४ //
क्षेत्रम्-इव | वि | ममुः | तेजनेनम् | एकम् | पात्रम् | ऋभवः | जेहमानम् | उप-स्तुताः | उप-मम् | नाधमानाः | अमर्त्येषु | श्रवः | इच्छमानाः // ऋ. वे. १,११०.५ //
//३०//.
-ऋ. वे. १:७/३१-
आ | मानीषाम् | अन्तरिक्षस्य | नृ-भ्यः | स्रुचाइव | घृतम् | जुहवाम | विद्मना | तरणि-त्वा | ये | पितुः | अस्य | सश्चिरे | ऋभवः | वाजम् | अरुहन् | दिवः | रजः // ऋ. वे. १,११०.६ //
ऋभुः | नः | इन्द्रः | शवसा | नवीयान् | ऋभुः | वाजेभिः | वसु-भिः | वसुः | ददिः | युष्माकम् | देवाः | अवसा | अहनि | प्रिये | अभि | तिष्ठेम | पृत्सुतीः | असुन्वताम् // ऋ. वे. १,११०.७ //
निः | चर्मणः | ऋभवः | गाम् | अपिंशत | सम् | वत्सेन | असृजत | मातरम् | पुनर् इति | सौधन्वनासः | सु-अपस्यया | नरः | जिव्री
इति | युवाना | पितरा | अकृणोतन // ऋ. वे. १,११०.८ //
वाजेभिः | नः | वाज-सातौ | अविड्ढि | ऋभुमान् | इन्द्र | चित्रम् | आ | दर्षि | राधः | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,११०.९ //
//३१//.
-ऋ. वे. १:७/३२-
(ऋ. वे. १,१११)
तक्षन् | रथम् | सु-वृतम् | विद्मनाअपसः | तक्षन् | हरी इति | इन्द्र-वाहा | वृषण्वसूइतिवृषण्-वसू | तक्षन् | पितृ-भ्याम् | ऋभवः | युवत् | वयः | तक्षन् | वत्साय | मातरम् | सचाभुवम् // ऋ. वे. १,१११.१ //
आ | नः | यज्ञाय | तक्षत | ऋभु-मत् | वयः | ऋत्वे | दक्षाय | सु-प्रजावतीम् | इषम् | यथा | क्षयाम | सर्व-वीरया | विशा | तत् | नः | शर्धाय | धासथ | सु | इन्द्रियम् // ऋ. वे. १,१११.२ //
आ | तक्षत | सातिम् | अस्मभ्यम् | ऋभवः | सातिम् | रथाय | सातिम् | अर्वते | नरः | साति म् | नः | जैत्रीम् | सम् | महेत | विश्व-हा | जामिम् | अजामिम् | पृतनासु | सक्षणिम् // ऋ. वे. १,१११.३ //
ऋभुक्षणम् | इन्द्रम् | आ | हुवे | ऊतये | ऋभून् | वाजान् | मरुतः | सोम-पीतये | उभा | मित्रावरूणा | नूनम् | अश्विना | ते | नः | हिन्वन्तु | सातये | धिये | जिषे // ऋ. वे. १,१११.४ //
ऋभुः | भराय | सम् | शिशातु | सातिम् | समर्य-जित् | वाजः | अस्मान् | अविष्टु | तत् | नः | मि त्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,१११.५ //
//३२//.
-ऋ. वे. १:७/३३-
(ऋ. वे. १,११२)
ईऌए | द्यावापृथिवी इति | पूर्व-चित्तये | अग्निम् | घर्मम् | सु-रुचम् | यामन् | इष्टये | याभिः | भरे | कारम् | अंशाय | जिन्वथः | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१ //
युवोः | दानाय | सु-भराः | असश्चतः | रथम् | आ | तस्थुः | वचसम् | न | मन्तवे | याभिः | धियः | अवथः | कर्मन् | इष्टये | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.२ //
युवम् | तासाम् | दिव्यस्य | प्र-शासने | विशाम् | क्षयथः | अमृतस्य | मज्मना | याभ् इः | धेनुम् | अस्वम् | पिन्वथः | नरा | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.३ //
याभिः | परि-ज्मा | तनयस्य | मज्मना | द्विइमाता | तूर्षु | तरणिः | वि-भूषति | याभिः | त्रि-मन्तुः | अभवत् | वि-चक्षणः | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.४ //
याभिः | रेभम् | नि-वृतम् | सितम् | अत्-भ्यः | उत् | वन्दनम् | ऐरयतम् | स्वः | दृशे | याभिः | कण्वम् | प्र | सिसासन्तम् | आवतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.५ //
//३३//.
-ऋ. वे. १:७/३४-
याभिः | अन्तकम् | जसमानम् | आअरणे | भुज्युम् | याभिः | अव्यथि-भिः | जिजिन्वथुः | याभ् इः | कर्कन्धुम् | वय्यम् | च | जिन्वथः | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.६ //
याभिः | शुचन्ति | धनसाम् | सु-संसदम् | तप्तम् | घर्मम् | ओम्यावन्तम् | अत्रये | याभिः | पृष्नि-गुम् | पुरु-कुत्सम् | आवतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.७ //
याभिः | शचीभिः | वृषणा | परावृजम् | प्र | अन्धम् | श्रोणम् | चक्षसे | एतवे | कृथः | याभिः | वर्तिकाम् | ग्रसिताम् | अमुञ्चतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.८ //
याभिः | सिन्धुम् | मधु-मन्तम् | असश्चतम् | वसिष्ठम् | याभिः | अजरौ | अजिन्वतम् | याभिः | कुत्सम् | श्रुतर्यम् | नर्यम् | आवतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.९ //
याभिः | विश्पलाम् | धन-साम् | अथर्व्यम् | सहस्र-मीऌहे | आजौ | अजिन्वतम् | याभिः | वशम् | अश्व्यम् | प्रेणिम् | आवतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१० //
//३४//.
-ऋ. वे. १:७/३५-
याभिः | सुदानूइतिसु-दानू | औशिजाय | वणिजे | दीर्घ-श्रवसे | मधु | कोशः | अक्षरत् | कक्षी-वन्तम् | स्तोतारम् | याभिः | आवतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.११ //
याभिः | रसाम् | क्षोदसा | उद्गः | पिपिन्वथुः | अनश्वम् | याभिः | रथम् | आवतम् | जिषे | याभिः | त्रि-शोकः | उस्रियाः | उत्-आजत | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१२ //
याभिः | सूर्यम् | परि-याथः | परावति | मन्धातारम् | क्षैत्र-पत्येषु | आवतम् | याभिः | विप्रम् | प्र | भरत्-वाजम् | आवतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१३ //
याभिः | महाम् | अतिथि-ग्वम् | कशः-जुवम् | दिवः-दासम् | शम्बर-हत्ये | आवतम् | याभिः | पूः-भिद्ये | त्रसदस्युम् | आवतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१४ //
याभिः | वम्रम् | वि-पिपानम् | उप-स्तुतम् | कलिम् | याभिः | वित्त-जानिम् | दुवस्यथः | याभिः | वि-अश्वम् | उत | पृथिम् | आवतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१५ //
//३५//.
-ऋ. वे. १:७/३६-
याभिः | नरा | शयवे | याभिः | अत्रये | याभिः | पुरा | मनवे | गातुम् | ईषथुः | याभिः | शारीः | आजतम् | स्यूम-रश्मये | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१६ //
याभिः | पठर्वा | जठरस्य | मज्मना | अग्निः | न | अदीदेत् | चितः | इद्धः | अज्मन् | आ | याभिः | शर्यातम् | अवथः | महाधने | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१७ //
याभिः | अङ्गिरः | मनसा | नि-रण्यथः | अग्रम् | गच्छथः | वि-वरे | गो--अर्णसः | याभिः | मनुम् | शूरम् | इषा | सम्-आवतम् | ताभिः | ॐ
इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१८ //
याभिः | पत्नीः | वि-मदाय | नि-ऊहथुः | आ | घ | वा | याभिः | अरुणीः | अशिक्षतम् | याभिः | सु-दासे | ऊहथुः | सु-देव्यम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.१९ //
याभिः | शन्ताती इतिशम्-ताती | भवथः | ददाशुषे | भुज्युम् | याभिः | अवथः | याभिः | अध्रि-गुम् | ओम्यावतीम् | सु-भराम् | ऋत-स्तुभम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.२० //
//३६//.
-ऋ. वे. १:७/३७-
याभिः | कृशानुम् | असने | दुवस्यथः | जवे | याभिः | यूनः | अर्वन्तम् | आवतम् | मधु | प्रियम् | भरथः | यत् | सरट्-भ्यः | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.२१ //
याभिः | नरम् | गोषु-युधम् | नृ-सह्ये | क्षेत्रस्य | साता | तनयस्य | जिन्वथः | याभिः | रथान् | अवथः | याभिः | अर्वतः | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.२२ //
याभिः | कुत्सम् | आर्जुनेयम् | शतक्रतूइतिशत-क्रतू | प्र | तुर्वीतिम् | प्र | च | दभीतिम् | आवतम् | याभिः | ध्वसन्तिम् | पुरु-सन्तिम् | आवतम् | ताभिः | ॐ इति | सु | ऊति-भिः | अश्विना | आ | गतम् // ऋ. वे. १,११२.२३ //
अप्नस्वतीम् | अश्विना | वाचम् | अस्मे इति | कृतम् | नः | दस्रा | वृषणा | मनीषाम् | अद्यूत्ये | अवसे | नि | ह्वये | वाम् | वृधे | च | नः | भवतम् | वाज-सातौ // ऋ. वे. १,११२.२४ //
द्यु-भिः | अक्तु-भिः | परि | पातम् | अस्मान् | अरिष्टेभिः | अश्विना | सौभगेभिः | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,११२.२५ //
//३७//.
-ऋ. वे. १:८/१-
(ऋ. वे. १,११३)
इदम् | श्रेष्ठम् | ज्योतिषाम् | ज्योतिः | आ | अगात् | चित्रः | प्र-केतः | अजनिष्ट | वि-भ्वा | यथा | प्र-सूता | सवितुः | सवाय | एव | रात्री | उषसे | योनिम् | अरैक् // ऋ. वे. १,११३.१ //
रुशत्-वत्सा | रुशती | श्वेत्या | आ | अगात् | अरैक् | ॐ इति | कृष्णा | सदनानि | अस्याः | समानबन्धूइतिसमान-बन्धू | अमृतेइति | अनूची इति | द्यावा | वर्णम् | चरतः | आमिनाने इत्य् आमिनाने // ऋ. वे. १,११३.२ //
समानः | अध्वा | स्वस्रोः | अनन्तः | तम् | अन्याअन्या | चरतः | देवशिष्टेइतिदेव-शिष्टे | न | मेथेतेइति | न | तस्थतुः | सुमेके इतिसु-मेके | नक्तोषासा | स-मनसा | विरूपेइतिवि-रूपे // ऋ. वे. १,११३.३ //
भास्वती | नेत्री | सूनृतानाम् | अचेति | चित्रा | वि | दुरः | नः | आवर् इत्य् आवः | प्रर्-प्य | जगत् | वि | ॐ इति | नः | रायः | अख्यत् | उषाः | अजीगः | भुवनानि | विश्वा // ऋ. वे. १,११३.४ //
जिह्म-श्ये | चरितवे | मघोनी | आभोगये | इष्टये | राये | ॐ इति | त्वम् | दभ्रम् | पश्यत्-भ्यः | उर्विया | वि-चक्षे | उषाः | अजीगः | भुवनान् इ | विश्वा // ऋ. वे. १,११३.५ //
//१//.
-ऋ. वे. १:८/२-
क्षत्राय | त्वम् | श्रवसे | त्वम् | महीयै | इष्टये | त्वम् | अर्थम्-इव | त्वम् | इत्यै | वि-सदृशा | जीविता | अभि-प्रचक्षे | उषाः | अजीगः | भुवनानि | विश्वा // ऋ. वे. १,११३.६ //
एषा | दिवः | दुहिता प्रति | अदर्शि | वि-उच्छन्ती | युवतिः | शुक्र-वासाः | विश्वस्य | ईशाना | पार्थिवस्य | वस्वः | उषः | अद्य | इह | सु-भगे | वि | उच्छ // ऋ. वे. १,११३.७ //
परायतीनाम् | अनु | एति | पाथः | आयतीनाम् | प्रथमा | शश्वतीनाम् | वि-उच्छन्ती | जीवम् | उत्-ईरयन्ती | उषाः | मृतम् | कम् | चन | बोधयन्ती // ऋ. वे. १,११३.८ //
उषः | यत् | अग्निम् | सम्-इधे | चकर्थ | वि | यत् | आवः | चक्षसा | सूर्यस्य | यत् | मानुषान् | यक्ष्यमाणान् | अजीगरिति | तत् | देवेषु | चकृषे | भद्रम् | अप्नः // ऋ. वे. १,११३.९ //
कियति | आ | यत् | समया | भवाति | याः | वि-ऊषुः | याः | च | नूनम् | वि-उच्छान् | अनु | पूर्वाः | कृपते | वावशाना | प्र-दीध्याना | जोषम् | अन्याभिः | एति // ऋ. वे. १,११३.१० //
//२//.
-ऋ. वे. १:८/३-
ईयुः | ते | ये | पूर्व-तराम् | अपश्यन् | वि-उच्छन्तीम् | उषसम् | मर्त्यासः | अस्माभिः | ॐ इति | नु | प्रति-चक्ष्या | अभूत् | ओ इति | ते | यन्ति | ये | अपरीषु | पश्यान् // ऋ. वे. १,११३.११ //
यावयत्-द्वेषाः | ऋत-पाः | ऋते--जाः | सुम्न-वरी | सूनृताः | ईरयन्ती | सु-मङ्गलीः | बिभ्रती | देव-वीतिम् | इह | अद्य | उषः | श्रेष्ठ-तमा | वि | उच्छ // ऋ. वे. १,११३.१२ //
शश्वत् | पुरा | उषाः | वि | उवास | देवी | अथो इति | अद्य | इदम् | वि | आवः | मघोनी | अथो इति | वि | उच्छात् | उत्-तरान् | अनु | द्यून् | अजरा | अमृता | चरति | स्वधाभिः // ऋ. वे. १,११३.१३ //
वि | अञ्जि-भिः | दिवः | आतासु | अद्यौत् | अप | कृष्णाम् | निः-निजम् | देवी | आवर् इत्य् आवः | प्र-बोधयन्ती | अरुणेभिः | अश्वैः | आ | उषाः | याति | सु-युजा | रथेन // ऋ. वे. १,११३.१४ //
आवहन्ती | पोष्या | वार्याणि | चित्रम् | केतुम् | कृणुते | चेकिताना | ईयुषीणाम् | उप-मा | शश्वतीनाम् | वि-भातीनाम् | प्रथमा | उषाः | वि | अश्वैत् // ऋ. वे. १,११३.१५ //
//३//.
-ऋ. वे. १:८/४-
उत् | ईर्ध्वम् | जीवः | असुः | नः | आ | अगात् | अप | प्र | अगात् | तमः | आ | ज्योतिः | एत् इ | अरैक् | पन्थाम् | यातवे | सूर्याय | अगन्म | यत्र | प्र-तिरन्ते | आयुः // ऋ. वे. १,११३.१६ //
स्यूमना | वाचः | उत् | इयर्ति | वह्निः | स्तवानः | रेभः | उषसः | वि-भातीः | अद्य | तत् | उच्छ | गृणते | मघोनि | अस्मे इति | आयुः | नि | दिदीहि | प्रजावत् // ऋ. वे. १,११३.१७ //
याः | गो--मतीः | उषसः | सर्व-वीराः | वि-उच्छन्ति | दाशुषे | मर्त्याय | वायोः-इव | सूनृतानाम् | उत्-अर्के | ताः | अश्व-दाः | अश्नवत् | सोम-सुत्वा // ऋ. वे. १,११३.१८ //
माता | देवानाम् | अदितेः | अनीकम् | यज्ञस्य | केतुः | बृहती | वि | भाहि | प्रशस्ति-कृत् | ब्रह्मणे | नः | वि | उच्छ | नः | जने | जनय | विश्व-वारे // ऋ. वे. १,११३.१९ //
यत् | चित्रम् | अप्नः | उषसः | वहन्ति | ईजानाय | शशमानाय | भद्रम् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,११३.२० //
//४//.
-ऋ. वे. १:८/५-
(ऋ. वे. १,११४)
इमाः | रुद्राय | तवसे | कपर्दिने | क्षयत्-वीराय | प्र | भरामहे | मतीः | यथा | शम् | असत् | द्वि-पदे | चतुः-पदे | विश्वम् | पुष्टम् | ग्रामे | अस्मिन् | अनातुरम् // ऋ. वे. १,११४.१ //
मृऌअ | नः | रुद्र | उत | नः | मयः | कृधि | क्षयत्-वीराय | नमसा | विधेम | ते | यत् | शम् | च | योः | च | मनुः | आयेजे | पिता | तत् | अश्याम | तव | रुद्र | प्र-नीतिषु // ऋ. वे. १,११४.२ //
अश्याम | ते | सु-मतिम् | देव-यज्यया | क्षयत्-वीरस्य | तव | रुद्र | मीढवः | सुम्न-यन् | इत् | विशः | अस्माकम् | आ | चर | अरिष्ट-वीराः | जुहवाम | ते | हविः // ऋ. वे. १,११४.३ //
त्वेषम् | वयम् | रुद्रम् | यज्ञ-साधम् | वङ्कुम् | कविम् | अवसे | नि | ह्वयामहे | आरे | अस्मत् | दैव्यम् | हेऌअः | अस्यतु | सु-मतिम् | इत् | वयम् | अस्य | आ | वृणीमहे // ऋ. वे. १,११४.४ //
दिवः | वराहम् | अरुषम् | कपर्दिनम् | त्वेषम् | रूपम् | नमसा | नि | ह्वयामहे | हस्ते | बिभ्रत् | भेषजा | वार्याणि | शर्म | वर्म | छर्दिः | अस्मभ्यम् | यंसत् // ऋ. वे. १,११४.५ //
//५//.
-ऋ. वे. १:८/६-
इदम् | पित्रे | मरुताम् | उच्यते | वचः | स्वादोः | स्वादीयः | रुद्राय | वर्धनम् | रास्व | च | नः | अमृत | मर्त-भोजनम् | त्मने | तोकाय | तनयाय | मृऌअ // ऋ. वे. १,११४.६ //
मा | नः | महान्तम् | उत | मा | नः | अर्भकम् | मा | नः | उक्षन्तम् | उत | मा | नः | उक्षितम् | मा | नः | वधीः | पितरम् | मा | उत | मातरम् | मा | नः | प्रियाः | तन्वः | रुद्र | रिरिषः // ऋ. वे. १,११४.७ //
मा | नः | तोके | तनये | मा | नः | आयौ | मा | नः | गोषु | मा | नः | अश्वेषु | रिरिषः | वीरान् | मा | नः | रुद्र | भामितः | वधीः | हविष्मन्तः | सदम् | इत् | त्वा | हवामहे // ऋ. वे. १,११४.८ //
उप | ते | स्तोमान् | पशुपाः-इव | आ | अकरम् | रास्व | पितः | मरुताम् | सुम्नम् | अस्मे इति | भद्रा | हि | ते | सु-मतिः | मृऌअयत्-तमा | अथ | वयम् | अव | इत् | ते | वृणीमहे // ऋ. वे. १,११४.९ //
आरे | ते | गो--घ्नम् | उत | पुरुष-घ्नम् | क्षयत्-वीर | सुम्नम् | अस्मे इति | ते | अस्तु | मृऌअ | च | नः | अधि | च | ब्रूहि | देव | अध | च | नः | शर्म | यच्छ | द्वि-बर्हाः // ऋ. वे. १,११४.१० //
अवोचाम | नमः | अस्मै | अवस्यवः | शृणोतु | नः | हवम् | रुद्रः | मरुत्वान् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,११४.११ //
//६//.
-ऋ. वे. १:८/७-
(ऋ. वे. १,११५)
चित्रम् | देवानाम् | उत् | अगात् | अनीकम् | चक्षुः | मित्रस्य | वरुणस्य | अग्नेः | आ | अप्राः | द्यावापृथिवी इति | अन्तरिक्षम् | सूर्यः | आत्मा | जगतः | तस्थुषः | च // ऋ. वे. १,११५.१ //
सूर्यः | देवीम् | उषसम् | रोचमानाम् | मर्यः | न | योषाम् | अभि | एति | पश्चात् | यत्र | नरः | देव-यन्तः | युगानि | वि-तन्वते | प्रति | भद्राय | भद्रम् // ऋ. वे. १,११५.२ //
भद्राः | अश्वाः | हरितः | सूर्यस्य | चित्राः | एत-ग्वाः | अनु-माद्यासः | नमस्यन्तः | दिवः | आ | पृष्ठम् | अस्थुः | परि | द्यावापृथिवी | यन्ति | सद्यः // ऋ. वे. १,११५.३ //
तत् | सूर्यस्य | देव-त्वम् | तत् | महि-त्वम् | मध्या | कर्तोः | वि-ततम् | सम् | जभार | यदा | इत् | अयुक्त | हरितः | सध-स्थाय् | आत् | रात्री | वासः | तनुते | सिमस्मै // ऋ. वे. १,११५.४ //
तत् | मित्रस्य | वरुणस्य | अभि-चक्षे | सूर्यः | रूपम् | कृणुते | द्योः | उप-स्थे | अनन्तम् | अन्यत् | रुशत् | अस्य | पाजः | कृष्णम् | अन्यत् | हरितः | सम् | भरन्ति // ऋ. वे. १,११५.५ //
अद्य | देवाः | उत्-इता | सूर्यस्य | निः | अंहसः | पिपृत | निः | अवद्यात् | तत् | नः | मित्रः | वरुणः | ममहन्ताम् | अदितिः | सिन्धुः | पृथिवी | उत | द्यौः // ऋ. वे. १,११५.६ //
//७//.
-ऋ. वे. १:८/८-
(ऋ. वे. १,११६)
नासत्याभ्याम् | बर्हिः-इव | प्र | वृञ्जे | स्तोमान् | इयर्मि | अभ्रियाइव | वातः | यौ | अर्भगाय | वि-मदाय | जायाम् | सेनाजुवा | नि-ऊहतुः | रथेन // ऋ. वे. १,११६.१ //
वीऌउपत्म-भिः | आशुहेम-भिः | वा | देवानाम् | वा | जूति-भिः | शाशदाना | तत् | रासभः | नासत्या | सहस्रम् | आजा | यमस्य | प्र-धने | जिगाय // ऋ. वे. १,११६.२ //
तुग्रः | ह | भुज्युम् | अश्विना | उद-मेघे | रयिम् | न | कः | चित् | ममृ-वाम् | अव | अहाः | तम् | ऊहथुः | नौभिः | आत्मन्-वतीभिः | अन्तरिक्षप्रुत्-भिः | अप-उदकाभ् इः // ऋ. वे. १,११६.३ //
तिस्रः | क्षपः | त्रिः | अहा | अतिव्रजत्-भिः | नासत्या | भुज्युम् | ऊहथुः | पतङ्गैः | समुद्रस्य | धन्वन् | आर्द्रस्य | पारे | त्रि-भिः | रथैः | शतपत्-भिः | षट्-अश्वैः // ऋ. वे. १,११६.४ //
अनारम्भणे | तत् | अवीरयेथाम् | अनास्थाने | अग्रभणे | समुद्रे | यत् | अश्विना | ऊहथुः | भुज्युम् | अस्तम् | शत-अरित्रान् | नावम् | आतस्थिवांसम् // ऋ. वे. १,११६.५ //
//८//.
-ऋ. वे. १:८/९-
यम् | अश्विना | ददथुः | श्वेतम् | अश्वम् | अघ-अश्वाय | शश्वत् | इत् | स्वस्ति | तत् | वाम् | दात्रम् | महि | कीर्तेन्यम् | भूत् | पैद्वः | वाजी | सदम् | इत् | हव्यः | अर्यः // ऋ. वे. १,११६.६ //
युवम् | नरा | स्तुवते | पज्रियाय | कक्षीवते | अरदतम् | पुरम्-धिम् | कारोतरात् | शफात् | अश्वस्य | वृष्णः | शतम् | कुम्भान् | असिञ्चतम् | सुरायाः // ऋ. वे. १,११६.७ //
हिमेन | अग्निम् | घ्रंसम् | अवारयेथाम् | पितु-मतीम् | ऊर्जम् | अस्मै | अधत्तम् | ऋबीसे | अत्रिम् | अश्विना | अव-नीतम् | उत् | निन्यथुः | सर्व-गणम् | स्वस्ति // ऋ. वे. १,११६.८ //
परा | अवतम् | नासत्या | अनुदेथाम् | उच्चाबुध्नम् | चक्रथुः | जिह्म-बारम् | क्षरन् | आपः | न | पायनाय | राये | सहस्राय | तृष्यते | गोतमस्य // ऋ. वे. १,११६.९ //
जुजुरुषः | नासत्या | उत | वव्रिम् | प्र | अमुञ्चतम् | द्रापिम्-इव | च्यवानात् | प्र | अतिरतम् | जहितस्य | आयुः | दस्रा | आत् | इत् | पतिम् | अकृणुतम् | कनीनाम् // ऋ. वे. १,११६.१० //
//९//.
-ऋ. वे. १:८/१०-
तत् | वाम् | नरा | शंस्यम् | राध्यम् | च | अभिष्टि-मत् | नासत्या | वरूथम् | यत् | व् इद्वांसा | निधिम्-इव | अप-गूऌहम् | उत् | दर्शतात् | ऊपथुः | वन्दनाय // ऋ. वे. १,११६.११ //
तत् | वाम् | नरा | सनये | दंसः | उग्रम् | आविः | कृणोमि | तन्यतुः | न | वृष्टिम् | दध्यङ् | ह | यत् | मधु | आथर्वणः | वाम् | अश्वस्य | सीर्ष्णा | प्र | यत् | ईम् | उवाच // ऋ. वे. १,११६.१२ //
अजोहवीत् | नासत्या | करा | वाम् | महे | यामन् | पुरु-भुजा | पुरम्-धिः | श्रुतम् | तत् | शासुः-इव | वध्रि-मत्याः | हिरण्य-हस्तम् | अश्विनौ | अदत्तम् // ऋ. वे. १,११६.१३ //
आस्नः | वृकस्य | वर्तिकाम् | अभीके | युवम् | नरा | नासत्या | अमुमुक्तम् | उतो इति | कविम् | पुरु-भुजा | युवम् | ह | कृपमाणम् | अकृणुतम् | वि-चक्षे // ऋ. वे. १,११६.१४ //
चरित्रम् | हि | वेः-इव | अच्छेदि | पर्णम् | आजा | खेलस्य | परि-तक्म्यायाम् | सद्यः | जङ्घाम् | आयसीम् | विश्पलायै | धने | हिते | सर्तवे | प्रति | अधत्तम् // ऋ. वे. १,११६.१५ //
//१०//.
-ऋ. वे. १:८/११-
शतम् | मेषान् | वृक्ये | चक्षदानम् | ऋज्र-अश्वम् | तम् | पिता | अन्धम् | चकार | तस्मै | अक्षी इति | नासत्या | वि-चक्षे | आ | अधत्तम् | दस्रा | भिषजौ | अनर्वन् // ऋ. वे. १,११६.१६ //
आ | वाम् | रथम् | दुहिता | सूर्यस्य | कार्ष्म-इव | अतिष्ठत् | अर्वता | जयन्ती | विश्वे | देवाः | अनु | अमन्यन्त | हृत्-भिः | सम् | ॐ इति | श्रिया | नासत्या | सचेथेइति // ऋ. वे. १,११६.१७ //
यत् | अयातम् | दिवः-दासाय | वर्तिः | भरत्-वाजाय | अश्विना | हयन्ता | रेवत् | उवाह | सचनः | रथः | वाम् | वृषभः | च | शिंशुमारः | च | युक्ता // ऋ. वे. १,११६.१८ //
रयिम् | सु-क्षत्रम् | सु-अपत्यम् | आयुः | सु-वीर्यम् | नासत्या | वहन्ता | आ | जह्नावीम् | स-मनसा | उप | वाजैः | त्रिः | अह्नः | भागम् | दधतीम् | अयातम् // ऋ. वे. १,११६.१९ //
परि-विष्टम् | जाहुषम् | विश्वतः | सीम् | सु-गेभिः | नक्तम् | ऊहथुः | रजः-भिः | वि-भिन्दुना | नासत्या | रथेन | वि | पर्वतान् | अजरयू इति | अयातम् // ऋ. वे. १,११६.२० //
//११//.
-ऋ. वे. १:८/१२-
एकस्याः | वस्तोः | आवतम् | रणाय | वशम् | अश्विना | सनये | सहस्रा | निः | अहतम् | दुच्छुनाः | इन्द्र-वन्ता | पृथु-श्रवसः | वृषणौ | अरातीः // ऋ. वे. १,११६.२१ //
शरस्य | चित् | आर्चत्-कस्य | अवतात् | आ | नीचात् | उच्चा | चक्रथुः | पातवे | वाः | शयवे | चित् | नासत्या | शचीभिः | जसुरये | स्तर्यम् | पिप्यथुः | गाम् // ऋ. वे. १,११६.२२ //
अवस्यते | स्तुवते | कृष्णियाय | ऋजु-यते | नासत्या | शचीभिः | पशुम् | न | नष्टम्-इव | दर्शनाय | विष्णाप्वम् | ददथुः | विश्वकाय // ऋ. वे. १,११६.२३ //
दश | रात्रीः | अशिवेन | नव | द्यून् | अव-नद्धम् | श्नथितम् अप्-सु | अन्तरिति | वि-प्रुतम् | रेभम् | उदनि | प्र-वृक्तम् | उत् | निन्यथुः | सोमम्-इव स्रुवेण // ऋ. वे. १,११६.२४ //
प्र | वाम् | दंसांसि | अस्विनौ | अवोचम् | अस्य | पतिः | स्याम् | सु-गवः | सु-वीरः | उत | पश्यन् | अश्नुवन् | दीर्घम् | आयुः | अस्तम्-इव | इत् | जरिमाणम् | जगम्याम् // ऋ. वे. १,११६.२५ //
//१२//.
-ऋ. वे. १:८/१३-
(ऋ. वे. १,११७)
मध्वः | सोमस्य | अश्विना | मदाय | प्रत्नः | होता | आ | विवासते | वाम् | बर्ह् इष्मती | रातिः | वि-श्रिता | गीः | इषा | यातम् | नासत्या | उप | वाजैः // ऋ. वे. १,११७.१ //
यः | वाम् | अश्विना | मनसः | जवीयान् | रथः | सु-अश्वः | विशः | आजिगाति | येन | गच्छथः | सु-कृतः | दुरोणम् | तेन | नरा | वर्तिः | अस्मभ्यम् | यातम् // ऋ. वे. १,११७.२ //
ऋषिम् | नरौ | अंहसः | पाञ्च-जन्यम् | ऋबीसात् | अत्रिम् | मुञ्चथः | गणेन | मिनन्ता | दस्योः | अशिवस्य | मायाः | अनु-पूर्वम् | वृषणा | चोदयन्ता // ऋ. वे. १,११७.३ //
अश्वम् | न | गूऌहम् | अश्विना | दुः-एवैः | ऋषिम् | नरा | वृषणा | रेभम् | अप्-सु | सम् | तम् | रिणीथः | वि-प्रुतम् | दंसः-भिः | न | वाम् | जूर्यन्ति | पूर्व्या | कृतानि // ऋ. वे. १,११७.४ //
सुषुप्वांसम् | न | निः-ऋतेः | उप-स्थे | सूर्यम् | न | दस्रा | तमसि | क्षियन्तम् | शुभे | रुक्मम् | न | दर्शतम् | नि-खातम् | उत् | ऊपथुः | अश्विना | वन्दनाय // ऋ. वे. १,११७.५ //
//१३//.
-ऋ. वे. १:८/१४-
तत् | वाम् | नरा | शंस्यम् | पज्रियेण | कक्षीवता | नासत्या | परिज्मन् | शफात् | अश्वस्य | वाजिनः | जनाय | शतम् | कुम्भान् | असिञ्चतम् | मधूनाम् // ऋ. वे. १,११७.६ //
युवम् | नरा | स्तुवते | कृष्णियाय | विष्णाप्वम् | ददथुः | विश्वकाय | घोषायै | चित् | पितृ-सदे | दुरोणे | पतिम् | जूर्यन्त्यै | अश्विनौ | अदत्तम् // ऋ. वे. १,११७.७ //
युवम् | श्यावाय | रुशतीम् | अदत्तम् | महः | क्षोणस्य | अश्विना | कण्वाय | प्र-वाच्यम् | तत् | वृषणा | कृतम् | वाम् | यत् | नार्सदाय | श्रवः | अधि-अधत्तम् // ऋ. वे. १,११७.८ //
पुरु | वर्पांसि | अश्विना | दधाना | नि | पेदवे | ऊहथुः | आशुम् | अश्वम् | सहस्र-साम् | वाजिनम् | अप्रति-इतम् | अहि-हनम् | श्रवस्यम् | तरुत्रम् // ऋ. वे. १,११७.९ //
एतानि | वाम् | श्रवस्या | सुदानूइतिसु-दानू | ब्रह्म | आङ्गूषम् | सदनम् | रोदस्योः | यत् | वाम् | पज्रासः | अश्विना | हवन्ते | यतम् | इषा | च | विदुषे | च | वाजम् // ऋ. वे. १,११७.१० //
//१४//.
-ऋ. वे. १:८/१५-
सूनोः | मानेन | अश्विना | गृणाना | वाजम् | विप्राय | भुरणा | रदन्ता | अगस्त्ये | ब्रह्मणा | ववृधाना | सम् | विश्पलाम् | नासत्या | अर्ण्त्म् // ऋ. वे. १,११७.११ //
कुह | यान्ता | सु-स्तुतिम् | काव्यस्य | दिवः | नपाता | वृषणा | शयु-त्रा | हिरण्यस्य-इव | कलशम् | नि-खातम् | उत् | ऊपथुः | दशमे | अश्विना | अहन् // ऋ. वे. १,११७.१२ //
युवम् | च्यवानम् | अश्विना | जरन्तम् | पुनः | युवानम् | चक्रथुः | शचीभिः | युवोः | रथम् | दुहिता | सूर्यस्य | सह | श्रिया | नासत्या | अवृणीत // ऋ. वे. १,११७.१३ //
युवम् | तुग्राय | पूर्व्येभिः | एवैः | पुनः-मन्यौ | अभवतम् | युवाना | युवम् भुज्युम् | अर्णसः | निः | समुद्रात् | वि-भिः | ऊहथुः | ऋज्रेभिः | अश्वैः // ऋ. वे. १,११७.१४ //
अजोहवीत् | अश्विना | तौग्र्यः | वाम् | प्र-ऊऌहः | समुद्रम् | अव्यथिः | जगन्वान् | निः | तम् | ऊहथुः | सु-युजा | रथेन | मनः-जवसा | वृषणा | स्वस्ति // ऋ. वे. १,११७.१५ //
//१५//.
-ऋ. वे. १:८/१६-
अजोहवीत् | अश्विना | वर्तिका | वाम् | आस्नः | यत् | सीम् | अमुञ्चतम् | वृकस्य | वि जयुषा | ययथुः | सानु | अद्रे | जातम् | विष्वाचः | अहतम् | विषेण // ऋ. वे. १,११७.१६ //
शतम् | मेषान् | वृक्ये | ममहानम् | तमः | प्र-णीतम् | अशिवेन | पित्रा | आ | अक्षी इति | ऋज्र-अश्वे | अश्विनौ | अधत्तम् | ज्योतिः | अन्धाय | चक्रथुः | वि-चक्षे // ऋ. वे. १,११७.१७ //
शुनम् | अन्धाय | भरम् | अह्वयत् | सा | वृकीः | अश्विना | वृषणा | नरा | इति | जारः | कनीनः-इव | चक्षदानः | ऋज्र-अश्वः | शतम् | एकम् | च | मेषान् // ऋ. वे. १,११७.१८ //
मही | वाम् | ऊतिः | अश्विना | मयः-भूः | उत | स्रामम् | धिष्ण्या | सम् | रिणीथः | अथ | युवाम् | इत् | अह्वयत् | पुरम्-धिः | आ | अगच्छतम् | सीम् | वृषणौ | अवः-भिः // ऋ. वे. १,११७.१९ //
अधेनुम् | दस्रा | स्तर्यम् | वि-सक्ताम् | अपिन्वतम् | शयवे | अश्विना | गाम् | युवम् | शचीभिः | वि-मदाय | जायाम् | नि | ऊहथुः | पुरु-मित्रस्य | योषाम् // ऋ. वे. १,११७.२० //
//१६//.
-ऋ. वे. १:८/१७-
यवम् | वृकेण | अश्विन | वपन्ता | इषम् | दुहन्ता | मनुषाय | दस्रा | अभि | दस्युम् | बकुरेण | धमन्ता | उरु | ज्योतिः | चक्रथुः | आर्याय // ऋ. वे. १,११७.२१ //
आथर्वणाय | अश्विना | दधीचे | अश्व्यम् | शिरः | प्रति | ऐरयतम् | सः | वाम् | मधु | प्र | वोचत् | ऋत-यन् | त्वाष्ट्रम् | यत् | दस्रौ | अपि-कक्ष्यम् | वाम् // ऋ. वे. १,११७.२२ //
सदा | कवी इति | सु-मतिम् | आ | चके | वाम् | विश्वाः | धियः | अश्विना | प्र | अवतम् | मे | अस्मे इति | रयिम् | नासत्या बृहन्तम् | अपत्य-साचम् | श्रुत्यम् | रराथाम् // ऋ. वे. १,११७.२३ //
हिरण्य-हस्तम् | चश्विना | रराणा | पुत्रम् | नरा | वध्रि-मत्याः | अदत्तम् | त्रिधा | ह | श्यावम् | अश्विना | वि-कस्तम् | उत् | जीवसे | ऐरयतम् | सुदानूइतिसु-दानू // ऋ. वे. १,११७.२४ //
एतानि | वाम् | अश्विना | वीर्याणि | प्र | पूर्व्याणि | आयवः | अवोचन् | ब्रह्म | कृण्वन्तः | वृषणा | युव-भ्याम् | सु-वीरासः | विदथम् | आ | वदेम // ऋ. वे. १,११७.२५ //
//१७//.
-ऋ. वे. १:८/१८-
(ऋ. वे. १,११८)
आ | वाम् | रथः | अश्विना | श्येन-पत्वा | सु-मृऌईकः | स्व-वान् | यातु | अर्वाङ् | यः | मर्त्यस्य | मनसः | जवीयान् | त्रि-वन्धुरः | वृषणा | वात-रंहाः // ऋ. वे. १,११८.१ //
त्रि-वन्धुरेण | त्रि-वृत | रथेन | त्रि-चक्रेण | सु-वृता | आ | यातम् | अर्वाक् | पिन्वतम् | गाः | जिन्वतम् | अर्वतः | नः | वर्धयतम् | अश्विना | वीरम् | अस्मे इति // ऋ. वे. १,११८.२ //
प्रवत्-यामना | सु-वृता | रथेन | दस्रौ | इमम् | शृणुतम् | श्लोकम् | अद्रेः | किम् | अङ्ग | वाम् | प्रति | अवर्तिम् | गमिष्ठा | आहुः | विप्रासः | अश्विना | पुराजाः // ऋ. वे. १,११८.३ //
आ | वाम् | श्येनासः | अश्विना | वहन्तु | रथे | युक्तासः | आशवः | पतङ्गाः | ये | अप्-तुरः | दिव्यासः | न | गृध्राः | अभि | प्रयः | नासत्या | वहन्ति // ऋ. वे. १,११८.४ //
आ | वाम् | रथम् | युवतिः | तिष्ठत् | अत्र | जुष्टवी | नरा | दुहिता | सूर्यस्य | परि | वाम् | अश्वाः | वपुषः | पतङ्गाः | वयः | वहन्तु | अरुषाः | अभीके // ऋ. वे. १,११८.५ //
//१८//.
-ऋ. वे. १:८/१९-
उत् | वन्दनम् | ऐरतम् | दंसनाभिः | उत् | रेभम् | दस्रा | वृषणा | शचीभिः | निः | तौग्र्यम् | पारयथः | समुद्रात् | पुनरिति | च्यवानम् | चक्रथुः | युवानम् // ऋ. वे. १,११८.६ //
युवम् | अत्रये | अव-नीताय | तप्तम् | ऊर्जम् | ओमानम् | अश्विनौ | अधत्तम् | युवम् | कण्वाय | अपि-रिप्ताय | चक्षुः | प्रति | अधत्तम् | सु-ष्टुतिम् | जुजुषाणा // ऋ. वे. १,११८.७ //
युवम् | धेनुम् | शयवे | नाधिताय | अपिन्वतम् | अश्विना | पूर्व्याय | अमुञ्चतम् | वर्तिकाम् | अंहसः | निः | प्रति | जङ्घाम् | विश्पलायाः | अधत्तम् // ऋ. वे. १,११८.८ //
युवम् | श्वेतम् | पेदवे | इन्द्र-जूतम् | अहि-हनम् | अश्विना | अदत्तम् | अश्वम् | जोहूत्रम् | अर्यः | अभि-भूतिम् | उग्रम् | सहस्र-साम् | वृषणम् | वीऌउ-अङ्गम् // ऋ. वे. १,११८.९ //
ता | वाम् | नरा | सु | अवसे | सु-जाता | हवामहे | अश्विना | नाधमानाः | आ | नः | उप | वसु-मता | रथेन | गिरः | जुषाणा | सुविताय | यातम् // ऋ. वे. १,११८.१० //
आ | श्येनस्य | जवसा | नूतनेन | अस्मे इति | यतम् | नासत्या | सजोषाः | हवे | हि | वाम् | अश्विना | रात-हव्यः | शश्वत्-तमायाः | उषसः | वि-उष्टौ // ऋ. वे. १,११८.११ //
//१९//.
-ऋ. वे. १:८/२०-
(ऋ. वे. १,११९)
आ | वाम् | रथम् | पुरु-मायम् | मनः-जुवम् | जीर-अश्वम् | यज्ञियम् | जीवसे | हुवे | सहस्र-केतुम् | वनिनम् | शतत्-वसुम् | श्रुष्टी-वानम् | वरिवः-धाम् | अभि | प्रयः // ऋ. वे. १,११९.१ //
ऊर्ध्वा | धीतिः | प्रति | अस्य | प्र-यामनि | अधायि | शस्मन् | सम् | अयन्ते | आ | दिशः | स्वदामि | घर्मम् | प्रति | यन्ति | ऊतयः | आ | वाम् | ऊर्जानी | रथम् | अश्विना | अरुहत् // ऋ. वे. १,११९.२ //
सम् | यत् | मिथः | पस्पृधानासः | अग्मत | शुभे | मखाः | अमिताः | जायवः | रणे | युवोः | अह | प्रवणे | चेकिते | रथः | यत् | अश्विना | वहथः | सूरिम् | आ | वरम् // ऋ. वे. १,११९.३ //
युवम् | भुज्युम् | भुरमाणम् | वि-भिः | गतम् | स्वयुक्ति-भिः | नि-वहन्ता | पितृ-भ्यः | आ | यासिष्टम् | वर्तिः | वृषणा | वि-जेन्यम् | दिवः-दासाय | महि | चेति | वाम् | अवः // ऋ. वे. १,११९.४ //
युवोः | अश्विना | वपुषे | युवायुजम् | रथम् | वानी इति | येमतुः | अस्य | शर्ध्यम् | आ | वाम् | पति-त्वम् | सख्याय | जग्मुषी | योषा | अवृणीत | जेन्या | युवाम् | पती इति // ऋ. वे. १,११९.५ //
//२०//.
-ऋ. वे. १:८/२१-
युवम् | रेभम् | परि-सूतेः | उरुष्यथः | हिमेन | घर्मम् | परि-तप्तम् | अत्रये | युवम् | शयोः | अवसम् | पिप्यथुः | गवि | प्र | दीर्घेण | वन्दनः | तारि | आयुषा // ऋ. वे. १,११९.६ //
युवम् | वन्दनम् | निः-ऋतम् | जरण्यया | रथम् | न | दस्रा | करणा | सम् | इन्वथः | क्षेत्रात् | आ | विप्रम् | जनथः | विपन्यया | प्र | वाम् | अत्र | विधते | दंसना | भुवत् // ऋ. वे. १,११९.७ //
अगच्छतम् | कृपमाणम् | परावति | पितुः | स्वस्य | त्यजसा | नि-बाधितम् | स्वः-वतीः | इतः | ऊतीः | युवोः | अह | चित्राः | अभीके | अभवन् | अभिष्टयः // ऋ. वे. १,११९.८ //
उत | स्या | वाम् | मधु-मत् | मक्षिका | अरपत् | मदे | सोमस्य | औशिजः | हुवन्यति | युवम् | दधीचः | मनः | आ | विवासथः | अथ | शिरः | प्रति | वाम् | अश्व्यम् | वदत् // ऋ. वे. १,११९.९ //
युवम् | पेदवे | पुरु-वारम् | अश्विना | स्पृधाम् | श्वेतम् | तरुतारम् | दुवस्यथः | शर्यैः | अभि-द्युम् | पृतनासु | दुस्तरम् | चर्कृत्यम् | इन्द्रम्-इव | चर्षण् इ-सहम् // ऋ. वे. १,११९.१० //
//२१//.
-ऋ. वे. १:८/२२-
(ऋ. वे. १,१२०)
का | राधत् | होत्रा | अश्विना | वाम् | कः | वाम् | जोषे | उभयोः | कथा | विधाति | अप्र-चेताः // ऋ. वे. १,१२०.१ //
विद्वांसौ | इत् | दुरः | पृच्छेत् | अविद्वान् | इत्था | अपरः | अचेताः | नु | चित् | नु | मर्ते | अक्रौ // ऋ. वे. १,१२०.२ //
ता | विद्वांसा | हवामहे | वाम् | ता | नः | विद्वांसा | मन्म | वोचेतम् | अद्य | प्र | आर्चत् | दयमानः | युवाकुः // ऋ. वे. १,१२०.३ //
वि | पृच्छामि | पाक्या | न | देवान् | वषट्-कृतस्य | अद्भुतस्य | दस्रा | पातम् | च | सह्यसः | युवम् | च | रभ्यसः | नः // ऋ. वे. १,१२०.४ //
प्र | या | घोषे | भृगवाणे | न | शोभे | यया | वाचा | यजति | पज्रियः | वाम् | प्र | इष-युः | न | विद्वान् // ऋ. वे. १,१२०.५ //
//२२//.
-ऋ. वे. १:८/२३-
श्रुतम् | गायत्रम् | तकवानस्य | अहन् | चित् | हि | रिरेभ | अश्विना | वाम् | आ | अक्षी इति | शुभः | पती इति | दन् // ऋ. वे. १,१२०.६ //
युवम् | हि | आस्तम् | महः | रन् | युवम् | वा | यत् | निः-अततंसतम् | ता | नः | वसूइति | सु-गोपा | स्यातम् | पातम् | नः | वृकात् | अघ-योः // ऋ. वे. १,१२०.७ //
मा | कस्मै | धातम् | अभि | अमित्रिणे | नः | मा | अकुत्र | नः | गृहेभ्यः | धेनवः | गुः | स्तन-भुजः | अशिश्वीः // ऋ. वे. १,१२०.८ //
दुहीयन् | मित्र-धितये | युवाकु | राये | च | नः | मिमीतम् | वाज-वत्यै | इषे | च | नः | मिमीतम् | धेनु-मत्यै // ऋ. वे. १,१२०.९ //
अश्विनोः | असनम् | रथम् | अनश्वम् | वाजिनी-वतोः | तेन | अहम् | भूरि | चाकन // ऋ. वे. १,१२०.१० //
अयम् | समह | मा | तनु | ऊह्याते | जनान् | अनु | सोम-पेयम् | सु-खः | रथः // ऋ. वे. १,१२०.११ //
अध | स्वप्नस्य | निः | विदे | अभुञ्जतः | च | रेवतः | उभा | ता | बस्रि | नश्यतः // ऋ. वे. १,१२०.१२ //
//२३//.
-ऋ. वे. १:८/२४-
(ऋ. वे. १,१२१)
कत् | इत्था | नॄन् | पात्रम् | देव-यताम् | श्रवत् | गिरः | अङ्गिरसाम् | तुरण्यन् | प्र | यत् | आनट् | विशः | आ | हर्म्यस | उरु | क्रंसते | अध्वरे | यजत्रः // ऋ. वे. १,१२१.१ //
स्तम्भीत् | ह | द्याम् | सः | धरुणम् | प्रुषायत् | ऋभुः | वाजाय | द्रविणन् | नरः | गोः | अनु | स्व-जाम् | महिषः | चक्षत | व्राम् | मेनाम् | अश्वस्य | परि | मातरम् | गोः // ऋ. वे. १,१२१.२ //
नक्षत् | हवम् | अरुणीः | पूर्व्यम् | राट् | तुरः | विशाम् | अङ्गिरसाम् | अनु | द्यून् | तक्षत् | वज्रम् | नि-युतम् | तस्तम्भत् | द्याम् | चतुः-पदे | नर्याय | द्वि-पादे // ऋ. वे. १,१२१.३ //
अस्य | मदे | स्वर्यम् | दाः | ऋताय | अपि-वृतम् | उस्रियाणाम् | अनीकम् | यत् | ह | प्र-सर्गे | त्रि-ककुप् | नि-वर्तत् | अप | द्रुहः | मानुषस्य | दुरः | वरित् इ // ऋ. वे. १,१२१.४ //
तुभ्यम् | पयः | यत् | पितरौ | अनीताम् | राधः | सु-रेतः | तुरणे | भुरण्यू इति | शुचि | यत् | ते | रेक्णः | अयजन्त | सबः-दुघायाः | पयः | उस्रियायाः // ऋ. वे. १,१२१.५ //
//२४//.
-ऋ. वे. १:८/२५-
अध | प्र | जज्ञे | तरणिः | ममत्तु | प्र | रोचि | अस्याः | उषसः | न | सूरः | इन्दुः | येभिः | आष्ट | स्व-इदुहव्यैः | स्रुवेण | सिञ्चन् | जरणा | अभि | धाम // ऋ. वे. १,१२१.६ //
सु-इध्मा | यत् | वन-धितिः | अपस्यात् | सूरः | अध्वरे | परि | रोधना | गोः | यत् | ह | प्र-भासि | कृत्व्यान् | अनु | द्यून् | अनर्विशे | पशु-इषे | तुराय // ऋ. वे. १,१२१.७ //
अष्टा | महः | दिवः | आदः | हरी इति | इह | द्युम्न-सहम् | अभि | योधानः | उत्सम् | हरिम् | यत् | ते | मन्दिनम् | धुक्षन् | वृधे | गो--रभसम् | अद्रि-भिः | वाताप्यम् // ऋ. वे. १,१२१.८ //
त्वम् | आयसम् | प्रति | वर्तयः | गोः | दिवः | अश्मानम् | उप-नीतम् | ऋभ्वा | कुत्साय | यत्र | पुरु-हूत | वन्वन् | शुष्णम् | अनन्तैः | परि-यासि | वधैः // ऋ. वे. १,१२१.९ //
पुरा | यत् | सूरः | तमसः | अपि-इतेः | तम् | अद्रि-वः | फलि-गम् | हेतिम् | अस्य | शुष्णस्य | चित् | परि-हितम् | यत् | ओजः | दिवः | परि | सु-ग्रथितम् | तत् | आ | अदर् इत्य् अदः // ऋ. वे. १,१२१.१० //
//२५//.
-ऋ. वे. १:८/२६-
अनु | त्वा | मही इति | पाजसी इति | अचक्रे इति | द्यावाक्षामा | मदताम् | इन्द्र | कर्मन् | त्वम् | वृत्रम् | आशयानम् | सिरासु | महः | वज्रेण | सिस्वपः | वराहुम् // ऋ. वे. १,१२१.११ //
त्वम् | इन्द्र | नर्यः | यान् | अवः | नॄन् | तिष्ठ | वातस्य | सु-युतः | वहिष्ठान् | यम् | ते | काव्यः | उशना | मन्दिनम् | दात् | वृत्र-हनम् | पार्यम् | ततक्ष | वज्रम् // ऋ. वे. १,१२१.१२ //
त्वम् | सूरः | हरितः | रमयः | नॄन् | भरत् | चक्रम् | एतशः | न | अयम् | इन्द्र | प्र-अस्य | पारम् | नवतिम् | नाव्यानाम् | अपि | कर्तम् | / अयज्यून् // ऋ. वे. १,१२१.१३ //
त्वम् | नः | अस्याः | इन्द्र | दुः-हनायाः | पाहि | वज्रि-वः | दुः-इतात् | अभीके | प्र | नः | वाजान् | रथ्यः | अश्व-बुध्यान् | इषे | यन्धि | श्रवसे | सूनृतायै // ऋ. वे. १,१२१.१४ //
मा | सा | ते | अस्मत् | सु-मतिः | वि | दसत् | वाज-प्रमहः | सम् | इषः | वरन्त | आ | नः | भज | मघ-वन् | गोषु | अर्यः | मंहिष्ठाः | ते | सध-मादः | स्याम // ऋ. वे. १,१२१.१५ //
//२६//.
-ऋ. वे. २:१/१-
(ऋ. वे. १,१२२)
प्र | वः | पान्तम् | रघु-मन्यवः | अन्धः | यज्ञम् | रुद्राय | मीऌहुषे | भरध्वम् | दिवः | अस्तोषि | असुरस्य | वीरैः | इषुध्याइव | मरुतः | रोदस्योः // ऋ. वे. १,१२२.१ //
पत्नी-इव | पूर्व-हूतिम् | ववृधध्यै | उषसानक्ता | पुरुधा | विदानेइति | स्तरीः | न | अत्कम् | वि-उतम् | वसाना | सूर्यस्य | श्रिया | सु-दृशी | हिरण्यैः // ऋ. वे. १,१२२.२ //
ममत्तु | नः | परि-ज्मा | वसर्हा | ममत्तु | वातः | अपाम् | वृषण्-वान् | शिशीतम् | इन्द्रापर्वता | युवम् | नः | तत् | नः | विश्वे | वरिवस्यन्तु | देवाः // ऋ. वे. १,१२२.३ //
उत | त्या | मे | यशसा | श्वेतनायै | व्यन्ता | पान्ता | औशिजः | हुवध्यै | प्र | वः | नपातम् | अपाम् | कृणुध्वम् | प्र | मातरा | रास्पिनस्य | आयोः // ऋ. वे. १,१२२.४ //
आ | वः | रुवण्युम् | औशिजः | हुवध्यै | घोषाइव | शंसम् | अर्जुनस्य | नंशे | प्र | वः | पूष्णे | दावने | आ | अच्छ | वोचेय | वसु-तातिम् | अग्नेः // ऋ. वे. १,१२२.५ //
//१//.
-ऋ. वे. २:१/२-
श्रुतम् | मे | मित्रावरुणा | हवा | इमा | उत | श्रुतम् | सदने | विश्वतः | सीम् | श्रोतु | नः | श्रोतु-रातिः | सु-श्रोतुः | सु-क्षेत्रा | सिन्धुः | अत्-भिः // ऋ. वे. १,१२२.६ //
स्तुषे | सा | वाम् | वरुण | मित्र | रातिः | गवाम् | शता | पृक्ष-यामेषु | पज्रे | श्रुत-रथे | प्रिय-रथे | दधानाः | सद्यः | पुष्टिम् | नि-रुन्धानासः | अग्मन् // ऋ. वे. १,१२२.७ //
अस्य | स्तुषे | महि-मघस्य | राधः | सचा | सनेम | नहुषः | सु-वीराः | जनः | यः | पज्रेभ्यः | वाजिनी-वान् | अश्व-वतः | रथिनः | मह्यम् | सूर् इः // ऋ. वे. १,१२२.८ //
जनः | यः | मित्रावरुणौ | अभि-ध्रुक् | अपः | न | वाम् | सुनोति | अक्ष्णयाध्रुक् | स्वयम् | सः | यक्ष्मम् | हृदये | नि | धत्त | आप | यत् | ईम् | होत्राभिः | ऋत-वा // ऋ. वे. १,१२२.९ //
सः | व्राधतः | नहुषः | दम्-सुजूतः | शर्धः-तरः | नराम् | गूर्त-श्रवाः | विसृष्ट-रातिः | याति | बाऌह-सृत्वा | विश्वासु | पृत्-सु | सदम् | इत् | शूरः // ऋ. वे. १,१२२.१० //
//२//.
-ऋ. वे. २:१/३-
अध | ग्मन्त | नहुषः | हवम् | सूरेः | श्रोत | राजानः | अमृतस्य | मन्द्राः | नभः-जुवः | यत् | निरवस्य | राधः | प्र-शस्तये | महिना | रथ-वते // ऋ. वे. १,१२२.११ //
एतम् | शर्धम् | धाम | यस्य | सूरेः | इति | अवोचन् | दश-तयस्य | नंशे | द्युम्नानि | येषु | वसु-तातिः | ररन् | विश्वे | सन्वन्तु | प्र-भृथेषु | वाजम् // ऋ. वे. १,१२२.१२ //
मन्दामहे | दश-तयस्य | धासेः | द्विः | यत् | पञ्च | बिभ्रतः | यन्ति | अन्ना | किम् | इष्ट-अश्वः | इष्ट-रश्मिः | एते | ईशानासः | तरुषः | ऋञ्जते | नॄन् // ऋ. वे. १,१२२.१३ //
हिरण्य-कर्णम् | मणि-ग्रीवम् | अर्णः | तम् | नः | विश्वे | वरिवस्यन्तु | देवाः | अर्यः | गिरः | सद्यः | आ | जग्मुषीः | आ | उस्राः | चाकन्तु | उभयेषु | अस्मे इति // ऋ. वे. १,१२२.१४ //
चत्वारः | मा | मशर्शारस्य | शिश्वः | त्रयः | राज्ञः | आयवसस्य | जिष्णोः | रथः | वाम् | मित्रावरुणा | दीर्घ-अप्साः | स्यूम-गभस्तिः | सूरः | न | अद्यौत् // ऋ. वे. १,१२२.१५ //
//३//.
-ऋ. वे. २:१/४-
(ऋ. वे. १,१२३)
पृथुः | रथः | दक्षिणायाः | अयोजि | आ | एनम् | देवासः | अमृतासः | अस्थुः | कृष्णात् | उत् | अस्थात् | अर्या | वि-हायाः | चिकित्सन्ती | मानुषाय | क्षयाय // ऋ. वे. १,१२३.१ //
पूर्वा | विश्वस्मात् | भुवनात् | अबोधि | जयन्ती | वाजम् | बृहती | सनुत्री | उच्चा | वि | अख्यत् | युवतिः | पुनः-भूः | आ | उषाः | अगन् | प्रथमा | पूर्व-हूतौ // ऋ. वे. १,१२३.२ //
यत् | अद्य | भागम् | वि-भजासि | नृ-भ्यः | उषः | देवि | मर्त्य-त्रा | सु-जाते | देवः | नः | अत्र | सविता | दमूनाः | अनागसः | वोचति | सूर्याय // ऋ. वे. १,१२३.३ //
गृहम्-गृहम् | अहना | याति | अच्छ | दिवे--दिवे | अधि | नाम | दधाना | सिसासन्ती | द्योतना | शश्वत् | आ | अगात् | अग्रम्-अग्रम् | इत् | भजते | वसूनाम् // ऋ. वे. १,१२३.४ //
भगस्य | स्वसा | वरुणस्य | जामिः | उषः | सूनृते | प्रथमा | जरस्व | पश्चा | सः | दध्याः | यः | अघस्य | धाता | जयेम | तम् | दक्षिणया | रथेन // ऋ. वे. १,१२३.५ //
//४//.
-ऋ. वे. २:१/५-
उत् | ईरताम् | सूनृताः | उत् | पुरम्-धीः | उत् | अग्नयः | शुशुचानासः | अस्थुः | स्पार्हा | वसूनि | तमसा | अप-गूऌहा | आविः | कृण्वन्ति | उषसः | वि-भातीः // ऋ. वे. १,१२३.६ //
अप | अन्यत् | एति | अभि | अन्यत् | एति | विषुरूपेइतिविषु-रूपे | अहनी इति | सम् | चरेतेइति | परि-क्षितोः | तमः | अन्या | गुहा | अकः | अद्यौत् | उषाः | शोशुचता | रथेन // ऋ. वे. १,१२३.७ //
स-दृशीः | अद्य | स-दृशीः | इत् | ॐ इति | श्वः | दीर्घम् | सचन्ते | वरुणस्य | धाम | अनवद्याः | त्रिंशतम् | योजनानि | एकाएका | क्रतुम् | परि | यन्ति | सद्यः // ऋ. वे. १,१२३.८ //
जानती | अह्नः | प्रथमस्य | नाम | शुक्रा | कृष्णात् | अजनिष्ट | श्वितीची | ऋतस्य | योषा | न | मिनाति | धाम | अहः-अहः | निः-कृतम् | आचरन्ती // ऋ. वे. १,१२३.९ //
कन्याइव | तन्वा | शाशदाना | एषि | देवि | देवम् | इयक्षमाणम् | सम्-स्मयमाना | युवतिः | पुरस्तात् | आविः | वक्षांसि | कृणुषे | वि-भाती // ऋ. वे. १,१२३.१० //
//५//.
-ऋ. वे. २:१/६-
सु-सङ्काशा | मातृमृष्टाइव | योषा | आविः | तन्वम् | कृणुषे | दृशे | कम् | भद्रा | त्वम् | उषः | वि-तरम् | वि | उच्छ | न | तत् | ते | अन्याः | उषसः | नशन्त // ऋ. वे. १,१२३.११ //
अश्व-वतीः | गो--मतीः | विश्व-वाराः | यतमानाः | रश्मि-भिः | सूर्यस्य | परा | च | यन्ति | पुनः | आ | च | यन्ति | भद्रा | नाम | वहमानाः | उषसः // ऋ. वे. १,१२३.१२ //
ऋतस्य | रश्मिम् | अनु-यच्छमाना | भद्रम्-भद्रम् | क्रतुम् | अस्मासु | धेहि | उषः | नः | अद्य | सु-हवा | वि | उच्छ | अस्मासु | रायः | मघवत्-सु | च | स्युरिति स्युः // ऋ. वे. १,१२३.१३ //
//६//.
-ऋ. वे. २:१/७-
(ऋ. वे. १,१२४)
उषाः | उच्छन्ती | सम्-इधाने | अग्नौ | उत्-यन् | सूर्यः | उर्विया | ज्योतिः | अश्रेत् | देवः | नः | अत्र | सविता | नु | अर्थम् | प्र | असावीत् | द्वि-पत् | प्र | चतुः-पत् | इत्यै // ऋ. वे. १,१२४.१ //
अमिनती | दैव्यानि | व्रतानि | प्र-मिनती | मनुष्या | युगानि | ईयुषीणाम् | उप-मा | शश्वतीनाम् | आयतीनाम् | प्रथमा | उषाः | वि | अद्यौत् // ऋ. वे. १,१२४.२ //
एषा | दिवः | दुहिता | प्रति | अदर्शि | ज्योतिः | वसाना | समना | पुरस्तात् | ऋतस्य | पन्थाम् | अनु | एति | साधु | प्रजानती-इव | न | दिशः | मिनाति // ऋ. वे. १,१२४.३ //
उपो इति | अदर्शि | शुन्ध्युवः | न | वक्षः | नोधाः-इव | आविः | अकृत | प्रियाणि | अद्म-सत् | न | ससतः | बोधयन्ती | शश्वत्-तमा | आ | अगात् | पुनः | आईयुषीणाम् // ऋ. वे. १,१२४.४ //
पूर्वे | अर्धे | रजसः | अप्त्यस्य | गवाम् | जनित्री | अकृत | प्र | केतुम् | वि | ॐ इति | प्रथते | वि-तरम् | वरीयः | आ | उभा | पृणन्ती | पित्रोः | उप-स्था // ऋ. वे. १,१२४.५ //
//७//.
-ऋ. वे. २:१/८-
एव | इत् | एषा | पुरु-तमा | दृशे | कम् | न | अजामिम् | न | परि | वृणक्ति | जामिम् | अरेपसा | तन्वा | शाशदाना | न | अर्भात् | ईषते | न | महः | वि-भाती // ऋ. वे. १,१२४.६ //
अभ्राताइव | पुंसः | एति | प्रतीची | गर्त-आरुक्-इव | सनये | धनानाम् | जायाइव | पत्ये | उशती | सु-वासाः | उषाः | हस्राइव | नि | रिणीते | अप्सः // ऋ. वे. १,१२४.७ //
खसा | स्वस्रे | ज्यायस्यै | योनिम् | अरैक् | अप | एति | अस्याः | प्रति-चक्ष्य-इव | वि-उच्छन्ती | रश्मि-भिः | सूर्यस्य | अञ्जि | अङ्क्ते | समनगाः-इव | व्राः // ऋ. वे. १,१२४.८ //
आसाम् | पूर्वासाम् | अह-सु | स्वसृॠणाम् | अपरा | पूर्वाम् | अभि | एति | पश्चात् | ताः | प्रत्न-वत् | नव्यसीः | नूनम् | अस्मे इति | रेवत् | उच्छन्तु | सु-दिनाः | उषसः // ऋ. वे. १,१२४.९ //
प्र | बोधय | उषः | पृणतः | मघोनि | अबुध्यमानाः | पणयः | ससन्तु | रेवत् | उच्छ | मघवत्-भ्यः | मघोनि | रेवत् | स्तोत्रे | सूनृते | जारयन्ती // ऋ. वे. १,१२४.१० //
//८//.
-ऋ. वे. २:१/९-
अव | इयम् | अश्वैत् | युवतिः | पुरस्तात् | युङ्क्ते | गवाम् | अरुणानाम् | अनीकम् | वि | नूनम् | उच्छात् | असति | प्र | केतुः | गृहम्-गृहम् | उप | तिष्ठाते | अग्निः // ऋ. वे. १,१२४.११ //
उत् | ते | वयः | चित् | वसतेः | अपप्तन् | नरः | च | ये | पितु-भाजः | वि-उष्टौ | अमा | सते | वहसि | भूरि | वामम् | उषः | देवि | दाशुषे | मर्त्याय // ऋ. वे. १,१२४.१२ //
अस्तोढवम् | स्तोम्याः | ब्रह्मणा | मे | अवीवृधध्वम् | उशतीः | उषसः | युष्माकम् | देवीः | अवसा | सनेम | सहस्रिणम् | च | शतिनम् | च | वाजम् // ऋ. वे. १,१२४.१३ //
//९//.
-ऋ. वे. २:१/१०-
(ऋ. वे. १,१२५)
प्रात्रिति | रत्नम् | प्रातः-इत्वा | दधाति | तम् | चिकित्वान् | प्रति-गृह्य | नि | धत्ते | तेन | प्रजाम् | वर्धयमानः | आयुः | रायः | पोषेण | सचते | सु-वीरः // ऋ. वे. १,१२५.१ //
सु-गुः | असत् | सु-हिरण्यः | सु-अश्वः | बृहत् | अस्मै | वयः | इन्द्रः | दधाति | यः | त्वा | आयन्तम् | वसुना | प्रातः-इत्वः | मुक्षीजयाइव | पदिम् | उत्-सिनाति // ऋ. वे. १,१२५.२ //
आयम् | अद्य | सु-कृतम् | प्रातः | इच्छन् | इष्टेः | पुत्रम् | वसुमता | रथेन | अंशोः | सुतम् | पायय | मत्सरस्य | क्षयत्-वीरम् | वर्धय | सूनृताभिः // ऋ. वे. १,१२५.३ //
उप | क्षरन्ति | सिन्धवः | मयः-भुवः | ईजानम् | च | यक्ष्यमाणम् | च | धेनवः | पृणन्तम् | च | पपुरिम् | च | श्रवस्यवः | घृतस्य | धाराः | उप | यन्ति | विश्वतः // ऋ. वे. १,१२५.४ //
नाकस्य | पृष्ठे | अधि | तिष्ठति | श्रितः | यः | पृणाति | सः | ह | देवेषु | गच्छति | तस्मै | आपः | घृतम् | अर्षन्ति | सिन्धवः | तस्मै | इयम् | दक्षिणा | पिन्वते | सदा // ऋ. वे. १,१२५.५ //
दक्षिणावताम् | इत् | इमानि | चित्रा | दक्षिणावताम् | दिवि | सूर्यासः | दक्षिणावन्तः | अमृतम् | भजन्ते | दक्षिणावन्तः | प्र | तिरन्ते | आयुः // ऋ. वे. १,१२५.६ //
मा | पृणन्तः | दुः-इतम् | एनः | आ | अरन् | मा | जारिषुः | सूरयः | सु-व्रतासः | अन्यः | तेषाम् | परि-धिः | अस्तु | कः | चित् | अपृणन्तम् | अभि | सम् | यन्तु | शोकाः // ऋ. वे. १,१२५.७ //
//१०//.
-ऋ. वे. २:१/११-
(ऋ. वे. १,१२६)
अमन्दान् | सोमान् | प्र | भरे | मनीषा सिन्धौ | अधि | क्षियतः | भाव्यस्य | यः | मे | सहस्रम् | अमिमीत | सवान् | अतूर्तः | राजा | श्रवः | इच्छमानः // ऋ. वे. १,१२६.१ //
शतम् | राज्ञः | नाधमानस्य | निष्कान् | शतम् | अश्वान् | प्र-यतान् | सद्यः | आदम् | शतम् | कक्षीवान् | असुरस्य | गोनाम् | दिवि | श्रवः | अजरम् | आ | ततान // ऋ. वे. १,१२६.२ //
उप | मा | श्यावाः | स्वनयेन | दत्ताः | वधू-मन्तः | दश | रथासः | अस्थुः | षष्टिः | सहस्रम् | अनु | गव्यम् | आ | अगात् | सनत् | कक्षीवान् | अभि-पित्वे | अह्नाम् // ऋ. वे. १,१२६.३ //
चत्वारिंशत् | दश-रथस्य | शोणाः | सहस्रस्य | अग्रे | श्रेणिम् | नयन्ति | मद-च्युतः | कृशन-वतः | अत्यान् | कक्षीवन्तः | उत् | अमृक्षन्त | पज्राः // ऋ. वे. १,१२६.४ //
पूर्वाम् | अनु | प्र-यतिम् | आ | ददे | वः | त्रीन् | युक्तान् | अष्टौ | अरि-धायसः | गाः | सु-बन्धवः | ये | विश्याः-इव | व्राः | अनस्वन्तः | श्रवः | ऐषन्त | पज्राः // ऋ. वे. १,१२६.५ //
आगधिता | परि-गधिता | या | कशीकाइव | जङ्गहे | ददाति | मह्यम् | यादुरी | याशूनाम् | भोज्या | शता // ऋ. वे. १,१२६.६ //
उप-उप | मे | परा | मृश | मा | मे | दभ्राणि | मन्यथाः | सर्वा | अहम् | अस्मि | रोमशा | गन्धारीणाम्-इव | अविका // ऋ. वे. १,१२६.७ //
//११//.
-ऋ. वे. २:१/१२-
(ऋ. वे. १,१२७)
अग्निम् | होतारम् | मन्ये | दास्वन्तम् | वसुम् | सूनुम् | सहसः | जात-वेदसम् | विप्रम् | न | जात-वेदसम् | यः | ऊर्ध्वया | सु-अध्वरः | देवः | देवाच्या | कृपा | घृतस्य | वि-भ्राष्टिम् | अनु | वष्टि | शोचिषा | आजुह्वानस्य | सर्पिषःअ // ऋ. वे. १,१२७.१ //
यजिष्ठम् | त्वा | यजमानाः | हुवेम | ज्येष्ठम् | अङ्गिरसाम् | विप्र | मन्म-भिः | विप्रेभिः | शुक्र | मन्म-भिः | परिज्मानम्-इव | द्याम् | होतारम् | चर्षणीनाम् | शोचिः-केशम् | वृषणम् | यम् | इमाः | विशः | प्र | अवन्तु | जूतये | विशः // ऋ. वे. १,१२७.२ //
सः | हि | पुरु | चित् | ओजसा | विरुक्मता | दीद्यानः | भवति | द्रुहम्-तरः | परशुः | न | द्रुहन्तरः | वीऌउ | चित् | यस्य | सम्-ऋतौ | श्रुवत् | वनाइव | यत् | स्थिरम् | निः-सहमाणः | यमते | न | अयते | धन्व-सहा | न | अयते // ऋ. वे. १,१२७.३ //
दृऌहा | चित् | अस्मै | अनु | दुः | यथा | विदे | तेजिष्ठाभिः | अरणि-भिः | दाष्टि | अवसे | अग्नये | दाश्टि | अवसे | प्र | यः | पुरूणि | गाहते | तक्षत् | वनाइव | शोचिषा | स्थिरा | चित् | अन्ना | नि | रिणाति | ओजसा | नि | स्थिराणि | चित् | ओज्सा // ऋ. वे. १,१२७.४ //
तम् | अस्य | पृक्षम् | उपरासु | धीमहि | नक्तम् | यः | सुदर्श-तरः | दिवातरात् | अप्र-आयुषे | दिवातरात् | आत् | अस्य | आयुः | ग्रभण-वत् | वीऌउ | शर्म | न | सूनवे | भक्तम् | अभक्तम् | अवः | व्यन्तः | अजराः | अग्नयः | व्यन्तः | अजराः // ऋ. वे. १,१२७.५ //
//१२//.
-ऋ. वे. २:१/१३-
सः | हि | शर्धः | न | मारुतम् | तुवि-स्वणिः | अप्नस्वतीषु | उर्वरासु इष्टनिः | आर्तनासु | इष्टनिः | आदत् | हव्यानि | आददिः | यज्ञस्य | केतुः | अहर्णा | अध | स्म | अस्य | हर्षतः | हृषीवतः | विश्वे | जुषन्त | पन्थाम् | नरः | शुभे | न | पन्थाम् // ऋ. वे. १,१२७.६ //
द्विता | यत् | ईम् | कीस्तासः | अभि-द्यवः | नमस्यन्तः | उप-वोचन्त | भृगवः | मश्नन्तः | दाशा | भृगवः | अग्निः | ईशे | वसूनाम् | शुचिः | यः | धर्णिः | एषाम् | प्रियान् | अपि-धीन् | वनिषीष्ट | मेधिरः | आ | वनिषीश्ट | मेधिरः // ऋ. वे. १,१२७.७ //
विश्वासाम् | त्वा | विशाम् | पतिम् | हवामहे | सर्वासाम् | समानम् | दम्-पतिम् | भुजे | सत्य-गिर्वाहसम् | भुजे | अतिथिम् | मानुषाणाम् | पितुः | न | यस्य | आसया | अमी इति | च | विश्वे | अमृतासः | आ | वयः | हव्या | देवेषु | आ | वयः // ऋ. वे. १,१२७.८ //
त्वम् | अग्ने | सहसा | सहन्-तमः | शुष्मिन्-तमः | जायसे | देव-तातये | रयिः | न | देव-तातये | शुष्मिन्-तमः | हि | ते | मदः | द्युम्निन्-तमः | उत | क्रतुः | अध | स्म | ते | परि | चरन्ति | अजर | श्रुष्टीवानः | न | अजर // ऋ. वे. १,१२७.९ //
प्र | वः | महे | सहसा | सहस्वते | उषः-बुधे | पशु-से | न | अग्नये | स्तोमः | बभूतु | अग्नये | प्रति | यत् | ईम् | हविष्मान् | विश्वासु | क्षासु | जोगुवे | अग्रे | रेभः | न | जरते | ऋषूणाम् | जूर्णिः | होता | ऋषूणाम् // ऋ. वे. १,१२७.१० //
सः | नः | नेदिष्ठम् | ददृशानः | आ | भर | अग्ने | देवेभिः | स-चनाः | सु-चेतुना | महः | रयः | सु-चेतुना | महि | शविष्ठ | नः | कृधि | सम्-चक्षे | भुजे | अस्यै | महि | स्तोतृ-भ्यः | मघ-वन् | सु-वीर्यम् | मथीः | उग्रः | न | शवसा // ऋ. वे. १,१२७.११ //
//१३//.
-ऋ. वे. २:१/१४-
(ऋ. वे. १,१२८)
अयम् | जायत | मनुषः | धरीमणि | होता | यजिष्ठः | उशिजाम् | अनु | व्रतम् | अग्निः | स्वम् | अनु | व्रतम् | विश्व-श्रुष्टिः | सखि-यते | रयिः-इव | श्रवस्यते | अदब्धः | होता | नि | सदत् | इऌअः | पदे | परि-वीतः | इऌअः | पदे // ऋ. वे. १,१२८.१ //
तम् | यज्ञ-साधम् | अपि | वातयामसि | ऋतस्य | पथा | नमसा | हविष्मता | देव-ताता | हविष्मता | सः | नः | ऊर्जाम् | उप-आभृति | अया | कृपा | न | जूर्यति | यम् | मातरिश्वा | मनवे | परावतः | देवम् | भारितिभाः | परावतः // ऋ. वे. १,१२८.२ //
एवेन | सद्यः | परि | एति | पार्थिवम् | मुहुः-गीः | रेतः | वृषभः | कनिक्रदत् | दधत् | रेतः | कनिक्रदत् | शतम् | चक्षाणः | अक्ष-भिः | देवः | वनेषु | तुर्वणिः | सदः | दधानः | उपरेषु | सानुषु | अग्निः | परेषु | सानुषु // ऋ. वे. १,१२८.३ //
सः | सु-क्रतुः | पुरः-हितः | दमे--दमे | अग्निः | यज्ञस्य | अध्वरस्य | चेतति | क्रत्वा | यज्ञस्य | चेतति | क्रत्वा | वेधाः | इषु-यते | विश्वा | जातानि | पस्पशे | यतः | घृत-श्रीः | अतिथिः | अजायत | वह्निः | वेधाः | अजायत // ऋ. वे. १,१२८.४ //
क्रत्वा | यत् | अस्य | तविषीषु | पृञ्चते | अग्नेः | अवेन | मरुताम् | न | भोज्या | इषिराय | न | भोज्या | सः | हि | स्म | दानम् | इन्वति | वसूनाम् | च | मज्मना | सः | नः | त्रासते | दुः-इतात् | अभि-ह्नुतः | शंसात् | अघात् | अभि-ह्नुतः // ऋ. वे. १,१२८.५ //
//१४//.
-ऋ. वे. २:१/१५-
विश्वः | वि-हायाः | अरतिः | वसुः | दधे | हस्ते | दक्षिणे | तरणिः | न | शिश्रथत् | श्रवस्यया | न | शिश्रथत् | विश्वस्मै | इत् | इषुध्यते | देव-त्रा | हव्यम् | आ | ऊहिषे | विश्वस्मै | इत् | सु-कृते | वारम् | ऋण्वति | अग्निः | द्वारा | वि | ऋण्वति // ऋ. वे. १,१२८.६ //
सः | मानुषे | वृजने | शम्-तमः | हितः | अग्निः | यज्ञेषु | जेन्यः | न | विश्पतिः | प्रियः | यज्ञेषु | विश्पतिह् | सः | हव्या | मानुषाणाम् | इऌआ | कृतानि | पत्यते | सः | नः | त्रासते | वरुणस्य | धूर्तेः | महः | देवस्य | धूर्तेः // ऋ. वे. १,१२८.७ //
अग्निम् | होतारम् | ईऌअते | वसु-धितिम् | प्रियम् | चेतिष्ठम् | अरतिम् | नि | एरिरे | हव्य-वाहम् | नि | एरिरे | विश्व-आयुम् | विश्व-वेदसम् | होतारम् | यजतम् | कवि म् | देवासः | रण्वम् | अवसे | वसु-यवः | गीः-भिः | रण्वम् | वसु-यवः // ऋ. वे. १,१२८.८ //
//१५//.
-ऋ. वे. २:१/१६-
(ऋ. वे. १,१२९)
यम् | त्वम् | रथम् | इन्द्र | मेध-सातये | अपका | सन्तम् | इषिर | प्र-नयसि | प्र | अनवद्य | नयसि | सद्यः | चित् | तम् | अभिष्टये | करः | वशः | च | वाजिनम् | सः | अस्माकम् | अनवद्य | तूतुजान | वेधसाम् | इमाम् | वाचम् | न | वेधसाम् // ऋ. वे. १,१२९.१ //
सः | श्रुधि | यः | स्म | पृतनासु | कासु | चित् | दक्षाय्यः | इन्द्र | भर-हूतये | नृ-भिः | असि | प्र-ताऊर्तये | नृ-भिः | यः | शूरैः | [स्वर् इति] स्वः | सनिता | यः | विप्रैः | वाजम् | तरुता | तम् | ईशानासः | इरधन्त | वाजिनम् | पृक्षम् | अत्यम् | न | वाजिनम् // ऋ. वे. १,१२९.२ //
दस्मः | हि | ष्म | वृषणम् | पिन्वसि | त्वचम् | कम् | चित् | यावीः | अररुम् | शूर | मर्त्यम् | परि-वृणक्षि | मर्त्यम् | इन्द्र | उत | तुभ्यम् | तत् | दिवे | तत् | रुद्राय | स्व-यशसे | मित्राय | वोचम् | वरुणाय | स-प्रथः | सु-मृऌईकाय | स्-प्रथः // ऋ. वे. १,१२९.३ //
अस्माकम् | वः | इन्द्रम् | उश्मसि | इष्टये | सखाय | विश्व-आयुम् | प्र-सहम् | युजम् | वाजेषु | प्र-सहम् | युजम् | अस्माकम् | ब्रह्म | ऊतये | अव | पृत्सुषु | कासु | चित् | नहि | त्वा | शत्रुः | स्तरते | स्तृणोषि | यम् | विश्वम् | शत्रुम् | स्तृणोषि | यम् // ऋ. वे. १,१२९.४ //
नि | सु | नम | अति-मतिम् | कयस्य | चित् | तेजिष्ठाभिः | अरणि-भिः | न | ऊति-भिः | उग्राभिः | उग्र | ऊति-भिः | नेषि | णः | यथा | पुरा | अनेनाः | शूर | मन्यसे | विश्वानि | पूरोः | अप | पर्षि | वह्निः | आसा | वह्निः | नः | अच्छ // ऋ. वे. १,१२९.५ //
//१६//.
-ऋ. वे. २:१/१७-
प्र | तत् | वोचेयम् | भव्याय | इन्दवे | हव्यः | न | यः | इष-वान् | मन्म | रेजति | रक्षः-हा | मन्म | रेजति | स्वयम् | सः | अस्मत् | आ | निदः | वधैः | अजेत | दुः-मतिम् | अव | स्रवेत् | अघ-शंसः | अव-तरम् | अव | क्षुद्रम्-इव | स्रवेत् // ऋ. वे. १,१२९.६ //
वनेम | तत् | होत्रया | चितन्त्या | वनेम | रयिम् | रयि-वः | सु-वीर्यम् | रण्वम् | सन्तम् | सु-वीर्यम् | दुः-मन्मानम् | सुमन्तु-भिः | आ | ईम् | इषा | पृचीमहि | आ | सत्याभिः | इन्द्रम् | द्युम्नहूति-भिः | यजत्रम् | द्युम्नहूति-भिः // ऋ. वे. १,१२९.७ //
प्र-प्र | वः | अस्मे इति | स्वयशः-भिः | ऊती | परि-वर्गे | इन्द्रः | दुः-मतीनाम् | दरीमन् | दुः-मतीनाम् | स्वयम् | सा | रिषयध्यै | या | नः | उप-ईषे | अत्रैः | हता | ईम् | असत् | न | वक्षति | क्षिप्ता | जूर्णिः | न | वक्षति // ऋ. वे. १,१२९.८ //
त्वम् | नः | इन्द्र | राया | परीणसा | याहि | पथा | अनेहसा | पुरः | याहि | अरक्षसा | सचस्व | नः | पराके | आ | सचस्व | अस्तम्-ईके | आ | पाहि | नः | दूरात् | आरात् | अभिष्टि-भिः | सदा | पाहि | अभिष्टिभिः // ऋ. वे. १,१२९.९ //
त्वम् | नः | इन्द्र | राया | तरूषसा | उग्रम् | चित् | त्वा | महिमा | सक्षत् | अवसे | महे | मित्रम् | न | अवसे | ओजिष्ठ | त्रातः | अवित्तरिति | रथम् | कम् | चित् | अमत्यर् | अन्यम् | अस्मत् | रिरिषेः | कम् | चित् | अद्रि-वः | रिरिक्षन्तम् | चित् | अद्रि-वः // ऋ. वे. १,१२९.१० //
पाहि | नः | इन्द्र | सु-स्तुत | स्रिधः | अव-याता | सदम् | इत् | दुः-मतीनाम् | देवः | सन् | दुः-मतीनाम् | हन्ता | पापस्य | रक्षसः | त्राता | विप्रस्य | मावतः | अध | हि | त्वा | जनिता | जीजनत् | वसो इति | रक्षः-हनम् | त्वा | जीजनत् | वसो इति // ऋ. वे. १,१२९.११ //
//१७//.
-ऋ. वे. २:१/१८-
(ऋ. वे. १,१३०)
आ | इन्द्र | / याहि | उप | नः | परावतः | न | अयम् | अच्छ | विदथानि-इव | सत्-पतिः | अस्तम् | राजाइव | सत्-पतिः | हवामहे | त्वा | वयम् | प्रयस्वन्तः | सुते | सचा | पुत्रासः | न | पितरम् | वाज-सातये | मंहिष्ठम् | वाज-सातये // ऋ. वे. १,१३०.१ //
पिब | सोमम् | इन्द्र | सुवानम् | अद्रि-भिः | कोशेन | सिक्तम् | अवतम् | न | वंसगः | ततृषाणः | न | वंसगः | मदाय | हर्यताय | ते | तुविः-तमाय | धायसे | आ | त्वा | यच्छन्तु | हरितः | न | सूर्यम् | अहा | विश्वाइव | सूर्यम् // ऋ. वे. १,१३०.२ //
अविन्दत् | दिवः | नि-हितम् | गुहा | निधिम् | वेः | न | गर्भम् | परि-वीतम् | अश्मनि | अनन्ते | अन्तः | अश्मनि | व्रजम् | वज्री | गवाम्-इव | सिसासन् | अङ्गिरः-तमः | अप | अवृणोत् | इषः | इन्द्रः | परि-वृताः | द्वारः | इषः | परि-वृताः // ऋ. वे. १,१३०.३ //
दादृहाणः | वज्रम् | इन्द्रः | गभस्त्योः | क्षद्म-इव | तिग्मम् | असनाय | सम् | श्यत् | अहि-हत्याय | सम् | श्यत् | सम्-विव्यानः | ओजसा | शवः-भिः | इन्द्र | मज्मना | तष्टाइव | वृक्षम् | वनिनः | नि | वृश्चसि | परश्वाइव | नि | वृश्चसि // ऋ. वे. १,१३०.४ //
त्वम् | वृथा | नद्यः | इन्द्र | सर्तवे | अच्छ | समुद्रम् | असृजः | रथान्-इव | वाजयतः | रथान्-इव | इतः | ऊतीः | अयुञ्जत | समानम् | अर्थम् | अक्षितम् | धेनूः-इव | मनवे | विश्व-दोहसः | जनाय | विश्व-दोहसः // ऋ. वे. १,१३०.५ //
//१८//.
-ऋ. वे. २:१/१९-
इमाम् | ते | वाचम् | वसु-यन्तः | आयवः | रथम् | न | धीरः | सु-अपाः | अतक्ष् इषुः | सुम्नाय | त्वाम् | अतक्षिषुः | शुम्भन्तः | जेन्यम् | यथा | वाजेषु | विप्र | वाजिनम् | अत्यम्-इव | शवसे | सातये | धना | विश्वा | धनानि | सातये // ऋ. वे. १,१३०.६ //
भिनत् | पुरः | नवतिम् | इन्द्र | पूरवे | दिवः-दासाय | महि | दाशुषे | नृतो
इति | वज्रेण | दाशुषे | नृतो इति | अतिथि-ग्वाय | शम्बरम् | गिरेः | उग्रः | अव | अभरत् | महः | धनानि | दयमानः | ओजसा | विश्वा | धनानि | ओजसा // ऋ. वे. १,१३०.७ //
इन्द्रः | समत्-सु | यजमानम् | आर्यम् | प्र | आवत् | विश्वेषु | शतम्-ऊतिः | आजिषु | स्वः-मीऌहेषु | आजिषु | मनवे | शासत् | अव्रतान् | त्वचम् | कृष्णाम् | अरन्धयत् | दक्षम् | न | विश्वम् | ततृषाणम् | ओषति | नि | अर्शसानम् | ओष्चति // ऋ. वे. १,१३०.८ //
सूरः | चक्रम् | प्र | वृहत् | जातः | ओजसा | प्र | पित्वे | वाचम् | अरुणः | मुषायति | ईशानः | आ | मुषायति | उशना | यत् | परावतः | अजगन् | ऊतये | कवे | सुम्नानि | विश्वा | मनुषाइव | तुर्वणिः | अहा | विश्वाइव | तुर्वणिः // ऋ. वे. १,१३०.९ //
सः | नः | नव्येभिः | वृष-कर्मन् | उक्थैः | पुराम् | दर्तरितिदर्तः | पायु-भिः | पाहि | शग्मैः | दिवः-दासेभिः | इन्द्र | स्तवानः | ववृधीथाः | अहोभिः-इव | द्यौः // ऋ. वे. १,१३०.१० //
//१९//.
-ऋ. वे. २:१/२०-
(ऋ. वे. १,१३१)
इन्द्राय | हि | द्यौः | असुरः | अनम्नत | इन्द्राय | मही | पृथिवी | वरीम-भिः | द्युम्न-साता | वरीम-भिः | इन्द्रम् | विश्वे | स-जोषसः | देवासः | दधिरे | पुरः | इन्द्राय | विश्वा | सवनानि | मानुषा | रातानि | सन्तु | मानुषा // ऋ. वे. १,१३१.१ //
विश्वेषु | हि | त्वा | सवनेषु | तुञ्जते | समानम् | एकम् | वृष-मन्यवः | पृथक् | स्वआऋःरितिस्वः | सनिष्यवः | पृथक् | तम् | त्वा | नावम् | न | पर्षणि म् | शूषस्य | धुरि | धीमहि | इन्द्रम् | न | यज्ञैः | चितयन्तः | आयवः | स्तोमेभिः | इन्द्रम् | आयवः // ऋ. वे. १,१३१.२ //
वि | त्वा | ततस्रे | मिथुनाः | अवस्यवः | व्रजस्य | साता | गव्यस्य | निः-सृजः | सक्षन्तः | इन्द्र | निः-सृजः | यत् | गव्यन्ता | द्वा | जना | स्वः | यन्ता | सम्-ऊहसि | आविः | करिक्रत् | वृषणम् | सचाभुवम् | वज्रम् | इन्द्र | सचाभुवम् // ऋ. वे. १,१३१.३ //
विदुः | ते | अस्य | वीर्यस्य | पूरवः | पुरः | यत् | इन्द्र | शारदीः | अव-अत् इरः | ससहानः | अव-अतिरः | शासः | तम् | इन्द्र | मर्त्यम् | अयज्युम् | शवसः | पते | महीम् | अमुष्णाः | पृथिवीम् | इमाः | अपः | मन्दसानः | इमाः | अपः // ऋ. वे. १,१३१.४ //
आत् | इत् | ते | अस्य | वीर्यस्य | चर्किरन् | मदेषु | वृषन् | उशिजः | यत् | आविथ | सखि-यतः | यत् | आविथ | चकर्थ | कारम् | एभ्यः | पृतनासु | प्र-वन्तवे | ते | अन्याम्-अन्याम् | नद्यम् | सनिष्णत | श्रवस्यन्तः | सनिष्णत // ऋ. वे. १,१३१.५ //
उतो इति | नः | अस्याः | उषसः | जुषेत | हि | अर्कस्य | बोधि | हविषः | हवीम-भ् इः | स्वः-साता | हवीम-भिः | यत् | इन्द्र | हन्तवे | मृधः | वृषा | वज्रिन् | चिकेतसि | आ | मे | अस्य | वेधसः | नवीयसः | मन्म | श्रुधि | नवीयसः // ऋ. वे. १,१३१.६ //
त्वम् | तम् | इन्द्र | ववृधानः | अस्म-युः | अमित्र-यन्तम् | तुवि-जात | मर्त्यम् | वज्रेण | शूर | मर्त्यम् | जहि | यः | नः | अघ-यति | शृणुष्व | सुश्रवः-तमः | रिष्टम् | न | यामन् | अप | भूतु | दुः-मतिः | विश्वा | अप | भूतु | दुः-मतिः // ऋ. वे. १,१३१.७ //
//२०//.
-ऋ. वे. २:१/२१-
(ऋ. वे. १,१३२)
त्वया | वयम् | मघ-वन् | पूर्व्ये | धने | इन्द्रत्वाऊताः | ससह्याम | पृतन्यतः | वनुयाम | वनुष्यतः | नेदिष्ठे | अस्मिन् | अहनि | अधि | वोच | नु | सुन्वते | अस्मिन् | यज्ञे | वि | चयेम | भरे | कृतम् | वाज-यन्तः | भरे | कृतम् // ऋ. वे. १,१३२.१ //
स्वः-जेषे | भरे | आप्रस्य | वक्मनि | उषः-बुधः | स्वस्मिन् | अञ्जसि | क्राणस्य | स्वस्मिन् | अञ्जसि | अहन् | इन्द्रः | यथा | विदे | शीर्ष्णाशीर्ष्णा | उप-वाच्यः | अस्म-त्रा | ते | सध्र्यक् | सन्तु | रातयः | भद्राः | भद्रस्य् | रातयः // ऋ. वे. १,१३२.२ //
तत् | तु | प्रयः | प्रत्न-था | ते | शुशुक्वनम् | यस्मिन् | यज्ञे | वारम् | अकृण्वत | क्षयम् | ऋतस्य | वाः | असि | क्षयम् | वि | तत् | वोचेः | अध | द्विता | अन्तरिति | पश्यन्ति | रश्मि-भिः | सः | घ | विदे | अनु | इन्द्रः | गो--एषणः | बन्धुक्षित्-भ्यः | गो--एषणः // ऋ. वे. १,१३२.३ //
नु | इत्था | ते | पूर्वथा | च | प्र-वाच्यम् | यत् | अङ्गिरः-भ्यः | अवृणोः | अप | व्रजम् | इन्द्र | शिक्षन् | अप | व्रजम् | एभ्यः | समान्या | दिशा | अस्मभ्यम् | जेषि | योत्सि | च | सुन्वत्-भ्यः | रन्धय | कम् | चित् | अव्रतम् | हृणायन्तम् | चित् | अव्रतम् // ऋ. वे. १,१३२.४ //
सम् | यत् | जनान् | क्रतु-भिः | शूरः | ईक्षयत् | धने | हिते | तरुषन्त | श्रवस्यवः | प्र | यक्षन्त | श्रवस्यवः | तस्मै | आयुः | प्रजावत् | इत् | बाधे | अर्चन्ति | ओजसा | इन्द्र | ओक्यम् | दिधिषन्त | धीतयः | देवान् | अच्छ | न | धीतयः // ऋ. वे. १,१३२.५ //
युवम् | तम् | इन्द्रापर्वता | पुरः-युधा | यः | नः | पृतन्यात् | अप | तम्-तम् | इत् | हतम् | वज्रेण | तम्-तम् | इत् | हतम् | दूरे | चत्ताय | छन्त्सत् | गहनम् | यत् | इनक्षत् | अस्माकम् | शत्रून् | परि | शूर | विश्वतः | दर्मा | दर्षीष्ट | वि श्वतः // ऋ. वे. १,१३२.६ //
//२१//.
-ऋ. वे. २:१/२२-
(ऋ. वे. १,१३३)
उभे | पुनामि | रोदसी इति | ऋतेन | द्रुहः | दहामि | सम् | महीः | अनिन्द्राः | अभि-व्लग्य | यत्र | हताः | अमित्राः | वैल-स्थानम् | परि | तृऌहाः | अशेरन् // ऋ. वे. १,१३३.१ //
अभिव्लग्य | चित् | अद्रि-वः | शीर्षा | यातु-मतीनाम् | छिन्धि | वटूरिणा | पदा | महावटूरिणा | पदा // ऋ. वे. १,१३३.२ //
अव | आसाम् | मघ-वन् | जहि | शर्धः | यातु-मतीनाम् | वैल-स्थानके | अर्भके | महावैलस्थे | अर्भके // ऋ. वे. १,१३३.३ //
यासाम् | तिस्रः | पञ्चाशतः | अभि-व्लङ्गैः | अप-अवपः | तत् | सु | ते | मनायति | तकत् | सु | ते | मनायति // ऋ. वे. १,१३३.४ //
पिशङ्ग-भृष्टिम् | अम्भृणम् | पिशाचिम् | इन्द्र | सम् | मृण | सर्वम् | रक्षः | नि | बर्हय // ऋ. वे. १,१३३.५ //
अवः | महः | इन्द्र | ददृहि | श्रुधि | नः | शुशोच | हि | द्यौः | क्षाः | न | भीषा | अद्रि-वः | घृणात् | न | भीषा | अद्रि-वः | शुष्मिन्-तमः | हि | शुष्मि-भिः | वधैः | उग्रेभिः | ईयसे | अपुरुष-घ्नः | अप्रति-इत | शूर | सत्व-भिः | त्रि-सप्तैः | शूर | सत्व-भिः // ऋ. वे. १,१३३.६ //
वनोति | हि | सुन्वन् | क्षयम् | परीणसः | सुन्वानः | हि | स्म | यजति | अव | द्विषः | देवानाम् | अव | द्विषः | सुन्वानः | इत् | सिसासति | सहस्रा | वाजी | अवृतः | सुन्वानाय | इन्द्रः | ददाति | आभुवम् | रयिम् | ददाति | आभुवम् // ऋ. वे. १,१३३.७ //
//२२//.
-ऋ. वे. २:१/२३-
(ऋ. वे. १,१३४)
आ | त्वा | जुवः | ररहाणाः | अभि | प्रयः | वायो इति | वहन्तु | इह | पूर्व-पीतये | सोमस्य | ऊर्ध्वा | ते | अनु | सूनृता | मनः | तिष्ठतु | जानती | नियुत्वता | रथेन | आ | याहि | दावने | वायोइति | मखस्य | दावने // ऋ. वे. १,१३४.१ //
मन्दन्तु | त्वा | मन्दिनः | वायो इति | इन्दवः | अस्मत् | क्राणासः | सु-कृताः | अभि-द्यवः | गो--भिः | क्राणाः | अभि-द्यवः | यत् | ह | क्राणाः | इरध्यै | दक्षम् | सचन्ते | ऊतयः | सध्रीचीनाः | न् इ-युतः | दावने | धियः | उप | ब्रुवते | ईम् | धियः // ऋ. वे. १,१३४.२ //
वायुः | युङ्क्ते | रोहिता | वायुः | अरुणा | वायुः | रथे | अजिरा | धुरि | वोऌहवे | वहिष्ठा | धुरि | वोऌहवे | प्र | बोधय | पुरम्-धिम् | जारः | आ | ससतीम्-इव | प्र | चक्षय | रोदसी इति | वासय | उषसः | श्रवसे | वासय | उषसः // ऋ. वे. १,१३४.३ //
तुभ्यम् | उषसः | शुचयः | परावति | भद्रा | वस्त्रा | तन्वते | दम्-सु | रश्मि षु | चित्रा | नव्येषु | रश्मिषु | तुभ्यम् | धेनुः | सबः-दुघा | विश्वा | वसूनि | दोहते | अजनयः | मरुतः | वक्षणाभ्यः | दिवः | आ | वक्षणाभ्यः // ऋ. वे. १,१३४.४ //
तुभ्यम् | शुक्रास | शुचयः | तुरण्यवः | मदेषु | उग्राः | इषणन्त | भुर्वणि | अपाम् | इषन्त | भुर्वणि | त्वाम् | त्सारी | दसमानः | भगम् | ईटे | तक्व-वीये | त्वम् | विश्वस्मात् | भुवनात् | पासि | धर्मणा | असुर्यात् | पासि | धर्मणा // ऋ. वे. १,१३४.५ //
त्वम् | नः | वायो इति | एषाम् | अपूर्व्यः | सोमानाम् | प्रथमः | पीतिम् | अर्हसि | सुतानाम् | पीतिम् | अर्हसि | उतो इति | विहुत्मतीनाम् | विशाम् | ववर्जुषीणाम् | विश्वाः | इत् | ते | धेनवः | दुह्रे | आशिरम् | घृतम् | दुह्र्चते | आशिरम् // ऋ. वे. १,१३४.६ //
//२३//.
-ऋ. वे. २:१/२४-
(ऋ. वे. १,१३५)
स्तीर्णम् | बर्हिः | उप | नः | याहि | वीतये | सहस्रेण | नि-युता | नियुत्वते | शतिनीभिः | नियुत्वते | तुभ्यम् | हि | पूर्व-पीतये | देवाः | देवाय | येमिरे | प्र | ते | सुतासः | मधु-मन्तः | अस्थिरन् | मदाय | क्रत्वे | अस्थिरन् // ऋ. वे. १,१३५.१ //
तुभ्य | अयम् | सोमः | परि-पूतः | अद्रि-भिः | स्पार्हा | वसानः | परि | कोशम् | अर्षति | शुक्रा | वसानः | अर्षति | तव | अयम् | भागः | आयुषु | सोमः | देवेषु | हूयते | वह | वायो इति | नि-युतः | याहि | अस्म-युः | जुषाणः | याहि | अस्म-युः // ऋ. वे. १,१३५.२ //
आ | नः | नियुत्-भिः | शतिनीभिः | अध्वरम् | सहस्रिणीभिः | उप | याहि | वीतये | वायो इति | हव्यानि | वीतये | तव | अयम् | भागः | ऋत्वियः | स-रश्मिः | सूर्ये | सचा | अध्वर्यु-भिः | भरमाणाः | अयंसत | वायो इति | शुक्राः | अयंसत // ऋ. वे. १,१३५.३ //
आ | वाम् | रथः | नियुत्वान् | वक्षत् | अवसे | अभि | प्रयांसि | सु-धितानि | वीतये | वायो इति | हव्यानि | वीतये | पिबतम् | मध्वः | अन्धसः | पूर्व-पेयम् | हि | वाम् | हितम् | वायो इति | आ | चन्द्रेण | राधसा | आ | गतम् | इन्द्रः | च | राधसा | आ | गतम् // ऋ. वे. १,१३५.४ //
आ | वाम् | धियः | ववृत्युः | अध्वरान् | उप | इमम् | इन्दुम् | मर्मृजन्त | वाजिनम् | आशुम् | अत्यम् | न | वाजिनम् | तेषाम् | पिबतम् | अस्मयू इत्य् अस्म-यू | आ | नः | गन्तम् | इह | ऊत्या | इन्द्रवायूइति | सुतानाम् | अद्रि-भिः | युवम् | मदाय | वाज-दा | युवम् // ऋ. वे. १,१३५.५ //
//२४//.
-ऋ. वे. २:१/२५-
इमे | वाम् | सोमाः | अप्-सु | आ | सुताः | इह | अध्वर्यु-भिः | भरमाणाः | अयंसत | वायो इति | शुक्राः | अयंसत | एते | वाम् | अभि | असृक्षत | तिरः | पवित्रम् | आशवः | युवायवः | अति | रोमाणि | अव्यया | सोमासः | अति | अव्यया // ऋ. वे. १,१३५.६ //
अति | वायो इति | ससतः | याहि | शश्वतः | यत्र | ग्रावा | वदति | तत्र | गच्छतम् | गृहम् | इन्द्रः | च | गच्छतम् | वि | सूनृता | ददृशे | रीयते | घृतम् | आ | पूर्णया | नि-युता | याथः | अध्वरम् | इन्द्रः | च | याथः | अध्वरम् // ऋ. वे. १,१३५.७ //
अत्र | अह | तत् | वहेथेइति | मध्वः | आहुतिम् | यम् | अश्वत्थम् | उप-तिष्ठन्त | जायवः | अस्मे इति | ते | सन्तु | जायवः | साकम् | गावः | सुवते | पच्यते | यवः | न | ते | वायो इति | उप | दस्यन्ति | धेनवः | न | अप | दस्यन्ति | धेनवः // ऋ. वे. १,१३५.८ //
इमे | ये | ते | सु | वायो इति | बाहु-ओजसः | अन्तः | नदी इति | ते | पतयन्ति | उक्षणः | महि | व्राधन्तः | उक्षणः | धन्वन् | चित् | ये | अनाशवः | जीराः | चित् | अगिराओकसः | सूर्यस्य-इव | रश्मयः | दुः-नियन्तवः | हस्तयोः | दुः-नियन्तवः // ऋ. वे. १,१३५.९ //
//२५//.
-ऋ. वे. २:१/२६-
(ऋ. वे. १,१३६)
प्र | सु | ज्येष्ठम् | नि-चिराभ्याम् | बृहत् | नमः | हव्यम् | मतिम् | भरत | मृऌअयत्-भ्याम् | स्वादिष्ठम् | मृऌअयत्-भ्याम् | ता | सम्-राजा | घृतासुती इतिघृत-आसुती | यज्ञे--यज्ञे | उप-स्तुता | अथ | एनोः | क्षत्रम् | न | कुतः | चन | आधृषे | देव-त्वम् | नु | चित् | आधृषे // ऋ. वे. १,१३६.१ //
अदर्शि | गातुः | उरवे | वरीयसी | पन्थाः | ऋतस्य | सम् | अयंस्त | रश्मि-भिः | चक्षुः | भगस्य | रश्मि-भिः | द्युक्षम् | मित्रस्य | सादनम् | अर्यम्णः | वरुणस्य | च | अथ | दधातेइति | बृहत् | उक्थ्यम् | वयः | उप-स्तुत्यम् | बृहत् | वयः // ऋ. वे. १,१३६.२ //
ज्योतिष्मतीम् | अदितिम् | धारयत्--क्षितिम् | स्वः-वतीम् | आ | सचेतेइति | दिवे--दिवे | जागृ-वांसा | दिवे--दिवे | ज्योतिश्मत् | क्षत्रम् | आशातेइति | आदित्या | दानुनः | पती | मित्रः | तयोः | वरुणः | यातयत्-जनः | अर्यमा | यातयत्-जनः // ऋ. वे. १,१३६.३ //
अयम् | मित्राय | वरुणाय | शम्-तमः | सोमः | भूतु | अव-पानेषु | आभगः | देवः | देवेषु | आभगः | तम् | देवासः | जुषेरत | विश्वे | अद्य | स-जोषसः | तथा | राजाना | करथः | यत् | ईमहे | ऋत-वाना | यत् | ईमहे // ऋ. वे. १,१३६.४ //
यः | मित्राय | वरुणाय | अविधत् | जनः | अनर्वाणम् | तम् | परि | पातः | अंहसः | दाश्वांसम् | मर्तम् | अंहसः | तम् | अर्यमा | अभि | रक्षति | ऋजु-यन्तम् | अनु | व्रतम् | उक्थैः | यः | एनोः | परि-भूषति | व्रतम् | स्तोमैः | आभूषति | व्र्तम् // ऋ. वे. १,१३६.५ //
नमः | दिवे | बृहते | रोदसीभ्याम् | मित्राय | वोचम् | वरुणाय | मीऌहुषे | सु-मृऌईकाय | मीऌहुषे | इन्द्रम् | अग्निम् | उप | स्तुहि | द्युक्षम् | अर्यमणम् | भगम् | ज्योक् | जीवन्तः | प्र-जया | सचेमहि | सोमस्य | ऊती | सचेमहि // ऋ. वे. १,१३६.६ //
ऊती | देवानाम् | वियम् | इन्द्र-वन्तः | मंसीमहि | स्व-यशसः | मरुत्-भिः | अग्निः | मित्रः | वरुणः | शर्म | यंसन् | तत् | अश्याम | मघ-वानः | वयम् | च // ऋ. वे. १,१३६.७ //
//२६//.
-ऋ. वे. २:२/१-
(ऋ. वे. १,१३७)
सुषुम | आ | यातम् | अद्रि-भिः | गो--श्रीताः | मत्सराः | इमे | सोमासः | मत्सराः | इमे | आ | राजाना | दिवि-स्पृशा | अस्म-त्रा | गन्तम् | उप | नः | इमे | वाम् | मित्रावरुणा | गो--आशिरः | सोमाः | शुक्राः | गो--आशिरः // ऋ. वे. १,१३७.१ //
इमे | आ | यातम् | इन्दवः | सोमासः | दधि-आशिरः | सुतासः | दधि-आशिरः | उत | वाम् | उषसः | बुधि | साकम् | सूर्यस्य | रश्मि-भिः | सुतः | मित्राय | वरुणाय | पीतये | चारुः | ऋताय | पीतये // ऋ. वे. १,१३७.२ //
ताम् | वाम् | धेनुम् | न | वासरीम् | अंशुम् | दुहन्ति | अद्रि-भिः | सोमम् | दुहन्ति | अद्र् इ-भिः | अस्म-त्रा | गन्तम् | उप | नः | अर्वान्चा | सोम-पीतये | अयम् | वाम् | मित्रावरुणा | नृ-भिः | सुतः | सोमः | आ | पीतये | सुतः // ऋ. वे. १,१३७.३ //
//१//.
-ऋ. वे. २:२/२-
(ऋ. वे. १,१३८)
प्र-प्र | पूष्णः | तुवि-जातस्य | शस्यते | महि-त्वम् | अस्य | तवसः | न | तन्दते | स्तोत्रम् | अस्य | न | तन्दते | अर्चामि | सुम्न-यन् | अहम् | अन्ति-ऊतिम् | मयः-भुवम् | विश्वस्य | यः | मनः | आयुयुवे | मखः | देवः | आयुयुवे | मखः // ऋ. वे. १,१३८.१ //
प्र | हि | त्वा | पूषन् | अजिरम् | न | यामनि | स्तोमेभिः | कृण्वे | ऋणवः | यथा | मृधः | उष्ट्रः | न | पीपरः | मृधः | हुवे | यत् | त्वा | मयः-भुवम् | देवम् | सख्याय | मर्त्यः | अस्माकम् | आङ्गूषाम् | द्युम्निनः | कृधि | वाजेषु | द्युम्निनः | कृधि // ऋ. वे. १,१३८.२ //
यस्य | ते | पूषन् | सख्ये | विपन्यवः | क्रत्वा | चित् | सन्तः | अवसा | बुभुज्र् इरे | इति | क्रत्वा | बुभुज्रिरे | ताम् | अनु | त्वा | नवीयसीम् | नि-युतम् | रायः | ईमहे | अहेऌअमानः | उरु-शंस | सरी | भव | वाजे--वाजे | सरी | भव // ऋ. वे. १,१३८.३ //
अस्याः | ॐ इति | सु | नः | उप | सातये | भुवः | अहेऌअमानः | ररि-वान् | अज-अश्व | श्रवस्यताम् | अज-अश्व | ओ इति | सु | त्वा | ववृतीमहि | स्तोमे--भिः | दस्म | साधु-भिः | नहि | त्वा | पूषन् | अति-मन्ये | आघृणे | न | ते | सख्यम् | अप-ह्नुते // ऋ. वे. १,१३८.४ //
//२//.
-ऋ. वे. २:२/३-
(ऋ. वे. १,१३९)
अस्तु | श्रौषट् | पुरः | अग्निम् | धिया | दधे | आ | नु | तत् | शर्धः | दिव्यम् | वृणीमहे | इन्द्रवायू इति | वृणीमहे | यत् | ह | क्राणा | विवस्यति | नाभा | सम्-दायि | नव्यसी | अघ | प्र | सु | नः | उप | यन्तु | धीतयः | देवान् | अच्छ | न | धीतयः // ऋ. वे. १,१३९.१ //
यत् | ह | त्यत् | मित्रावरुणौ | ऋतात् | अधि | आददाथेइत्य् आददाथे | अनृतम् | स्वेन | मन्युना | दक्षस्य | स्वेन | मन्युना | युवोः | इत्था | अधि | सद्म-सु | अपश्याम | हिरण्ययम् | धीभिः | चन | मनसा | स्वेभिः | अक्ष-भिः | सोमस्य | स्वेभिः | अक्ष-भिः // ऋ. वे. १,१३९.२ //
युवाम् | सोमेभिः | देव-यन्तः | अश्विना | आश्रावयन्तः-इव | श्लोकम् | आयवः | युवाम् | हव्या | अभि | आयवः | युवोः | विश्वाः | अधि | श्रियः | पृक्षः | च | विश्व-वेदसा | प्रुषायन्ते | वाम् | पवयः | हिरण्यये | रथे | दस्र् | हिरण्यये // ऋ. वे. १,१३९.३ //
अचेति | दस्रा | वि | ॐ इति | नाकम् | ऋण्वथः | युञ्जते | वाम् | रथ-युजः | दिविष्टिशु | अध्वस्मानः | दिवि ष्टिषु | अधि | वाम् | स्थाम | वन्धुरे | रथे | दस्रा | हिरण्यये | पथाइव | यन्तौ | अनु-शासता | रजः | अञ्जसा | सासता | रजः // ऋ. वे. १,१३९.४ //
शचीभिः | नः | शचीवसूइतिशची-वसू | दिवा | नक्तम् | दशस्यतम् | मा | वाम् | रातिः | उप | दसत् | कदा | चन | अस्मत् | रातिः | कदा | चन // ऋ. वे. १,१३९.५ //
//३//.
-ऋ. वे. २:२/४-
वृषन् | इन्द्र | वृष-पानासः | इन्दवः | इमे | सुताः | अद्रि-सुतासः | उत्-भि दः | तुभ्यम् | सुतासः | उत्-भिदः | ते | त्वा | मन्दन्तु | दावने | महे | चित्राय | राधसे | गीः-भिः | गिर्वाहः | स्तवमानः | आ | गहि | सु-मृऌईकः | नः | आ | गहि // ऋ. वे. १,१३९.६ //
ओ इति | सु | णः | अग्ने | शृणुहि | त्वम् | ईऌइतः | देवेभ्यः | ब्रवसि | यज्ञियेभ्यः | राज-भ्यः | यज्ञियेभ्यः | यत् | ह | त्याम् | अङ्गिरस्-भ्यः | धेनुम् | देवाः | अदत्तन | वि | ताम् | दुह्रे | अर्यमा | कर्तरि | सचा | एषः | ताम् | वेद | मेच | सचा // ऋ. वे. १,१३९.७ //
मो इति | सु | वः | अस्मत् | अभि | तानि | पैंस्या | सना | भूवन् | द्युम्नानि | मा | उत | जारि षुः | अस्मत् | पुरा | उत | जारिषुः | यत् | वः | चित्रम् | युगे--युगे | नव्यम् | घोषात् | अमर्त्यम् | अस्मासु | तत् | मरुतः | यत् | च | दुः-तरम् | द्चिधृत | यत् | च | दुः-तरम् // ऋ. वे. १,१३९.८ //
दध्यङ् | ह | मे | जनुषम् | पूर्वः | अङ्गिराः | प्रिय-मेधः | कण्वः | अत्रिः | मनुः | विदुः | ते | मे | पूर्वे | मनुः | विदुः | तेषाम् | देवेषु | आयतिः | अस्माकम् | तेषु | नाभयः | तेषाम् | पदेन | महि | आ | नमे | गिरा | इन्द्राग्नी इत्गि | आ | नमे | गिरा // ऋ. वे. १,१३९.९ //
होता | यक्षत् | वनिनः | वन्त | वार्यम् | बृहस्पतिः | यजति | वेनः | उक्ष-भिः | पुरु-वारेभिः | उक्ष-भिः | जगृम्भ | दूरे--आदिशम् | श्लोकम् | अद्रेः | अध | त्मना | अधारयत् | अरिरिन्दानि | सु-क्रतुः | पुरु | सद्मानि | सु-क्रतुः // ऋ. वे. १,१३९.१० //
ये | देवासः | दिवि | एकादश | स्थ | पृथिव्याम् | अधि | एकादश | स्थ | अप्सु-क्षितः | महिना | एकादश | स्थ | ते | देवासः | यज्ञम् | इमम् | जुषध्वम् // ऋ. वे. १,१३९.११ //
//४//.
-ऋ. वे. २:२/५-
(ऋ. वे. १,१४०)
वेदि-सदे | प्रिय-धामाय | सु-द्युते | धासिम्-इव | प्र | भर | योनिम् | अग्नये | वस्त्रेण-इव | वासय | मन्मना | शुचिम् | ज्योतिः-रथम् | शुक्र-वर्णम् | तमः-हनम् // ऋ. वे. १,१४०.१ //
अभि | द्वि-जन्मा | त्रि-वृत् | अन्नम् | ऋज्यते | संवत्सरे | ववृधे | जग्धम् | ईम् इति | पुनरिति | / अन्यस्य | आसा | जिह्वया | जेन्यः | वृषा | नि | अन्येन | वनिनः | मृष्ट | वारणः // ऋ. वे. १,१४०.२ //
कृष्ण-प्रुतौ | वेविजे इति | अस्य | स-क्षितौ | उभा | तरेते इति | अभि | मातरा | शिशुम् | प्राचाजिह्वम् | ध्वसयन्तम् | तृषु-च्युतम् | आ | साच्यम् | कुपयम् | वर्धनम् | पितुः // ऋ. वे. १,१४०.३ //
मुमुक्ष्वः | मनवे | मानवस्यते | रघु-द्रुवः | कृष्ण-सीतासः | ॐ इति | जुवः | असमनाः | अजिरासः | रघु-स्यदः | वात-जूताः | उप | युज्यन्ते | आशवः // ऋ. वे. १,१४०.४ //
आत् | अस्य | ते | ध्वसयन्तः | वृथा | ईरते | कृष्णम् | अभ्वम् | महि | वर्पः | करिक्रतः | यत् | सीम् | महीम् | अवनिम् | प्र | अभि | मर्मृशत् | अभि-श्वसन् | स्तनयन् | एति | नानदत् // ऋ. वे. १,१४०.५ //
//५//.
-ऋ. वे. २:२/६-
भूषन् | न | यः | अधि | बभ्रूषु | नम्नते | वृषाइव | पत्नीः | अभि | एति | रोरुवत् | ओजायमानः | तन्वः | च | शुम्भते | भीमः | न | शृङ्गा | दविधाव | दुः-गॄभ् इः // ऋ. वे. १,१४०.६ //
सः | सम्-स्तिरः | वि-ष्टिरः | सम् | गृभायति | जानन् | एव | जानतीः | नित्यः | आ | शये | पुनः | वर्धन्ते | अपि | यन्ति | देव्यम् | अन्यत् | वर्पः | पित्रोः | कृण्वते | सचा // ऋ. वे. १,१४०.७ //
तम् | अग्नुवः | केशिनीः | सम् | हि | रेभिरे | ऊर्ध्वाः | तस्थुः | मम्रुषीः | प्र | आयवे | पुनरिति | तासाम् | जराम् | प्र-मुञ्चन् | एति | नानदत् | असुम् | परम् | जनयन् | जीवम् | अस्तृतम् // ऋ. वे. १,१४०.८ //
अधीवासम् | परि | मातुः | रिहन् | अह | तुवि-ग्रेभिः | सत्व-भिः | याति | वि | ज्रयः | वयः | दधत् | पत्-वते | रेरिहत् | सदा | अनु | श्येनी | सचते | वर्तनिः | अह // ऋ. वे. १,१४०.९ //
अस्माकम् | अग्ने | मघवत्-सु | दीदिहि | अध | श्वसीवान् | वृषभः | दमूनाः | अव-अस्य | शिशु-मतीः | अदीदेः | वर्म-इव | युत्-सु | परि-जर्भुराणः // ऋ. वे. १,१४०.१० //
//६//.
-ऋ. वे. २:२/७-
इदम् | अग्ने | सु-धितम् | दुः-धितात् | अधि | प्रियात् | ॐ इति | चित् | मन्मनः | प्रेयः | अस्तु | ते | यत् | ते | शुक्रम् | तन्वः | रोचते | शुचि | तेन | अस्मभ्यम् | वनसे | रत्नम् | आ | त्वम् // ऋ. वे. १,१४०.११ //
रथाय | नावम् | उत | नः | गृहाय | नित्य-अरित्राम् | पत्-वतीम् | रासि | अग्ने | अस्माकम् | वीरान् | उत | नः | मघोनः | जनान् | च | या | पारयात् | शर्म | या | च // ऋ. वे. १,१४०.१२ //
अभि | नः | अग्ने | उक्थम् | इत् | जुगुर्याः | द्यावाक्षामा | सिन्धवः | च | स्व-गूर्ताः | गव्यम् | यव्यम् | यन्तः | दीर्घा | अहा | इषम् | वरम् | अरुण्यः | वरन्त // ऋ. वे. १,१४०.१३ //
//७//.
-ऋ. वे. २:२/८-
(ऋ. वे. १,१४१)
बट् | इत्था | तत् | वपुषे | धायि | दर्शतम् | देवस्य | भर्गः | सहसः | यतः | जनि | यत् | ईम् | उप | ह्वरते | साधते | मतिः | ऋतस्य | धेनाः | अनयन्त | स-स्रुतः // ऋ. वे. १,१४१.१ //
पृक्षः | वपुः | पितु-मान् | नित्यः | आ | शये | द्वितीयम् | आ | सप्त-शिवासु | मातृषु | तृतीयम् | अस्य | वृषभस्य | दोहसे | दश-प्रमतिम् | जनयन्त | योषणः // ऋ. वे. १,१४१.२ //
निः | यत् | ईम् | बुध्नात् | महिषस्य | वर्पसः | ईशानासः | शवसा | क्रन्त | सूरयः | यत् | ईम् | अनु | प्र-दिवः | मध्वः | आधवे | गुहा | सन्तम् | मातरिश्वा | मथायति // ऋ. वे. १,१४१.३ //
प्र | यत् | पितुः | परमात् | नीयते | परि | आ | पृक्षुधः | वीरुधः | दम्-सु | रोहति | उभा | यत् | अस्य | जनुषम् | यत् | इन्वतः | आत् | इत् | यविष्ठः | अभवत् | घृणा | शुचिः // ऋ. वे. १,१४१.४ //
आत् | इत् | मातॄः | आ | अविशत् | यासु | आ | शुचिः | अहिंस्यमानः | उर्विया | वि | ववृधे | अनु | यत् | पूर्वा | अरुहत् | सनाजुवः | नि | नव्यसीषु | अवरासु | धावते // ऋ. वे. १,१४१.५ //
//८//.
-ऋ. वे. २:२/९-
आत् | इत् | होतारम् | वृणते | दिविष्टिषु | भगम्-इव | पपृचानासः | ऋञ्जते | देवान् | यत् | क्रत्वा | मज्मना | पुरु-स्तुतः | मर्तम् | शंसम् | विश्वधा | वेति | धायसे // ऋ. वे. १,१४१.६ //
वि | यत् | अस्थात् | यजतः | वात-चोदितः | ह्वारः | न | वक्वा | जरणाः | अनाकृतः | तस्य | पत्मन् | दक्षुषः | कृष्ण-जंहसः | शुचि-जन्मनः | रजः | आ | वि-अध्वनः // ऋ. वे. १,१४१.७ //
रथः | न | यातः | शिक्व-भिः | कृतः | द्याम् | अङ्गेभिः | अरुषेभिः | ईयते | आत् | अस्य | ते | कृष्णासः | धक्षि | सूरयः | शूरस्य-इव | त्वेषथात् | ईषते | वयः // ऋ. वे. १,१४१.८ //
त्वया | हि | अग्ने | वरुणः | धृत-व्रतः | मित्रः | शाशद्रे | अर्यमा | सु-दानवः | यत् | सीम् | अनु | क्रतुना | विश्व-था | वि-भुः | अरान् | न | नेमिः | परि-भूः | अजायथाः // ऋ. वे. १,१४१.९ //
त्वम् | अग्ने | शशमानाय | सुन्वते | रत्नम् | यविष्ठ | देवतातिम् | इन्वसि | त्वम् | त्वा | नु | नव्यम् | सहसः | युवन् | वयम् | भगम् | न | कारे | महि-रत्न | धीमहि // ऋ. वे. १,१४१.१० //
अस्मे इति | रयिम् | न | सु-अर्थम् | दमूनसम् | भगन् | दक्षम् | न | पपृचासि | धणर्सिम् | रश्मीन्-इव | यः | यमति | जन्मनी इति | उभे इति | देवानाम् | शंसम् | ऋते | आ | च | सु-क्रतुः // ऋ. वे. १,१४१.११ //
उत | नः | सु-द्योत्मा | जीरअश्वः | होता | मन्द्रः | शृणवत् | चन्द्र-रथः | सः | नः | नेषत् | नेष-तमैः | अमूरः | अग्निः | वामम् | सु-वितम् | वस्यः | अच्छ // ऋ. वे. १,१४१.१२ //
अस्तावि | अग्निः | शिमीवत्-भिः | अर्कैः | साम्राज्याय | प्र-तरम् | दधानः | अमी | च | ये | मघवानः | वयम् | च | मिहम् | न | सूरः | अति | निः | तन्युः // ऋ. वे. १,१४१.१३ //
//९//.
-ऋ. वे. २:२/१०-
(ऋ. वे. १,१४२)
सम्-इद्धः | अग्ने | आ | वह | देवान् | अद्य | यत-स्रुचे | तन्तुम् | तनुष्व | पूर्व्यम् | सुत-सोमाय | दाशुषे // ऋ. वे. १,१४२.१ //
घृत-वन्तम् | उप | मासि | मधु-मन्तम् | तनू-नपात् | यज्ञम् | विप्रस्य | मावतः | शशमानस्य | दाशुषः // ऋ. वे. १,१४२.२ //
शुचिः | पावकः | अद्भुतः | मध्वा | यज्ञम् | मिमिक्षति | नरासंसः | त्रिः | आ | दिवः | देवः | देवेषु | यज्ञियः // ऋ. वे. १,१४२.३ //
ईऌइतः | अग्ने | आ | वह | इन्द्रम् | चित्रम् | इह | प्रियम् | इयम् | हि | त्वा | मतिः | मम | अच्छ | सु-जिह्व | वच्यते // ऋ. वे. १,१४२.४ //
स्तृणानासः | यत-स्रुचः | बर्हिः | यज्ञे | सु-अध्वरे | वृञ्जे | देवव्यचः-तमम् | इन्द्राय | शर्म | स-प्रथः // ऋ. वे. १,१४२.५ //
वि | श्रयन्ताम् | ऋत-वृधः | प्र-यै | देवे--भ्यः | महीः | पावकासः | पुरु-स्पृहः | द्वारः | देवीः | असश्चतः // ऋ. वे. १,१४२.६ //
//१०//.
-ऋ. वे. २:२/११-
आ | भन्दमानेइति | उपाके इति | नक्तोषसा | सु-पेषसा | यह्वी इति | ऋतस्य | मातरा | सीदताम् | बर्हिः | आ | सु-मत् // ऋ. वे. १,१४२.७ //
मन्द्र-जिह्वा | जुगुर्वणी इति | होतारा | दैव्या | कवी | यज्ञम् | नः | यक्षताम् | इमम् | सिध्रम् | अद्य | दिवि-स्पृशम् // ऋ. वे. १,१४२.८ //
शुचिः | देवेषु | अर्पिता | होत्रा | मरुत्-सु | भारती | इऌआ | सरस्वती | मही बर्हिः | सीदन्तु | यज्ञियाः // ऋ. वे. १,१४२.९ //
तत् | नः | तुरीपम् | अद्भुतम् | पुरु | वा | अरम् | त्मना | त्वष्टा | पोषाय | वि | स्यतु | राये | नाभा | नः | अस्म-युः // ऋ. वे. १,१४२.१० //
अव-सृजन् | उप | त्मना | देवान् | यक्षि | वनस्पते | अग्निः | हव्या | सुसूदत् इ | देवः | देवेषु | मेधिरः // ऋ. वे. १,१४२.११ //
पूषण्-वते | मरुत्वते | विश्व-देवाय | वायवे | स्वाहा | गायत्र-वेपसे | हव्यम् | इन्द्राय | कर्तन // ऋ. वे. १,१४२.१२ //
स्वाहाकृतानि | आ | गहि | उप | हव्यानि | वीतये | इन्द्र | आ | गहि | श्रुधि | हवम् | त्वाम् | हवन्ते | अध्वरे // ऋ. वे. १,१४२.१३ //
//११//.
-ऋ. वे. २:२/१२-
(ऋ. वे. १,१४३)
प्र | तव्यसीम् | नव्यसीम् | धीतिम् | अग्नये | वाचः | मतिम् | सहसः | सूनवे | भरे | अपाम् | नपात् | यः | वसु-भिः | सह | प्रियः | होता | पृथिव्याम् | नि | असीदत् | ऋत्वियः // ऋ. वे. १,१४३.१ //
सः | जायमानः | परमे | वि-ओमनि | आविः | अग्निः | अभवत् | मातरिश्वने | अस्य | क्रत्वा | सम्-इधानस्य | मज्मना | प्र | द्यावा | शोचिः | पृथिवी इति | अरोचयत् // ऋ. वे. १,१४३.२ //
अस्य | त्वेषाः | अजराः | अस्य | भानवः | सु-सन्दृशः | सु-प्रतीकस्य | सु-द्युतः | भात्वक्षसः | अति | अक्तुः | न | सिन्धवः | अग्नेः | रेजन्ते | अससन्तः | अजराः // ऋ. वे. १,१४३.३ //
यम् | आईरिरे | भृगवः | विश्व-वेदसम् | नाभा | पृथिव्याः | भुवनस्य | मज्मना | अग्निम् | तम् | गीः-भिः | हिनुहि | स्वे | आ | दमे | यः | एकः | वस्वः | वरुणः | न | राजति // ऋ. वे. १,१४३.४ //
न | यः | वराय | मरुताम्-इव | स्वनः | सेनाइव | सृष्टा | दिव्या | यथा | अशनिः | अग्निः | जम्भैः | तिगितैः | अत्ति | भर्वति | न | शत्रून् | सः | वना | नि | ऋञ्जते // ऋ. वे. १,१४३.५ //
कुवित् | नः | अग्निः | उचथस्य | वीः | असत् | वसुः | कुवित् | वसु-भिः | कामम् | आवरत् | चोदः | कुवित् | तुतुज्यात् | सातये | धियः | शुचि-प्रतीकम् | तम् | अया | धिया | गृणे // ऋ. वे. १,१४३.६ //
घृत-प्रतीकम् | वः | ऋतस्य | धूः-सदम् | अग्निम् | मित्रम् | न | सम्-इधानः | ऋञ्जते | इन्धानः | अक्रः | विदथेषु | दीद्यत् | शुक्र-वर्णाम् | उत् | ॐ इति | नः | यंसते | धियम् // ऋ. वे. १,१४३.७ //
अप्र-युच्छन् | अप्रयुच्छत्-भिः | अग्ने | शिवेभिः | नः | पायु-भिः | पाहि | शग्मैः | अदब्धेभिः | अदृपितेभिः | इष्टे | अनिमिषत्-भिः | परि | पाहि | नः | जाः // ऋ. वे. १,१४३.८ //
//१२//.
-ऋ. वे. २:२/१३-
(ऋ. वे. १,१४४)
एति | प्र | होता | व्रतम् | अस्य | मायया | ऊर्ध्वाम् | दधानः | शुचि-पेशसम् | धियम् | अभि | स्रुचः | क्रमते | दक्षिणाआवृतः | याः | अस्य | धाम | प्रथमम् | ह | निंसते // ऋ. वे. १,१४४.१ //
अभि | ईम् | ऋतस्य | दोहनाः | अनूषत | योनौ | देवस्य | सदने | परि-वृताः | अपाम् | उप-स्थे | वि-भृतः | यत् | आ | अवसत् | अध | स्वधाः | अधयत् | याभिः | ईयते // ऋ. वे. १,१४४.२ //
युयूषतः | स-वयसा | तत् | इत् | वपुः | समानम् | अर्थम् | वि-तरित्रता | मिथः | आद्त् | ईम् | भगः | न | हव्यः | सम् | अस्मत् | आ | वोऌहुः | न | रश्मीन् | सम् | अयंस्त | सारथिः // ऋ. वे. १,१४४.३ //
यम् | ईम् | द्वा | स-वयसा | सपर्यतः | समाने | योना | मिथुना | सम्-ओकसा | दिवा | न | नक्तम् | पलितः | युवा | अजनि | पुरु | चरन् | अजरः | मानुषा | युगा // ऋ. वे. १,१४४.४ //
तम् | ईम् | हिन्वन्ति | धीतयः | दश | व्रिशः | देवम् | मर्तासः | ऊतये | हवामहे | धनोः | अधि | प्र-वतः | आ | सः | ऋण्वति | अभिव्रजत्-भिः | वयुना | नवा | अधित // ऋ. वे. १,१४४.५ //
त्वम् | हि | अग्ने | दिव्यस्य | राजसि | त्वम् | पार्थिवस्य | पशुपाः-इव | त्मना | एनी इति | ते | एते
इति | बृहती इति | अभि-श्रिया | हिरण्ययी इति | वक्वरी इति | बर्हिः | आशातेइति // ऋ. वे. १,१४४.६ //
अग्ने | जुषस्व | प्रति | हर्य | तत् | वचः | मन्द्र | स्वधावः | ऋत-जात | सुक्रतो इतिसु-क्रतो | यः | विश्वतः | प्रत्यङ् | असि | दर्शतः | रण्वः | सम्-दृष्टौ | पितुमान्-इव | क्षयः // ऋ. वे. १,१४४.७ //
//१३//.
-ऋ. वे. २:२/१४-
(ऋ. वे. १,१४५)
तम् | पृच्छत | सः | जगाम | सः | वेद | सः | चिकित्वान् | ईयते | सः | नु | ईयते | तस्मिन् | सन्ति | प्र-शिषः | तस्मिन् | इष्टयः | सः | वाजस्य | शवसः | शुष्मिणः | पतिः // ऋ. वे. १,१४५.१ //
तम् | इत् | पृच्छन्ति | न | सिमः | वि | पृच्छति | स्वेन-व | धीरः | मनसा | यत् | अग्रभीत् | न | मृष्यते | प्रथमम् | न | अपरम् | वचः | अस्य | क्रत्वा | सचते | अप्र-दृपितः // ऋ. वे. १,१४५.२ //
तम् | इत् | गच्छन्ति | जुह्वः | तम् | अर्वतीः | विश्वानि | एकः | शृणवत् | वचांसि | मे | पुरु-प्रैषः | ततुरिः | यज्ञ-साधनः | अच्छिद्र-ऊतिः | शिशुः | आ | अदत्त | सम् | रभः // ऋ. वे. १,१४५.३ //
उप-स्थायम् | चरति | यत् | सम्-आरत | सद्यः | जातः | तत्सार | युज्येभिः | अभ् इ | श्वान्तम् | मृशते | नान्द्ये | मुदे | यत् | ईम् | गच्छन्ति | उशतीः | अपि-स्थितम् // ऋ. वे. १,१४५.४ //
सः | ईम् | मृगः | अप्यः | वनर्गुः | उप | त्वचि | उप-मस्याम् | नि | धायि | वि | अब्रवीत् | वयुना | मर्त्येभ्यः | अग्निः | विद्वान् | ऋत-चित् | हि | सत्यः // ऋ. वे. १,१४५.५ //
//१४//.
-ऋ. वे. २:२/१५-
(ऋ. वे. १,१४६)
त्रि-मूर्धानम् | सप्त-रश्मिम् | गृणीषे | अनूनम् | अग्निम् | पित्रोः | उप-स्थे | नि-सत्तम् | अस्य | चरतः | ध्रुवस्य | विश्वा | दिवः | रोचना | आपप्रि-वांसम् // ऋ. वे. १,१४६.१ //
उक्षा | महान् | अभि | ववक्षे | एनेइति | अजरः | तस्थौ | इतः-ऊतिः | ऋष्वः | उर्व्याः | पदः | नि | दधाति | सानौ | रिहन्ति | ऊधः | अरुषासः | अस्य // ऋ. वे. १,१४६.२ //
समानम् | वत्सम् | अभि | सञ्चरन्ती इतिसम्-चरन्ती | विष्वक् | धेनू इति | वि | चरतः | सुमेके इतिसु-मेके | अनप-वृज्यान् | अध्वनः | मिमानेइति | विश्वान् | केतान् | अधि | महः | दधानेइति // ऋ. वे. १,१४६.३ //
धीरासः | पदम् | कवयः | नयन्ति | नाना | हृदा | रक्षमाणाः | अजुर्यम् | सिसासन्तः | परि | अपश्यन्त | सिन्धुम् | आविः | एभ्यः | अभवत् | सूर्यः | नॄन् // ऋ. वे. १,१४६.४ //
दिदृक्षेण्यः | परि | काष्ठासु | जेन्यः | ईऌएन्यः | महः | अर्भाय | जीवसे | पुरु-त्रा | यत् | अभवत् | सूः | अह | एभ्यः | गर्भेभ्यः | मघ-वा | विश्व-दर्शतः // ऋ. वे. १,१४६.५ //
//१५//.
-ऋ. वे. २:२/१६-
(ऋ. वे. १,१४७)
कथा | ते | अग्ने | शुचयन्तः | आयोः | ददाशुः | वाजेभिः | आशुषाणाः | उभे इति | यत् | तोके इति | तनये | दधानाः | ऋतस्य | सामन् | रणयन्त | देवाः // ऋ. वे. १,१४७.१ //
बोध | मे | अस्य | वचसः | यविष्ठ | मंहिष्ठस्य | प्र-भृतस्य | स्वधावः | पीयति | त्वः | अनु | त्वः | गृणाति | वन्दारुः | ते | तन्वम् | वन्दे | अग्ने // ऋ. वे. १,१४७.२ //
ये | पायवः | मामतेयम् | ते | अग्ने | पश्यन्तः | अन्धम् | दुः-इतात् | अरक्षन् | ररक्ष | तान् | सु-कृतः | विश्व-वेदाः | दिप्सन्तः | इत् | रिपवः | न | अह | देभुः // ऋ. वे. १,१४७.३ //
यः | नः | अग्ने | अररि-वान् | अघ-युः | अराति-वा | मर्चयति | द्वयेन | मन्त्रः | गुरुः | पुनः | अस्तु | सः | अस्मै | अनु | मृक्षीष्ट | तन्वम् | दुः-उक्तैः // ऋ. वे. १,१४७.४ //
उत | वा | यः | सहस्य | प्र-विद्वान् | मर्तः | मर्तम् | मर्चयति | द्वयेन | अतः | पाहि | स्तवमान | स्तुवन्तम् | अग्ने | माकिः | नः | दुः-इताय | धायीः // ऋ. वे. १,१४७.५ //
//१६//.
-ऋ. वे. २:२/१७-
(ऋ. वे. १,१४८)
मथीत् | यत् | ईम् | विष्टः | मातरिश्वा | होतारम् | विश्व-अप्सुम् | विश्व-देव्यम् | नि | यम् | दधुः | मनुष्यासु | विक्षु | स्वः | न | चित्रम् | वपुषे | विभावम् // ऋ. वे. १,१४८.१ //
ददानम् | इत् | न | ददभन्त | मन्म | अग्निः | वरूथम् | मम | तस्यचाकन् | जुषन्त | विश्वानि | अस्य | कर्म | उप-स्तुतिम् | भरमाणस्य | कारोः // ऋ. वे. १,१४८.२ //
नित्ये | चित् | नु | यम् | सदने | जगृभ्रे | प्रशस्ति-भिः | दधिरे | यज्ञियासः | प्र | सु | नयन्त | गृभयन्तः | इष्टौ | अश्वासः | न | रथ्यः | ररहाणाः // ऋ. वे. १,१४८.३ //
पुरूणि | दस्मः | नि | रिणाति | जम्भैः | आत् | रोचते | वने | आ | विभावा | आत् | अस्य | वातः | अनु | वाति | शोचिः | अस्तुः | न | शर्याम् | असनाम् | अनु | द्यून् // ऋ. वे. १,१४८.४ //
न | यम् | रिपवः | न | रिषण्यवः | गर्भे | सन्तम् | रेषणाः | रेषयन्ति | अन्धाः | अपश्याः | न | दभन् | अभि-ख्या | नित्यासः | ईम् | प्रेतारः | अरक्षन् // ऋ. वे. १,१४८.५ //
//१७//.
-ऋ. वे. २:२/१८-
(ऋ. वे. १,१४९)
महः | सः | रायः | आ | ईषते | पतिः | दन् | इनः | इनस्य | वसुनः | पदे | आ | उप | ध्रजन्तम् | अद्रयः | विधन् | इत् // ऋ. वे. १,१४९.१ //
सः | यः | वृषा | नरान् | न | रोदस्योः | श्रवः-भिः | अस्ति | जीवपीत-सगर्ः | प्र | यः | सस्राणः | शिश्रीत | योनौ // ऋ. वे. १,१४९.२ //
आ | यः | पुरम् | नार्मिणीम् | अदीदेत् | अत्यः | कविः | नभन्यः | नार्वा | सूरः | न | रुरुक्वान् | शत-आत्मा // ऋ. वे. १,१४९.३ //
अभि | द्वि-जन्मा | त्री | रोचनानि | विश्वा | रजांसि | शुशुचानः | अस्थात् | होता | यजिष्ठः | अपाम् | सध-स्थे // ऋ. वे. १,१४९.४ //
अयम् | सः | होता | यः | द्वि-जन्मा | विश्वा | दधे | वार्याणि | श्रवस्या | मर्तः | यः | अस्मै | सु-तुकः | ददाश // ऋ. वे. १,१४९.५ //
//१८//.
-ऋ. वे. २:२/१९-
(ऋ. वे. १,१५०)
पुरु | त्वा | दास्वान् | वोचे | अरिः | अग्ने | तव | स्वित् | आ | तोदस्य-इव | शरणे | आ | महस्य // ऋ. वे. १,१५०.१ //
वि | अनिनस्य | धनिनः | प्र-होषे | चित् | अररुषः | कदा | चन | प्र-जिगतः | अदेव-योः // ऋ. वे. १,१५०.२ //
सः | चन्द्रः | विप्र | मर्त्यः | महः | व्राधन्-तमः | दिवि | प्र-प्र | इत् | ते | अग्ने | वनुषः | स्याम // ऋ. वे. १,१५०.३ //
//१९//.
-ऋ. वे. २:२/२०-
(ऋ. वे. १,१५१)
मित्रम् | न | यम् | शिम्या | गोषु | गव्यवः | सु-आध्यः | विदथे | अप्-सु | जीजनन् | अरेजेताम् | रोदसी इति | पाजसा | गिरा | प्रति | प्रियम् | यजतम् | जनुषाम् | अवः // ऋ. वे. १,१५१.१ //
यत् | ह | त्यत् | वाम् | पुरु-मीऌहस्य | सोमिनः | प्र | मित्रासः | न | दधिरे | सु-आभुवः | अध | क्रतुम् | विदतम् | गातुम् | अर्चते | उत | श्रुतम् | वृषणा | पस्त्य-वतः // ऋ. वे. १,१५१.२ //
आ | वाम् | भूषन् | क्षितयः | जन्म | रोदस्योः | प्र-वाच्यम् | वृषणा | दक्षसे | महे | यत् | ईम् | ऋताय | भरथः | यत् | अर्वते | प्र | होत्रया | शिम्या | वीथः | अध्वरम् // ऋ. वे. १,१५१.३ //
प्र | सा | क्षितिः | असुर | या | महि | प्रिया | ऋत-वानौ | ऋतम् | आ | घोषथः | बृहत् | युवम् | दिवः | बृहतः | दक्षम् | आभुवम् | गाम् | न | धुरि | उप | युञ्जाथेइति | अपः // ऋ. वे. १,१५१.४ //
मही | अत्र | महिना | वारम् | ऋण्वथः | अरेणवः | तुजः | आ | सद्मन् | धेनवः | स्वरन्ति | ताः | उपर-ताति | सूर्यम् | आ | नि-म्रुचः | उषसः | तक्ववीः-इव // ऋ. वे. १,१५१.५ //
//२०//.
-ऋ. वे. २:२/२१-
आ | वाम् | ऋताय | केशिनीः | अनूषत | मित्र | यत्र | वरुण | गातुम् | अर्चथः | अव | त्मना | सृजतम् | पिन्वतम् | धियः | युवम् | विप्रस्य | मन्मनाम् | इरज्यथः // ऋ. वे. १,१५१.६ //
यः | वाम् | यज्ञैः | शशमानः | ह | दाशति | कविः | होता | यजति | मन्म-साधनः | उप | अह | तम् | गच्छथः | वीथः | अध्वरम् अच्छ | गिरः | सु-मतिम् | गन्तम् | अस्मयू इत्य् अस्म-यू // ऋ. वे. १,१५१.७ //
युवाम् | यज्ञैः | प्रथमा | गोभिः | अञ्जते | ऋत-वाना | मनसः | न | प्र-युक्तिषु | भरन्ति | वाम् | मन्मना | सम्-यता | गिरः | अदृप्यता | मनसा | रेवत् | आशाथेइति // ऋ. वे. १,१५१.८ //
रेवत् | वयः | दधाथे | रेवत् | आशाथेइति | नरा | मायाभिः | इतः-ऊति | माहिनम् | न | वाम् | द्यावः | अह-भिः | न | उत | सिन्धवः | न | देव-त्वम् | पणयः | न | आनशुः | मघम् // ऋ. वे. १,१५१.९ //
//२१//.
-ऋ. वे. २:२/२२-
(ऋ. वे. १,१५२)
युवम् | वस्त्राणि | पीवसा | वसाथेइति | युवोः | अच्छिद्राः | मन्तवः | ह | सर्गाः | अव | अतिरतम् | अनृतानि | विश्वा | ऋतेन | मित्रावरुणा | सचेथेइति // ऋ. वे. १,१५२.१ //
एतत् | चन | त्वः | वि | चिकेतत् | एषाम् | सत्यः | मन्त्रः | कवि-शस्तः | ऋघावान् | त्रिः-अश्रिम् | हन्ति | चतुः-अश्रिः | उग्रः | देव-निदः | ह | प्रथमाः | अजूर्यन् // ऋ. वे. १,१५२.२ //
अपात् | एति | प्रथमा | पत्-वतीनाम् | कः | तत् | वाम् | मित्रावरुणा | आ | चिकेत | गर्भः | भारम् | भरति | आ | चित् | अस्य | ऋतम् | पिपर्ति | अनृतम् | नि | तारीत् // ऋ. वे. १,१५२.३ //
प्र-यन्तम् | इत् | परि | जारम् | कनीनाम् | पश्यामसि | न | उप-निपद्यमानम् | अनव-पृग्णा | वि-तता | वसानम् | प्रियम् | मित्रस्य | वरुणस्य | धाम // ऋ. वे. १,१५२.४ //
अनश्वः | जतः | अनभीशुः | अर्वा | कनिक्रदत् | पतयत् | ऊर्ध्व-सानुः | अच् इत्तम् | ब्रह्म | जुजुषुः | युवानः | प्र | मित्रे | धाम | वरुणे | गृणन्तः // ऋ. वे. १,१५२.५ //
आ | धेनवः | मामतेयम् | अवन्तीः | ब्रह्म-प्रियम् | पीपयन् | सस्मिन् | ऊधन् | पित्वः | भिक्षेत | वयुनानि | विद्वान् | आसा | आविवासन् | अदितिम् | उरुष्येत् // ऋ. वे. १,१५२.६ //
आ | वाम् | मित्रावरुणा | हव्य-जुष्टिम् | नमसा | देवौ | अवसा | ववृत्याम् | अस्माकम् | ब्रह्म | पृतनासु | सह्याः | अस्माकम् | वृष्टिः | दिव्या | सु-पारा // ऋ. वे. १,१५२.७ //
//२२//.
-ऋ. वे. २:२/२३-
(ऋ. वे. १,१५३)
यजामहे | वाम् | महः | स-जोषाः | हव्येभिः | मित्रावरुणा | नमः-भिः | घृतैः | घृतस्नूइतिघृत-स्नू | अध | यत् | वाम् | अस्मे इति | अध्वर्यवः | न | धीति-भिः | भरन्ति // ऋ. वे. १,१५३.१ //
प्र-स्तुतिः | वाम् | धाम | न | प्र-युक्तिः | अयामि | मित्रावरुणा | सु-वृक्तिः | अनक्ति | यत् | वाम् | विदथेषु | होता | सुम्नम् | वाम् | सूरिः | वृषणौ | इयक्षन् // ऋ. वे. १,१५३.२ //
पीपाय | धेनुः | अदितिः | ऋताय | जनाय | मित्रावरुणा | हविः-दे | हिनोति | यत् | वाम् | विदथे | सपर्यन् | सः | रात-हव्यः | मानुषः | न | होता // ऋ. वे. १,१५३.३ //
उत | वाम् | विक्षु | मद्यासु | अन्धः | गावः | आपः | च | पीपयन्त | देवीः | उतो इति | नः | अस्य | पूर्व्यः | पतिः | दन् | वीतम् | पातम् | पयसः | उस्रियायाः // ऋ. वे. १,१५३.४ //
//२३//.
-ऋ. वे. २:२/२४-
(ऋ. वे. १,१५४)
विष्णोः | नु | कम् | वीर्याणि | प्र | वोचम् | यः | पार्थिवानि | वि-ममे | रजांसि | यः | अस्कभायत् | उत्-तरम् | सध-स्थम् | वि-चक्रमाणः | त्रेधा | ऊरु-गायः // ऋ. वे. १,१५४.१ //
प्र | तत् | विष्णुः | स्तवते | वीर्येण | मृगः | न | भीमः | कुचरः | गिरि-स्थाः | यस्य | उरुषु | त्रिषु | वि-क्रमणेषु | अधि-क्षियन्ति | भुवनानि | विश्वा // ऋ. वे. १,१५४.२ //
प्र | विष्णवे | शूषम् | एतु | मन्म | गिरि-क्षिते | उरु-गायाय | वृष्णे | यः | इदम् | दीर्घम् | प्र-यतम् | सध-स्थम् | एकः | वि-ममे | त्रि-भिः | इत् | पदे--भिः // ऋ. वे. १,१५४.३ //
यस्य | त्री | पूर्णा | मधुना | पदानि | अक्षीयमाणा | स्वधया | मदन्ति | यः | ॐ इति | त्रि-धातु | पृथिवीम् | उत | द्याम् | एकः | दाधार | भुवनानि | विश्वा // ऋ. वे. १,१५४.४ //
तत् | अस्य | प्रियम् | अभि | पाथः | अश्याम् | नरः | यत्र | देवयवः | मदन्ति | उरु-क्रमस्य | सः | हि | बन्धुः | इत्था | विष्णोः | पदे | परमे | मध्वः | उत्सः // ऋ. वे. १,१५४.५ //
ता | वाम् | वास्तूनि | उश्मसि | गमध्यै | यत्र | गावः | भूरि-शृङ्गाः | अयासः | अत्र | अह | तत् | उरु-गायस्य | वृष्णः | परमम् | पदम् | अव | भाति | भूरि // ऋ. वे. १,१५४.६ //
//२४//.
-ऋ. वे. २:२/२५-
(ऋ. वे. १,१५५)
प्र | वः | पान्तम् | अन्धसः | धियायते | महे | शूराय | विष्णवे | च | अर्चत | या | सानुनि | पर्वतानाम् | अदाभ्या | महः | तस्थतुः | अर्वताइव | साधुना // ऋ. वे. १,१५५.१ //
त्वेषम् | इत्था | सम्-अरणम् | शिमी-वतोः | इन्द्राविष्णूइति | सुत-पाः | वाम् | उरुष्यति | या | मर्त्याय | प्रति-धीयमानम् | इत् | कृशानोः | अस्तुः | असनाम् | उरुष्यथः // ऋ. वे. १,१५५.२ //
ताः | ईम् | वर्धन्ति | महि | अस्य | पैंस्यम् | नि | मातरा | नयति | रेतसे | भुजे | दधाति | पुत्रः | अवरम् | परम् | पितुः | नाम | तृतीयम् | अधि | रोचने | दिवः // ऋ. वे. १,१५५.३ //
तत्-तत् | इत् | अस्य | पैंस्यम् | गृणीमसि | इनस्य | त्रातुः | अवृकस्य | मीऌहुषः | यः | पार्थिवानि | त्रि-भिः | इत् | विगाम-भिः | उरु | क्रमिष्ट | उरु-गायायजीवसे // ऋ. वे. १,१५५.४ //
द्वे इति | इत् | अस्य | क्रमणेइति | स्वः-दृशः | अभि-ख्याय | मर्त्यः | भुरण्यति | तृतीयम् | अस्य | नकिः | आ | दधर्षति | वयः | चन | पतयन्तः | पतत्रिणः // ऋ. वे. १,१५५.५ //
चतुः-भिः | साकम् | नवतिम् | च | नाम-भिः | चक्रम् | न | वृत्तम् | व्यतीन् | अवीविपत् | बृहत्-शरीरः | वि-मिमानः | ऋक्व-भिः | युवा | अकुमारः | प्रति | एत् इ | आहवम् // ऋ. वे. १,१५५.६ //
//२५//.
-ऋ. वे. २:२/२६-
(ऋ. वे. १,१५६)
भव | मित्रः | न | शेव्यः | घृत-आसुतिः | विभूत-द्युम्नः | एव-याः | ऊआम् इति | स-प्रथाः | अध | ते | विष्णो इति | विदुषा | चित् | अर्ध्यः | स्तोमः | यज्ञः | च | राध्यः | हविष्मता // ऋ. वे. १,१५६.१ //
यः | पूर्व्याय | वेधसे | नवीयसे | सुमत्-जानये | विष्णवे | ददाशति | यः | जातम् | अस्य | महतः | महि | ब्रवत् | सः | इत् | ॐ इति | श्रवः-भिः | युज्यम् | चित् | अभि | असत् // ऋ. वे. १,१५६.२ //
तम् | ॐ इति | स्तोतारः | पूर्व्यम् | यथा | विद | ऋतस्य | गर्भम् | जनुषा | पिपर्तन | आ अस्य | जानन्तः | नाम | चित् | विवक्तन | महः | ते | विष्णो इति | सु-मतिम् | भजामहे // ऋ. वे. १,१५६.३ //
तम् | अस्य | राजा | वरुणः | तम् | अश्विना | क्रतुम् | सचन्त | मारुतस्य | वेधसः | दाधार | दक्षम् | उत्-तमम् | अहः-विदम् | व्र्जम् | च | विष्णुः | सखि-वान् | अप-ऊर्णुते // ऋ. वे. १,१५६.४ //
आ | यः | विवाय | सचथाय | दैव्यः | इन्द्राय | विष्णुः | सु-कृते | सुकृत्-तरः | वेधाः | अजिन्वत् | त्रि-सधस्थः | आर्यम् | ऋतस्य | भागे | यजमानम् | आ | अभजत् // ऋ. वे. १,१५६.५ //
//२६//.
-ऋ. वे. २:२/२७-
(ऋ. वे. १,१५७)
अबोधि | अग्निः | ज्मः | उत् | एति | सूर्यः | वि | उषाः | चन्द्रा | मही | आवः | अर्चिषा | अयुक्षाताम् | अश्विना | यातवे | रथम् | प्र | असावीत् | देवः | सविता | जगत् | पृथक् // ऋ. वे. १,१५७.१ //
यत् | युञ्जाथेइति | वृषणम् | अश्विना | रथम् | घृतेन | नः | मधुना | क्षत्रम् | उक्षतम् | अस्माकम् | ब्रह्म | पृतनासु | जिन्वतम् | वयम् | धना | शूर-साता | भजेमहि // ऋ. वे. १,१५७.२ //
अर्वाङ् | त्रि-चक्रः | मधु-वाहनः | रथः | जीर-अश्वः | अश्विनोः | यातु | सु-स्तुतः | त्रि-वन्धुरः | मघ-वा | विश्व-सौभगः | शम् | नः | आ | वक्षत् | द्वि-पदे | चतुः-पदे // ऋ. वे. १,१५७.३ //
आ | नः | ऊर्जम् | वहतम् | अश्विना | युवम् | मधु-मत्या | नः | कशया | मिमिक्षतम् | प्र | आयुः | तारिष्टम् | निः | रपांसि | मृक्षतम् | सेधतम् | द्वेषः | भवतम् | सचाभुवा // ऋ. वे. १,१५७.४ //
युवम् | ह | गर्भम् | जगतीषु | धत्थः | युवम् | विश्वेषु | भुवनेषु | अन्तरिति | युवम् | अग्निम् | च | वृषणौ | अपः | च | वनस्पतीन् | अश्विनौ | ऐरयेथाम् // ऋ. वे. १,१५७.५ //
युवम् | ह | स्थः | भिषजा | भेषजेभिः | अथो इति | ह | स्थः | रथ्या | रथ्येभिरितिरथ्येभिः | अथो इति | ह | क्षत्रम् | अधि | धत्थ | उग्रा | यः | वाम् | हविष्मान् | मनसा | ददाश // ऋ. वे. १,१५७.६ //
//२७//.
-ऋ. वे. २:३/१-
(ऋ. वे. १,१५८)
वसी इति | रुद्रा | पुरुमन्तूइतिपुरु-मन्तू | वृधन्ता | दशस्यतम् | नः | वृषणौ | अभि ष्टौ | दस्रा | ह | यत् | रेक्णः | औचथ्यः | वाम् | प्र | यत् | सस्राथेइति | अकवाभिः | ऊती // ऋ. वे. १,१५८.१ //
कः | वाम् | दाशत् | सु-मतये | चित् | अस्यै | वसूइति | यत् | धेथेइति | नमसा | पदे | गोः | जिगृतम् | अस्मे इति | रेवतीः | पुरम्-धीः | काम-प्रेण-इव | मनसा | चरन्ता // ऋ. वे. १,१५८.२ //
युक्तः | ह | यत् | वाम् | तौग्र्याय | पेरुः | वि | मध्ये | अर्णसः | धायि | पज्रः | उप | वाम् | अवः | शरणम् | गमेयम् | शूरः | न | अज्म | पतयत्-भिः | एवैः // ऋ. वे. १,१५८.३ //
उप-स्तुतिः | औचथ्यम् | उरुष्येत् | मा | माम् | इमे इति | पतत्रिणी इति | वि | दुग्धाम् | मा | माम् | एधः | दश-तयः | चितः | धाक् | प्र | यत् | वाम् | बद्धः | त्मनि | खादति | क्षाम् // ऋ. वे. १,१५८.४ //
न | मा | गरन् | नद्यः | मातृ-तमाः | दासाः | यत् | ईम् | सु-समुब्धम् | अव-अधुः | शिरः | यत् | अस्य | त्रैतनः | वि-तक्षत् | स्वयम् | दासः | उरः | अंसौ | अपि | ग्धेतिग्ध // ऋ. वे. १,१५८.५ //
दीर्घ-तमाः | मामतेयः | जुजुर्वान् | दशमे | युगे | अपाम् | अर्थम् | यतीनाम् | ब्रह्मा | भवति | सारथिः // ऋ. वे. १,१५८.६ //
//१//.
-ऋ. वे. २:३/२-
(ऋ. वे. १,१५९)
प्र | द्यावा | यज्ञैः | पृथिवी इति | ऋत-वृधा | मही इति | स्तुषे | विदथेषु | प्र-चेतसा | देवेभिः | ये इति | देव-पुत्रेइतिदेव-पुत्रे | सु-दंससा | इत्था | धिया | वार्याणि | प्र-भूषतः // ऋ. वे. १,१५९.१ //
उत | मन्ये | पितुः | अद्रुहः | मनः | मातुः | महि | स्व-तवः | तत् | हवीम-भिः | सु-रेतसा | पितरा | भूम | चक्रतुः | उरु | प्र-जायाः | अमृतम् | वरीम-भिः // ऋ. वे. १,१५९.२ //
ते | सूनवः | सु-अपसः | सु-दंससः | मही इति | जज्ञुः | मातरा | पूर्व-चित्तये | स्थातुः | च | सत्यम् | जगतः | च | धर्मण् इ | पुत्रस्य | पाथः | पदम् | अद्वयाविनः // ऋ. वे. १,१५९.३ //
ते | मायिनः | ममिरे | सु-प्रचेतसः | जामी इति | सयोनी इतिस-योनी | मिथुना | सम्-ओकसा | नव्यम्-नव्यम् | तन्तुम् | आ | तन्वते | दिवि | समुद्रे | अन्तरिति | कवयः | सु-दीतयः // ऋ. वे. १,१५९.४ //
तत् | राधः | अद्य | सवितुः | वरेण्यम् | वयम् | देवस्य | प्र-सवे | मनामहे | अस्मभ्यम् | द्यावापृथिवी इति | सु-चेतुना | रयिम् | धत्तम् | वसु-मन्तम् | शत-ग्विनम् // ऋ. वे. १,१५९.५ //
//२//.
-ऋ. वे. २:३/३-
(ऋ. वे. १,१६०)
ते इति | हि | द्यावापृथिवी इति | विश्व-शम्भुवा | ऋत-वरी इत्य् ऋत-वरी | रजसः | धारयत्कवी इतिधारयत्-कवी | सुजन्मनी इतिसु-जन्मनी | धिषणेइति | अन्तः | ईयते | देवः | देवी इति | धर्मणा | सूर्यः | शुचिः // ऋ. वे. १,१६०.१ //
उरु-व्यचसा | महिनी इति | असश्चता | पिता | माता | च | भुवनानि | रक्षतः | सुधृष्टमेइतिसु-धृष्टमे | वपुष्ये इति | न | रोदसी इति | पिता | यत् | सीम् | अभि | रूपैः | अवासयत् // ऋ. वे. १,१६०.२ //
सः | वह्निः | पुत्रः | पित्रोः | पवित्र-वान् | पुनाति | धीरः | भुवनानि | मायया | धेनुम् | च | पृश्निम् | वृषभम् | सु-रेतसम् | विश्वाहा | शुक्रम् | पयः | अस्य | धुक्षत // ऋ. वे. १,१६०.३ //
अयम् | देवानाम् | अपसाम् | अपः-तमः | यः | जजान | रोदसी इति | विश्व-शम्भुवा | वि | यः | ममे | रजसी इति | सुक्रतु-यया | अजरेभिः | स्कम्भनेभिः | सम् | आनृचे // ऋ. वे. १,१६०.४ //
ते | नः | गृणाने इति | महिनी इति | महि | श्रवः | क्षत्रम् | द्यावापृथिवी इति | धासथः | बृहत् | येन | अभि | कृष्टीः | ततनाम | विश्वहा | पनाय्यम् | ओजः | अस्मे इति | सम् | इन्वतम् // ऋ. वे. १,१६०.५ //
//३//.
-ऋ. वे. २:३/४-
(ऋ. वे. १,१६१)
किम् | ऊआम् इति | श्रेष्ठः | किम् | यविष्ठः | नः | आ | अजगन् | किम् | ईयते | दूत्यम् | कत् | यत् | ऊच् इम | न | निन्दिम | चमसम् | यः | महाकुलः | अग्ने | भ्रातः | द्रुणः | इत् | भूतिम् | ऊदिम // ऋ. वे. १,१६१.१ //
एकम् | चमसम् | चतुरः | कृणोतन | तत् | वः | देवाः | अब्रुवन् | तत् | वः | आ | अगमम् | सौधन्वनाः | यदि | एव | करिष्यथ | साकम् | देवैः | यज्ञियासः | भवि ष्यथ // ऋ. वे. १,१६१.२ //
अग्निम् | दूतम् | प्रति | यत् | अब्रवीतन | अश्वः | कर्त्वः | रथः | उत | इह | कर्त्वः | धेनुः | कर्त्वा | युवशा | कर्त्वा | द्वा | तानि | भ्रातः | अनु | वः | कृत्वी | आ | इमसि // ऋ. वे. १,१६१.३ //
चकृ-वांसः | ऋभवः | तत् | अपृच्छत | क्व | इत् | अभूत् | यः | स्यः | दूतः | नः | आ | अजगन् | यदा | अव-अख्यत् | चमसान् | चतुरः | कृतान् | आत् | इत् | त्वष्टा | ग्नासु | अन्तः | नि | आनजे // ऋ. वे. १,१६१.४ //
हनाम | एनान् | इति | त्वष्टा | यत् | अब्रवीत् | चमसम् | ये | देव-पानम् | अनिन्दिषुः | अन्या | नामानि | कृण्वते | सुते | सचा | अन्यैः | एनान् | कन्या | नाम-भिः | स्परत् // ऋ. वे. १,१६१.५ //
//४//.
-ऋ. वे. २:३/५-
इन्द्रः | हरी | युयुजे | अश्विना | रथम् | बृहस्पतिः | विश्व-रूपाम् | उप | आजत | ऋभुः | वि-भ्वा | वाजः | देवान् | अगच्छत | सु-अपसः | यज्ञियम् | भागम् | ऐतन // ऋ. वे. १,१६१.६ //
निः | चर्मणः | गाम् | अरिणीत | धीति-भिः | या | जरन्ता | युवशा | ता | अकृणोतन | सौधन्वनाः | अश्वात् | अश्वम् | अतक्षत | युक्त्वा | रथम् | उप | देवान् | अयातन // ऋ. वे. १,१६१.७ //
इदम् | उदकम् | पिबत | इति | अब्रवीतन | इदम् | वा | घ | पिबत | मुञ्ज-नेजनम् | सौधन्वनाः | यदि | तत् | न-इव | हर्यथ | तृतीये | घ | सवने | मादयाध्वै // ऋ. वे. १,१६१.८ //
आपः | भूयिष्ठाः | इति | एकः | अब्रवीत् | अग्निः | भूयिष्ठः | इति | अन्यः | अब्रवीत् | वधः-यन्तीम् | बहु-भ्यः | प्र | एकः | अब्रवीत् | ऋता | वदन्तः | चमसान् | अपिंशत // ऋ. वे. १,१६१.९ //
श्रोणाम् | एकः | उदकम् | गाम् | अव | अजति | मांसम् | एकः | पिंशति | सूनया | आभृतम् | आ | नि-म्रुचः | शकृत् | एकः | अप | अभरत् | किम् | स्वित् | पुत्रेभ्यः | पितरौ | उप | आवतुः // ऋ. वे. १,१६१.१० //
//५//.
-ऋ. वे. २:३/६-
उद्वत्-सु | अस्मै | अकृणोतन | तृणम् | निवत्-सु | अपः | सु-अपस्यया | नरः | अगोह्यस्य | यत् | असस्तन | गृहे | तत् | अद्य | इदम् | ऋभवः | न | अनु | गच्छथ // ऋ. वे. १,१६१.११ //
सम्-मील्य | यत् | भुवना | परि-असर्पत | क्व | स्वित् | तात्या | पितरा | वः | आसतुः | अशपत | यः | करस्नम् | वः | आददे | यः | प्र | अब्रवीत् | प्रो इति | तस्मै | अब्रवीतन // ऋ. वे. १,१६१.१२ //
सुषुप्वांसः | ऋभवः | तत् | अपृच्छत | अगोह्य | कः | इदम् | नः | अबूबुधत् | श्वानम् | बस्तः | बोधयितारम् | अब्रवीत् | संवत्सरे | इदम् | अद्य | वि | अख्यत // ऋ. वे. १,१६१.१३ //
दिवा | यान्ति | मरुतः | भूम्या | अग्निः | अयम् | वातः | अन्तरिक्षेण | याति | अत्-भिः | याति | वरुणः | समुद्रैः | युष्मान् | इच्छन्तः | शवसः | नपातः // ऋ. वे. १,१६१.१४ //
//६//.
-ऋ. वे. २:३/७-
(ऋ. वे. १,१६२)
मा | नः | मित्रः | वरुणः | अर्यमा | आयुः | इन्द्रः | ऋभुक्षाः | मरुतः | परि | ख्यन् | यत् | वाजिनः | देव-जातस्य | सप्तेः | प्र-वक्ष्यामः | विदथे | वीयार्णि // ऋ. वे. १,१६२.१ //
यत् | निः-निजा | रेक्णसा | प्रावृतस्य | रातिम् | गृभीताम् | मुखतः | नयन्ति | सु-प्राङ् | अजः | मेम्यत् | विश्व-रूपः | इन्द्रापूष्णोः | प्रियम् | अपि | एति | पाथः // ऋ. वे. १,१६२.२ //
एषः | छागः | पुरः | अश्वेन | वाजिना | पूष्णः | भगः | नीयते | विश्व-देव्यः | अभि-प्रियम् | यत् | पुरोऌआशम् | अर्वता | त्वष्टा | इत् | एनम् | सौश्रवसाय | जि न्वति // ऋ. वे. १,१६२.३ //
यद् | हविष्यम् | ऋतु-शः | देव-यानम् | त्रिः | मानुषाः | परि | अश्वम् | नयन्त् इ | अत्र | पूष्णः | प्रथमः | भागः | एति | यज्ञम् | देवेभ्यः | प्रति-वेदयन् | अजः // ऋ. वे. १,१६२.४ //
होता | अध्वर्युः | आवयाः | अग्निम्-इन्धः | ग्राव-ग्राभः | उत | शंस्ता | सु-विप्रः | तेन | यज्ञेन | सु-अरर्ङ्केतेन | सु-इष्टेन | वक्षणाः | आ | पृणध्वम् // ऋ. वे. १,१६२.५ //
//७//.
-ऋ. वे. २:३/८-
यूप-व्रस्काः | उत | ये | यूप-वाहाः | चषालम् | ये | अश्व-यूपाय | तक्षति | ये | च | अर्वते | पचनम् | सम्-भरन्ति | उतो इति | तेषाम् | अभि-गूर्तिः | नः | इन्वतु // ऋ. वे. १,१६२.६ //
उप | प्र | अगात् | सु-मत् | मे | अधायि | मन्म | देवानाम् | आशाः | उप | वीत-पृष्ठः | अनु | एनम् | विप्राः | ऋषयः | मदन्ति | देवानाम् | पुष्टे | चकृम | सु-बन्धुम् // ऋ. वे. १,१६२.७ //
यत् | वाजिनः | दाम | सम्-दानम् | अर्वतः | या | शीर्षण्या | रशना | रज्जुः | अस्य | यत् | वा | घ | अस्य | प्र-भृतम् | आस्ये | तृणम् | सर्वा | ता | ते | अपि | देवेषु | अस्तु // ऋ. वे. १,१६२.८ //
यत् | अश्वस्य | क्रविषः | मक्षिका | आश | यत् | वा | स्वरौ | स्व-धितौ | रिप्तम् | अस्ति | यत् | हस्तयोः | शमितुः | यत् | नखेषु | सर्वा | ता | ते | अपि | देवेषु | अस्तु // ऋ. वे. १,१६२.९ //
यत् | ऊवध्यम् | उदरस्य | अप-वाति | यः | आमस्य | क्रविषः | गन्धः | अस्ति | सु-कृता | तत् | शमितारः | कृण्वन्तु | उत | मेधम् | शृत-पाकम् | पचन्तु // ऋ. वे. १,१६२.१० //
//८//.
-ऋ. वे. २:३/९-
यत् | ते | गात्रात् | अग्निना | पच्यमानात् | अभि | शूलम् | नि-हतस्य | अव-धावति | मा | तत् | भूम्याम् | आ | श्रिषत् | मा | तृणेषु | देवेभ्यः | तत् | उशत्-भ्यः | रातम् | अस्तु // ऋ. वे. १,१६२.११ //
ये | वाजिनम् | परि-पस्यन्ति | पक्वम् | ये | ईम् | आहुः | सुरभिः | निः | हर | इति | ये | च | अर्वतः | मांस-भिक्षाम् | उप-आसते उतो इति | तेषाम् | अभि-गूर्तिः | नः | इन्वतु // ऋ. वे. १,१६२.१२ //
यत् | नि-ईक्षणम् | मांस्पचन्याः | उखायाः | या | पात्राणि | यूष्णः | आसेचनानि | ऊष्मण्या | अपि-धाना | चरूणाम् | अङ्काः | सूनाः | परि | भूषन्ति | अश्वम् // ऋ. वे. १,१६२.१३ //
नि-क्रमणम् | नि-सदनम् | वि-वर्तनम् | यत् | च | पडबढबदबद्रह्णीशम् | अर्वतः | यत् | च | पपौ | यत् | च | घासिम् | जघास | सर्वा | ता | ते | अपि | देवेषु | अस्तु // ऋ. वे. १,१६२.१४ //
मा | त्वा | अग्निः | ध्वनयीत् | धूम-गन्धिः | मा | उखा | भ्राजन्ती | अभि | विक्त | जघ्रिः | इष्टम् | वीतम् | अभि-गूर्तम् | वषट्-कृतम् | तम् | देवासः | प्रति | गृभ्णन्ति | अश्वम् // ऋ. वे. १,१६२.१५ //
//९//.
-ऋ. वे. २:३/१०-
यत् | अश्वाय | वासः | उप-स्तृणन्ति | अधी-वासम् | या | हिरण्यानि | अस्मै | सम्-दानम् | अर्वन्तम् | पडबढबदबद्रह्णीशम् | प्रिया | देवेषु | आ | यमयन्ति // ऋ. वे. १,१६२.१६ //
यत् | ते | सादे | महसा | शूकृतस्य | पार्ष्ण्या | वा | कशया | वा | तुतोद | स्रुचाइव | ता | हविषः | अध्वरेषु | सर्वा | ता | ते | ब्रह्मणा | सूदयामि // ऋ. वे. १,१६२.१७ //
चतुः-त्रिंशत् | वाजिनः | देव-बन्धोः | वङ्क्रीः | अश्वस्य | स्व-धितिःः | सम् | एति | अच्छिद्रा | गात्रा | वयुना | कृणोत | परुः-परुः | अनु-घुष्य | वि | शस्त // ऋ. वे. १,१६२.१८ //
एकः | त्वष्टुः | अश्वस्य | वि-शस्ता | द्वा | यन्तारा | भवतः | तथा | ऋतुः | या | ते | गात्राणाम् | ऋतु-था | कृणोमि | ताता | पिण्डान्म् | प्र | जुहोमि | अग्नौ // ऋ. वे. १,१६२.१९ //
मा | त्वा | तपत् | प्रियः | आत्मा | अपि-यन्तम् | मा | स्व-धितिः | तन्वः | आ | तिस्थिपत् | ते | मा | ते | गृध्नुः | अवि-शस्ता | अति-हाय | छिद्रा | गात्राणि | असिना | मिथु | करिति कः // ऋ. वे. १,१६२.२० //
न | वै | ॐ इति | एतत् | म्रियसे | न | रिष्यसि | देवान् | इत् | एषि | पथि-भिः | सु-गेभिः | हरीइति | ते | युञ्जा | पृषती इति | अभूताम् | उप | अस्थात् | वाजी | धुरि | रासभस्य // ऋ. वे. १,१६२.२१ //
सु-गव्यम् | नः | वाजी | सु-अश्व्यम् | पुंसः | पुत्रान् | उत | विश्वापुषम् | रयिम् | अनागाः-त्वम् | नः | अदितिः | कृणोतु | क्षत्रम् | नः | अश्वः | वनताम् | हविष्मान् // ऋ. वे. १,१६२.२२ //
//१०//.
-ऋ. वे. २:३/११-
(ऋ. वे. १,१६३)
यत् | अक्रन्दः | प्रथमम् | जायमानः | उत्-यन् | समुद्रात् | उत | वा | पुरीषात् | श्येनस्य | पक्षा | हरिणस्य | बाहू इति | उप-स्तुत्यम् | महि | जातम् | ते | अर्वन् // ऋ. वे. १,१६३.१ //
यमेन | दत्तम् | त्रितः | एनम् | अयुनक् | इन्द्रः | एनम् | प्रथमः | अधि | अति ष्ठत् | गन्धर्वः | अस्य | रशनाम् | अगृभ्णात् | सूरात् | अश्वम् | वसवः | निः | अतष्ट // ऋ. वे. १,१६३.२ //
असि | यमः | असि | आदित्यः | अर्वन् | असि | त्रितः | गुहेन | व्रतेन | असि | सोमेन | समया | वि-पृक्तः | आहुः | ते | त्रीणि | दिवि | बन्धनानि // ऋ. वे. १,१६३.३ //
त्रीणि | ते | आहुः | दिवि | बन्धनानि | त्रीणि | अप्-सु | त्रीणि | अन्तरिति | समुद्रे | उत-इव | मे | वरुणः | छन्त्सि | अर्वन् | यत्र | ते | आहुः | परमम् | जनित्रम् // ऋ. वे. १,१६३.४ //
इमा | ते | वाजिन् | अव-मार्जनानि | इमा | शफानाम् | सनितुः | नि-धाना | अत्र | ते | भद्राः | रशनाः | अपश्यम् | ऋतस्य | याः | अभि-रक्षन्ति | गोपाः // ऋ. वे. १,१६३.५ //
//११//.
-ऋ. वे. २:३/१२-
आत्मानम् | ते | मनसा | आरात् | अजानाम् | अवः | दिवा | पतयन्तम् | पतङ्गम् | शिरः | अपश्यम् | पथि-भिः | सु-गेभिः | अरेणु-भिः | जेहमानम् | पतत्रि // ऋ. वे. १,१६३.६ //
अत्र | ते | रूपम् | उत्-तमम् | अपश्यम् | जिगीषमाणम् | इषः | आ | पदे | गोः | यदा | ते | मर्तः | अनु | भोगम् | आनट् | आत् | इत् | ग्रसिष्ठः | ओषधीः | अजीगरिति // ऋ. वे. १,१६३.७ //
अनु | त्वा | रथः | अनु | मर्यः | अर्वन् | अनु | गावः | अनु | भगः | कनीनाम् | अनु | व्रातासः | तव | सख्यम् | ईयुः | अनु | देवाः | ममिरे | वीर्यम् | ते // ऋ. वे. १,१६३.८ //
हिरण्य-शृङ्गः | अयः | अस्य | पादाः | मनः-जवाः | अवरः | इन्द्रः | आसीत् | देवाः | इत् | अस्य | हविः-अद्यम् | आयन् | यः | अर्वन्तम् | प्रथमः | अधि-अतिष्ठत् // ऋ. वे. १,१६३.९ //
ईर्म-अन्तासः | सिलिक-मध्यमासः | सम् | शूरणासः | दिव्यासः | अत्याः | हंसाः-इव | श्रेणि-शः | यतन्ते | यत् | आक्षिषुः | दिव्यम् | अज्मम् | अश्वाः // ऋ. वे. १,१६३.१० //
//१२//.
-ऋ. वे. २:३/१३-
तव | शरीरम् | पतयिष्णु | अर्वन् | तव | चित्तम् | वातः-इव | ध्रजीमान् | तव | शृङ्गाणि | वि-ष्ठिता | पुरु-त्रा | अरण्येषु | जर्भुराणा | चरन्ति // ऋ. वे. १,१६३.११ //
उप | प्र | अगात् | शसनम् | वाजी | अर्वा | देवद्रीचा | मनसा | दीध्यानः | अजः | पुरः | नीयते | नाभिः | अस्य | अनु | पश्चात् | कवयः | यन्ति | रेभाः // ऋ. वे. १,१६३.१२ //
उप | प्र | अगात् | परमम् | यत् | सध-स्थम् | अर्वान् | अच्छ | पितरम् | मातरम् | च | अद्य | देवान् | जुष्ट-तमः | हि | गम्याः | अथ | आ | शास्ते | दाशुषे | वार्याणि // ऋ. वे. १,१६३.१३ //
//१३//.
-ऋ. वे. २:३/१४-
(ऋ. वे. १,१६४)
अस्य | वामस्य | पलितस्य | होतुः | तस्य | भ्राता | मध्यमः | अस्ति | अश्नः | तृतीयः | भ्राता | घृत-पृष्ठः | अस्य | अत्र | अपस्यम् | विश्पतिम् | सप्त-पुत्रम् // ऋ. वे. १,१६४.१ //
सप्त | युञ्जन्ति | रथम् | एक-चक्रम् | एकः | अश्वः | वहति | सप्त-नामा | त्र् इ-नाभि | चक्रम् | अजरम् | अनर्वम् | यत्र | इमा | विश्वा | भुवना | अधि | तस्थुः // ऋ. वे. १,१६४.२ //
इमम् | रथम् | अधि | ये | सप्त | तस्थुः | सप्त-चक्रम् | सप्त | वहन्ति | अश्वाः | सप्त | स्वसारः | अभि | सम् | नवन्ते | यत्र | गवाम् | नि-हिता | सप्त | नाम // ऋ. वे. १,१६४.३ //
कः | ददर्श | प्रथमम् | जायमानम् | अस्थन्-वन्तम् | यत् | अनस्था | बिभर्ति | भूम्याः | असुः | असृक् | आत्मा | क्व | स्वित् | कः | विद्वांसम् | उप | गात् | प्रष्टुम् | एतत् // ऋ. वे. १,१६४.४ //
पाकः | पृच्छामि | मनसा | अवि-जानन् | देवानाम् | एना | नि-हिता | पदानि | वत्से | बष्कये | अधि | सप्त | तन्तून् | वि | तत्निरे | कवयः | ओतवै | ॐ इति // ऋ. वे. १,१६४.५ //
//१४//.
-ऋ. वे. २:३/१५-
अचिकित्वान् | चिकितुषः | चित् | अत्र | कवीन् | पृच्छामि | विद्मने | न | विद्वान् | वि | यः | तस्तम्भ | षट् | इमा | रजांसि | अजस्य | रूपे | किम् | अपि | स्वित् | एकम् // ऋ. वे. १,१६४.६ //
इह | ब्रवीतु | यः | ईम् | अङ्ग | वेद | अस्य | वामस्य | नि-हितम् | पदम् | वेरि तिवेः | शीर्ष्णः | क्षीरम् | दुह्रते | गावः | अस्य | वव्रिम् | वसानाः | उदकम् | पदा | अपुः // ऋ. वे. १,१६४.७ //
माता | पितरम् | ऋते | आ | बभाज | धीती | अग्रे | मनसा | सम् | हि | जग्मे | सा | बीभत्सुः | गर्भ-रसा | नि-विद्धा | नमस्वन्तः | इत् | उप-वाकम् | ईयुः // ऋ. वे. १,१६४.८ //
युक्ता | माता | आसीत् | धुरि | दक्षिणायाः | अतिष्ठत् | गर्भः | वृजनीषु | अन्तरिति | अमीमेत् | वत्सः | अनु | गाम् | अपश्यत् | विश्व-रूप्यम् | त्रिषु | योजनेषु // ऋ. वे. १,१६४.९ //
तिस्रः | मातॄः | त्रीन् | पितॄन् | बिभ्रत् | एकः | ऊर्ध्वः | तस्थौ | न | ईम् | अव | ग्लपयन्ति | मन्त्रयन्ते | दिवः | अमुष्य | पृष्ठे | विश्व-विदम् | वाचम् | अविश्व-मिन्वाम् // ऋ. वे. १,१६४.१० //
//१५//.
-ऋ. वे. २:३/१६-
द्वादश-अरम् | नहि | तत् | जराय | वर्वर्ति | चक्रम् | परि | द्याम् | ऋतस्य | आ | पुत्राः | अग्ने | मिथुनासः | अत्र | सप्त | शतानि | विंशतिः | च | तस्थुः // ऋ. वे. १,१६४.११ //
पञ्च-पादम् | पितरम् | द्वादश-आकृतिम् | दिवः | आहुः | परे | अर्धे | पुरीषिणम् | अथ | इमे | अन्ये | उपरे | वि-चक्षणम् | सप्त-चक्रे | षट्-अरे | आहुः | अर्पितम् // ऋ. वे. १,१६४.१२ //
पञ्च-अरे | चक्रे | परि-वर्तमाने | तस्मिन् | आ | तस्थुः | भुवनानि | विश्वा | तस्य | न | अक्षः | तप्यते | भूरि-भारः | सनात् | एव | न | शीर्यते | स-नाभिः // ऋ. वे. १,१६४.१३ //
स-नेमि | चक्रम् | अजरम् | वि | ववृते | उत्तानायाम् | दश | युक्ताः | वहन्ति | सूर्यस्य | चक्षिः | रजसा | एति | आवृतम् | तस्मिन् | आर्पिता | भुवनानि | विश्वा // ऋ. वे. १,१६४.१४ //
साकम्-जानाम् | सप्तथम् | आहुः | एक-जम् | षट् | इत् | यमाः | ऋषयः | देव-जाः | इति | तेषाम् | इष्टानि | वि-हितानि | धाम-शः स्थात्रे | रेजन्ते | वि-कृतानि | रूप-शः // ऋ. वे. १,१६४.१५ //
//१६//.
-ऋ. वे. २:३/१७-
स्त्रियः | सतीः | तान् | ॐ इति | मे | पुंसः | आआहुः | पश्यत् | अक्षण्-वान् | न | वि | चेतत् | अन्धः | कविः | यः | पुत्रः | सः | ईम् | आ | चिकेत | यः | ता | वि-जानात् | सः | पितुः | पिता | असत् // ऋ. वे. १,१६४.१६ //
अवः | परेण | परः | एना | अवरेण | पदा | वत्सम् | बिभ्रती | गौः | उत् | अस्थात् | सा | कद्रीची | कम् | स्वित् | अर्धम् | परा | अगात् | क्व | स्वित् | सूते | नहि | यूथे | अन्तरि ति // ऋ. वे. १,१६४.१७ //
अवः | परेण | पितरम् | यः | अस्य | अनु-वेद | परः | एना | अवरेण | कवि-यमानः | कः | इह | प्र | वोचत् | देवम् | मनः | कुतः | अधि | प्र-जातम् // ऋ. वे. १,१६४.१८ //
ये | अर्वाञ्चः | तान् | ॐ इति | पराचः | आहुः | ये | पराञ्चः | तान् | ॐ इति | अर्वाचः | आहुः | इन्द्रः | च | या | चक्रथुः | सोम | तानि | धुरा | न | युक्ताः | रजसः | वहन्ति // ऋ. वे. १,१६४.१९ //
द्वा | सु-पर्णा | स-युजा | सखाया | समनम् | वृक्षम् | परि | सस्वजातेइति | तयोः | अन्यः | पिप्पलम् | स्वादु | अत्ति | अनश्नन् | अन्यः | अभि | चाकशीति // ऋ. वे. १,१६४.२० //
//१७//.
-ऋ. वे. २:३/१८-
यत्र | सु-पर्णा | अमृतस्य | भागम् | अनिमेषम् | विदथा | अभि-स्वरन्ति | इनः | विश्वस्य | भुवनस्य | गोपाः | सः | मा | धीरः | पाकम् | अत्र | आ | विवेश // ऋ. वे. १,१६४.२१ //
यस्मिन् | वृक्षे | मधु-अदः | सु-पर्णाः | नि-विशन्ते | सुवते | च | अधि | विश्वे | तस्य | इत् | आहुः | पिप्पलम् | स्वादु | अग्रे | तत् | न | उत् | नशत् | यः | पितरम् | न | वेद // ऋ. वे. १,१६४.२२ //
यत् | गायत्रे | अधि | गायत्रम् | आहितम् | त्रैस्तुभात् | वा | त्रैस्तुभम् | निः-अतक्षत | यत् | वा | जगत् | जगति | आहितम् | पदम् | ये | इत् | तत् | विदुः | ते | अमृत-त्वम् | आनशुः // ऋ. वे. १,१६४.२३ //
गायत्रेण | प्रति | मिमीते | अर्कम् | अर्केण | साम | त्रैस्तुभेन | वाकम् | वाकेन | वाकम् | द्वि-पदा | चतुः-पदा | अक्षरेण | मिमते | सप्त | वाणीः // ऋ. वे. १,१६४.२४ //
जगता | सिन्धुम् | दिवि | अस्तभायत् | रथम्-तरे | सूर्यम् | परि | अपश्यत् | गायत्रस्य | सम्-इधः | तिस्रः | आहुः | ततः | मह्रा | प्र | रिरिचे | महि-त्वा // ऋ. वे. १,१६४.२५ //
//१८//.
-ऋ. वे. २:३/१९-
उप | ह्वये | सु-दुघाम् | धेनुम् | एताम् | सु-हस्तः | गो--धुक् | उत | दोहत् | एनाम् | श्रेष्ठम् | सवम् | सविता | साविषत् | नः | अभि-इद्धः | घर्मः | तत् | ॐ इति | सु | प्र | वोचम् // ऋ. वे. १,१६४.२६ //
हिङ्-कृण्वती | वसु-पत्नी | वसूनाम् | वत्सम् | इच्छन्ती | मनसा | अभि | आ | अगात् | दुहाम् | अश्वि-भ्याम् | पयः | अघ्न्या | इयम् | सा | वर्धताम् | महते | सौभगाय // ऋ. वे. १,१६४.२७ //
गौः | अमीमेत् | अनु | वत्सम् | मिषन्तम् | मूर्धानम् | हिङ् | अकृणोत् | मातवै | ॐ इति | सृक्वअणम् | घर्मम् | अभि | वावशाना | मिमाति | मायुम् | पयते | पयः-भिः // ऋ. वे. १,१६४.२८ //
अयम् | सः | शिङ्क्ते | येन | गौः | अभि-वृटा | मिमाति | मायुम् | ध्वसनौ | अधि | श्रिता | सा | चित्ति-भिः | नि | हि | चकार | मर्त्यम् | वि-द्युत् | भवन्ती | प्रति | वव्रिम् | औहत // ऋ. वे. १,१६४.२९ //
अनत् | शये | तुर-गातु | जीवम् | एजत् | ध्रुवम् | मध्ये | आ | पस्त्यानाम् | जीवः | मृतस्य | चरति | स्वधाभिः | अमर्त्यः | मर्त्येन | स-योनिः // ऋ. वे. १,१६४.३० //
//१९//.
-ऋ. वे. २:३/२०-
अपश्यम् | गोपाम् | अनि-पद्यमानम् | आ | च | परा | च | पथि-भिः | चरन्तम् | सः | सध्रीचीः | सः | विषूचीः | वसानः | आ | वरीवर्ति | भुवनेषु | अन्तरिति // ऋ. वे. १,१६४.३१ //
यः | ईम् | चकार | न | सः | अस्य | वेद | यः | ईम् | ददर्श | हिरुक् | इत् | नु | तस्मात् | सः | मातुः | योना | परि-वीतः | अन्तः | बहु-प्रजाः | निः-ऋतिम् | आ | विवेश // ऋ. वे. १,१६४.३२ //
द्यौः | मे | पिता | जनिता | नाभिः | अत्र | बन्धुः | मे | माता | पृथिवी | मही | इयम् | उत्तानयोः | चम्वोः | योनिः | अन्तः | अत्र | पिता | दुहितुः | गर्भम् | आ | अधात् // ऋ. वे. १,१६४.३३ //
पृच्छामि | त्वा | परम् | अन्तम् | पृथिव्याः | पृच्छामि | यत्र | भुवनस्य | नाभिः | पृच्छामि | त्वा | वृष्णः | अश्वस्य | रेतः | पृच्छामि | वाचः | परमम् | वि-ओम // ऋ. वे. १,१६४.३४ //
इयम् | वेदिः | परः | अन्तः | पृथिव्याः | अयम् | यज्ञः | भुवनस्य | नाभिः | अयम् | सोमः | वृष्णः | अश्वस्य | रेतः | ब्रह्मा | अयम् | वाचः | परमम् | व् इ-ओम // ऋ. वे. १,१६४.३५ //
//२०//.
-ऋ. वे. २:३/२१-
सप्त | अर्ध-गर्भाः | भुवनस्य | रेतः | विष्णोः | तिष्ठन्ति | प्र-दिशा | वि-धर्मणि | ते | धीति-भिः | मनसा | ते | विपः-चितः | परि-भुवः | परि | भवन्ति | विश्वतः // ऋ. वे. १,१६४.३६ //
न | वि | जानामि | यत्-इव | इदम् | अस्मि | निण्यः | सम्-नद्धः | मनसा | चरामि | यदा | मा | आ | अगन् | प्रथम-जाः | ऋतस्य | आत् | इत् | वाचः | अश्नुवे | भागम् | अस्याः // ऋ. वे. १,१६४.३७ //
अपाङ् | प्राङ् | एति | स्वधया | गृभीतः | अमर्त्यः | मर्त्येन | स-योनिः | ता | शश्वन्ता | विषूचीना | वि-यन्ता | नि | अन्यम् | चिक्युः | न | नि | चिक्युः | अन्यम् // ऋ. वे. १,१६४.३८ //
ऋचः | अक्षरे | परमे | वि-ओमन् | यस्मिन् | देवाः | अधि | विश्वे | नि-सेदुः | यः | तत् | न | वेद | किम् | ऋचा | करिष्यति | ये | इत् | तत् | विदुः | ते | इमे | सम् | आसते // ऋ. वे. १,१६४.३९ //
सुयवस-अत् | भग-वती | हि | भूयाः | अथो इति | वयम् | भग-वन्तः | स्याम | अद्धि | तृणम् | अघ्न्ये | विश्व-दानीम् | पिब | शुद्धम् | उदकम् | आचरन्ती // ऋ. वे. १,१६४.४० //
//२१//.
-ऋ. वे. २:३/२२-
गौरीः | मिमाय | सलिलानि | तक्षती | एक-पदी | द्वि-पदी | सा | चतुः-पदी | अष्टापदी | नव-पदी | बभूवुषी | सहस्र-अक्षरा | परमे | वि-ओमन् // ऋ. वे. १,१६४.४१ //
तस्याः | समुद्राः | अधि | वि | क्षरन्ति | तेन | जीवन्ति | प्र-दिशः | चतस्रः | ततः | क्षरति | अक्षरम् | तत् | विश्वम् | उप | जीवति // ऋ. वे. १,१६४.४२ //
शक-मयम् | धूमम् | आरात् | अपश्यम् | विषु-वता | परः | एना | अवरेण | उक्षाणम् | पृश्निम् | अपचन्त | वीराः | तानि | धर्माणि | प्रथमानि | आसन् // ऋ. वे. १,१६४.४३ //
त्रयः | केशिनः | ऋतु-था | वि | चक्षते | संवत्सरे | वपते | एकः | एषाम् | विश्वम् | एकः | अभि | चष्टे | शचीभिः | ध्राजिः | एकस्य | ददृशे | न | रूपम् // ऋ. वे. १,१६४.४४ //
चत्वारि | वाक् | परि-मिता | पदानि | तानि | विदुः | ब्राह्मणाः | ये | मनीषिणः | गुहा | त्रीणि | नि-हिता | न | इङ्गयन्ति | तुरीयम् | वाचः | मनुष्याः | वदन्ति // ऋ. वे. १,१६४.४५ //
इन्द्रम् | मित्रम् | वरुणम् | अग्निम् | आहुः | अथो इति | दिव्यः | सः | सु-पर्णः | गरुत्मान् | एकम् | सत् | विप्राः | बहु-धा | वदन्ति | अग्निम् | यमम् | मातरिश्वानम् | आहुः // ऋ. वे. १,१६४.४६ //
//२२//.
-ऋ. वे. २:३/२३-
कृष्णम् | नि-यानम् | हरयः | सु-पर्णाः | अपः | वसानाः | दिवम् | उत् | पतन्ति | ते | आ | अववृत्रन् | सदनात् | ऋतस्य | आत् | इत् | घृतेन | पृथिवी | वि | उद्यते // ऋ. वे. १,१६४.४७ //
द्वादश | प्र-धयः | चक्रम् | एकम् | त्रीणि | नभ्यानि | कः | ॐ
इति | तत् | चिकेत | तस्मिन् | साकम् | त्रि-शताः | न | शङ्कवः | अर्पिताः | षष्टिः | न | चलाचलासः // ऋ. वे. १,१६४.४८ //
यः | ते | स्तनः ः शशयः | यः | मयः-भूः | येन | विश्वा | पुष्यसि | वार्याणि | यः | रत्न-धाः | वसु-वित् | यः | सु-दत्रः | सरस्वति | तम् | इह | धातवे | करितिकः // ऋ. वे. १,१६४.४९ //
यज्ञेन | यज्ञम् | अयजन्त | देवाः | तानि | धर्माणि | प्रथमानि | आसन् | ते | ह | नाकम् | महिमानः | सचन्त | यत्र | पूर्वे | साध्याः | सन्ति | देवाः // ऋ. वे. १,१६४.५० //
समानम् | एतत् | उदकम् | उत् | च | एति | अव | च | अह-भिः | भूमिम् | पर्जन्याः | ज् इन्वन्ति | दिवम् | जिन्वन्ति | अग्नयः // ऋ. वे. १,१६४.५१ //
दिव्यम् | सु-पर्णम् | वायसम् | बृहन्तम् | अपाम् | गर्भम् | दर्शतम् | ओषधीनाम् | अभीपतः | वृष्टि-भिः | तर्पयन्तम् | सरस्वन्तम् | अवसे | जोहवीम् इ // ऋ. वे. १,१६४.५२ //
//२३//.
-ऋ. वे. २:३/२४-
(ऋ. वे. १,१६५)
कया | शुभा | स-वयसः | स-नीऌआः | समान्या | मरुतः | सम् | मिमिक्षुः | कया | मती | कुतः | आइतासः | एते | अर्चन्ति | शुष्मम् | वृषणः | वसु-या // ऋ. वे. १,१६५.१ //
कस्य | ब्रह्माणि | जुजुषुः | युवानः | कः | अध्वरे | मरुतः | आ | ववर्त | श्येनान्-इव | ध्रजतः | अन्तरिक्षे | केन | महा | मनसा | रीरमाम // ऋ. वे. १,१६५.२ //
कुतः | त्वम् | इन्द्र | माहिनः | सन् | एकः | यासि | सत्-पते | किम् | ते | इत्था | सम् | पृच्छसे | सम्-अराणः | शुभानैः | वोचेः | तत् | नः | हरि-वः | यत् | ते | अस्मे इति // ऋ. वे. १,१६५.३ //
ब्रह्माणि | मे | मतयः | शम् | सुतासः | शुष्मः | इयर्ति | प्र-भृतः | मे | अद्रिः | आ | शासते | प्रति | हर्यन्ति | उक्था | इमा | हरी इति | वहतः | ता | नः | अच्छ // ऋ. वे. १,१६५.४ //
अतः | वयम् | अन्तमेभिः | युजानाः | स्व-क्षत्रेभिः | तन्वः | शुम्भमानाः | महः-भिः | एतान् | उप | युज्महे | नु | इन्द्र | स्वधाम् | अनु | हि | नः | बभूथ // ऋ. वे. १,१६५.५ //
//२४//.
-ऋ. वे. २:३/२५-
क्व | स्या | वः | मरुतः | स्वधा | आसीत् | यत् | माम् | एकम् | सम्-अधत्त | अहि-हत्ये | अहम् | हि | उग्रः | तविषः | तुविष्मान् | विश्वस्य | शत्रोः | अनमम् | वध-स्नैः // ऋ. वे. १,१६५.६ //
भूरि | चकर्थ | युज्येभिः | अस्मे इति | समानेभिः | वृषभ | पैंस्येभिः | भूरीणि | हि | कृणवाम | शविष्ठ | इन्द्र | क्रत्वा | मरुतः | यत् | वशाम // ऋ. वे. १,१६५.७ //
वधीम् | वृत्रम् | मरुतः | इन्द्रियेण | स्वेन | भामेन | तविषः | बभूवान् | अहम् | एताः | मनवे | विश्व-चन्द्राः | सु-गाः | अपः | चकर | वज्र-बाहुः // ऋ. वे. १,१६५.८ //
अनुत्तम् | आ | ते | मघवन् | नकिः | नु | न | त्वावान् | अस्ति | देवता | विदानः | न | जायमानः | नशते | न | जातः | यानि | करिष्या | कृणुहि | प्र-वृद्धः // ऋ. वे. १,१६५.९ //
एकस्य | चित् | मे | वि-भु | अस्तु | ओजः | या | नु | दधृष्वान् | कृणवै | मनीषा | अहम् | हि | उग्रः | मरुतः | विदानः | यानि | च्यवम् | इन्द्रः | इत् | ईशे | एषाम् // ऋ. वे. १,१६५.१० //
//२५//.
-ऋ. वे. २:३/२६-
अमन्दत् | मा | मरुतः | स्तोमः | अत्र | यत् | मे | नरः | श्रुत्यम् | ब्रह्म | चक्र | इन्द्राय | वृष्णे | सु-मखाय | मह्यम् | सख्ये | सखायः | तन्वे | तनूभिः // ऋ. वे. १,१६५.११ //
एव | इत् | एते | प्रति | मा | रोचमानाः | अनेद्यः | श्रवः | आ | इषः | दधानाः | सम्-चक्ष्य | मरुतः | चन्द्र-वर्णाः | अच्छान्त | मे | छदयाथ | च | नूनन्म् // ऋ. वे. १,१६५.१२ //
कः | नु | अत्र | मरुतः | ममहे | वः | प्र | यातन | सखीन् | अच्छ | सखायः | मन्मानि | चित्राः | अपि-वातयन्तः | एषाम् | भूत | नवेदाः | मे | ऋतानाम् // ऋ. वे. १,१६५.१३ //
आ | यत् | दुवस्यात् | दुवसे | न | कारुः | अस्मान् | चक्रे | मान्यस्य | मेधा | ओ इति | सु | वर्त्त | मरुतः | विप्रम् | अच्छ | इमा | ब्रह्माणि | जरिता | वः | अर्चत् // ऋ. वे. १,१६५.१४ //
एषः | वः | स्तोमः | मरुतः | इयम् | गीः | मान्दार्यस्य | मान्यस्य | कारोः | आ | इषा | यासीष्ट | तन्वे | वयाम् | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१६५.१५ //
//२६//.
-ऋ. वे. २:४/१-
(ऋ. वे. १,१६६)
तत् | नु | वोचाम | रभसाय | जन्मने | पूर्वम् | महित्वम् | वृषभस्य | केतवे | ऐधाइव | यामन् | मरुतः | तुवि-स्वणः | युधाइव | शक्राः | तविषाणि | कर्तन // ऋ. वे. १,१६६.१ //
नित्यम् | न | सूनुम् | मधु | बिभ्रतः | उप | क्रीऌअन्ति | क्रीऌआः | विदथेषु | घृष्वयः | नक्षन्ति | रुद्राः | अवसा | नमस्विनम् | न | मर्धन्ति | स्व-तवसः | हविः-कृतम् // ऋ. वे. १,१६६.२ //
यस्मै | ऊमासः | अमृताः | अरासत | रायः | पोषम् | च | हविषा | ददाशुषे | उक्षन्ति | अस्मै | मरुतः | हिताः-इव | पुरु | रजांसि | पयसा | मयः-भुवः // ऋ. वे. १,१६६.३ //
आ | ये | रजांसि | तविषीभिः | अव्यत | प्र | वः | एवासः | स्व-यतासः | अध्रजन् | भयन्ते | विश्वा | भुवनानि | हर्म्या | चित्रः | वः | यामः | प्र-यतासु | ऋष्टिषु // ऋ. वे. १,१६६.४ //
यत् | त्वेष-यामाः | नदयन्त | पर्वतान् | दिवः | वा | पृष्ठम् | नर्याः | अचुच्यवुः | विश्वः | वः | अज्मन् | भयते | वनस्पतिः | रथियन्ती-इव | प्र | जिहीते | ओषधिः // ऋ. वे. १,१६६.५ //
//१//.
-ऋ. वे. २:४/२-
यूयम् | नः | उग्राः | मरुतः | सु-चेतुना | अरिष्ट-ग्रामाः | सु-मतिम् | पिपर्तन | यत्र | वः | दिद्युत् | रदति | क्रिविः-दती | रिणाति | पश्वः | सुधिताइव | बर्हणा // ऋ. वे. १,१६६.६ //
प्र | स्कम्भ-देष्णाः | अनवभ्र-राधसः | अलातृणासः | विदथेषु | सु-स्तुताः | अर्चन्ति | अर्कम् | मदिरस्य | पीतये | विदुः | वीरस्य | प्रथमानि | पैंस्या // ऋ. वे. १,१६६.७ //
शतभुजि-भिः | तम् | अभि-ह्रुतेः | अघात् | पूः-भिः | रक्षत | मरुतः | यम् | आवत | जनम् | यम् | उग्राः | तवसः | वि-रप्शिनः | पाथन | शंसात् | तनयस्य | पुष्टिषु // ऋ. वे. १,१६६.८ //
विश्वानि | भद्रा | मरुतः | रथेषु | वः | मिथस्पृध्याइव | तविषाणि | आहिता | अंसेषु | आ | वः | प्र-पथेषु | खादयः | अक्षः | वः | चक्रा | समया | वि | ववृते // ऋ. वे. १,१६६.९ //
भूरीणि | भद्रा | नर्येषु | बाहुषु | वक्षः-सु | रुक्माः | रभसासः | अञ्जयः | अंसेषु | एताः | पविषु | क्षुराः | अधि | वयः | न | पक्षान् | वि | अनु | श्रियः | धिरे // ऋ. वे. १,१६६.१० //
//२//.
-ऋ. वे. २:४/३-
महान्तः | मह्ना | वि-भ्वः | वि-भूतयः | दूरे--दृशः | ये | दिव्याः-इव | स्तृ-भिः | मन्द्राः | सु-जिह्वाः | स्वरितारः | आस-भिः | सम्-मिश्लाः | इन्द्रे | मरुतः | परि-स्तुभः // ऋ. वे. १,१६६.११ //
तत् | वः | सु-जाताः | मरुतः | महि-त्वनम् | दीर्घम् | वः | दात्रम् | अदितेः-इव | व्रतम् | इन्द्रः | चन | त्यजसा | वि | ह्रुणाति | तत् | जनाय | यस्मै | सु-कृते | अराध्वम् // ऋ. वे. १,१६६.१२ //
तत् | वः | जामि-त्वम् | मरुतः | परे | युगे | पुरु | यत् | शंसम् | अमृतासः | आवत | अया | धिया | मनवे | श्रुष्टिम् | आव्य | साकम् | नरः | दंसनैः | आ | चिकित्रिरे // ऋ. वे. १,१६६.१३ //
येन | दीर्घम् | मरुतः | शूशवाम | युष्माकेन | परीणसा | तुरासः | आ | यत् | ततनम् | वृजने | जनासः | एभिः | यज्ञेभिः | तत् | अभि | इष्टिम् | अश्याम् // ऋ. वे. १,१६६.१४ //
एषः | वः | स्तोमः | मरुतः | इयम् | गीः | मान्दार्यस्य | मान्यस्य | कारोः | आ | इषा | यासीष्ट | तन्वे | वयाम् | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१६६.१५ //
//३//.
-ऋ. वे. २:४/४-
(ऋ. वे. १,१६७)
सहस्रम् | ते | इन्द्र | ऊतयः | नः | सहस्रम् | इषः | हरि-वः | गूर्त-तमाः | सहस्रम् | रायः | मादयध्यै | सहस्रिणः | उप | नः | यन्तु | वाजाः // ऋ. वे. १,१६७.१ //
आ | नः | अवः-भिः | मरुतः | यान्तु | अच्छ | ज्येष्ठेभिः | वा | बृहत्-दिवैः | सु-मायाः | अध | यत् | एषाम् | नि-युतः | परमाः | समुद्रस्य | चित् | धनयन्त | पारे // ऋ. वे. १,१६७.२ //
मिम्यक्ष | येषु | सु-धिता | घृताची | हिरण्य-निर्निक् | उपरा | न | ऋष्टिः | गुहा | चरन्ती | मनुषः | न | योषा | सभावती | विदथ्याइव | सम् | वाक् // ऋ. वे. १,१६७.३ //
परा | शुभ्राः | अयासः | यव्या | साधारण्याइव | मरुतो | मिमिक्षुः | न | रोदसी इति | अप | नुदन्त | घोराः | जुषन्त | वृधम् | सख्याय | देवाः // ऋ. वे. १,१६७.४ //
जोषत् | यत् | ईम् | असुर्या | सचध्यै | विसित-स्तुका | रोदसी | नृ-मनाः | / आ | सूर्याइव | विधतः | रथम् | गात् | त्वेष-प्रतीका | नभसः | न | इत्या // ऋ. वे. १,१६७.५ //
//४//.
-ऋ. वे. २:४/५-
आ | अस्थापयन्त | युवतिम् | युवानः | शुभे | नि-मिश्लाम् | विदथेषु | पज्राम् | अर्कः | यत् | वः | मरुतः | हविष्मान् | गायत् | गाथम् | सुत-सोमः | दुवस्यन् // ऋ. वे. १,१६७.६ //
प्र | तम् | विवक्मि | वक्म्यः | यः | एषाम् | मरुताम् | महिमा | सत्यः | अस्ति | सचा | यत् | ईम् | वृष-मनाः | अहम्-युः | स्थिरा | चित् | जनीः | वहते | सु-भागाः // ऋ. वे. १,१६७.७ //
पान्ति | मित्रावरुणौ | अवद्यात् | चयते | ईम् | अर्यमो इति | अप्र-शस्तान् | उत | च्यवन्ते | अच्युता | ध्रुवाणि | ववृधे | ईम् | मरुतः | दाति--वारः // ऋ. वे. १,१६७.८ //
नहि | नु | वः | मरुतः | अन्ति | अस्मे इति | आरात्तात् | चित् | शवसः | अन्तम् | आपुः | ते | धृष्णुनाशवसा | शूशु-वांसः | अर्णः | न | द्वेषः | धृषता | परि | स्थुः // ऋ. वे. १,१६७.९ //
वयम् | अद्य | इन्द्रस्य | प्रेष्ठाः | वयम् | श्वः | वोचेमहि | स-मर्ये | वयम् | पुरा | महि | च | नः | अनु | द्यून् | तत् | नः | ऋभुक्षाः | नराम् | अनु | स्यात् // ऋ. वे. १,१६७.१० //
एषः | वः | स्तोमः | मरुतः | इयम् | गीः | मान्दार्यस्य | मान्यस्य | कारोः | आ | इषा | यासीष्ट | तन्वे | वयाम् | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१६७.११ //
//५//.
-ऋ. वे. २:४/६-
(ऋ. वे. १,१६८)
यज्ञायज्ञा | वः | समना | तुतुर्वणिः | धियम्-धियम् | वः | देव-याः | ॐ इति | दधिध्वे | आ | वः | अर्वाचः | सुविताय | रोदस्योः | महे | ववृत्याम् | अवसे | सुवृक्ति-भिः // ऋ. वे. १,१६८.१ //
वव्रासः | न | ये | स्व-जाः | स्व-तवसः | इषम् | स्वः | अभि-जायन्त | धूतयः | सहस्रियासः | अपाम् | न | ऊर्मयः | आसा | गावः | वन्द्यासः | न | उक्षणः // ऋ. वे. १,१६८.२ //
सोमासः | न | ये | सुताः | तृप्त-अंशवः | हृत्-सु | पीतासः | दुवसः | न | आसते | आ | एषाम् | अंसेषु | रम्भिणी-इव | ररभे | हस्तेषु | खादिः | च | कृतिः | च | सम् | दधे // ऋ. वे. १,१६८.३ //
अव | स्व-युक्ताः | दिवः | आ | वृथा | ययुः | अमर्त्याः | कशया | चोदत | त्मना | अरेणवः | तुवि-जाताः | अचुच्यवुः | दृऌहानि | चित् | मरुतः | भ्राजद्-ऋष्टयः // ऋ. वे. १,१६८.४ //
कः | वः | अन्तः | मरुतः | ऋष्टि-विद्युतः | रेजति | त्मना | हन्वाइव | जिह्वया | धन्व-च्युतः | इषाम् | न | यामनि | पुरु-प्रैषाः | अहन्यः | न | एतशः // ऋ. वे. १,१६८.५ //
//६//.
-ऋ. वे. २:४/७-
क्व | स्वित् | अस्य | रजसः | महः | परम् | क्व | अवरम् | मरुतः | यस्मिन् | आयय | यत् | च्यवयथ | विथुराइव | सम्-हितम् | वि | अद्रिणा | पतथ | त्वेषम् | अर्णवम् // ऋ. वे. १,१६८.६ //
सातिः | न | वः | अम-वती | स्वः-वती | त्वेषा | वि-पाका | मरुतः | पिपिष्वती | भद्रा | वः | रातिः | पृणतः | न | दक्षिणा | पृथु-ज्रयी | असुर्याइव | जञ्जती // ऋ. वे. १,१६८.७ //
प्रति | स्तोभन्ति | सिन्धवः | पवि-भ्यः | यत् | अभ्रियाम् | वाचम् | उत्-ईरयन्त् इ | अव | स्मयन्त | वि-द्युतः | पृथिव्याम् | यदि | घृतम् | मरुतः | प्रुष्णुवन्ति // ऋ. वे. १,१६८.८ //
असूत | पृश्निः | महते | रणाय | त्वेषम् | अयासाम् | मरुताम् | अनीकम् | ते | सप्सरासः | अजनयन्त | अभ्वम् | आत् | इत् | स्वधाम् | इषिराम् | परि | अपश्यन् // ऋ. वे. १,१६८.९ //
एषः | वः | स्तोमः | मरुतः | इयम् | गीः | मान्दार्यस्य | मान्यस्य | कारोः | आ | इषा | यासीष्ट | तन्वे | वयाम् | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१६८.१० //
//७//.
-ऋ. वे. २:४/८-
(ऋ. वे. १,१६९)
महः | चित् | त्वम् | इन्द्र | यतः | एतान् | महः | चित् | असि | त्यजसः | वरूता | सः | नः | वेधः | मरुताम् | चिकित्वान् | सुम्ना | वनुष्व | तव | हि | प्रेष्ठा // ऋ. वे. १,१६९.१ //
अयुज्रन् | ते | इन्द्र | विश्व-कृष्टीः | विदानासः | निः-सिधः | मर्त्य-त्रा | मरुताम् | पृत्सुतिः | हासमाना | स्वः-मीऌहस्य | प्र-धनस्य | सातौ // ऋ. वे. १,१६९.२ //
अम्यक् | सा | ते | इन्द्र | ऋष्टिः | अस्मे इति | सनेमि | अभ्वम् | मरुतः | जुनन्ति | अग्निः | चित् | हि | स्म | अतसे | शुशुक्वान् आपः | न | द्वीपम् | दधति | प्रयांसि // ऋ. वे. १,१६९.३ //
त्वम् | तु | नः | इन्द्र | तम् | रयिम् | दाः | ओजिष्ठया | दक्षिणयाइव | रातिम् | स्तुतः | च | याः | ते | चकनन्त | वायोः | स्तनम् | न | मध्वः | पीपयन्त | वाजैः // ऋ. वे. १,१६९.४ //
त्वे इति | रायः | इन्द्र | तोश-तमाः | प्र-नेतारः | कस्य | चित् | ऋत-योः | ते | सु | नः | मरुतः | मृऌअयन्तु | ये | स्म | पुरा | गातुयन्ति-इव | देवाः // ऋ. वे. १,१६९.५ //
//८//.
-ऋ. वे. २:४/९-
प्रति | प्र | याहि | इन्द्र | मीऌहुषः | नॄन् | महः | पार्थिवे | सदने | यतस्व | अध | यत् | एषाम् | पृथु-बुध्नासः | एताः | तीर्थे | न | अर्यः | पैंस्यानि | तस्थुः // ऋ. वे. १,१६९.६ //
प्रति | घोराणाम् | एतानाम् | अयासाम् | मरुताम् | शृण्वे | आयताम् | उपब्दिः | ये | मर्त्यम् | पृतनायन्तम् | ऊमैः | ऋण-वानम् | न | पतयन्त | सर्गैः // ऋ. वे. १,१६९.७ //
त्वम् | मानेभ्यः | इन्द्र | विश्व-जन्या | रद | मरुत्-भिः | शुरुधः | गो--अग्राः | स्तवानेभिः | स्तवसे | देव | देवैः | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१६९.८ //
//९//.
-ऋ. वे. २:४/१०-
(ऋ. वे. १,१७०)
न | नूनम् | अस्ति | नो इति | श्वः | कः | तत् | वेद | यत् | अद्भुतम् | अन्यस्य | चित्तम् | अभि | सम्-चरेण्यम् | उत | आधीतम् | वि | नश्यति // ऋ. वे. १,१७०.१ //
किम् | नः | इन्द्र | जिघांससि | भ्रातरः | मरुतः | तव | तेभिः | कल्पस्व | साधु-या | मा | नः | सम्-अरणे | वधीः // ऋ. वे. १,१७०.२ //
किम् | न | भ्रातः | अगस्त्य | सखा | सन् | अति | मन्यसे | विद्म | हि | ते | यथा | मनः | अस्मभ्यम् | इत् | न | दित्ससि // ऋ. वे. १,१७०.३ //
अरम् | कृण्वन्तु | वेदिम् | सम् | अग्निम् | इन्धताम् | पुरः | तत्र | अमृतस्य | चेतनम् | यज्ञम् | ते | तनवावहै // ऋ. वे. १,१७०.४ //
त्वम् | ईशिषे | वसु-पते | वसूनाम् | त्वम् | मित्राणाम् | मित्र-पते | धेष्ठः | इन्द्र | त्वम् | मरुत्-भिः | सम् | वदस्व | अध | प्र | अशान | ऋतु-था | हवींषि // ऋ. वे. १,१७०.५ //
//१०//.
-ऋ. वे. २:४/११-
(ऋ. वे. १,१७१)
प्रति | वः | एना | नमसा | अहम् | एमि | सु-उक्तेन | भिक्षे | सु-मतिम् | तुराणाम् | रराणता | मरुतः | वेद्याभिः | नि | हेऌअः | धत्त | वि | मुचध्वम् | अश्वान् // ऋ. वे. १,१७१.१ //
एषः | वः | स्तोमः | मरुतः | नमस्वान् | हृदा | तष्टः | मनसा | धायि | देवाः | उप | ईम् | आ | यात | मनसा | जुषाणाः | यूयम् | हि | स्थ | नमसः | इत् | वृधासः // ऋ. वे. १,१७१.२ //
स्तुतासः | नः | मरुतः | मृऌअयन्तु | उत | स्तुतः | मघ-वा | शम्-भविष्ठः | ऊर्ध्वा | नः | सन्तु | कोम्या | वनानि | अहानि | विश्वा | मरुतः | जिगीषा // ऋ. वे. १,१७१.३ //
अस्मात् | अहम् | तविषात् | ईषमाणः | इन्द्रात् | भिया | मरुतः | रेजमानः | युष्मभ्यम् | हव्या | नि-शितानि | आसन् | तानि | आरे | चकृम | मृऌअत | नः // ऋ. वे. १,१७१.४ //
येन | मानासः | चितयन्ते | उस्राः | वि-उष्टिषु | शवसा | शश्वतीनाम् | सः | नः | मरुत्-भिः | वृषभ | श्रवः | धाः | उग्रः | उग्रेभिः | स्थविरः | सहः-दाः // ऋ. वे. १,१७१.५ //
त्वम् | पाहि | इन्द्र | सहीयसः | नॄन् | भव | मरुत्-भिः | अवयात-हेऌआः | सु-प्रकेतेभिः | ससहिः | दधानः | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१७१.६ //
//११//.
-ऋ. वे. २:४/१२-
(ऋ. वे. १,१७२)
चित्रः | वः | अस्तु | यामः | चित्रः | ऊती | सु-दानवः | मरुतः | अहि-भानवः // ऋ. वे. १,१७२.१ //
आरे | सा | वः | सु-दानवः | मरुतः | ऋञ्जती | शरुः | आरे | अश्मा | यम् | अस्यथ // ऋ. वे. १,१७२.२ //
तृण-स्कन्दस्य | नु | विशः | परि | वृङ्क्त | सु-दानवः | ऊर्ध्वान् | नः | कतर् | जीवसे // ऋ. वे. १,१७२.३ //
//१२//.
-ऋ. वे. २:४/१३-
(ऋ. वे. १,१७३)
गायत् | साम | नभन्यम् | यथा | वेः | अर्चाम | तत् | ववृधानम् | स्वः-वत् | गावः | धेनवः | बर्हिषि | अदब्धाः | आ | यत् | सद्मानम् | दिव्यम् | विवासान् // ऋ. वे. १,१७३.१ //
अर्चत् | वृषा | वृष-भिः | स्व-इदुहव्यैः | मृगः | न | अश्नः | अति | यत् | जुगुयार्त् | प्र | मन्दयुः | मनाम् | गूर्त | होता | भरते | मर्यः | मिथुना | यजत्रः // ऋ. वे. १,१७३.२ //
नक्षत् | होता | परि | सद्म | मिता | यन् | भरत् | गर्भम् | आ | शरदः | पृथिव्याः | क्रन्दत् | अश्वः | नयमानः | रुवत् | गौः | अन्तः | दूतः | न | रोदसी इति | चरत् | वाक् // ऋ. वे. १,१७३.३ //
ता | कर्म | अष-तरा | अस्मै | प्र | च्यौत्नानि | देव-यन्तः | भरन्ते | जुजोषत् | इन्द्रः | दस्म-वर्चाः | नासत्याइव | सुग्म्यः | रथे--स्थाः // ऋ. वे. १,१७३.४ //
तम् | उंम् इति | स्तुहि | इन्द्रम् | यः | ह | सत्वा | यः | शूरः | मघवा | यः | रथे--स्थाः | प्रतीचः | चित् | योधीयान् | वृषण्-वान् | ववव्रुषः | चित् | तमसः | वि-हन्ता // ऋ. वे. १,१७३.५ //
//१३//.
-ऋ. वे. २:४/१४-
प्र | यत् | इत्था | महिना | नृ-भ्यः | अस्ति | अरम् | रोदसी इति | कक्ष्ये इति | न | अस्मै | सम् | विव्ये | इन्द्रः | वृजनम् | न | भूम | भर्ति | स्वधावान् | ओपशम्-इव | द्याम् // ऋ. वे. १,१७३.६ //
समत्-सु | त्वा | शूर | सताम् | उराणम् | प्रपथिन्-तमम् | परि-तंसयध्यै | सजोषसः | इन्द्रम् | मदे | क्षोणीः | सूरिम् | चित् | ये | अनु-मदन्ति | वाजैः // ऋ. वे. १,१७३.७ //
एव | हि | ते | शम् | सवना | समुद्रे | आपः | यत् | ते | आसु | मदन्ति | देवीः | विश्वा | ते | अनु | जोष्या | भूत् | गौः | सूरीन् | चित् | यदि | धिषा | वेषि | जनान् // ऋ. वे. १,१७३.८ //
असाम | यथा | सु-सखायः | एन | सु-अभिष्टयः | नराम् | न | शंसैः | असत् | यथा | नः | इन्द्रः | वन्दने--स्थाः | तुरः | न | कर्म | नयमानः | उक्था // ऋ. वे. १,१७३.९ //
वि-स्पर्धसः | नराम् | न | शंसैः | अस्माक | असत् | इन्द्रः | वज्र-हस्तः | मित्र-युवः | न | पूः-पतिम् | सु-शिश्टौ | मध्य-युवः | उप | शिक्षन्ति | यज्ञैः // ऋ. वे. १,१७३.१० //
//१४//.
-ऋ. वे. २:४/१५-
यज्ञः | हि | स्म | इन्द्रम् | कः | चित् | ऋन्धन् | जुहुर्ताणः | चित् | मनसा | परि-यन् | तीर्थे | न | अच्छ | ततृषाणम् | ओकः | दीर्घः | न | सिध्रम् | आ | कृणोति | अध्वा // ऋ. वे. १,१७३.११ //
मो इति | सु | णः | इन्द्र | अत्र | पृत्-सु | देवैः | अस्ति | हि | स्म | ते | शुष्मिन् | अव-याः | महः | चित् | यस्य | मीऌहुषः | यव्या | हविष्मतः | मरुतः | वन्दते | गीः // ऋ. वे. १,१७३.१२ //
एषः | स्तोमः | इन्द्र | तुभ्यम् | अस्मे इति | एतेन | गातुम् | हरि-वः | विदः | नः | आ | नः | ववृत्याः | सुविताय | देव | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१७३.१३ //
//१५//.
-ऋ. वे. २:४/१६-
(ऋ. वे. १,१७४)
त्वम् | राजा | इन्द्र | ये | च | देवाः | रक्ष | नॄन् | पाहि | असुर | त्वम् | अस्मान् | त्वम् | सत्-पतिः | मघ-वा | नः | तरुत्रः | त्वम् | सत्यः | वसवानः | सहः-दाः // ऋ. वे. १,१७४.१ //
दनः | विशः | इन्द्र | मृध्र-वाचः | सप्त | यत् | पुरः | शर्म | शारदीः | दर्त | ऋणोः | अपः | अनवद्य | अर्णाः | यूने | वृत्रम् | पुरु-कुत्साय | रन्धीः // ऋ. वे. १,१७४.२ //
अज | वृतः | इन्द्र | शूर-पत्नीः | द्याम् | च | येभिः | पुरु-हूत | नूनम् | रक्षः | अग्निम् | अशुषम् | तूर्वयाणम् | सिंहः | न | दमे | अपांसि | वस्तोः // ऋ. वे. १,१७४.३ //
शेषन् | नु | ते | इन्द्र | सस्मिन् | योनौ | प्र-शस्तये | पवीरवस्य | मह्ना | सृजत् | अर्णांसि | अव | यत् | युधा | गाः | तिष्ठत् | हरी इति | धृषता | मृष्ट | वाजान् // ऋ. वे. १,१७४.४ //
वह | कुत्सम् | इन्द्र | यस्मिन् | चाकन् | स्यूमन्यू इति | ऋज्रा | वातस्य | अस्वा | प्र | सूरः | चक्रम् | वृहतात् | अभीके | अभि | स्पृधः | यासिषत् | वज्र-बाहुः // ऋ. वे. १,१७४.५ //
//१६//.
-ऋ. वे. २:४/१७-
जघन्वान् | इन्द्र | मित्रेरून् | चोद-प्रवृद्धः | हरि-वः | अदाशून् | प्र | ये | पश्यन् | अर्यमणम् | सचा | आयोः | त्वया | शूर्ताः | वहमानाः | अपत्यम् // ऋ. वे. १,१७४.६ //
रपत् | कविः | इन्द्र | अर्क-सातौ | क्षाम् | दासाय | उप-बर्हणीम् | करितिकः | करत् | तिस्रः | मघ-वा | दानु-चित्राः | नि | दुर्योणे | कुयवाचम् | मृधि | श्रेत् // ऋ. वे. १,१७४.७ //
सना | ता | ते | इन्द्र | नव्याः | आ | अगुः | सहः | नभः | अवि-रणाय | पूर्वीः | भिनत् | पुरः | न | भिदः | अदेवीः | ननमः | वधः | अदेवस्य | पीयोः // ऋ. वे. १,१७४.८ //
त्वम् | धुनिः | इन्द्र | धुनि-मतीः | ऋणोः | अपः | सीराः | न | स्रवन्तीः | प्र | यत् | समुद्रम् | अति | शूर | पर्षि | पारय | तुर्वशम् | यदुम् | स्वस्ति // ऋ. वे. १,१७४.९ //
त्वम् | अस्माकम् | इन्द्र | विश्वध | स्याः | अवृक-तमः | नरान् | नृ-पाता | सः | नः | विश्वासाम् | स्पृधाम् | सहः-दाः | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१७४.१० //
//१७//.
-ऋ. वे. २:४/१८-
(ऋ. वे. १,१७५)
मत्सि | अपायि | ते | महः | पात्रस्य-इव | हरि-वः | मत्सरः | मदः | वृषा | ते | वृष्णे | इन्दुः | वाजी | सहस्र-सातमः // ऋ. वे. १,१७५.१ //
आ | नः | ते | गन्तु | मत्सरः | वृषा | मदः | वरेण्यः | सह-वान् | इन्द्र | सानसिः | पृतनाषाट् | अमर्त्यः // ऋ. वे. १,१७५.२ //
त्वम् | हि | शूरः | सनिता | चोदयः | मनुषः | रथम् | सह-वान् | दस्युम् | अव्रतम् | ओषः | पात्रम् | न | शोचिषा // ऋ. वे. १,१७५.३ //
मुषाय | सूर्य | कवे | चक्रम् | ईशानः | ओजसा | वह | शुष्णाय | वधम् | कुत्सम् | वातस्य | अश्वैः // ऋ. वे. १,१७५.४ //
शुष्मिन्-तमः | हि | ते | मदः | द्युम्निन्-तमः | उत | क्रतुः | वृत्र-घ्ना | वर् इवः-विदा | मंसीष्ठाः | अश्व-सातमः // ऋ. वे. १,१७५.५ //
यथा | पूर्वेभ्यः | जरितृ-भ्यः | इन्द्र | मयः-इव | आपः | न | तृष्यते | बभूथ | ताम् | अनु | त्वा | नि-विदम् | जोहवीमि | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१७५.६ //
//१८//.
-ऋ. वे. २:४/१९-
(ऋ. वे. १,१७६)
मत्सि | नः | वस्यः-इष्टये | इन्द्रम् | इन्दो इति | वृषा | आ | विश | ऋघायमाणः | इन्वसि | शत्रुम् | अन्ति | न | विन्दसि // ऋ. वे. १,१७६.१ //
तस्मिन् | आ | वेशय | गिरः | यः | एकः | चर्षणीनाम् | अनु | स्वधा | यम् | उप्यते | यवम् | न | चर्कृषत् | वृषा // ऋ. वे. १,१७६.२ //
यस्य | विश्वानि | हस्तयोः | पञ्च | क्षितीनाम् | वसु | स्पाशयस्व | यः | अस्म-ध्रुक् | दिव्याइव | अशनिः | जहि // ऋ. वे. १,१७६.३ //
असुन्वन्तम् | समम् | जहि | दुः-नसम् | यः | न | ते | मयः | अस्मभ्यम् | अस्य | वेदनम् | दद्धि | सूरिः | चित् | ओहते // ऋ. वे. १,१७६.४ //
आवः | यस्य | द्वि-बर्हसः | अर्केषु | सानुषक् | असत् | आजौ | इन्द्रस्य | इन्दो इति | प्र | आवः | वाजेषु | वाजिनम् // ऋ. वे. १,१७६.५ //
यथा | पूर्वेभ्यः | जरितृ-भ्यः | इन्द्र | मयः-इव | आपः | न | तृष्यते | बभूथ | ताम् | अनु | त्वा | नि-विदम् | जोहवीमि | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१७६.६ //
//१९//.
-ऋ. वे. २:४/२०-
(ऋ. वे. १,१७७)
आ | चर्षणि-प्राः | वृषभः | जनानाम् | राजा | कृष्टीनाम् | पुरु-हूतः | इन्द्रः | स्तुतः | श्रवस्यन् | अवसा | उप | मद्रिक् | युक्त्वा | हरी | वृषणा | याहि | अर्वाङ् // ऋ. वे. १,१७७.१ //
ये | ते | वृषणः | वृषभासः | इन्द्र | ब्रह्म-युजः | वृष-रथासः | अत्याः | तान् | आ | तिष्ठ | तेभिः | आ | याहि | अर्वाङ् | हवामहे | त्वा | सुते | इन्द्र | सोमे // ऋ. वे. १,१७७.२ //
आ | तिष्ठ | रथम् | वृषणम् | वृषा | ते | सुतः | सोमः | परि-सिक्ता | मधूनि | युक्त्वा | वृष-भ्याम् | वृषभ | क्षितीनाम् | हरि-भ्याम् | याहि | प्र-वता | उप | मद्रिक् // ऋ. वे. १,१७७.३ //
अयम् | यज्ञः | देव-याः | अयम् | मियेधः | इमा | ब्रह्माणि | अयम् | इन्द्र | सोमः | स्तीर्णम् | बर्हिः | आ | तु | शक्र | प्र | याहि | पिब | नि-सद्य | वि | मुच | हरी इति | इह // ऋ. वे. १,१७७.४ //
ओ इति | सु-स्तुतः | इन्द्र | याहि | अर्वाङ् | उप | ब्रह्माणि | मान्यस्य | कारोः | विद्याम | वस्तोः | अवसा | गृणन्तः | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१७७.५ //
//२०//.
-ऋ. वे. २:४/२१-
(ऋ. वे. १,१७८)
यत् | ह | स्या | ते | इन्द्र | श्रुष्टिः | अस्ति | यया | बभूथ | जरितृ-भ्यः | ऊती | मा | नः | कामम् | महयन्तम् | आ | धक् | विश्वा | ते | अश्याम् | परि | आपः | आयोः // ऋ. वे. १,१७८.१ //
न | घ | राजा | इन्द्रः | आ | दभत् | नः | या | नु | स्वसारा | कृणवन्त | योनौ | आपः | चित् | अस्मै | सु-तुकाः | अवेषन् | गमत् | नः | इन्द्रः | सख्या | वयः | च // ऋ. वे. १,१७८.२ //
जेता | नृ-भिः | इन्द्रः | पृत्-सु | शूरः | श्रोता | हवम् | नाधमानस्य | कारोः | प्र-भर्ता | रथम् | दाशुषः | उपाके | उत्-यन्ता | गिरः | यदि | च | त्मना | भूत् // ऋ. वे. १,१७८.३ //
एव | नृ-भिः | इन्द्रः | सु-श्रवस्या | प्र-खादः | पृक्षः | अभि | मित्रिणः | भूत् | स-मर्ये | इषः | स्तवते | वि-वाचि | सत्राकरः | यजमानस्य | शंसः // ऋ. वे. १,१७८.४ //
त्वया | वयम् | मघ-वन् | इन्द्र | शत्रून् | अभि | स्याम | महतः | मन्यमानान् | त्वम् | त्राता | त्वम् | ॐ इति | नः | वृधे | भूः | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१७८.५ //
//२१//.
-ऋ. वे. २:४/२२-
(ऋ. वे. १,१७९)
पूर्वीः | अहम् | शरदः | शश्रमाणा | दोषाः | वस्तोः | उषसः | जरयन्तीः | मिनाति | श्रियम् | जरिमा | तनूनाम् | अपि | ॐ इति | नु | पत्नीः | वृषणः | जगम्युः // ऋ. वे. १,१७९.१ //
ये | चित् | हि | पूर्वे | ऋत-सापः | आसन् | साकम् | देवेभिः | अवदन् | ऋतानि | ते | चित् | अव | असुः | नहि | अन्तम् | आपुः | सम् | ॐ इति | नु | पत्नीः | वृष-भिः | जगम्युः // ऋ. वे. १,१७९.२ //
न | मृषा | श्रान्तम् | यत् | अवन्ति | देवाः | विश्वाः | इत् | स्पृधः | अभि | अश्नवाव | जयाव | इत् | अत्र | शत-नीथम् | आजिम् | यत् | सम्यञ्चा | मिथुनौ | अभि | अजाव // ऋ. वे. १,१७९.३ //
नदस्य | मा | रुधतः | कामः | आ | अगन् | इतः | आजातः | अमुतः | कुतः | चित् | लोपामुद्रा | वृषणम् | निः | रिणाति | धीरम् | अधीरा | धयति | श्वसन्तम् // ऋ. वे. १,१७९.४ //
इमम् | नु | सोमम् | अन्तितः | हृत्-सु | पीतम् | उप | ब्रुवे | यत् | सीम् | आगः | चकृम | तत् | सु | मृऌअतु | पुलु-कामः | हि | मर्त्यः // ऋ. वे. १,१७९.५ //
अगस्त्यः | खनमानः | खनित्रैः | प्र-जाम् | अपत्यम् | बलम् | इच्छमानः | उभौ | वर्णौ | ऋषिः | उग्रः | पुपोष | सत्याः | देवेषु | आशिषः | जगाम // ऋ. वे. १,१७९.६ //
//२२//.
-ऋ. वे. २:४/२३-
(ऋ. वे. १,१८०)
युवः | रजांसि | सु-यमासः | अश्वाः | रथः | यत् | वाम् | परि | अर्णांसि | दीयत् | हिरण्यया | वाम् | पवयः | प्रुषायन् | मध्वः | पिबन्तौ | उषसः | सचेथेइति // ऋ. वे. १,१८०.१ //
युवम् | अत्यस्य | अव | नक्षथः | यत् | वि-पत्मनः | नर्यस्य | प्र-यज्योः | स्वसा | यत् | वाम् | विश्वगूर्ती इतिविश्व-गूर्ती | भराति | वाजाय | ईटे | मधु-पौ | इषे | च // ऋ. वे. १,१८०.२ //
युवम् | पयः | उस्रियायाम् | अधत्तम् | पक्वम् | आमायाम् | अव | पूर्व्यम् | गोः | अन्तः | यत् | वनिनः | वाम् | ऋतप्सूइत्य् ऋत-प्सू | ह्वारः | न | शुचिः | यजते | हविष्मान् // ऋ. वे. १,१८०.३ //
युवम् | ह | घर्मम् | मधु-मन्तम् | अत्रये | अपः | न | क्षोदः | अवृणीतम् | एषे | तत् | वाम् | नरौ | अश्विना | पश्वः-इष्टिः | रथ्याइव | चक्रा | प्रति | यन्ति | मध्वः // ऋ. वे. १,१८०.४ //
आ | वाम् | दानाय | ववृतीय | दस्रा | गोः | ओहेन | तौग्र्यः | न | जिव्रिः | अपः | क्षोणी इति | सचते | माहिना | वाम् | जूर्णः | वाम् | अक्षुः | अंहसः | यजत्रा // ऋ. वे. १,१८०.५ //
//२३//.
-ऋ. वे. २:४/२४-
नि | यत् | युवेथेइति | नि-युतः | सुदानूइतिसु-दानू | उप | स्वधाभिः | सृजथः | पुरम्-धिम् | प्रेषत् | वेषत् | वातः | न | सूरिः | आ | महे | ददे | सु-व्रतः | न | वाजम् // ऋ. वे. १,१८०.६ //
वयम् | चित् | हि | वाम् | जरितारः | सत्याः | विपन्यामहे | वि | पणिः | हित-वान् | अध | चित् | हि | स्म | अश्विनौ | अनिन्द्या | पाथः | हि | स्म | वृषणौ | अन्ति-देवम् // ऋ. वे. १,१८०.७ //
युवाम् | चित् | हि | स्म | अश्विनौ | अनु | द्यून् | वि-रुद्रस्य | प्र-स्रवणस्य | सातौ | अगस्त्यः | नराम् | नृषु | प्र-शस्तः | काराधुनी-इव | चितयत् | सहस्रैः // ऋ. वे. १,१८०.८ //
प्र | यत् | वहेथेइति | महिना | रथस्य | प्र | स्यन्द्रा | याथः | मनुषः | न | होता | धत्तम् | सूरि-भ्यः | उत | वा | सु-अश्व्यम् | नासत्या | रयि-साचः | स्याम // ऋ. वे. १,१८०.९ //
तम् | वाम् | रथम् | वयम् | अद्य | हुवेम | स्तोमैः | अश्विना | सुविताय | नव्यम् | अरिष्ट-नेमिम् | परि | द्याम् | इयानम् | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१८०.१० //
//२४//.
-ऋ. वे. २:४/२५-
(ऋ. वे. १,१८१)
कत् | ॐ इति | प्रेष्ठौ | इषाम् | रयीणाम् | अध्वर्यन्ता | यत् | उत्-निनीथः | अपाम् | अयम् | वाम् | यज्ञः | अकृत | प्र-शश्तिम् | वसुधिती इतिवसु-धिती | अवितारा | जनानाम् // ऋ. वे. १,१८१.१ //
आ | वाम् | अश्वासः | शुचयः | पयः-पाः | वात-रंहसः | दिव्यासः | अत्याः | मनः-जुवः | वृषणः | वीत-पृष्ठाः | आ | इह | स्व-राजः | अश्विना | वहन्तु // ऋ. वे. १,१८१.२ //
आ | वाम् | रथः | अवनिः | न | प्रवत्वान् | सृप्र-वन्धुरः | सुविताय | गम्याः | वृष्णः | स्थातारा | मनसः | जवीयान् | अहम्-पूर्वः | यजतः | धिष्ण्या | यः // ऋ. वे. १,१८१.३ //
इह-इह | जाता | सम् | अवावशीताम् | अरेपसा | तन्वा | नाम-भिः | स्वैः | जिष्णुः | वाम् | अन्यः | सु-मखस्य | सूरिः | दिवः | अन्यः | सु-भगः | पुत्रः | ऊहे // ऋ. वे. १,१८१.४ //
प्र | वाम् | नि-चेरुः | ककुहः | वशान् | अनु | पिशङ्ग-रूपः | सदनानि | गम्याः | हरी | अन्यस्य | पीपयन्त | वाजैः | मथ्नाअ | रजांसि | अश्विना | वि | घोषैः // ऋ. वे. १,१८१.५ //
//२५//.
-ऋ. वे. २:४/२६-
प्र | वाम् | शरत्-वान् | वृषभः | न | निष्षाट् | पूर्वीः | इषः | चरति | मध्वः | इष्णन् | एवैः | अन्यस्य | पीपयन्त | वाजैः | वेषन्तीः | ऊर्ध्वाः | नद्यः | नः | आ | अगुः // ऋ. वे. १,१८१.६ //
असर्जि | वाम् | स्थविरा | वेधसा | गीः | बाऌहे | अश्विना | त्रेधा | क्षरन्ती | उप-स्तुतौ | अवतम् | नाधमानम् | यामन् | अयामन् | शृणुतम् | हवम् | मे // ऋ. वे. १,१८१.७ //
उत | स्या | वाम् | रुशतः | वप्ससः | गीः | त्रि-बर्हिषि | सदसि | पिन्वते | नॄन् | वृषा | वाम् | मेघः | वृषणा | पीपाय | गोः | न | सेके | मनुषः | दशस्यन् // ऋ. वे. १,१८१.८ //
युवाम् | पूषाइव | अश्विना | पुरम्-धिः | अग्निम् | उषाम् | न | जरते | हविष्मान् | हुवे | यत् | वाम् | वरिवस्या | गृणानः | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१८१.९ //
//२६//.
-ऋ. वे. २:४/२७-
(ऋ. वे. १,१८२)
अभाऊत् | इदम् | वयुनम् | ओ इति | सु | भूषत | रथः | वृषण्-वान् | मदत | मनीषिणः | धियम्-जिन्वा | धिष्ण्या | विश्पलावसूइति | दिवः | नपाता | सु-कृते | शुचि-व्रता // ऋ. वे. १,१८२.१ //
इन्द्र-तमा | हि | धिष्ण्या | मरुत्-तमा | दस्रा | दंसिष्ठा | रथ्या | रथि-तमा | पूणर्म् | रथम् | वहेथेइति | मध्वः | आचितम् | तेन | दाश्वांसम् | उप | याथः | अश्विना // ऋ. वे. १,१८२.२ //
किम् | अत्र | दस्रा | कृणुथः | किम् | आसाथे | जनः | यः | कः | चित् | अहविः | महीयते | अति | क्रमिष्टम् | जुरतम् | पणेः | असुम् | ज्योतिः | विप्राय | कृणुतम् | वचस्यवे // ऋ. वे. १,१८२.३ //
जम्भयतम् | अभितः | रायतः | शुनः | हतम् | मृधः | विदथुः | तानि | अश्विना | वाचम्-वाचम् | जरितुः | रत्निनीम् | कृतम् | उभा | संसम् | नासत्या | अवतम् | मम // ऋ. वे. १,१८२.४ //
युवम् | एतम् | चक्रतुः | सिन्धुषु | प्लवम् | आत्मन्-वन्तम् | पक्षिणम् | तौग्र्याय | कम् | येन | देव-त्रा | मनसा | निः-ऊहथुः | सु-पप्तनि | पेतथुः | क्षोदसः | महः // ऋ. वे. १,१८२.५ //
//२७//.
-ऋ. वे. २:४/२८-
अव-विद्धम् | तौग्र्यम् | अप्-सु | अन्तः | अनारम्भणे | तमसि | प्र-विद्धम् | चतस्रः | नावः | जठलस्य | जुष्टाः | उत् | अश्वि-भ्याम् | इषिताः | पारयन्ति // ऋ. वे. १,१८२.६ //
कः | स्वित् | वृक्षः | निः-स्थितः | मध्ये | अर्णसः | यम् | तौग्र्यः | नाधितः | परि-अषस्वजत् | पर्णा | मृगस्य | पतरोः-इव | आरभे | उत् | अश्विना | ऊहथुः | श्रोमताय | कम् // ऋ. वे. १,१८२.७ //
तत् | वाम् | नरा | नासत्यौ | अनु | स्यात् | यत् | वाम् | मानासः | उचथम् | अवोचन् | अस्मात् | अद्य | सदसः | सोम्यात् | आ | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१८२.८ //
//२८//.
-ऋ. वे. २:४/२९-
(ऋ. वे. १,१८३)
तम् | युञ्जाथाम् | मनसः | यः | जवीयान् | त्रि-वन्धुरः | वृषणा | यः | त्रि-चक्रः | येन | उप-याथः | सु-कृतः | दुरोणम् | त्रि-धातुना | पतथः | विः | न | पर्णैः // ऋ. वे. १,१८३.१ //
सु-वृत् | रथः | वर्तते | यन् | अभि | क्षाम् | यत् | तिष्ठथः | क्रतु-मन्ता | अनु | पृक्षे | वपुः | वपुष्या | सचताम् | इयम् | गीः | दिवः | दुहित्रा | उषसा | सचेथेइति // ऋ. वे. १,१८३.२ //
आ | तिष्ठतम् | सु-वृतम् | यः | रथः | वाम् | अनु | व्रतानि | वर्तते | हविष्मान् | येन | नरा | नासत्या | इषयध्यै | वर्तिः | याथः | तनयाय | त्मने | च // ऋ. वे. १,१८३.३ //
मा | वाम् | वृकः | मा | वृकीः | आ | दधर्षीत् | मा | परि | वर्क्तम् | उत | मा | अति | धक्तम् | अयम् | वाम् | भागः | नि-हितः | इयम् | गीः | दस्रौ | इमे | वाम् | नि-धयः | मधूनाम् // ऋ. वे. १,१८३.४ //
युवम् | गोतमः | पुरु-मीऌहः | अत्रिः | दस्रा | हवते | अवसे | हविष्मान् | दिशम् | न | दिष्टाम् | ऋजुयाइव | यन्ता | आ | मे | हवम् | नासत्या | उप | यातम् // ऋ. वे. १,१८३.५ //
अतारिष्म | तमसः | पारम् | अस्य | प्रति | वाम् | स्तोमः | अश्विनौ | अधायि | आ | इह | यातम् | पथि-भिः | देव-यानैः | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१८३.६ //
//२९//.
-ऋ. वे. २:५/१-
(ऋ. वे. १,१८४)
ता | वाम् | अद्य | तौ | अपरम् | हुवेम | उच्छन्त्याम् | उषसि | वह्निः | उक्थैः | नासत्या | कुह | चित् | सन्तौ | अर्यः | दिवः | नपाता | सुदाः-तराय // ऋ. वे. १,१८४.१ //
अस्मे इति | ॐ इति | सु | वृषणा | मादयेथाम् | उत् पणीन् | हतम् | ऊर्म्या | मदन्ता | श्रुतम् | मे | अच्छोक्ति-भिः | मतीनाम् | एष्टा | नरा | नि-चेतारा | च | कर्णैः // ऋ. वे. १,१८४.२ //
श्रिये | पाऊषन् | इषुकृताइव | देवा | नासत्या | वहतुम् | सूर्यायाः | वच्यन्ते | वाम् | ककुहाः | अप्-सु | जाताः | युगा | जूर्णाइव | वरुणस्य | भूरेः // ऋ. वे. १,१८४.३ //
अस्मे इति | सा | वाम् | माध्वी इति | रातिः | अस्तु | स्तोमम् | हिनोतम् | मान्यस्य | कारोः | अनु | यत् | वाम् | श्रवस्या | सुदानूइतिसु-दानू | सु-वीर्याय | चर्षणयः | मदन्ति // ऋ. वे. १,१८४.४ //
एषः | वाम् | स्तोमः | अश्विनौ | अकारि | मानेभिः | मघ-वाना | सु-वृक्ति | यातम् | वर्तिः | तनयाय | त्मने | च | अगस्त्ये | नासत्या | मदन्ता // ऋ. वे. १,१८४.५ //
अतारिष्म | तमसः | पारम् | अस्य | प्रति | वाम् | स्तोमः | अश्विनौ | अधायि | आ | इह | यातम् | पथि-भिः | देव-यानैः | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१८४.६ //
//१//.
-ऋ. वे. २:५/२-
(ऋ. वे. १,१८५)
कतरा | पूर्वा | कतरा | अपरा | अयोः | कथा | जाते इति | कवयः | कः | वि | वेद | विश्वम् | त्मना | बिभृतः | यत् | ह | नाम | वि | वर्तेते | अहनी इति | चक्रियाइव // ऋ. वे. १,१८५.१ //
भूरि | द्वे इति | अचरन्ती इति | चरन्तम् | पत्-वन्तम् | गर्भम् | अपदी इति | दधातेइति | नित्यम् | न | सूनुम् | पित्रोः | उप-स्थे | द्यावा | रक्षतम् | पृथिवी इति | नः | अभ्वात् // ऋ. वे. १,१८५.२ //
अनेहः | दात्रम् | अदितेः | अनर्वम् | हुवे | स्वः-वत् | अवधम् | नमस्वत् | तत् | रोदसी इति | जनयतम् | जरित्रे | द्यावा | रक्षतम् | पृथिवी इति | नः | अभ्वात् // ऋ. वे. १,१८५.३ //
अतप्यमाने | अवसा | अवन्ती
इति | अनु | स्याम | रोदसी इति | देवपुत्रेइतिदेव-पुत्रे | उभे इति | देवानाम् | उभयेभिः | अह्नाम् | द्यावा | रक्षतम् | पृथिवी इति | नः | अभ्वात् // ऋ. वे. १,१८५.४ //
सङ्गच्छमानेइतिसम्-गच्छमाने | युवती
इति | समन्तेइतिसम्-अन्ते | स्वसारा | जामी इति | पित्रोः | उप-स्थे | अभिजिघ्रन्ती इत्य् अभि-जिघ्रन्ती | भुवनस्य | नाभिम् | द्यावा | रक्षतम् | पृथिवी इति | नः | अभ्वात् // ऋ. वे. १,१८५.५ //
//२//.
-ऋ. वे. २:५/३-
उर्वी इति | सद्मनी इति | बृहती इति | ऋतेन | हुवे | देवानाम् | अवसा | जनित्री इति | दधाते | ये | अमृतम् | सुप्रतीके इतिसु-प्रतीके | द्यावा | रक्षतम् | पृथिवी इति | नः | अभ्वात् // ऋ. वे. १,१८५.६ //
उर्वी इति | पृथ्वी इति | बहुलेइति | दूरेअन्तेइतिदूरे--अन्ते | उप | ब्रुवे | नमसा | यज्ञे | अस्मिन् | दधातेइति | ये इति | सुभगेइतिसु-भगे | सुप्रतूर्ती इतिसु-प्रतूर्ती | द्यावा | रक्षतम् | पृथिवी इत् | निः | अभ्वात् // ऋ. वे. १,१८५.७ //
देवान् | वा | यत् | चकृम | कत् | चित् | आगः | सखायम् | वा | सदम् | इत् | जाः-पतिम् | वा | इयम् | धीः | भूयाः | अव-यानम् | एषाम् | द्यावा | रक्षतम् | पृथिवी इति | नः | अभ्वात् // ऋ. वे. १,१८५.८ //
उभा | शंसा | नर्या | माम् | अविष्टाम् | उभे इति | माम् | ऊती इति | अवसा | सचेताम् | भूरि | चित् | अर्यः | सुदाः-तराय | इषा | मदन्तः | इषयेम | देवाः // ऋ. वे. १,१८५.९ //
ऋतम् | दिवे | तत् | अवोचम् | पृथिव्यै | अभि-श्रावाय | प्रथमम् | सु-मेधाः | पाताम् | अवद्यात् | दुः-इतात् | अभीके | पिता | माता | च | रक्षताम् | अवः-भिः // ऋ. वे. १,१८५.१० //
इदम् | द्यावापृथिवी इति | सत्यम् | अस्तु | पितः | मातः | यत् | इह | उप-ब्रुवे | वाम् | भूतम् | देवानाम् | अवमे इति | अवः-भिर् | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१८५.११ //
//३//.
-ऋ. वे. २:५/४-
(ऋ. वे. १,१८६)
आ | नः | इऌआभिः | विदथे | सु-शस्ति | विश्वानरः | सविता | देवः | एतु | अपि | यथा | युवानः | मत्सथ | नः | विश्वम् | जगत् | अभि-पित्वे | मनीषा // ऋ. वे. १,१८६.१ //
आ | नः | विश्वे | आस्क्राः | गमन्तु | देवाः | मित्रः | अर्यमा | वरुणः | स-जोषाः | भुवन् | यथा | नः | विश्वे | वृधासः | करन् | सु-सहा | विथुरम् | न | शवः // ऋ. वे. १,१८६.२ //
प्रेष्ठम् | वः | अतिथिम् | गृणीषे | अग्निम् | शस्ति-भिः | तुर्वणिः | स-जोषाः | असत् | यथा | नः | वरुणः | सु-कीर्तिः | इषः | च | पर्षत् | अरि-गूर्तः | सूरिः // ऋ. वे. १,१८६.३ //
उप | वः | आ | इषे | नमसा | जिगीषा | उषसानक्ता | सुदुघाइव | धेनुः | समाने | अहन् | वि-मिमानः | अर्कम् | विषु-रूपे | पयसि | सस्मिन् | ऊधन् // ऋ. वे. १,१८६.४ //
उत | नः | अहिः | बुध्न्यः | मयः | करितिकः | शिशुम् | न | पिप्युषी-इव | वेत् इ | सिन्धुः | येन | नपातम् | अपाम् | जुनाम | मनः-जुवः | वृषणः | यम् | वहन्ति // ऋ. वे. १,१८६.५ //
//४//.
-ऋ. वे. २:५/५-
उत | नः | ईम् | त्वष्टा | आ | गन्तु | अच्छ | स्मत् | सूरि-भिः | अभि-पित्वे | स-जोषाः | आ | वृत्र-हा | इन्द्रः | चर्षणि-प्राः | तुविः-तमः | नराम् | नः | इह | गम्याः // ऋ. वे. १,१८६.६ //
उत | नः | ईम् | मतयः | अश्व-योगाः | शिशुम् | न | गावः | तरुणम् | रिहन्ति | तम् | ईम् | गिरः | जनयः | न | पत्नीः | सुरभिः-तमम् | नराम् | नसन्त // ऋ. वे. १,१८६.७ //
उत | नः | ईम् | मरुतः | वृद्ध-सेनाः | स्मत् | रोदसी इति | स-मनसः | सदन्तु | पृषत्-अश्वासः | वनयः | न | रथाः | रिशादसः | मित्र-युजः | न | देवाः // ऋ. वे. १,१८६.८ //
प्र | नु | यत् | एषाम् | महिना | चिकित्रे | प्र | युञ्जते | प्र-युजः | ते | सु-वृक्ति | अध | यत् | एषाम् | सु-दिने | न | शरुः | विश्वम् | आ | इरिणम् | प्रुषायन्त | सेनाः // ऋ. वे. १,१८६.९ //
प्रो इति | अश्विनौ | अवसे | कृणुध्वम् | प्र | पूषणम् | स्वतवसः | हि | सन्ति | अद्वेषः | विष्णुः | वातः | ऋभुक्षाः | अच्छ | सुम्नाय | ववृतीय | देवान् // ऋ. वे. १,१८६.१० //
इयम् | सा | वः | अस्मे इति | दीधितिः | यजत्राः | अपि-प्राणी | च | सदनी | च | भूयाः | नि | या | देवेषु | यतते | वसु-युः | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१८६.११ //
//५//.
-ऋ. वे. २:५/६-
(ऋ. वे. १,१८७)
पितुम् | नु | स्तोषम् | महः | धर्माणम् | तविषीम् | यस्य | त्रितः | वि | ओजसा | वृत्रम् | वि-पर्वम् | अर्दयत् // ऋ. वे. १,१८७.१ //
स्वादो इति | पितो इति | मधो इति | पितो इति | वयम् | त्वा | ववृमहे | अस्माकम् | अविता | भव // ऋ. वे. १,१८७.२ //
उप | नः | पितो इति | आ | चर | शिवः | शिवाभिः | ऊति-भिः | मयः-भुः | अद्विषेण्यः | सखा | सु-शेवः | अद्वयाः // ऋ. वे. १,१८७.३ //
तव | त्ये | पितो इति | रसाः | रजांसि | अनु | वि-स्थिताः | दिवि | वाताः-इव | शृइताः // ऋ. वे. १,१८७.४ //
तव | त्ये | पितो इति | ददतः | तव | स्वादिष्ठ | ते | पितो इति | प्र | स्वाद्मानः | रसानाम् | तुविग्रीवाः-इव | ईरते // ऋ. वे. १,१८७.५ //
//६//.
-ऋ. वे. २:५/७-
त्वे | पितो इति | महानाम् | देवानाम् | मनः | हितम् | अकारि | चारु | केतुना | तव | अहिम् | अवसा | अवधीत् // ऋ. वे. १,१८७.६ //
यत् | अदः | पितो इति | अजगन् | विवस्व | पर्वतानाम् | अत्र | चित् | नः | मधो इति | पितो इति | अरम् | भक्षाय | गम्याः // ऋ. वे. १,१८७.७ //
यत् | अपाम् | ओषधीनाम् | परिंशम् | आरिशामहे | वातापे | पीवः | इत् | भव // ऋ. वे. १,१८७.८ //
यत् | ते | सोम | गो--आशिरः | यव-आशिरः | भजामहे | वातापे | पीवः | इत् | भव // ऋ. वे. १,१८७.९ //
करम्भः | ओषधे | भव | पीवः | वृक्कः | उदारथिः | वातापे | पीवः | इत् | भव // ऋ. वे. १,१८७.१० //
त्वम् | त्वा | वयम् | पितो इति | वचः-भिः | गावः | न | हव्या | सुसूदिम | देवेभ्यः | त्वा | सध-मादम् | अस्मभ्यम् | त्वा | स्ध-मादम् // ऋ. वे. १,१८७.११ //
//७//.
-ऋ. वे. २:५/८-
(ऋ. वे. १,१८८)
सम्-इद्धः | अद्य | राजसि | देवः | देवैः | सहस्र-जित् | दूतः | हव्या | कविः | वह // ऋ. वे. १,१८८.१ //
तनू-नपात् | ऋतम् | यते | मध्वा | यज्ञः | सम् | अज्यते | दधत् | सहस्रिणीः | इषः // ऋ. वे. १,१८८.२ //
आजुह्वानः | नः | ईड्यः | देवान् | आ | वक्षि | यज्ञियान् | अग्ने | सहस्र-साः | असि // ऋ. वे. १,१८८.३ //
प्राचीनम् | बर्हिः | ओजसा | सहस्र-वीरम् | अस्तृणन् | यत्र | आदित्याः | वि-राजथ // ऋ. वे. १,१८८.४ //
विराट् | सम्राट् | विभ्वीः | प्र-भ्वीः | बह्वीः | च | भूयसीः | च | याः | दुरः | घृतानि | अक्षरन् // ऋ. वे. १,१८८.५ //
//८//.
-ऋ. वे. २:५/९-
सुरुक्मेइतिसु-रुक्मे | हि | सु-पेशसा | अधि | श्रिया | वि-राजतः | उषसौ | आ | इह | सीदताम् // ऋ. वे. १,१८८.६ //
प्रथमा | हि | सु-वाचसा | होतारा | दैव्या | कवी इति | यज्ञम् | नः | यक्षताम् | इमम् // ऋ. वे. १,१८८.७ //
भारति | इऌए | सरस्वति | याः | वः | सर्वाः | उप-ब्रुवे | ताः | नः | चोदयत | श्रिये // ऋ. वे. १,१८८.८ //
त्वष्टा | रूपाणि | हि | प्र-भुः | पशून् | विश्वान् | सम्-आनजे | तेषाम् | नः स्फातिम् | आ | यज // ऋ. वे. १,१८८.९ //
उप | त्मन्या | वनस्पते | पाथः | देवेभ्यः | सृज | अग्निः | हव्यानि | सिस्वदत् // ऋ. वे. १,१८८.१० //
पुरः-गाः | अग्निः | देवानाम् | गायत्रेण | सम् | अज्यते | स्वाहाकृतीषु | रोचते // ऋ. वे. १,१८८.११ //
//९//.
-ऋ. वे. २:५/१०-
(ऋ. वे. १,१८९)
अग्ने | नय | सु-पथा | राये | अस्मान् | विश्वानि | देव | वयुनानि | विद्वान् | युयोधि | अस्मत् | जुहुराणम् | एनः | भूयिष्ठाम् | ते | नमः-उक्तिम् | विधेम // ऋ. वे. १,१८९.१ //
अग्ने | त्वम् | पारय | नव्यः | अस्मान् | स्वस्ति-भिः | अति | दुः-गाणि | विश्वा | पूः | च | पृथ्वी | बहुला | नः | उर्वी | भव | तोकाय | तनयाय | शम् | योः // ऋ. वे. १,१८९.२ //
अग्ने | त्वम् | अस्मत् | युयोधि | अमीवाः | अनग्नि-त्राः | अभि | अमन्त | कृष्टीः | पुनः | अस्मभ्यम् | सुविताय | देव | क्षाम् | विश्वेभिः | अमृतेभिः | यजत्र // ऋ. वे. १,१८९.३ //
पाहि | नः | अग्ने | पायु-भिः | अजस्रैः | उत | प्रिये | सदने | आ | शुशुक्वअन् | मा | ते | भयम् | जरितारम् | यविष्ठ | नूनम् | विदत् | मा | अपरम् | सहस्वः // ऋ. वे. १,१८९.४ //
मा | नः | अग्ने | अव | सृजः | अघाय | अविष्यवे | रिपवे | दुच्छुनायै | मा | दत्वते | दशते | मा | अदते | नः | मा | रीषते | सहसावन् | परा | दाः // ऋ. वे. १,१८९.५ //
//१०//.
-ऋ. वे. २:५/११-
वि | घ | त्वावान् | ऋत-जात | यंसत् | गृणनः | अग्ने | तन्वे | वरूथम् | विश्वात् | रि रिक्षोः | उत | वा | निनित्सोः | अभि-ह्रुताम् | असि | हि | देव | विष्पट् // ऋ. वे. १,१८९.६ //
त्वम् | ताम् | अग्ने | उभयान् | वि | विद्वान् | वेषि | प्र-पित्वे | मनुषः | यजत्र | अभि-पित्वे | मनवे | शास्यः | भूः | मर्मृजेन्यः | उशिक्-भिः | न | अक्रः // ऋ. वे. १,१८९.७ //
अवोचाम | नि-वचनानि | अस्मिन् | मानस्य | सूनुः | सहसाने | अग्नौ | वयम् | सहस्रम् | ऋषि-भिः | सनेम | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१८९.८ //
//११//.
-ऋ. वे. २:५/१२-
(ऋ. वे. १,१९०)
अनर्वाणम् | वृषभम् | मन्द्र-जिह्वम् | बृहस्पतिम् | वर्धय | नव्यम् | अर्कैः | गाथान्यः | सु-रुचः | यस्य | देवाः | आशृण्वन्ति | नवमानस्य | मतार्ः // ऋ. वे. १,१९०.१ //
तम् | ऋत्वियाः | उप | वाचः | सचन्ते | सर्गः | न | यः | देव-यताम् | असर्जि | बृहस्पतिः | सः | हि | अञ्जः | वरांसि | वि-भ्वा | अभवत् | सम् | ऋते | मातरिश्वा // ऋ. वे. १,१९०.२ //
उप-स्तुतिम् | नमसः | उत्-यतिम् | च | श्लोकम् | यंसत् | सविताइव | प्र | बाहू इति | अस्य | क्रत्वा | अहन्यः | यः | अस्ति | मृगः | न | भीमः | अरक्षसः | तुवि ष्मान् // ऋ. वे. १,१९०.३ //
अस्य | श्लोकः | दिवि | ईयते | पृथिव्याम् | अत्यः | न | यंसत् | यक्ष-भृत् | वि-चेताः | मृगाणाम् | न | हेतयः | यन्ति | च | इमाः | बृहस्पतेः | अहि-मायान् | अभि | द्यून् // ऋ. वे. १,१९०.४ //
ये | त्वा | देव | उस्रिकम् | मन्यमानाः | पापाः | भद्रम् | उप-जीवन्ति | पज्राः | न | दुः-ध्ये | अनु | ददासि | वामम् | बृहस्पते | चयसे | इत् | पियारुम् // ऋ. वे. १,१९०.५ //
//१२//.
-ऋ. वे. २:५/१३-
सुप्-रैतुः | सु-यवसः | न | पन्था | दुः-नियन्तुः | परि-प्रीतः | न | मित्रः | अनर्वाणः | अभि | ये | चक्षते | नः | अपि-वृताः | अपऊर्णुवन्तः | अस्थुः // ऋ. वे. १,१९०.६ //
सम् | यम् | स्तुभः | अवनयः | न | यन्ति | समुद्रम् | न | स्रवतः | रोध-चक्राः | सः | विद्वान् | उभयम् | चष्टे | अन्तः | बृहस्पतिः | तरः | आपः | च | गृध्रः // ऋ. वे. १,१९०.७ //
एव | महः | तुवि-जातः | तुविष्मान् | बृहस्पतिः | वृषभः | धाय | देविः | सः | नः | स्तुतः | वीर-वत् | धातु | गो--मत् | विद्याम | इषम् | वृजनम् | जीर-दानुम् // ऋ. वे. १,१९०.८ //
//१३//.
-ऋ. वे. २:५/१४-
(ऋ. वे. १,१९१)
कङ्कतः | न | कङ्कतः | अथो इति | सतीन-कङ्कतः | द्वौ | इति | प्लुषी इति | इति | नि | अदृष्टाः | अलिप्सत // ऋ. वे. १,१९१.१ //
अदृष्टान् | हन्ति | आयती | अथो इति | हन्ति | परायती | अथो
इति | अव-घ्नती | हन्ति | अथो इति | पिनष्टि | पिंषती // ऋ. वे. १,१९१.२ //
शरासः | कुशरासः | दर्भासः | सैर्याः | उत | मौञ्जाः | अदृष्टाः | वैरिणाः | सर्वे | साकम् | नि | अलिप्सत // ऋ. वे. १,१९१.३ //
नि | गावः | गो--स्थे | असदन् | नि | मृगासः | अविक्षत | नि | केतवः | जनानाम् | नि | अदृष्टाः | अलिप्सत // ऋ. वे. १,१९१.४ //
एते | ॐ इति | त्ये | प्रति | अदृश्रन् | प्र-दोषम् | तस्कराः-इव | अदृष्टाः | विश्व-दृश्टाः | प्रति-बुद्धाः | अभूतन // ऋ. वे. १,१९१.५ //
//१४//.
-ऋ. वे. २:५/१५-
द्यौः | वः | पिता | पृथिवी | माता | सोमः | भ्राता | अदितिः | स्वसा | अदृष्टाः | विश्व-दृष्टाः | तिष्ठत | इलयत | सु | कम् // ऋ. वे. १,१९१.६ //
ये | अंस्याः | ये | अङ्ग्याः | सूचीकाः | ये | प्र-कङ्कताः | अदृष्टाः | किम् | चन | इह | वः | सर्वे | साकम् | नि | जस्यत // ऋ. वे. १,१९१.७ //
उत् | पुरस्तात् | सूर्यः | एति | विश्व-दृष्टः | अदृष्ट-हा | अदृष्टन् | सवार्न् | जम्भयन् | सर्वाः | च | यातु-धान्यः // ऋ. वे. १,१९१.८ //
उत् | अपप्तत् | असौ | सूर्यः | पुरु | विश्वानि | जूर्वन् | आदित्यः | पर्वतेभ्यः | विश्व-दृष्टः | अदृष्ट-हा // ऋ. वे. १,१९१.९ //
सूर्ये | विषम् | आ | सजामि | दृतिम् | सुरावतः | गृहे | सः | चित् | नु | न | मरात् इ | नो इति | वयम् | मराम | आरे | अस्य | योजनम् | हरि-स्थाः | मधु | त्वा | मधुला | चकार // ऋ. वे. १,१९१.१० //
//१५//.
-ऋ. वे. २:५/१६-
इयत्तिका | शकुन्तिका | सका | जघास | ते | विषम् | सो इति | चित् | नु | न | मराति | नो इति | वयम् | मराम | आरे | अस्य | योजनम् | हरि-स्थाः | मधु | त्वा | मधुला | चकार // ऋ. वे. १,१९१.११ //
त्रिः | सप्त | विष्पुलिङ्गकाः | विषस्य | पुष्यम् | अक्षन् | ताः | चित् | नु | न | मरन्ति | नो इति | वयम् | मराम | आरे | अस्य | योजनम् | हरि-स्थाः | मधु | त्वा | मधुला | चकार // ऋ. वे. १,१९१.१२ //
नवानाम् | नवतीनाम् | विषस्य | रोपुषीणाम् | सर्वासाम् | अग्रभम् | नाम | आरे | अस्य | योजनम् | हरि-स्थाः | मधु | त्वा | मधुला | चकार // ऋ. वे. १,१९१.१३ //
त्रिः | सप्त | मयूर्यः | सप्त | स्वसारः | अग्रुवः | ताः | ते | विषम् | वि | जभ्रिरे | उदकम् | कुम्भिनीः-इव // ऋ. वे. १,१९१.१४ //
इयत्तकः | कुषुम्भकः | तकम् | भिनद्मि | अश्मना | ततः | विषम् | प्र | ववृते | पराचीः | अनु | सम्-वतः // ऋ. वे. १,१९१.१५ //
कुषुम्भकः | तत् | अब्रवीत् | गिरेः | प्र-वर्तमानकः | वृश्चिकस्य | अरसम् | विषम् | अरसम् | वृश्चिक | ते | विषम् // ऋ. वे. १,१९१.१६ //
//१६//.