आपः सूक्तम्
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संहिता
[सम्पाद्यताम्]आपो॒ हि ष्ठा म॑यो॒भुव॒स्ता न॑ ऊ॒र्जे द॑धातन ।
म॒हे रणा॑य॒ चक्ष॑से ॥
घन पाठ
[सम्पाद्यताम्]आपो हि ह्यापो आपो हि ष्ठ स्थ ह्यापो आपो हि ष्ठ
हि ष्ठ स्थ हि हि ष्ठा मयोभुवो मयोभुवः स्थ हि हि ष्ठा मयोभुवः
स्था मयोभुवो मयोभुवः स्थ स्था मयोभुवस्तास्ता मयोभुवः स्थ स्था मयोभुवस्ताः
मयोभुवस्तास्ता मयोभुवो मयोभुवस्ता नो नस्ता मयोभुवो मयोभुवस्ता नः
मयोभुव इति मयः - भुवः
ता नो नस्तास्ता न ऊर्ज ऊर्जे नस्तास्ता न ऊर्जे
न ऊर्ज ऊर्जे नो न ऊर्जे दधातन दधातनोर्जे नो न ऊर्जे दधातन
ऊर्जे दधातन दधातनोर्ज ऊर्जे दधातन
दधातनेति दधातन
महे रणाय रणाय महे महे रणाय चक्षसे चक्षसे रणाय महे महे रणाय चक्षसे
रणाय चक्षसे चक्षसे रणाय रणाय चक्षसे
चक्षस इति चक्षसे