विष्य विषय ( ७१५ विष्ट ( म० ) ) : विश्व भुवन। लोक। --हारिन्, विटपः (पु० ) ): पु० ) विश्व को प्रसन्न करने बाला . विभः ( पु० ) 1 दृढ़ता पूर्वक गाड़ने की क्रिया २ रुकावट : अचन | ३ सूत्र अथवा मल का थवरोध | ४ लकवा । २ ठहरन । टिकाव विव्ध ( ० ० ) दृढ़ता से गड़ा हुआ भनी : भाँति धवलम्बित | २ समर्थित : ३ रुका हुआ। रुकावद डाला हुआ । ५ गतिहीन किया हुआ। विश्व ) ( १० ) सिमका | मिस्सूरत । धक्कन । लकवा का मारा हुआ। विष्यन्दः विफारः । १० धनुष की टंकार कम्पन | 2 विर: ( पु० ) 1 बैठक । ( यथा कुर्सी आदि ) २ कुशा का बना हुआ आसन ३ कुशा का मूंठा || ४ यज्ञ में ब्रह्मा का आसन | ५ वृक्ष |–अवसू : ( पु० ) विष्णु या कृष्ण का नामाम्नर | विधिः (वी० ) १ व्याति २ धंधा पेशा फर्म १ भाड़ा | उजरत | मादूरी । महदूरी जो चुकायी न गयी हो। बेगार २ प्रेषण ६ नरक- गामी जीव का नर्क वास । विलं (२० ) दूरस्थ स्थान | विष्ठा ( श्री० ) १ मल मैना गू। पाखाना | २ पेट उदर ) विसष्टुल किसी ब्राह्मण को विना जगान दान दे दी गयी हो।-- रथः. ( पु० ) गरुड़ का नाम । ( स्त्री० ) बहेर जोकः ( 5० ) कुपवान | वक्जमा, (सी०) १ नमी जी | २ तुलसी - वाहनः-वयः (पु० ) गरुड़ जी । आकाश । व्योम | २ क्षीरसागर । ३ टिड्डी - पड़ी, (स्त्री० ) श्रीभागीरथी गङ्गा 1-पुराणं, ( न० ) अष्टादश पुराणों में से एक साविक पुराख का नाम /- प्रोतिः ( स्त्री० ) वह ज़मीन | जो विष्णु भगवान की सेवा पूजा करने के लिये चिप्पंदः विण्यन्दः (५०) वहाव सुमन उपकन करने 2 1 १ सर्वगत | सर्वव्यापी . विश्व (वि० : अनिष्टकर उत्पानी अपकारी। वियन्त्र ) ( वि० ) [ कर्ता. एकवचन, पु विधंद् ) विश्व स्त्री विषेची | ५० विश्वक] २ भागों में पृथक् किया हुआ या करने वाला ३ विभिव-सेनः, (- विश्वनः विय:) (पु) १ विष्णु भगवान का नाम २ एक मनु का नाम जो पुराण के अनुसार भैरहवें और विष्णु पुराण के अनुसार चौदहवें हैं। २ शिव का नाम एक प्राचीन ऋषि का नाम :-- प्रिया, (स्त्री० ) लक्ष्मी जी का नामान्तर | विश्वणनं विष्वाणः । ( पु० ) भोजन करने की किया। ३ | विषयच ) ( वि० ) [ श्री०- विष्व विप्वईचन्द्) सर्वगत, सर्वव्यापी | विस् (धा०प० ) [ विस्पति ] फेंकना । पटकना । विष्णुः ( पु० ) परब्रह्म का नामान्तर । सर्वप्रधान देव, जो सृष्टि के सर्वेसर्वा है । २ अग्नि तपस्वी जन ४ एकतिकार जिन्होंने विष्णु स्मृति बनायी है।~~ी, ( स्त्री० ) दक्षिय की एक नगरी का नाम क्रमः, ( पु० ) विष्णु भगवान का पाद या पग-गुप्तः, ( पु०) : विस देखो विस प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ चाणक्य का असली नाम/- तैलं, (न० ) वैद्यक में बतलाया हुआ, बात भेजना। विसंयुक्त ( ० ० ) असंयुक्त पृथक् । विसंयोगः ( पु० ) अलगाव असंयोग । रोगों को नाश करने वाला तैल विशेष - दैवत्या, ( जो० ) चान्द्रमास के प्रत्येक पत्र की विसंवादः ( पु० ) १ घुल | घोखा । प्रतिज्ञाभङ्ग । एकादशी और द्वादशी तिथियाँ-पढ़, ( न० ) 1 नैराश्य । २ असङ्गति । ३ विरोध | खण्डन । विसंवादिन ( दि० ) 1 निरारा करने वाला धोखा देने वाला २ असङ्गव विरोधात्मक ३ मिश्र | | असम्मत | छली। धोखेबाज | विसंगुल (वि०) चंचल । आन्दोलित | २ असम | विषम । सं० श० कौ० - १००
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