। ७१० ) रेरामन् रोत्रि ( न० ) चमक | दमक | तेज | रेवती (स्त्री० ) १ सताइसवें नन्न का नाम ! | रोदनं ( न० ) १ रोना | कवन । २ आँसु । २ बलराम जी की स्त्री का नाम । रोदस [ श्री० - रोदसी ] स्वर्ग और पृथिवी का A रेवत रेवतः (पु० ) बिजौरा नीबू जँभीरी 1 रेवा ( न० ) नर्मदा नदो का नाम । रेष् (धा० आम० ) [ रेपते, रेषित ] १ दहाड़ना गुर्शना | चीनना २ हिनहिनाना | रेषां (न० ) ) दहाव | हिनहिनाइट | है ( पु० ) धन दौलत सम्पत्ति [ कक्ष रा रायौ, रायः ] रैवतः ( पु० ) ) हारका के समीपवर्ती एक पर्वत रैवतकः ( पु० ) ) का नाम । रोकं ( म० ) १ छिद्र | २ नाव जहाज | ३ कम्प | प्रकम्प । रोगः ( पु० ) बीमारी । --आयतनं, (न० ) शरीर । देह ।-आर्त, (वि०) बीमार । रोगी । - हर, (वि० ) रोग दूर करने वाला 1-हरं, ( न० ) दवा । -हारिन (वि० ) आरोग्य- कर (पु० ) वैय। हकीम । डाक्टर। रोचक ( वि० ) १ रुचिकारक रुचने वाला । २ 1 २ भूख बढ़ाने वाला । रोचकं ( न० ) १ भूख १२ वह दवा जिससे भूख बदे | २ काँच की चूड़ियाँ या अन्य आभूषण यनाने वाला । रोचन ( वि० ) [ रोचनी या रोचना] १ दीप्तिमान शोभाप्रद । मनोहर । प्रिय । २ पाकस्थलो सम्बन्धी । रोचनं ( न० ) १ आकाश निर्मलाकाश | २ सुन्दरी स्त्री | ३ गोरोचन | ३
रोचन: ( पु० ) पाकस्थली सम्बन्धी । रोचमान (वि० ) १ चमकीला | दीप्तमान | २ मिय सुन्दर | मनोहर । रोचनं ( न० ) घोड़े की गर्दन के वालों का जूड़ा । रोचिष्णु ( वि० ) हैं चमकीला । २ हर्षित । प्रफु- ह्नित अन् यच्छे कपड़े पहिने हुए । ३ भूख को बढ़ाने वाला। 1 रोधः ( पु० ) ३ रोक | | २ अचन - का ३ बंदी घेरा। बाँध रोधनं ( न० ) रोक । प्रतिबन्ध | रोधनः ( पु० ) १ बुध ग्रह रोधस् ( न० ) १ नदी का तट या बाँध । २ नदी का फवारा समुद्र तट चका, बती, ( स्त्री० ) १ नदी | २ वेग से बहने वाली नदी। रोध: ( पु० ) लोध वृक्ष । लोध का पेड़ । रोधः ( पु० ) रोघं ( न० ) । अनिष्ट पाप २ जुर्म अपराध रोपः ( पु० ) १ उठाने या स्थापित या लगाने की क्रिया | २ वृक्ष लगाने की क्रिया | ३ सोर १४ छेद | छिद्र | रोपणं ( न० ) १ उठाने लगाने या खड़ा करने की किया। २ वृक्ष लगाने की क्रिया ३ घाव पुरना ४ घाव पुरने वाली दवा लगाने की क्रिया । रोमकः ( पु०) रोम नगर २ रोमनिवासी । - पत्तनं, (न० ) रोम नगरी। -सिद्धान्तः (g०) मुख्य पाँच सिद्धान्तों में से एक : रोमन् (न० ) रोंगटा । -अ (पु० ) आनन्द या भय से शरीर के रोगों का खड़ा होना। प्रश्चित, ( वि० ) पुलकित | हृष्टरोम | - अन्तः, ( पु० ) हथेली की पीठ पर के बाल । श्राजी, श्रावलिः --आवली, ( स्त्री० ) रोमों की पंक्ति जो पेट के बीचों बीच नाभि से ऊपर की ओर · www 4 गयी हो । उमः उद्भेदः ( पु० ) रोंगटों का खड़ा होना /-कूपः, ( पु० ) कूपं, ( न० ) गर्तः, ( पु० ) शरीर के नाम के ऊपर वे छिद्र जिनमें से रोएं निकले हुए होते हैं । लोमछिद्र । –फेशरं, केसरं, ( पु० ) चंवर 1. चामर । चौरी /~-पुलकः, ( go ) रोंगटों का खड़ा होना। -भूमिः, ( पु० ) चमहा 1 धर्म | रत्रः, ( पु० ) रोमकूप ।-राजि-राजीः,