ब्रह्ममय जी अ विशेष। इस अस्त्र का चलाना अगस्य जी से ! सीख कर द्रोणाचार्य ने अर्जुन और अश्वत्थामा को सिखाया था । ~ संमद्, ( स्त्री० ) ब्राह्मणों की सभा। -सतो, (स्त्री० ) सरस्वती नदी | सर्व. ( २० ) यज्ञ /- सदस्, ( न० ) ब्राह्मण का निवास स्थान-सभा (श्री० ) क्षणों की कचहरी या न्यायालय जहाँ ब्राह्मण न्याय करता हो ।- सम्भव, (वि० ) ब्राह्मण से उत्पन्न सम्भवः, ( पु० ) नारद का नाम 1- सर्प. ( पु० ) सर्प विशेष | - सायुज्यं, ( न० ) महासूत्र :--सार्टिका, ( पु० ) ग्रह्म में एकत्व - सावर्णिः, (पु० ) | दसवे मनु का नाम /- सुनः ( पु० ) १ नारद मरीचि आदि सप्तर्षिगण | २ केतु विशेष । -सूः, (पु० ) अनिरुद्ध | २ कामदेव - सूत्रं ( न० ) यज्ञोपवीत । बादरायण रचित अह्मसूत्र इसमें ब्रह्म का प्रतिपादन है और ये चेदान्त दर्शन के आधार हैं। -सृज् (पु०) शिव जी। -स्तम्बः, (पु०) संसार । दुनिया | स्तेयं, (न०) सत्यज्ञान की प्राप्ति, अनुचित उपायों से। ( ६०० - हन्, (वि० ) ब्राह्मण की हत्या करने वाला ।। - - हृदयः ( पु० ) - हृदयं, ( न० ) प्रथम - वर्ग के १९ नक्षत्रों में से एक जिसे अँगरेजी में कैपेल्ला पुकारते हैं। ब्रह्ममय (वि०) १ वेद सम्बन्धी । २ ब्राह्मण के योग्य | ब्रह्ममयं ( ० ) ब्रह्मास्त्र | ब्रह्मवत् (वि० ) आध्यात्मिक ज्ञान सम्पन्न | ब्रह्माणी ( श्री० ) १ ब्रह्मा जी की स्त्री | २ दुर्गा की उपाधि | ३ रेणु का नामक गन्धद्रच्य। पीतल ब्रह्मिन् (वि० ) ब्रह्म सम्बन्धी । ( पु० ) विष्णु बलिष्ठ (वि० ) बड़ा विद्वान | वेदविद्या में विशारद । ब्रह्मा (स्त्री० ) दुर्गा की उपाधि । ब्रह्मी ( श्री० ) रुखरी विशेष ब्रह्मेशयः ( पु० ) १ कार्तिकेय । २ विष्णु । ब्राह्म (वि०) [ श्री०~-ब्राह्मी ] परब्रह्म सम्बन्धी २ ब्राह्मणों का ३ वेदाध्यन सम्बन्धी ४ । ) ब्राम् वैदिक | २ पवित्र । ६ जिसका अधिष्ठrat xझा ब्राह्मं ( न० ) १ हाथ के अँगूठे के नीचे का स्थान | २ धर्मग्रन्थों का अध्ययन –अहोरात्रः, (पु०) ब्रह्मा का एक दिन और एक रात ।- देया, (स्त्री०) कन्या जिसका विवाह ब्रह्मविवाह की विधि से होने वाला हो!~मुहूर्तः, (पु० ) रात के पिछले पहर के अन्तिम दो दण्ड । सूर्योदय से पूर्व दो घड़ी तक का समय ब्राह्मः ( S० ) १ आठ प्रकार के विवाहों में से एक। २ मारद । ब्राह्मण (वि० ) [ स्त्री० --ब्राह्मणी ] १ ब्राह्मण का। २ बाहोपयोगी | ३ ब्राह्मण का किया हुआ। ब्राह्मणः (पु०) १ चारों वर्णों में प्रथम और श्रेष्ठ वर्ण । ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में ब्राह्मण की उत्पत्ति विराट पुरुष के मुख से वर्णित है। २ यज्ञ कराने वाला। ब्रह्मवादी ३ अग्नि | ब्राह्मणम् (न०) १ ब्राह्मणों की सभा | २ वेद का वह भाग जो मंत्र नहीं कहलाता और जिसमें वेद के मंत्रों का यज्ञ कार्यों में प्रयोग बतलाया गया है। वेद के मंत्रभाग से यह भिन्न है। प्रत्येक वेद का ब्राह्मण पृथक है। यथा वेद ऋग्वेद, - यजुर्वेद, सामवेद, कौशीतकी या सांख्यायन । - शतपथ । ६ अन्य ब्राह्मण ऐतरेय. या आश्वालायन और - - पञ्चविंश और पडविंश और भी है। अथर्ववेद. गोपथ | - प्रतिक्रमः, ( पु० ) ब्राह्मण के प्रति अप मान। ब्राह्मण को अवज्ञा या तिरस्कार । - जातं, जातिः ( स्त्री० ) वाह्मण जाति । -जीविका (स्त्री० ) ब्राह्मण वृत्ति । - द्रव्यं, - स्वं, (न० ) ब्राह्मण का धन - निन्दक.. ( पु० ) नास्तिक | ब्राह्मण की निन्दा करने वाला। --ब्रुवः. ( पु० ) कहलाने भर का ब्राह्मण । कर्म और संस्कार होन ब्राह्मण सम:पं. (न० ) ब्राह्मणों को तृप्त या सन्तुष्ट करने वाला।
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