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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५१५

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पिस निस ( ० पर० ) [ पसति ] जाना ( उभय ) [यसयति पेमयने] पाना बलवान + होना ३ बसना । ४ जुदा करना । अनिष्ट करना। २ देना या लेना। पिहिन ( ३० कृ० ) : बंद किया हुआ। मंदा हुआ। सेफा हुआ। बंधा हुआ २ ढका हुआ । दिपा हुआ । छिपाया हुआ । ३ भरा हुआ या आदि। ( kou } पति पीडक ( पु० ) अत्याचारी चालिम पोडनम् (न० ) १ दावने की क्रिया चोपना। अत्याचार करना पीड़ा देना | २ निचोड़ना | दबाना | ३ दबाने का यंत्र विशेष ४ पकड़ना | थी ( धा० आम० ) [ पीते ] पीना | पीच ( न० ) छोड़ी। मी ( न० ) १ पीड़ा | २ कुशासन | ३ मूर्ति का वह आधारवय स्थान जिस पर वह खड़ी रहती हैं। बेदी ४ किसी वस्तु के रहने का स्थान अधिष्ठान ( यथा विद्यापीठ ) । ( राजसिंहासन लगत ६ वह स्थान जहाँ सती के शरीर का कोई अंग अथवा आभूपया भगवान् विष्णु के चक्र से कट कर गिरा हो। ७ बैठने का एक विशेष ढंग एक आ पीठमर्द ग्रहण करना । २ यरबाद करना | नष्ट करना | । ६ पीट पीट कर अनाज ( ७ सूर्य चन्द्र का ग्रहण पीडा (खो० ) १ वर्द कष्ट अनिष्ट हानि घाटा ३ अतिक्रमण नियमभङ्ग करण ५ वालों से ) निकालना। ८ तिरोभाव | लोप । सकलीफ | व्याधि | २ उपदेय | भाश | e रोक थाम | ६ दया रहम ७ सूर्यचन्द्र ग्रहण | शिरोमाला । सिर में लपेटी हुई माला सरल वृद्ध कर, 1 ( वि० ) फष्टदायी । दुःखदायी पीडित ( ० ० ) १ पीड़ायुक्त दुःखित | लेशयुक्त २ निचोदा हुआ दबाया हुआ । ३ थामा हुआ। पकड़ा हुआ । ४ भङ्ग किया हुआ। तोड़ा हुआ। ५ उच्छिन | नष्ट किया हुआ६ ग्रहण लगा हुआ। ७ बंधा हुआ गसा हुआ। पीडितं ( न० ) श्पीड़ा युक्त | लेशयुक्त दुःखित ३ मैथुन का आसन विशेष | [ से । विशेष -केलिः, (पु० ) अधर्मी नायक /-गर्भः (g० ) वह गड्ढ़ा जो वेदी पर ● मूर्ति को जमाने के लिये खोद कर बनाया जाता पीत (वि० ) १ पिया हुआ। २ तर मींगा हुआ। है। -नायिका, (स्त्री० ) १४ वर्ष की कन्या जो | पीडितम् (अन्यया०) १ पक्षा घनिष्ठता से २ ता दुर्गोत्सव में दुर्गा की प्रतिनिधि मानी जाती है। -भूर. ( पु० ) प्राचीर के आसपास का भूभाग । --मः, ( पु० ) १ नायिक के चार सखाओं में से एक जो अपनी वचन अतुरी से नायिका का मान- मोचन करने में समर्थ हो । २ नर्तिकी वेश्या को नृत्य सिखाने वाला उस्ताद। -सर्प, ( वि० ) लंगड़ा | तुजा | ३ पीला अधिः ( पु० ) अगस्त्य ऋषि का नामान्तर-यम्वरः, (पु० ) : विष्णु भगवान का नामान्तर । २ न । अभिनयकर्त्ता | ३ कापाय वस्त्रधारी संन्यासी /- ( वि० ) पिलौंहा बाल।-अश्मन् ( पु० ) पुखराज रन-कदली, (स्त्री० ) केले का भेद विशेष । पीठिका ( स्त्री० ) १ पीडा २ मूर्ति या खंभे का मूल या आधार ३ पुस्तक का अंश या अध्याय पीड् ( घा० उभ० ) [वीडयति- पीडयते, पीडित ] १ कष्ट देना। सताना । अत्याचार करना । चोटिल करना । अनिष्ट करना । छेड़खानी करना । चिड़ाना। २ सामना करना ३ ( किसी नगर पर ) घेरा डालना | ४ दवाना | निचोड़ना । चुटकी काटना ५ दवाना नाश करना ६ चूक जाना । लापरवाही करना । किसी अमाङ्गलिक वस्तु से ढकना ८ ग्रहण डालना । कन्द ( न० ) गाजर | शलजम ।-कावेरं, ( न० ) १ फेसर २ पीतल /-~-काष्टं. ( न० ) पीला चन्दन । पद्माण --गन्धम् (न० ) पीला चन्दन | चन्दनं, ( न० ) १ हरिचन्दन | पीले रंग का चन्दन | २ केसर | ३ हल्दी - चम्पकः ( पु० ) १ दिया। चिराग प्रदीप /-- तुण्डः, ( पु० ) कारण्डव या बया पक्षी - दारु, ( न० ) सरल वृष-दुग्धा ( स्त्री० ) दुधार गौ। -~दुः, ( पु० ) सरल वृत्त । पादा, " ( स्त्री० ) मैना पक्षी जिसके पैर पीले होते हैं ।