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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५१४

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पिप्पल पिपल ( न० ) १ पापन्न का फल | २ कोई भी विना गुठली का फल | ३ मेथुन | ४ जल | पिप्पली } ( स्त्री० ) बड़ी पीपल । पिपिका ( स्त्री० ) दाँत का मल वितुः ( पु० ) निशान। तिल मस्सा | पियालः ( पु० ) वृक्ष विशेष । चिरौंजी का पेड़ | पियालं ( न० ) चिरोंजी । रिलू (घा० पर०) [ पेजयति-पलयते ] 1 फेंकना । पत्रका | २ भेजना | बक्लाना देना। बतलाना | ( ५०७ पितुः (पु० ) देखो "पीनु” । पिल (वि० ) ऐंचा ताना भेंड़ा। पिल्लं (न० ) आँख । दिल्लका ( श्री० ) हथिनी । पिशू] ( धा० उभय० ) [ पिंशति-पिशते ], बनाना | सम्हालना। २ संघटन करना | ३ प्रकाश करना उजाला करना चमकाना रिधिक द्योतक १२ एक की बुराई दूसरे से कर भे डालने वाला । चुग़लखोर इधर की उधर लगाने वाला ३ दुर्जन | खल ४ कमीना । नीच हुड्। तिरस्करणीय सूर्ख सूद थेद्र- कूफ ।- ववनं, वाक्यं ( न० ) युगुली | विन्दा | हराई। पिशुनः (पु० ) निन्दक | जुगलसेर २ रुई ३ नारद का नामान्तर ४ फाक कौथा। 1 उत्तेजना | पिष् ( था० पर० ) [ मिन, पिष्ट ] कूटना पीसना चूर्ण करना। मसलना | कुचलना । २ चोटिल करना नष्ट करना। वध करना । ) पिशाच | २ मनुष्य मी आदमी खाने वाला। पिशुन (वि० ) १ बतलाने वाला प्रकट करने वाला दिखाने वाला। विष्ट (व० कृ० ) १ पिसा हुआ चूर्ण किया हुआ | २ रगड़ा हुआ | निचांका हुआ। दोनों हाथों से पर दबाया हुआ। पिशग } ( बि० ) खतौंहा ( भूरे रंग का । पिशंगः पिशङ्गः, ( पु० ) भूरा रंग | पिक: ) ( पु० ) विष्णु और उनके अनुचर का रिशङ्गकः ) नामान्तर । पिटं (ज० ) १ पिसी हुई कोई भी वस्तु २ घाटा पीठी ३ सीला-उद, ( म० ) थाटा में मिला हुआ जल :- पवनं, ( म० ) भाग भूजने की कदाई।पशु ( न० ) आटा का बनाया हुआ पशु का खिलौना /-~पिण्डः, (पु०) * याटा का लड्डू या पूरी-पूरः, ( पु० ) पूढ़ी। -पेपः ( पु० ) -पेषणम् ( न० ) श्राटा पीसना पिसे को पीसना व्यर्थ का काम करना । -मेहः, ( पु०) प्रमेह रोग के भिन्न भिन्न प्रकारों में से एक प्रकार का प्रमेह रोग ।-वर्तिः, (न० ) छोटा लड्डू जो जना, दाल की पोठी या चावल के छाटा का बनाया जाता है। -सौरभं, (न० ) घिसा हुआ चन्दन। ( न० ) 1 पिशाचः ( पु० ) राजस | दैत्य दानव पिशाच || शैतान -~~ः, ( पु० ) वृक्ष विशेष बाधा, ( स्त्री०) - सञ्चारः, ( पु० ) पिशाच का आवेश । --भाषा, ( स्त्री० ) भाषा विशेष -सर्भ, (न०) पिशाचों की सभा | पिशाचकिन ( पु० ) कुबेर का नामान्तर । पिष्टकं १ पूढ़ी जो किसी अन्म के आटे पिशाचिका { स्त्री० ) १ पिशाची । २ किसी वस्तु की | पिप्रकः ( पु० ) 5 की बनायी गयी हो । २ रोटी। पूढ़ी (ग० ) पिसे हुए तिल । प्राप्ति के लिये पिशाच की तरह उत्सुकता ३ लड़ने की पैशाचिक अभिलाषा । पिशितं ( न० ) माँस 1— अशनः, ( पु० ) विटातः, ( पु० ) खुशबुदार चूर्ण । ( पु० ) -आशिन् ( पु० ) भुज, ( पु० ) १ मॉलभक्षी । गोश्तखोर | राइस | आशः, पिष्टपं ( न० ) ब्रह्माण्ड का विभाग विशेष | विष्टपः, ( पु० ) 5 लोक । भुवन | पिष्टकः ( पु० ) चौंवलों की बनी हुई तवासीर या बंसलोचन | वाला । निर्देश करने | पिटिकः ( पु० ) चॉवल के आटे की पूरी विशेष | अंदरसा