ध्रुव ( पर रहने वाला। इधर उधर न हटन वाला सय एक हा अवस्था में रहने वाला 1 निश्चित दृढ़ | ठीक पक्का ! - अक्षरः (पु०) विष्णु-आवर्तः, (पु० ) वालों का भौरा या ३६ ध्रुवः (पु० ) ३ ध्रुव तारा । २ पृथिवी का प्रदेश ४ वट वृष रगड़ २ खंभा | धून स्थाख ६ वृक्ष का तना । ७ टेक ( गीतकी समय | युग। ज़माना । ६ ब्रह्मा । १० विष्णु | ११ | शिव । १२ उत्तानपाद राजा के एक पुत्र का ! नाम जिसने पिता द्वारा अपमानित हो, तपःप्रभाव से राज्य सम्पादन किया था। ८२० ) मौरी । -तारा, (खो०) -तारकं, (न० ) ध्रुव | ध्वजिन् (बि० ) [ स्त्री० तारा । 1 ध्वंसिः (पु०) एक मुहूर्त का शसोश । ध्वजः (पु० ) १ झंडा । राजचिन्ह । २ प्रसिद्ध पुरुष कंडे का बाँस या दण्ड | ३ चिन्ह | राजचिन्ह ४ देवचिन्ह | २ सराय का चिन्ह | ६ ट्रेडमार्क ७ पुरुष या स्त्रीचिन्ह १८ फलवार ( मदिरा बेचने वाला ) । ३ किसी वस्तु के पूर्व अवस्थित मकान | १० अभिमान | ११ दम्भ | - अंशुकम्,–पटः, --पटं, (न०) झंडा आाहत (वि०) समर- क्षेत्र में पकड़ा हुआ।~~गृहं, (न० ) घर जिसमें झंडे रखे जाते हैं। द्रुमः, ( पु०) ताड़ का वृष्ठ | -महराः, (पु० ) पवन /यंत्रं, ( न० ) झंडा खड़ा करने का यंत्र-यष्टिः, (स्त्री०) कंडे का बाँस । - ध्वान ध्वजवत ( दि० ) १ कडो से सुसज्जित युक्त | ३ किली अपराध के लिये दागा हुआ। दाम कर चिन्हित किया हुआ। ( ३० ) भंडाबरदार । २ शराब बेचने वाला - ध्वजिनी ] झंडाबरदार । २ चिन्ह रखने वाला सुराभाजन चिन्ह । (०) भंडावरद्वार। कलवार। शराब बेचने और खींचने वाला ३ गाड़ी | फिटन | रथ | ४ पर्वत । ५ सर्प ६ मयूर । मोर। ७ घोड़ा |८ ब्राह्मण । ध्वजिनी ( स्त्री० ) सेना पल्टन | ध्वजीकरणं ( न० ) भंडा खड़ा करना | भंडा फह- राना । ध्रुवकः (पु०) १ (किसी गीत की ) टेक | २ ( वृक्ष का ) तना। ३ खंभा । धोव्यं ( न० ) 1 [वता । थचलाव । स्थिरता । २ अवश्थान स्थिति स्थितिकाल | ३ निश्चय । ध्वंस ( धा० आत्म०) [ ध्वंस्ते, ध्यस्त ] १ नीचे 1 गिरना। गिर कर टुकड़े टुकड़े हो जाना। २ गिर | ध्वनः ( पु० ) शब्द | स्वर | २ भिनभिन आवाज़ | पड़ना । हूव जाना उदास होना । ३ नष्ट होना सहजाना 8 ग्रत होना । ( निजन्त) ध्वनिः (स्त्री०) १ आषाज | नाद | २ बाजे की लय । नाश करना । ध्वंस: ( पु० ) ) १ विनाश नाश गिरकर चूर ध्वंसनं ( न० ) ) चूर होना । ( किसी मकान का सहसा बैठ जाना २ हानि | नाश | | ध्यन् (धा० पर० ) [ध्वनति, ध्वनित ] ध्वन करना । शब्द करना | भिनभिनाना प्रतिध्वनि करना । गर्जना | दहाड़ना | ध्वननं ( २० ) १ शब्द करना | २ सङ्केत करना । ३ अर्थ लगाना | ३ बादल की गड़ाहट ४ खाली शब्द । २ शब्द | ६ साहित्य में ध्वनि उस विशेषता को कहते हैं, जो काव्य में शब्दों के नियत अर्थों के योग से सूचित होने वाले अर्थ की अपेक्षा प्रसङ्ग से निक लने वाले अर्थ में होती है। ग्रहः, ( पु० ) १ कान | २ अवण करना। ३ श्रवण करने का भाव । -नाला, (स्त्री) एक प्रकार की तुरही बीणा | ३ बाँसुरी। -विकारः, (पु० ) भय या ध्वनित ( व० कृ० ) १ शब्दित । २ व्यञ्जित । ३ शोक के कारण परिवर्तित हुआ कण्ठस्वर । ध्वस्तिः (स्त्री॰ ) नाश | वरवादी | बजाया हुआ। बादित । २ ध्वांतः (१०) १ काक | २ मिनुक | ३ निर्लज्ज मनुष्य | ४ सारस / अरातिः, ( पु० ) उल्लू । ध्वानः, (पु०) १ शब्द | २ भिनभिनाहट | गुआर । घुध्धू / पुष्टः, (पु० ) कोयल " बरवराना |
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