चेष्टित ( ३०२ ) पण, (न०) किसी व्यक्ति विशेष के आचरणों | चेाद्यम् (न० ) १ एतराज या प्रश्न करना | २ एतराज पर एष्टि रखना। [ हुआ। करना । ३ आश्चर्य ३ चेष्टित (व० कृ० ) चेष्टा किया हुआ। प्रयस किया चारः } ( 50 ) चोर । ठा | डाँकू | चैतन्यम् ( म० ) : चेतना। जीवन | बोध | सजीवता । २ परमात्मा । ( चैतिक (वि० ) बुद्धि सम्बन्धी मानसिक । चैत्यः (5०) (१ पत्थरों का ढेर २ स्मारक | कअर चैत्यं (म०) } का पत्थर जिस पर मुद्दे के जीवनकाल आदिका परिचय रहता है ३ यज्ञमण्डप धमन्दिर | देवालय। धार्मिक अनुष्ठान करने का स्थान ५ देवा- लय । ६ सुध या जैन मंदिर | ७ गुजर का वृक्ष । रथ्यावृण-तरुः --द्रुमः, वृत्तः, (पु०) किसी पवित्र स्थान पर अमा हुआ गूलर का पेड़ - पालः, (पु० ) किसी देवालय का पुजारी -- मुखः, (पु० ) साधु का कमरावतु। चैत्रः (मु० ) १ चैत मास । २ बौद्ध भिक्षुक | चैत्रम् ( न० ) १ मंदिर सुतपुरुष का स्मारक | आवलिः ( स्त्री० ) चैत्र की पूर्णमासी।सखः ( पु०) कामदेव 1 चैत्ररथं ( म० ) कुवेर के बारा का नाम । चैत्ररथ्यं । चैत्रः ·} ( पु० ) चैत्र मास या चैत का महीना | चैचिन् [ थी। चैत्री (स्त्री० ) चैत्रीपूर्णमासी । चैद्यः । पु० ) शिशुपाल चैलं ( न० ) १ कपड़े का टुकड़ा/– धावः, (पु० ) चोक्ष ( वि० ) १ साफ सुथरा | शुद्ध | २ ईमानदार || सच्चा | ३ चतुर । निपुण ३ पटु | ४ प्रिय | मनोहर प्रसनकारक । वाचं ( न० ) १ बाल । बकला । २ चमं । खाल । २ नारियल । चोटी (स्त्री० ) कुर्ती। छोटा कोट । चोड: ( पु० ) चोली। अँगिया। चोदना ( स्त्री०) : प्रेरणा ३ उत्साह ४ उपदेश । -गुडः, ( पु० ) गेंद | गद्दा चोदित ( च० ० ) १ भेजा हुआ । २ उत्तेजित जीवन डाला हुआ १ युक्ति या कारण प्रदर्शित करने के लिये पेश किया हुआ। चारिका } चोरी। लूट चौरिका । चारित ( वि० ) चुराया हुआ। लूटा हुआ। चारितम् (न० ) १ छोटी चोरी अपहरण २ चुराई हुई कोई भी वस्तु । चालः ( पु० बहुवचन ) आधुनिक तंजार प्रान्त प्राचीन काल में चोल देश के नाम से प्रसिद्ध था। इस देश के अधिवासी । चालः (पु० ) } चोली । अँगिया । चोली (स्त्री० ) चालक (पु० ) D वन २ चैंगिया की बनी पोशाक 1 चोखी ३ चपरास पेटी। भएकल- चालकिन (५०) योद्धा जेर पेटी लगाये हो । २ शंतरे का पेड़ २ कलाई । ३ चालंडुकः, चालूगडकः ( पु० ) पगड़ी। चार्लोडुकः, चोलोण्डुकः साफा । मुकुद । कलगी। वोषः ( पु० ) 1 चूसन | २ सूजन | चौड ) ( वि०) १ कलूँगीदार | २ केश सम्बन्धी । चौल ) ( म० ) चूडाकरण संस्कार । चार्य (न०) १ चोरी | उगी | २ रहस्य । - रतं. (न०) गुपचुप स्त्रीलस्भोग । वृत्तिः, ( श्री० ) डाँका डालने की वान | च्यवनम् ( न० ) १ गति । गतिशीलता। २ राहित्य । शून्यता हीनता | ३ मरण | नाश । महाय बुधव २ टपकाव । व्यु (धा० आर० ) [ यवते, च्युत ] १ गिरना | उपकना चूना फिसलनाडूवना २ बाहिर निकलना । यहनिकलना रसना १३ अलग होना। रहित होना त्यागना। च्युत् (धा०प० ) [ स्वी० - च्यातति ] बहना । टपकना । २ फिसलना । रपटना । च्युत ( ३० ऋ० ) : गिरा हुआ। फिसला हुआ। २ स्थानान्तरित बहिष्कृत ३ भटका हुआ भूला हुआ। - अधिकार, (वि० ) | नौकरी (
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